इशरत जहां मामला : हलफनामे पर हस्ताक्षर से चिदंबरम का इंकार
नई दिल्ली, 25 अप्रैल (आईएएनएस)। इशरत जहां मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हमले का सामना कर रहे पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि सत्ताधारी भाजपा हलफनामे का विवाद उठाकर सिर्फ असली मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।
चिदंबरम ने यह भी कहा कि उन्होंने हलफनामे पर हस्ताक्षर नहीं किया था, बल्कि हस्ताक्षर तत्कालीन अधीनस्थ सचिव ने किया था।
चिदंबरम ने ट्वीट किया, "हलफनामा विवाद इशरत जहां मामले में असली मुद्दे से सिर्फ ध्यान हटाने के लिए है। असली मुद्दा यह है कि फर्जी मुठभेड़ हुई थी या नहीं और पहले से हिरासत में मौजूद चार लोगों को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था या नहीं।"
उन्होंने कहा, "जहां तक हलफनामे का सवाल है, गृहमंत्री हलफनामों पर हस्ताक्षर नहीं करते। इस पर कोई अधीनस्थ सचिव हस्ताक्षर करता है।"
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि उन्हें यह याद नहीं है कि उन्होंने प्रथम हलफनामे को देखा था।
उन्होंने कहा, "यद्यपि मुझे नहीं याद है कि मैंने प्रथम हलफनामे को देखा था, लेकिन चलिए मान लेते हैं कि मैंने देखा था। उसके बाद दंडाधिकारी एसपी तमांग की रपट आई।"
चिदंबरम ने आगे कहा, "इस रपट पर हंगामा खड़ा हो गया और खास तौर से गुजरात से मांग आई कि भारत सरकार पहले हलफनामे में दर्ज गलत बातों को हटाए या उस पर स्पष्टीकरण दे। इसके कारण दूसरा छोटा हलफनामा दाखिल किया गया।"
लेकिन मीडिया रपटों के अनुसार, चिदंबरम ने पहले हलफनामे पर हस्ताक्षर किया था, जिसमें इशरत और तीन अन्य को आतंकवादी घोषित किया गया था। लेकिन बाद में दूसरे हलफनामे में काफी बदलाव कर चारों को क्लीन चिट दे दी गई थी।
मुंबई की कॉलेज छात्रा इशरत जहां और उसके तीन कथित साथियों -प्रणेश गोपीनाथ पिल्लै, अमजद अली और जीशान जौहर- को गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद के पास 15 जून, 2004 को कथित रूप से एक फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था।
गुजरात पुलिस ने चारों को पाकिस्तान नियंत्रित आतंकवादी कहा था, जो नरेंद्र मोदी की हत्या करने जम्मू एवं कश्मीर से आए थे। मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
इस वर्ष फरवरी में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ने मुंबई की एक अदालत को बताया था कि इशरत जहां पाकिस्तान स्थित इस आतंकवादी संगठन की सदस्य थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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