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जब महाजन ने तृणमूल के सौगत रॉय का 'स्वागत' किया

लाइसेंस सस्पेंड होने के बाद भी दवा दुकानदार कर रहे हैं बेधड़क कारोबार

अलवर: 25 अप्रैल/ अलवर जिले के दवा विक्रेताओं की इन दिनों खूब चांदी है नियम कानून तक पर रख एक तरफ सरकार  ने फार्मासिस्ट की अनिवार्यता सम्बंधित कानून में ढील दे रखी है दूसरे तरफ कई दवा विक्रेता थोक के लाइसेंस लेकर खुदरा दवा का व्यापार कर रहे है !

एक आंकडे के मुताबिक अलवर जिले में दवा दुकानों की संख्या १४७६ है जिसमे ८६८ थोक दवा के लाइसेंस दिए गए है ! फार्मेसी जाग्रति संस्थान राजस्थान के जिलाध्यक्ष और फार्मा एक्टिविस्ट हिरा सिंह चौधरी ने जो दस्तावेज़ आरटीआई से हासिल  किये है वह अत्यन्त चोंकाने वाले है ! हीरासिंह चौधरी ने खरी न्यूज़ को दिए एक साक्षत्कार में खुलासा किया की कई फार्मासिस्ट देश से बाहर है पर उनके नाम पर अलवर में दवा दुकान चल रही है ! कई नर्शिंग होम और निजी अस्पतालों को डिस्ट्रीब्यूटर बगैर किसी बिल गैरकानूनी रूप से  दवा की खेप खपा रहे है ! हिरा ने आरोप जड़े की  ज्यादातर दवा दुकानों में फार्मासिस्ट की जगह गैर प्रशिक्षित लोग काम करते है ड्रग इंस्पेक्टर का काम केवल वसूली करना रह गया है !

यह कोई ताज़ा मामला नहीं है इससे पहले भी ड्रग डिपार्टमेंट की कारगुज़ारियों की पोल हिरा सिंह चौधरी ने खोली है बार बार शिकायत करने के वावजूद अबतक कोई कारगर पहल नहीं हुई है !

हिरा सिंह चौधरी ने एडीसी पर कई तरह के गम्भीर आरोप जड़े है हिरा के मुताबिक एडीसी दवा दुकानों पर करवाई के नाम पर नोटिस भेज कर महज़ दिखावे के लिए करवाई का ढोंग करते है जबकि दवा दुकानदार लाइसेंस ससपेंड होने के बाद भी बेधड़क अपना कारोबार करते रहते है ! नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ दवा कारोबारियों ने बताया की अगर किसी दुकानदार के यहाँ छापेमारी होती है तो ड्रग डिपार्टमेंट भले लाइसेंस ससपेंड कर दे पर दुकान पूर्वरत चलाने के लिए दो से लेकर पांच हज़ार रूपये का नजराना देना होती है !

ड्रग लाइसेंस में खुलेआम चलता है रिस्वतखोरी का खेल

फार्मा एक्टिविस्ट विनय कुमार भारती ने हिरा सिंह चौधरी और उनकी  टीम का समर्थन करते हुए कहा है की अलवर जिले के सभी ड्रग इंस्पेक्टर और एडीसी पूरी तरह भ्रस्टाचार में डूबे हुवे हैं ! भारती बताते है की ड्रग लाइसेंस बनने हेतु सारी कागज़ी करवाई कचहरी के दलाल के जिम्मे है जो शुरुआत से लेकर लाइसेंस बनने का काम खुद करते है ! एक ड्रग लाइसेंस के एवज़ में बीस से पच्चीस हज़ार तक की रिस्वत दलालों के जरिये ही ली जाती है ! अगर कोई फार्मसिस्ट सीधे ड्रग ऑफिस से संपर्क करता है तो ड्रग इंस्पेक्टर दलाल का नंबर थमा देते है ! विनय कुमार भारती ने अधिकारीयों को चेतावनी देते हुवे अपनी हरकतों से बाज़ आने को कहा है !

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  • सात साल की सजा फार्मेसी एक्ट के उलन्घन पर

    नई दिल्ली: 24 अप्रैल/ फार्मेसी एक्ट में बदलाव की मांग कर रही प्रांतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन की मांग पर पीसीआई से जल्द फार्मासिस्ट को अच्छी खबर मिल सकती है।

    ज्ञात हो कि प्रांतीय फार्मा एसोसिएशन ने पिछले माह पीसीआई समेत प्रधानमंत्री व् स्वास्थ्य मंत्री से फार्मेसी एक्ट में PNDT एक्ट के समान परिणाम प्रद बदलाव लाने की मांग की थी, साथ ही मांग न माने जाने पर देश व्यापी आंदोलन की चेतावनी भी दी थी।

    यदि बदलाव एसोसिएशन के मुताबिक होते है तो फार्मेसी एक्ट तोड़ने वालो की शामत आ जायेगी क्योंकि मांग में एक्ट के उलन्घन पर 7 वर्ष के कठोर कारवास की सजा, 5 लाख रुपये जुर्माना और सूचना देने वालों को 1 लाख का नगद इनाम का प्रावधान है।

    सूत्र बताते है कि इस दिशा में तेजी से कार्य चल रहा है। जल्द ही प्रस्ताव बना कर सरकार की मन्जूरी हेतु भेजा जा सकता है।

    एसोसिएशन के अध्यक्ष अम्बर चौहान के अनुसार अगर फार्मेसी एक्ट में बदलाव आता है तो भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा और भारत में स्वास्थ्य सुविधा विकसित देशों के समान उपलब्ध हो सकेंगी।

  • चिकित्सकों को नही Dr. लिखने का अधिकार

    भोपाल: 19 अप्रैल/ सदियो से अपने नाम के पूर्व डॉ. उपसर्ग का प्रयोग होता आ रहा है, लेकिन खरी न्यूज की पड़ताल से यह तथ्य सामने आया है कि वास्तव में चिकिसकों को यह अधिकार तो है ही नही।

    डॉ उपसर्ग का प्रयोग करने की पात्रता नियमानुसार सिर्फ पीएचडी धारको को ही है, अन्य किसी को नही।

    MBBS सहित विभिन्न पैथियों जैसे आयुर्वेद, होमियो, यूनानी के चिकित्सक ही नही बल्कि फिसिओथेरेपी इलेक्ट्रोहोमियोपेथ, वैध विशारद तक अपने नाम के साथ डॉ शब्द का उपसर्ग के रूप में खुलेआम प्रयोग करते है।

    प्राप्त जानकारी और पड़ताल के साथ अभी तक कोई ऐसा प्रपत्र सामने नही आया जिससे चिकित्सक अपने नाम के पूर्व डॉ शब्द का प्रयोग कर सके।

  • मेडिकल टूरिज़्म बदलेगा फार्मासिस्ट की दिशा और दशा

    भारत स्वास्थ सुविधाएँ तेज़ी से विकसित कर रहा है। और जल्दी ही ग्लोबल हेल्थ डेस्टिनेशन का मुकाम हांसिल करेगा। यह कहना है विख्यात फार्मासिस्ट और प्रांतीय फार्मासिस्ट असोसियेशन के प्रवक्ता विवेक मौर्य का। भारत में शासन की ओर से प्रदत्त बुनियादी स्वास्थ सुविधाएँ जहाँ एक ओर निम्नतम हैं। वहीँ दूसरी और पाँच सितारा हॉस्पिटल एवं सर्व सुविधायुक्त अस्पताल दुनिया में सबसे सस्ते इलाज के लिए दुनिया के मरीजों का रुख भारत की ओर करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। हेल्थ केयर और मेडिकल टूरिज्म आज दुनिया का सबसे तेज़ी से विकसित होता क्षेत्र है। जिसमे अपार संभावनाए हैं।

    अगर हम भारतीय ग्रामीण परिवेश को देखें जहाँ कई ग्रामीण पैसा होने के बाद भी गंभीर रोग का इलाज अच्छी तरह से नहीं करा पाते और अगर बाहर जा के करते भी है। तो कई गुना कीमत चुकाने के बाद भी उसे स्तरीय सुविधाएँ नहीं मिल पाती। वहीँ दूसरी और विकसित देशों में जहाँ इलाज अत्यधिक महंगा है। और भारत में वही सुविधा उसके चौथाई कभी कभी तो दसवे हिस्से के खर्च में ही उपलब्ध हो जाती हैं। वास्तव में मेडिकल टूरिज्म इन्ही सब समस्याओं का हल है। जो एक ओर जहाँ कम कीमत में गुणवत्ता युक्त इलाज उपलब्ध कराता है। वहीँ रोजगार के रूप में एक अच्छी कमाई का साधन भी है।

    भारत का तेज़ी से विकसित होता बाज़ार

    स्वास्थ्य भ्रमण या मेडिकल टूरिज्म की मार्केटिंग के लिहाज से भारत संसार का सबसे तेज़ी से विकसित होता बाज़ार है। अमेरिका जैसे देशों में लोग इलाज चौथाई से भी कम खर्चे में पाने के लिए,कनाडा में इलाज की लम्बी प्रतीक्षा से त्रस्त,ब्रिटेन में जो राष्ट्रिय स्वास्थ सेवा का इंतज़ार नहीं कर सकते न ही निजी सुविधाएँ वहन कर सकते हैं, ऐसे सभी लोग इन समस्याओं का हल भारत में ढूंढ रहे हैं। इसी प्रकार भूटान,नेपाल,बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे गरीब देश जहाँ स्वास्थ सुविधाएँ न के समान हैं। उनका रुख भी भारत की और है। वास्तव में देखा जाये तो मेडिकल टूरिज्म का इतिहास भारत में हजारों साल पुराना है। प्राचीनकाल से ही ग्रीक,रोमन,ब्रिटेन इत्यादि देशों से लोग मानसिक शांति और व्याधियों से मुक्ति के लिए भारत आते रहे हैं। तीर्थ यात्राओं,भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का दोहन और यहाँ की भौगोलिक परिस्थितियां यहाँ लोगो को आकर्षित करती रही हैं। भारत में हुए विभिन्न शासकीय एवं निजी सर्वेक्षण बताते हैं। कि वर्ष 2012 के अंत तक मेडिकल टूरिज्म 1 से 2 बिलियन डालर अमेरिका से भारत ला सकता है। एक अध्यनन के अनुसार पिछले वर्ष 15000 विदेशी अपना इलाज करने भारत आये। जो उनके पूर्व आंकलनों से 15 प्रतिशत अधिक था।

    अत्यधिक प्रशिक्षित चिकित्सक और न्यूनतम इलाजी खर्चे के गठजोड़ से भारत के स्वास्थ्य सेक्टर ने भारतीय सोफ्टवेयर सेक्टर की सफलता की जगह ले ली है। कई एकड़ में बने अत्याधुनिक अस्पताल आकर्षक पैकेज एवं आकर्षक कीमतें दुनिया में भारत का एक नया आयाम स्थापित कर रही हैं। कई निजी हॉस्पिटल समृद्ध विदेशियों को आकर्षित करने के लिए एअरपोर्ट से हॉस्पिटल बेडकार सर्विस,इन रूम इन्टरनेट सुविधा,प्राइवेट शेफ,सर्जरी के साथ योगा होलिडेज,स्पा मसाज,या विश्वप्रसिद्ध ताजमहल की सैर इत्यादि आकर्षक पैकेज भी दे रहे हैं। सिर्फ कीमत ही नहीं बल्कि शानदार प्रतिस्पर्धा ने भी मेडिकल टूरिज्म को भारत में सेलिंग पॉइंट बनाया है। मेडिकल टूरिज्म को कम कीमत में निजी मेडिकल सुरक्षा तथा पर्यटन उद्द्योग का मिलाजुला प्रयास भी कह सकते हैं। जो मरीज के लिए आसान,सुरक्षित,सस्ता,और मनोरंजक है।जिसमे फार्मासिस्ट एक व्यवस्थापक का किरदार निभा सकता है।

    इलाज खर्चे में अंतर

    भारतीय कार्पोरेट हॉस्पिटल जैसे अपोलो,टाटा,एस्कोर्ट आज विश्वस्तरीय चिकित्सा सेवाएं निम्न दरों पर उपलब्द्ध करा रहे हैं। जिनका खर्च यू.एस. या यू.के. की तुलना में कई गुना कम है। जैसे लीवर प्रत्यारोपण की कीमत यू.के. में लगभग 60 -70 लाख रूपए है। यही कीमत अमेरिका में ठीक दुगनी हैं। जबकि कुछ भारतीय अस्पताल जैसे हैदराबाद का ग्लोबल हॉस्पिटल में इसका खर्च मात्र 15 से 20 लाख रूपए आता है। इसी प्रकार ह्रदय की शल्य चिकित्सा का खर्च यू.एस. में लगभग 20 लाख है। जबकि चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में यह खर्च मात्र दो लाख है। भारत ने इस क्षेत्र में थाईलेंड,सिंगापोर और अन्य दक्षिण देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। जबकि इन देशो के पास शानदार टूरिस्ट लोकेशन और अच्छे अस्पताल भी थे। इसी कारण इसे देश का अगला सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा कमाने वाला क्षेत्र का दर्ज़ा मिल रहा है। ब्लूमिंग मार्केट नामक पत्रिका के अनुसार अमेरिका,यूरोप,विश्व के मध्य और पूर्वी क्षेत्र के लोग तेज़ी से भारतीय अस्पतालों की खोज में हैं। जहाँ उन्हें सस्ता और प्रभावी विकल्प मिल सके।

    खर्च का अंतर एक द्रष्टि में

    हम यहाँ पर कुछ गंभीर बीमारियों पर भारत और अमरीका में होने वाले व्यय का तुलनात्मक विवरण दे रहे हैं।

    भारत- ओपन हर्ट सर्जरी-2.25 लाख, अमरीका- 09 लाख
    भारत- क्रेनियो फेसियल सर्जरी-2.15 अमरीका- लाख 6.5 लाख
    भारत- न्यूरो सर्जरी (हाईपोथर्मिया के साथ) 3.25 लाख, अमरीका- 10.5  लाख
    भारत- काम्पलेक्स स्पाईनल सर्जरी विद इम्प्लान्ट्स 2.15 लाख, अमरीका- 6.5 लाख
    भारत- सिम्पल स्पाईनल सर्जरी 1.05 लाख, अमरीका- 3.25 लाख
    भारत- सिम्पल ब्रेन ट्यूमर बायोप्सी 0.5 लाख, अमरीका- 2.15 लाख
    भारत- हिप रिप्लेसमेंट 2.15 लाख, अमरीका- 6 .5 लाख

    भारत में मेडिकल टूरिज्म

    भारतीय कार्पोरेट अस्पतालों में कार्डियोलोजी,कार्डियो थोरेसिक सर्जरी,ज्वाइंट रिप्लेसमेंट,ओर्थोपेडिक सर्जरी,गेस्ट्रोएन्तेरोलोजी, ओप्थेल्मोलोजी,पीडियाट्रिक सर्जरी, ट्रांसप्लांट, युरोलोजी इत्यादि क्षेत्र में स्वयं को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध किया है। इसके अलावा अन्य क्षेत्र में जैसे डर्मेटोलोजी, न्यूरोलोजी, प्लास्टिक सर्जरी, मानसिक रोग इत्यादि में उच्च प्रशिक्षित चिकित्सक उपलब्ध हैं। अन्य सुविधाएँ जैसे सम्पूर्ण शरीर की पेथोलोजी, तुलनात्मक फिजिकल एवं गायेनेकोलोजिक्ल परिक्षण, दन्त, आँख, कान, तनाव इत्यादि से सम्बंधित परिक्षण,भोजन या खुराक से संबंधित परामर्श,एक्स-रे, ई.सी.जी. इको कलर डाप्लर,शरीर में वसा का विश्लेषण, सी.टी.स्केन, एम्.आर.आई. भी एम्.डी. डॉक्टर की देखरेख में दर्द रहित प्रणाली एवं कम कीमत पर प्राप्त है।

    अपोलो ग्रुप, एस्कोर्ट हॉस्पिटल दिल्ली, जसलोक हॉस्पिटल मुंबई इत्यादि भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के जाने माने प्रतिष्ठित नाम हैं। कार्पोरेट अस्पतालों जैसे ग्लोबल केयर ,डा.एल.व्ही. प्रसाद आई हॉस्पिटल हेदराबाद, हिंदुजा एन.एम्.एक्सीलेंस मुंबई में भी विदेशी मरीजों की भीड़ लगातार बढती जा रही है।

    श्री विवेक मौर्य के अनुसार परिस्थितियां और आंकलन बताते हैं कि मेडिकल टूरिज्म आने वाले दौर का शानदार करियर का विकल्प होगा। इसके अलावा मरीजों को बेहतर स्वास्थ सुविधाएं दिलाने में भी इससे काफी मदद मिलेगी। हेल्थ टूरिज्म के कारण अगर बीमारी भय के बजाय मनोरंजन और मस्ती का पर्याय बन जाती हैं तो भविष्य में देश की अर्थव्यवस्था के लिये ये मील का पत्थर साबित होगा, जिसमें फार्मासिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

  • Exposed: अगर आप फार्मासिस्ट बनना चाहते है तो पैसे दीजिये Exam नहीं

    नई दिल्ली: 16 अप्रैल/ अगर आप सोचते है कि फार्मासिस्ट बनने के लिये बहुत पढ़ना पड़ता है, बहुत मेहनत करनी पड़ती है तो आप निश्चिन्त रहें। आपको सिर्फ रकम खर्च करना है बदले में आपको घर बैठे फार्मेसी में डिप्लोमा डिग्री उपलब्ध करा दी जायेगी।

    जी हाँ यह कोई कपोल कल्पना नही बल्कि एक कड़वी हकीकत है, जो शासन प्रशासन की देख रेख में प्रधान मंत्री के कौशल विकास के कार्यक्रम के मुख पर खुलेआम कालिख पोत रही है।

    खरी न्यूज ने अपनी खोजी टीम के जरिये मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र एवं दक्षिण भारत में संचालित कई निजी संस्थाओ और विश्व विद्यालयों की जानकारी प्राप्त की है जहाँ किसी भी डिग्री या डिप्लोमा के लिये सिर्फ मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। उसके बाद ये उच्च शिक्षा माफिया आपके घर में डिग्री डिप्लोमा आदि की सप्लाय कर देते है। सिर्फ फार्मेसी ही क्यों इंजीनीरिंग, मैनेजमेंट, एजुकेशन, हेल्थ सम्बन्धित सभी तरह की डिग्री और डिप्लोमा ये माफिया उपलब्ध करवा देते है।

    मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में कई फार्मेसी कॉलेज डिप्लोमा फार्मेसी कई वर्षो से बिना कॉलेज या क्लास अटेंड करवाये सिर्फ पैसे के बलबूते बेच रहे है।

    वर्तमान में भोपाल, सागर और इंदौर के कुछ निजी यूनिवर्सिटी इस गोरखधंधे में लिप्त है।

    खरी न्यूज के हाथों में कई महत्पूर्ण जानकारी और दस्तावेज इस पड़ताल में लगे है जिनसे जल्द ही इस खेल का पूरी तरह से पर्दाफ़ाश किया  जायेगा।

  • देश भर के फार्मासिस्ट के आंदोलन के दबाब में दवा माफिया में खलबली

    नई दिल्ली: 15 अप्रैल/ फर्ज़ी तरीको से अपनी दुकान चला रहे दवा व्यवसायी और नकली तथा नशे की दवा बेच कर मोटा मुनाफा कमाने वाला दवा माफिया आज कल हिला हुआ है। इसका कारण देश भर में एकजुट हो रहे फार्मासिस्ट का आंदोलन है।

    मध्यप्रदेश के प्रांतीय फार्मासिस्ट असो, छत्तीसगढ़ के सी.पी.ए. ,उ.प्र. से फार्मासिस्ट फाउंडेशन, झारखंड से झारखंड स्टेट फार्मासिस्ट असो, गुजरात से GPA , राजस्थान से पी जे एस आर समेत कई राज्यों में फार्मेसी आंदोलन उग्र होते जा रहे है।

    छत्तीसगढ़ में फार्मेसी छात्रो ने 1 फरवरी को गिरफ्तारी दी, मार्च में उ प्र में फार्मासिस्ट पर लाठीचार्ज और गिरफ्तारियां फिर राजस्थान में उग्र रैली, इन सारी घटनाओं ने औषधि प्रशासन की कलई खोल के रख दी।

    मध्यप्रदेश में तो फार्मासिस्ट सीधे कलेक्टर की मदद से छापे डलवा कर फर्ज़ी मेडिकल और चिकित्सक पर प्रकरण दर्ज़ करवाने शुरू कर दिए है।
    कई अरबो रुपये के गैर कानूनी दवा व्यवसाय पर इस समय फार्मासिस्ट खतरा बनने लगे हैं।

  • फार्मासिस्ट को मिल सकता है उपचार का अधिकार

    भोपाल: 15 अप्रैल/ चिकित्सकों की कमी झेल रहे प्रदेशों में इस वर्ष फार्मासिस्टों को चिकित्सा का अधिकार मिलने की सम्भावना है।

    देश भर के फार्मासिस्ट संगठनो की लगातार मांग और ग्रामीण तथा दूरदराज के इलाकों में चिकित्सा की समस्या का कोई अन्य समाधान प्राप्त न होने, सरकारी नोकरी में चिकित्सकों की खत्म होती रूचि के चलते कई सरकारो की मजबूरी बन गई है कि उत्तराखंड , असम, उड़ीसा जैसे राज्यों के समान अन्य राज्य भी इसकी पहल करे।

    हाल ही में मध्यप्रदेश में चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे जेल विभाग ने अपनी जेलों से सम्बन्धित प्रस्ताव मांगे। डिंडोरी की जिला विधिक अधिकारी ने जेल फार्मासिस्ट विवेक मौर्य की पहल पर उच्च न्यायालय को प्रदेश की जेलों में फार्मासिस्ट को अधिकार देने का प्रस्ताव भी दिया है।

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