भारत स्वास्थ सुविधाएँ तेज़ी से विकसित कर रहा है। और जल्दी ही ग्लोबल हेल्थ डेस्टिनेशन का मुकाम हांसिल करेगा। यह कहना है विख्यात फार्मासिस्ट और प्रांतीय फार्मासिस्ट असोसियेशन के प्रवक्ता विवेक मौर्य का। भारत में शासन की ओर से प्रदत्त बुनियादी स्वास्थ सुविधाएँ जहाँ एक ओर निम्नतम हैं। वहीँ दूसरी और पाँच सितारा हॉस्पिटल एवं सर्व सुविधायुक्त अस्पताल दुनिया में सबसे सस्ते इलाज के लिए दुनिया के मरीजों का रुख भारत की ओर करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। हेल्थ केयर और मेडिकल टूरिज्म आज दुनिया का सबसे तेज़ी से विकसित होता क्षेत्र है। जिसमे अपार संभावनाए हैं।
अगर हम भारतीय ग्रामीण परिवेश को देखें जहाँ कई ग्रामीण पैसा होने के बाद भी गंभीर रोग का इलाज अच्छी तरह से नहीं करा पाते और अगर बाहर जा के करते भी है। तो कई गुना कीमत चुकाने के बाद भी उसे स्तरीय सुविधाएँ नहीं मिल पाती। वहीँ दूसरी और विकसित देशों में जहाँ इलाज अत्यधिक महंगा है। और भारत में वही सुविधा उसके चौथाई कभी कभी तो दसवे हिस्से के खर्च में ही उपलब्ध हो जाती हैं। वास्तव में मेडिकल टूरिज्म इन्ही सब समस्याओं का हल है। जो एक ओर जहाँ कम कीमत में गुणवत्ता युक्त इलाज उपलब्ध कराता है। वहीँ रोजगार के रूप में एक अच्छी कमाई का साधन भी है।
भारत का तेज़ी से विकसित होता बाज़ार
स्वास्थ्य भ्रमण या मेडिकल टूरिज्म की मार्केटिंग के लिहाज से भारत संसार का सबसे तेज़ी से विकसित होता बाज़ार है। अमेरिका जैसे देशों में लोग इलाज चौथाई से भी कम खर्चे में पाने के लिए,कनाडा में इलाज की लम्बी प्रतीक्षा से त्रस्त,ब्रिटेन में जो राष्ट्रिय स्वास्थ सेवा का इंतज़ार नहीं कर सकते न ही निजी सुविधाएँ वहन कर सकते हैं, ऐसे सभी लोग इन समस्याओं का हल भारत में ढूंढ रहे हैं। इसी प्रकार भूटान,नेपाल,बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे गरीब देश जहाँ स्वास्थ सुविधाएँ न के समान हैं। उनका रुख भी भारत की और है। वास्तव में देखा जाये तो मेडिकल टूरिज्म का इतिहास भारत में हजारों साल पुराना है। प्राचीनकाल से ही ग्रीक,रोमन,ब्रिटेन इत्यादि देशों से लोग मानसिक शांति और व्याधियों से मुक्ति के लिए भारत आते रहे हैं। तीर्थ यात्राओं,भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का दोहन और यहाँ की भौगोलिक परिस्थितियां यहाँ लोगो को आकर्षित करती रही हैं। भारत में हुए विभिन्न शासकीय एवं निजी सर्वेक्षण बताते हैं। कि वर्ष 2012 के अंत तक मेडिकल टूरिज्म 1 से 2 बिलियन डालर अमेरिका से भारत ला सकता है। एक अध्यनन के अनुसार पिछले वर्ष 15000 विदेशी अपना इलाज करने भारत आये। जो उनके पूर्व आंकलनों से 15 प्रतिशत अधिक था।
अत्यधिक प्रशिक्षित चिकित्सक और न्यूनतम इलाजी खर्चे के गठजोड़ से भारत के स्वास्थ्य सेक्टर ने भारतीय सोफ्टवेयर सेक्टर की सफलता की जगह ले ली है। कई एकड़ में बने अत्याधुनिक अस्पताल आकर्षक पैकेज एवं आकर्षक कीमतें दुनिया में भारत का एक नया आयाम स्थापित कर रही हैं। कई निजी हॉस्पिटल समृद्ध विदेशियों को आकर्षित करने के लिए एअरपोर्ट से हॉस्पिटल बेडकार सर्विस,इन रूम इन्टरनेट सुविधा,प्राइवेट शेफ,सर्जरी के साथ योगा होलिडेज,स्पा मसाज,या विश्वप्रसिद्ध ताजमहल की सैर इत्यादि आकर्षक पैकेज भी दे रहे हैं। सिर्फ कीमत ही नहीं बल्कि शानदार प्रतिस्पर्धा ने भी मेडिकल टूरिज्म को भारत में सेलिंग पॉइंट बनाया है। मेडिकल टूरिज्म को कम कीमत में निजी मेडिकल सुरक्षा तथा पर्यटन उद्द्योग का मिलाजुला प्रयास भी कह सकते हैं। जो मरीज के लिए आसान,सुरक्षित,सस्ता,और मनोरंजक है।जिसमे फार्मासिस्ट एक व्यवस्थापक का किरदार निभा सकता है।
इलाज खर्चे में अंतर
भारतीय कार्पोरेट हॉस्पिटल जैसे अपोलो,टाटा,एस्कोर्ट आज विश्वस्तरीय चिकित्सा सेवाएं निम्न दरों पर उपलब्द्ध करा रहे हैं। जिनका खर्च यू.एस. या यू.के. की तुलना में कई गुना कम है। जैसे लीवर प्रत्यारोपण की कीमत यू.के. में लगभग 60 -70 लाख रूपए है। यही कीमत अमेरिका में ठीक दुगनी हैं। जबकि कुछ भारतीय अस्पताल जैसे हैदराबाद का ग्लोबल हॉस्पिटल में इसका खर्च मात्र 15 से 20 लाख रूपए आता है। इसी प्रकार ह्रदय की शल्य चिकित्सा का खर्च यू.एस. में लगभग 20 लाख है। जबकि चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में यह खर्च मात्र दो लाख है। भारत ने इस क्षेत्र में थाईलेंड,सिंगापोर और अन्य दक्षिण देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। जबकि इन देशो के पास शानदार टूरिस्ट लोकेशन और अच्छे अस्पताल भी थे। इसी कारण इसे देश का अगला सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा कमाने वाला क्षेत्र का दर्ज़ा मिल रहा है। ब्लूमिंग मार्केट नामक पत्रिका के अनुसार अमेरिका,यूरोप,विश्व के मध्य और पूर्वी क्षेत्र के लोग तेज़ी से भारतीय अस्पतालों की खोज में हैं। जहाँ उन्हें सस्ता और प्रभावी विकल्प मिल सके।
खर्च का अंतर एक द्रष्टि में
हम यहाँ पर कुछ गंभीर बीमारियों पर भारत और अमरीका में होने वाले व्यय का तुलनात्मक विवरण दे रहे हैं।
भारत- ओपन हर्ट सर्जरी-2.25 लाख, अमरीका- 09 लाख
भारत- क्रेनियो फेसियल सर्जरी-2.15 अमरीका- लाख 6.5 लाख
भारत- न्यूरो सर्जरी (हाईपोथर्मिया के साथ) 3.25 लाख, अमरीका- 10.5 लाख
भारत- काम्पलेक्स स्पाईनल सर्जरी विद इम्प्लान्ट्स 2.15 लाख, अमरीका- 6.5 लाख
भारत- सिम्पल स्पाईनल सर्जरी 1.05 लाख, अमरीका- 3.25 लाख
भारत- सिम्पल ब्रेन ट्यूमर बायोप्सी 0.5 लाख, अमरीका- 2.15 लाख
भारत- हिप रिप्लेसमेंट 2.15 लाख, अमरीका- 6 .5 लाख
भारत में मेडिकल टूरिज्म
भारतीय कार्पोरेट अस्पतालों में कार्डियोलोजी,कार्डियो थोरेसिक सर्जरी,ज्वाइंट रिप्लेसमेंट,ओर्थोपेडिक सर्जरी,गेस्ट्रोएन्तेरोलोजी, ओप्थेल्मोलोजी,पीडियाट्रिक सर्जरी, ट्रांसप्लांट, युरोलोजी इत्यादि क्षेत्र में स्वयं को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध किया है। इसके अलावा अन्य क्षेत्र में जैसे डर्मेटोलोजी, न्यूरोलोजी, प्लास्टिक सर्जरी, मानसिक रोग इत्यादि में उच्च प्रशिक्षित चिकित्सक उपलब्ध हैं। अन्य सुविधाएँ जैसे सम्पूर्ण शरीर की पेथोलोजी, तुलनात्मक फिजिकल एवं गायेनेकोलोजिक्ल परिक्षण, दन्त, आँख, कान, तनाव इत्यादि से सम्बंधित परिक्षण,भोजन या खुराक से संबंधित परामर्श,एक्स-रे, ई.सी.जी. इको कलर डाप्लर,शरीर में वसा का विश्लेषण, सी.टी.स्केन, एम्.आर.आई. भी एम्.डी. डॉक्टर की देखरेख में दर्द रहित प्रणाली एवं कम कीमत पर प्राप्त है।
अपोलो ग्रुप, एस्कोर्ट हॉस्पिटल दिल्ली, जसलोक हॉस्पिटल मुंबई इत्यादि भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के जाने माने प्रतिष्ठित नाम हैं। कार्पोरेट अस्पतालों जैसे ग्लोबल केयर ,डा.एल.व्ही. प्रसाद आई हॉस्पिटल हेदराबाद, हिंदुजा एन.एम्.एक्सीलेंस मुंबई में भी विदेशी मरीजों की भीड़ लगातार बढती जा रही है।
श्री विवेक मौर्य के अनुसार परिस्थितियां और आंकलन बताते हैं कि मेडिकल टूरिज्म आने वाले दौर का शानदार करियर का विकल्प होगा। इसके अलावा मरीजों को बेहतर स्वास्थ सुविधाएं दिलाने में भी इससे काफी मदद मिलेगी। हेल्थ टूरिज्म के कारण अगर बीमारी भय के बजाय मनोरंजन और मस्ती का पर्याय बन जाती हैं तो भविष्य में देश की अर्थव्यवस्था के लिये ये मील का पत्थर साबित होगा, जिसमें फार्मासिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।