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ब्रेनी बियर प्री-स्कूल व एक्टिविटी क्लब का समर कैम्प 2 मई से

भोपाल: 23 फरवरी/ भोपाल का सबसे चर्चित और एनर्जेटिक समर कैम्प बे्रनी बियर समर फ्लैश निरंतर दूसरे वर्ष भी 2 मई से 11 जून 2016 तक आयोजित किया जाएगा। ब्रेनी बियर प्री-स्कूल और एक्टिविटी क्लब द्वारा ये समर कैम्प सुबह 10 से 12 बजे तक ब्रेनी बियर की अरैरा कालोनी, कोलार और कोहेफिजा स्थित सेंटरों पर आयोजित होगा। ब्रेनी बियर के इस समर कैम्प में मल्टीपल इंटेलिजेंसी के सिद्धांत पर दो अलग-अलग आयु समूहों में बच्चों के हूनर को तराशने के लिए विभिन्न गतिविधियों आयोजित कराई जाएगी। इसमें ग्रूप ए में 2.5 से 6 वर्ष तक के बच्चे और गु्रप बी में 7 से 12 वर्ष तक के बच्चों को शामिल किया जाएगा। इस कैम्प में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ बच्चों के हुनर को तराश रहे हैं।

ब्रेनी बियर स्कूल की सेंटर संचालक सुश्री श्वेता दुआ ने बताया कि यहां बच्चों को प्रतिदिन पजल सोल्विंग, केंडल डेकोरेशन, आर्ट एंड क्राफ्टस्, डांस एवं योगा, पर्सनालिटी डेवलपमेंट , पब्लिक स्पीकिंग, मैनर्स, एटिकेट, को-आर्डिनेशन और टीम एक्टिविटी से संबंधित गतिविधियों करवाई जाएगी। उन्हें खेल-खेल में ही आर्ट, क्राफ्ट्स और ज्वैलरी मैंकिंग, मैडिटेशन, गार्डनिंग, म्यूजिक की जानकारी भी दी जाएगी। गणित आधारित खेल के माध्यम से उनमें गणित के प्रति रूचि जगाने की एक्टिविटी भी करवाई जाएगी। साथ ही आज की जरूरत के हिसाब से, वॉक्यूबलरी, स्पीच, कैलिग्राफी, भी विषय विशेषज्ञों द्वारा सिखाई जाएगी।

इस कैम्प में भाषा, कम्यूनिकेशन स्किल, इमेजिनेशन, रचनात्मकता सामाजिक व भावनात्मक स्किल के माध्यम से बच्चों के संपूर्ण विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। सेंटर संचालक सुश्री दुआ ने बताया कि बच्चों को सेल्फ डिफेंस के लिए जुडो कराते की एक्टिविटी भी करवाई जा रही है। समर कैम्प के लिए बच्चों को वाहन सुविधा भी मुहैया करवाई जाएगी। अधिक जानकारी के लिए निम्न पते पर संपर्क कर सकते हैं।
स्थानः- ब्रेनी बियर प्री स्कूल एंड एक्टिविटी क्लब, ई-8/131, बसंत कुंज, अरेरा कॉलोनी, भोपाल-462 016
कान्टैक्टः- सुश्री श्वेता दुआ, सेंटर हैड - 81200 44446,
email : This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it. , Visit www.brainybear.in

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  • आईसेक्ट विश्वविद्यालय में गूगल की एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

    भोपाल: 26 अप्रैल/ आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग ने गूगल्स की एक दिवसीय कार्यशाला ‘‘स्थानीयकरण और अनुवाद के लिए गूगल की नई तकनीक’’ विषय पर आयोजित की। कार्यशाला में गूगल की ओर से आए एसोसिएट लीडर श्री प्रवीण दास, बैंगलोर ने गूगल ट्रांसलेट की नई और उम्दा तकनीक पर विस्तृत रुप से प्रकाश डाला। यह कार्यशाला दो सत्रों में आयोजित की गई। प्रथम सत्र में बताया गया कि कैसे लोग आज भी विश्व स्तर पर उपलब्ध संसाधनों से वंचित हैं जिसकी प्रमुख वजह भाषा की बाधा है।

    कार्यशाला के दूसरे सत्र में स्टूडेंट्स को बताया गया कि गूगल का नया ट्रांसलेटर एप ‘गूगल लेंस’ कैसे कार्य करेगा। गूगल लेंस की विशेषता होगी कि किसी भी फोटोग्राफ के टेक्स्ट मैटर को कैमरे के द्वारा ली गई तस्वीर से आपकी चुनी हुई भाषा में प्रभावशाली शब्दों में तुरंत कनवर्ट कर देना, जिससे कि आपको समझने में आसानी होगी।

    गूगल ने आईसेक्ट विश्वविद्यालय से 40 स्टूडेंट्स की एक टीम का चयन किया है। यह चुनी हुई टीम गूगल के नए ट्रांसलेटर एप ‘गूगल लेंस’ हेतु देशभर की विविध भाषा को आसान व प्रभावी ढंग से ट्रांसलेट करने के लिए कार्य करेगी।

    उत्कृष्टता का अग्रणी केन्द्र बन कर उभरा है। विश्वविद्यालय के 40 स्टूडेंट्स चयनित होने पर कुलपति प्रो. वी के वर्मा, समकुलपति अमिताभ सक्सेना और कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी और कहा कि विश्वविद्यालय हमेशा ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देता आया है जिससे कि यहां के स्टूडेंट्स अपनी एक अलग पहचान बना पाने में सक्षम हो सकें।

     

  • आईसेक्ट विश्वविद्यालय में क्लोज कैंपस ड्राइव में दो कंपनियों द्वारा 6 छात्र चयनित किये गए

    भोपाल: 20 अप्रैल/ आईसेक्ट विश्वविद्यालय में क्लोज कैंपस ड्राइव का आयोजन किया गया। इस क्लोज कैंपस ड्राइव में दिल्ली एनसीआर की सारांश ग्रुप कंपनी और इंदौर की एस्प्रीकाट साफ्टलैब प्रा.लि. कंपनी ने शिरकत की। इस कैंपस ड्राइव में 100 से अधिक स्टूडेंट्स ने भाग लिया।

    सारांश ग्रुप आॅफ कंपनीज के सीनियर एच आर उर्वशी त्यागी, गुप्तेश्वर मिश्रा और एस्प्रीकाट साफ्टलैब प्रा. लि. कंपनी के फाउंडर एण्ड सीईओ ईशान व्यास और एचआर हेड प्रियांशी ने कंपनी का प्रजेंटेशन दिया इसके बाद लिखित परीक्षा आयोजित की गई फिर ग्रुप डिस्कशन व अंत में टेक्निकल एचआर राउंड व पर्सनल इंटरव्यू हुए।

    विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट आफिसर नितिन कलसकर, अनिश सक्सेना और सालिम खान ने बताया कि सारांश ग्रुप आॅफ कंपनीज द्वारा अंततः 4 स्टूडेंट्स और एस्प्रीकाट साफ्टलैब प्र. लि. कंपनी द्वारा 2 स्टूडेंट्स सेलेक्ट किए गए। जिनका सालाना पैकेज क्रमशः 2लाख व 1.2लाख  होगा। आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलपति श्री वी के वर्मा, समकुलपति श्री अमिताभ सक्सेना व कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने स्टूडेंट्स की इस सफलता पर बधाई दी।

  • स्कोप कॉलेज की छात्रा दीपा नायर को चांसलर स्कालरशिप

    भोपाल: 13 अप्रैल/ स्कोप कॉलेज आॅफ इंजीनियरिंग, भोपाल की छात्रा दीपा नायर को आर.जी.पी.वी की प्रतिष्ठित चांसलर स्कालरशिप प्राप्त हुई है। दीपा नायर इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्प्यूनिकेशन की सातवें सेमेस्टर की छात्रा है। दीपा नायर ने पाँचवे सेमेस्टर में 9.38 एस.जी.पी.ए हासिल किया था इस स्कालरशिप में सर्टिफिकेट व 20,000 रुपये की राशि प्राप्त हुई है।

    दीपा ने इसका श्रेय स्कोप कॉलेज के अनुशासन व फैकल्टी को दिया है। जिन्होने समय-समय पर मार्गदर्शन किया।

    ज्ञातव्य हो कि इससे पूर्व भी स्कोप के विद्यार्थियों को यह प्रतिष्ठित स्कालरशिप मिली है। स्कोप कालेज के प्रबंधन, प्राचार्य डॉ. डी.एस. राघव, ई.सी. की विभागाघ्यक्ष प्रो. भारती चैरसिया व कालेज फैकल्टी ने अपनी शुभकामनाऐं दी है।

  • आईसेक्ट की एन्यूअल मीटिंग संपन्न, आवाज न्यूज एप लांच

     भोपाल: 12 अप्रैल/ देश के अग्रणी शिक्षण, कौशल विकास एवं सेवा प्रदाता संस्थान आईसेक्ट की वार्षिक रिन्यूवल मीटिंग कई महत्वपूर्ण निर्णयों और नए उपक्रमों की घोषणा के साथ संपन्न हुई। बैठक में निर्णय लिया गया की आईसेक्ट आगामी वर्षों में देश के कई अर्धशहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अपने नए कौशल विकास केन्द्र का विस्तार करेगा। इन कौशल विकास केन्द्रों पर ग्रामीण एवं अर्धशहरी युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे। साथ ही बैठक में आईसेक्ट के स्किल डेवलपमेंट प्रोजक्ट और स्किम, आईसेक्ट आॅनलाइन पोर्टल, फाइनेंशियल इन्क्लूजन एंड यूआईडी सर्विस, आईसेक्ट इन स्कूल्स आदि पर विस्तार से बताया गया।

    गत वर्ष की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए आईसेक्ट के निदेशक श्री सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने उल्लेखित किया कि 1.5 लाख युवाओं को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करना, 35 लाख से ज्यादा ग्रामीण बैंक खाते खोलना, आधार को 2 करोड़ से ज्यादा नागरिकों तक पहंुचाना, ब्रेनी बियर प्री-स्कूल की 15 शाखाओं का खुलना आदि मुख्य उपलब्धियां रही। इस दौरान आईसेक्ट द्वारा अपने नए प्रकाशन, केलेंडर, और रोजगार मंत्रा न्यूज बुलेटिन का विमोचन भी किया गया। साथ ही आईसेक्ट आॅनलाइन आॅपरेशन मैन्यूअल और आईसेक्ट आवाज एप की लांचिग भी की गई। आईसेक्ट आवाज एप के माध्यम से आईसेक्ट के शाखा प्रबंधकों को अपडेटेड जानकारी एवं केन्द्र संचालन में सहुलियत होगी।

    समारोह में एमपी सीवेट के एडिशनल डायरेक्टर श्री जी.एन. अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि कौशल विकास के क्षेत्र में मप्र नंबर एक पर है और यह सिर्फ आईसेक्ट के कारण ही संभव हो सका है। कौशल विकास के क्षेत्र में मप्र में बहुत संभावना है। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में आईसेक्ट स्किल डेवलपमेंट के कार्य को बढ़ा रहा है। बहुत जल्दी ही स्किल डेवलपमेंट में हमारा देश पूरी दुनिया में लीड करेगा। आईसेक्ट की निदेशक सुश्री पल्लवी राव चतुर्वेदी ने आईसेक्ट द्वारा किए जा रहे नवाचार पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस मौके पर एक मोटिवेशनल फिल्म भी प्रस्तुत की गई। आईसेक्ट के महानिदेशक श्री संतोष चौबे ने कहा कि हमारी क्रियेटिविटी ही हमारी अनस्टापेबल स्पिरिट है। पिछले कुछ वर्षों में जो तकनीकी बदलाव हुए है उसने कार्य प्रणाली को बहुत आसान और बेहतर बनाया है। उन्होंने आईसेक्ट द्वारा स्थापित किए जा रहे नए विश्वविद्यालय और नई योजनाओं के बारे में भी विस्तार से बताया।

    इस मौके पर आईसेक्ट के निदेशक श्री अभिषेक पंडित, जोनल आफिस के श्री अरविन्द्र चतुर्वेदी, आईसेक्ट की रजिस्ट्रार सुश्री पुष्पा असिवाल, आईसेक्ट की निदेशक शिल्पी वाष्र्णेय और आईसेक्ट के रीजनल आॅफिस के मैनेजर और ब्रांच मैनेजर उपस्थित थे।

  • सेक्ट कॉलेज के सेमिनार में इम्पैक्ट आॅफ मार्डनाइजेशन आॅन एज्यूकेशन पर विशेषज्ञों ने रखे विचार

    भोपाल: 8 अप्रैल/ आजकल एक फैशन हो गया है कि भारत की शिक्षा पद्धति की विदेशी शिक्षा पद्धति से तुलना की जाती है, जबकि हमारा एज्यूकेशन सिस्टम बिल्कुल यूनिक होना चाहिए, उसे किसी की कॉपी नहीं करनी चाहिए।

    ये बात निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री अखिलेश पांडे ने कही। वे होशंगाबाद रोड स्थित सेक्ट कॉलेज आॅफ प्रोफेशनल एज्यूकेशन के शिक्षा संकाय द्वारा आयोजित नेशनल सेमिनार को शुभारंभ सत्र में संबोधित कर रहे थे। सेमिनार में इम्पैक्ट आॅफ मार्डनाइजेशन आॅन एज्यूकेशन पर विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।

    प्रारंभ में बी.एड. कॉलेज की प्राचार्या डॉ. गुंजन शुक्ला ने स्वागत उद््बोधन दिया। उन्होंने कॉलेज की गतिविधियों पर विस्तृत प्रकाश डाला। आईसेक्ट की निदेशक सूश्री पल्लवी राव चतुर्वेदी ने कहा कि वर्तमान में परिवार और बच्चों में दूरियां बढ़ रही है। बच्चों के साथ परिवार का भावनात्मक सपोर्ट जरूरी है। हमारी जवाबदारी बढ़ गई है। युवा सरपंच सूश्री भक्ति शर्मा ने कहा कि आज परिवार शिक्षा के प्रति अपनी जवाबदारी से बच रहा है वह बच्चों को सिर्फ इंस्टिट्यूशन की तरफ धकेल रहा है। बरकतुल्ला विश्वविद्यालय की शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष प्रो. नीरजा शर्मा ने आधुनिकता का शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ा, तकनीकी से शिक्षा में क्या बदलाव आए इस पर ध्यान इंगित कराया।

    नई दिल्ली से आए श्री डी.के. ओझा और अहमदाबाद से आए श्री अवधेश झा ने विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा पर मार्डनाइजेश के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं को उदाहरणों सहित समझाया। इस मौके पर शिक्षा संकाय की न्यूज मैग्जिन ज्योर्तिमयी और आईएसबीएन द्वारा प्रमाणित इम्पैक्ट आॅफ मार्डनाइजेशन आॅन एज्यूकेशन पर केन्द्रित पुस्तक का विमोचन भी किया। अंत में आभार सूश्री नीलम सिंह ने माना। बाद के सत्रों में बाहर से आए प्रतिभागियों ने पेपर प्रेजेंट किए।

  • वनमाली कथा सम्मान समारोह के दूसरे दिन कथाकारों एवं आलोचकों ने की समकालीन कहानी की पड़ताल

    भोपाल: 6 अप्रैल/ साहित्य और समाज दोनों के लिए यह परंपरा और आधुनिकता के बीच संघर्ष का समय है। आज की कहानी भी किसी वैचारिक टकराहट के बीच अपनी नई राहें तलाश रही है। दरअसल परंपरा और आधुनिकता को ठीक अर्थों में पहचान कर उसे कहानियों के नए विषयों में ढ़ालने की दरकार है। इस आशय के विचार वनमाली कथा सम्मान समारोह में शिरकत करने आए देश के अग्रणी कथाकारों और आलोचकों ने व्यक्त किए।

    आईसेक्ट विश्वविद्यालय के शारदा सभागार में बुधवार सुबह आयोजित विचार सत्र की अध्यक्षता कथाकार-उपन्यासकार संतोष चौबे ने की। आधार वक्तव्य दिल्ली से आए आलोचक डॉ. विनोद तिवारी ने दिया।

    परंपरा, आधुनिकता और समकालीन हिन्दी कहानी पर केन्द्रित इस महत्वपूर्ण संगोष्ठि में सुप्रसिद्ध कथाकार प्रभु जोशी, शशांक, तरूण भटनागर, अवधेश मिश्र, पल्लव, और राजीव कुमार ने अपने वैचारिक तर्कों से नई और पुरानी कहानी के बीच अपना सम्यक विश्लेषण किया। संगोष्ठि से पूर्व दिवंगत कथाकार जे.पी. चौबे वनमाली के कर्मयोगी जीवन पर केन्द्रित लघुफिल्म का प्रदर्शन किया गया। इस सत्र का संचालन विनय उपाध्याय और अरूणेश शुक्ल ने किया।

    अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संतोष चौबे ने हिन्दी कथाकारों के सामने आई चुनौतियां साझा करते हुए विशेष रूप से टेक्नोलॉजी के दबाव और प्रभाव को ठीक से समझने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि आभासी तकनीकी दुनिया ने हमें वास्तविक समाज के गहरें सरोकारों से काट दिया है। लेकिन इसी बीच पारंपरिक मूल्य और आदर्श भी समाज के लिए गैर जरूरी नहीं हुए है। इस नई टकराहट को ठीक से जांचने और इससे जन्में नए विमर्श को कहानी के केन्द्र में लाए जाने की दरकार है।

    अपने आधार वक्तव्य में आलोचक विनोद तिवारी ने आधुनिकता की टोह लेते हुए कहा कि बीसवीं शताब्दी कई नई बहसों से मुठभेड़ करती हुई गुजरी है इसकी लंबी सूची है। दलित विमर्श, स्त्री विमर्श और आदिवासी विमर्श आदि हमारी इसी आधुनिक समय की देन है। उन्होंने बाजार और मनुष्य के नए संबंधों और उसके बीच परंपरा टुटती जुड़ती कड़ियों को भी विश्लेषित किया है।

    वनमाली कथा सम्मान से विभूषित कथाकार प्रभु जोशी ने भारत के साथ जुड़े आधुनिक संबंधों की चर्चा करते हुए तकनीक, बाजार और पुंजी का खासतौर पर जिक्र किया। कहानी भी इन प्रभावों से अछुती नहीं रही है। उन्होंने कहा कि लेखक को इन सब के बीच अपनी रचनात्मक सचाई पर कायम रहने की जरूरत है, जो सचाई के साथ छल करेगा वह अपने सृजन के साथ भी छल करेगा।

    कथाकार शशांक का मानना था कि बाजार और विज्ञापन की भाषा ने शब्दों की मर्यादा को काफी हद तक प्रभावित किया है। शब्दों की गरिमा और उसके अपव्यय पर भी गंभीरता से सोचने की जरूरत है। शशांक ने ज्ञान रंजन, संतोष चैबे और मो. आरिफ की कहानियों का उदाहरण लेते हुए कुछ जीवंत सूत्रों का उल्लेख किया।

    कहानियों का जीवंत रचनापाठ

    जीवन के अनुभव संसार से बावस्ता अपनी दिलचस्प कहानियों का ताना-बाना लिए जाने-माने कथाकारों डॉ. चित्रा मुद्गल, प्रभु जोशी, मो. आरिफ और हरि भटनागर ने स्वराज संस्थान सभागार में दस्तक दी। वनमाली कथा सम्मान से सम्मानित इन कथाकारों ने अपनी कहानियों का पाठ किया। ये कहानियां विषय, भाषा और संप्रेषण को लेकर पाठकों के बीच न केवल प्रभावी ढ़ंग से संप्रेषित हुई बल्कि वैचारिक रूप से हमारे समय की कहानी का सार्थक हस्तक्षेप भी साबित करती रही। रचनापाठ की अध्यक्षता के लिए विशेष रूप से उपस्थित व्यंगकार डॉ ज्ञान चतुर्वेदी ने इन कथाकारों को समकालीन कहानी का महत्वपूर्ण हस्ताक्षर बताया। संचालन पंकज सुबीर ने किया। आभार माना डॉ. उर्मिला शिरीष ने।

    पांच शब्दशिल्पियों को वनमाली सम्मान

    पांच अप्रैल को भारत भवन में आयोजित गरिमामय समारोह में हिंदी कहानी और आलोचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए पांच शब्दशिल्पियों को वनमाली सम्मान से विभूषित किया गया । प्रख्यात कथाकार चित्रा मुदगल, प्रभु जोशी, मोहम्मद आरिफ और विनोद तिवारी के साथ ही साहित्यिक पत्रिका "रचना समय"(संपादक-हरि भटनागर) को सम्मान निधि ,प्रशस्ति,शाल-श्रीफल और प्रतीक चिन्ह भेट कर अलंकृत किया गया।

    वनमाली सृजन पीठ के इस प्रतिष्ठा प्रसंग की अध्यक्षता मूर्धन्य आलोचक डा.धनंजय वर्मा जी ने किया एवं मुख्य अतिथि भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक और कवि लीलाधर मंडलोई जी थे। इस अवसर पर कलाओं के अंतरविधायी विमर्श की बहुचर्चित पत्रिका "रंग संवाद" के नए अंक के साथ ही कहानी-उपन्यास पर केंद्रित विचार पुस्तिकाओं का भी लोकार्पण किया गया। संतोष चौबे और मुकेश वर्मा ने सम्मानित लेखकों के सृजनात्मक व्यक्तित्व पर वक्तव्य दिया। संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने किया।
                       

खरी बात

ईमान होता तो बुंदेलखंड सूखा नही होता, हजारों कुओं, तालाब, स्टापडेम के बावजूद तलाश "पानी की बूंद" की

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