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हैदराबाद विश्वविद्यालय मुद्दा दलित बनाम गैर दलित नहीं : स्मृति
भारत में सहनशीलता की सख्त जरूरत : अमर्त्य सेन

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हैदराबाद मामला के खिलाफ एफटीआईआई के विद्यार्थी भूख हड़ताल पर

पुणे, 19 जनवरी (आईएएनएस)। फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीटीआई) के विद्यार्थियों ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के पांच दलित छात्रों के निलंबन और उनके सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ मंगलवार को भूख हड़ताल की।

इन पांच दलित छात्रों में से एक, रोहित वेमुला ने खुदकुशी कर ली है। इससे पूरे देश में गुस्सा है।

एफटीटीआई स्टूडेंट एसोसिएशन का आरोप है कि इन पांच छात्रों को विश्वविद्यालय प्रशासन और दक्षिणपंथी समूहों द्वारा क्रूरतापूर्वक निशाना बनाया गया। ऐसा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के अध्यक्ष की उस झूठी शिकायत के आधार पर किया गया कि अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन के 30 सदस्यों ने हमला किया था।

एफटीटीआई स्टूडेंट एसोसिएशन के प्रवक्ता ने कहा, "हमारा कहना है कि इस घटना को हाल के दिनों में देश में हो रही घटनाओं की रोशनी में देखना चाहिए। अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले हो रहे हैं, असहमति की आवाजों को दबाया जा रहा है और बहुविध संस्कृति एवं शिक्षा संस्थाओं पर ब्राह्मणवादी विचारधारा थोपी जा रही है। हम छात्रों पर हुए पुलिस हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।"

प्रवक्ता ने रोहित की खुदकुशी के मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने कहा, "हम हैदराबाद विश्वविद्यालय के ब्राह्मणवादी प्रशासन, भाजपा सांसद बंडारू दत्तात्रेय, मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी, एबीवीपी की विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष सुशील कुमार, विश्वविद्यालय के कुलपति अप्पा राव, प्रोफेसर आलोक पांडे और निलंबन का आदेश देने वाले चीफ प्राक्टर को रोहित वेमुला की हत्या के लिए जिम्मेदार मानते हैं।"

एफटीटीआई हाल के दिनों में छात्र आंदोलन के लिए चर्चित रहा है। यहां छात्र संस्थान के न्यास बोर्ड के अध्यक्ष पद पर अभिनेता गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं। चौहान ने सात जनवरी को पदभार संभाला है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • नई बिजली दर नीति को मंजूरी
    नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नई बिजली दर नीति को मंजूरी दे दी, जिसका लक्ष्य स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना, वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का बेहतर नियमन करना और इस क्षेत्र में व्यापार की सुविधा बढ़ाना है।

    केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने संवाददाताओं से कहा, "पहली बार बिजली क्षेत्र पर एक समग्र नजरिया अख्तियार किया गया है और 2006 की नीति में व्यापक संशोधन किया गया है।"

    उन्होंने कहा, "संशोधन का लक्ष्य उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (उदय) के लक्ष्य भी हासिल करना है, जिसमें शामिल हैं सबको बिजली, सस्ती दर सुनिश्चित करने की क्षमता, पर्यावरण और क्षेत्र में निवेश जुटाने तथा वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए व्यापार की सुविधा।"

    नई नीति में नियामकीय प्रणाली को भी मजबूत करने का प्रस्ताव है, ताकि डिस्कॉम उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा दे सकें।

    उन्होंने साथ ही कहा कि नई प्रस्तावित नीति में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया गया है।

    मंत्री ने कहा, "नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए संशोधित नवीकरणीय खरीद प्रतिबद्धता (आरपीओ) के तहत 2022 तक बिजली खपत में आठ फीसदी योगदान सौर ऊर्जा का किया जाएगा।"

    उन्होंने कहा, "हमने नीति में नवीकरणीय उत्पादन प्रतिबद्धता को भी शामिल किया है, जिसके तहत नए ताप बिजली संयंत्रों को अपने उत्पादन में नवीकरणीय घटक भी जोड़ना होगा।"

    पनबिजनी परियोजनाओं के बारे में गोयल ने कहा कि इन्हें दीर्घावधि बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के जरिए लागत के ऊपर मार्जिन आधार पर शुल्क तय करने की सुविधा दी जाएगी और इन्हें 15 अगस्त, 2022 तक प्रतिस्पर्धी बोली से भी छूट दी जाएगी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • हैदराबाद विश्वविद्यालय मुद्दा दलित बनाम गैर दलित नहीं : स्मृति
    नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। हैदराबाद विश्वविद्यालय में दलित शोध छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या का मामला गरमाने के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को यहां कहा कि यह दलित बनाम गैर दलित का मुद्दा नहीं है, लेकिन इसे जातिगत लड़ाई के तौर पर पेश करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

    स्मृति ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "इस मुद्दे को जातीयता का रंग देने का प्रयास किया गया है। सच्चाई यह है कि यह जातिगत मुद्दा नहीं है।"

    उन्होंने कहा कि मामले को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है।

    ईरानी ने कहा, "मैं रोहित की आत्महत्या से जुड़े तथ्यों को स्पष्ट करना चाहती हूं, जिन्हें गलत ढंग से पेश किया जा रहा है।"

    उन्होंने कहा कि मीडिया में इस बात की चर्चाएं हैं कि वेमुला ने उन व्यक्तियों और संगठनों के नाम जाहिर किए हैं, जिन्होंने उसे आत्महत्या के लिए मजबूर किया।

    उन्होंने मीडिया को एक पत्र दिखाते हुए कहा कि राज्य पुलिस को मामले की जांच के दौरान यही एकमात्र दस्तावेज मिला है।

    उन्होंने यह स्पष्ट करने के लिए पत्र में से कुछ पंक्तियां भी पढ़ीं, जिसके अनुसार यह ऐसा मामला नहीं है, जैसा पेश किया जा रहा है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • भारत में सहनशीलता की सख्त जरूरत : अमर्त्य सेन
    कोलकाता, 20 जनवरी (आईएएनएस)। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने बुधवार को कहा कि भारत में सहनशीलता की सख्त जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने संदिग्ध सहनशीलता के महत्व को भी रेखांकित किया।

    सेन तत्कालीन प्रेसिडेंसी कॉलेज के पूर्व छात्र हैं जो अब प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय बन चुका है। उन्होंने 19वीं सदी के कवि हेनरी लुईस विवियन डेरोजियो के शिक्षा और समाज पर योगदान की चर्चा करते हुए कहा, "सामान्य सोच यह है कि किसी भी तरह के विश्वास को स्वीकार करना चाहिए। सहनशीलता एक बहुत बड़ा नैतिक गुण है और भारत में इस वक्त इसकी बेहद सख्त जरूरत है।"

    उन्होने कहा कि भारत में संदिग्ध सहनशीलता की भी जरूरत है। जो डेरोजियो के विभिन्न विचारों में से एक है। उनकी किसी समूह से दुश्मनी नहीं थी, लेकिन हरेक समूह के लिए उनके पास प्रश्न था।

    सेन को प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय में यहां डीलिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।

    प्रेसिडेंसी कॉलेज हिन्दू कॉलेज से बना है, जिसकी 1817 में स्थापना की गई। उसे 1855 में प्रेसिडेंसी कॉलेज का नाम दिया गया। डेरोजियो हिन्दू कॉलेज के सहायक प्रधानाध्यापक थे।

    डेरोजियो की विरासत पर जोर देते हुए सेन ने प्रेसिडेंसी के वर्तमान छात्रों को भारत की प्रमुख समस्याओं पर ध्यान देने को कहा। हालांकि उन्होंने राज्य सरकार के द्वारा बहुत ज्यादा हस्तक्षेप किए जाने को लेकर चेतावनी दी।

    उन्होंने कहा, "हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां बहुत सारी समस्याएं हैं जिन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। हम इन पर किसी सरकारी कॉलेज के छात्र के नाते ध्यान नहीं देंगे, बल्कि हमारा मूल नागरिक समाज है। प्रेसिडेंसी को निश्चित रूप से सरकारी मदद की आवश्यकता है, लेकिन हस्तक्षेप की कीमत पर नहीं।"

    उन्होंने आगे कहा, "प्रेसिडेंसी के छात्रों को अपने आप से यह प्रश्न लगातार पूछने की जरूरत है कि भारत के लिए और दुनिया के लिए क्या वे प्रासंगिक हैं। हम दुनिया के लिए क्या कर सकते हैं। हम एक ऐसे कठिन समय में रह रहे हैं जहां हिंसा, भूख, कुपोषण, अशिक्षा, निरक्षरता और स्कूल स्तर पर घटिया शिक्षा जैसे मुद्दे हैं। हमें इन मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि यही हमारे देश की तकदीर तय करते हैं।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • संदिग्ध अलकायदा सदस्य की पुलिस हिरासत बढ़ी
    नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। आतंकवादी संगठन अलकायदा के संदिग्ध सदस्य मौलाना अंजर शाह की पुलिस हिरासत यहां की एक अदालत ने बुधवार को एक फरवरी तक बढ़ा दी।

    शाह की 14 दिन की पुलिस हिरासत समाप्त होने पर उसे यहां अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रीतेश सिंह के समक्ष पेश किया गया था।

    पुलिस ने अदालत से कहा कि शाह की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए उससे अतिरिक्त पूछताछ करने की जरूरत है।

    बचाव पक्ष के वकील अकरम खान ने कहा कि पुलिस पहले अबतक की हिरासत के दौरान आरोपी के खिलाफ हुई जांच के बारे अदालत को सूचित करे है।

    शाह को आतंकवाद रोधी विशेष प्रकोष्ठ ने बेंगलुरू से छह जनवरी को गिरफ्तार किया था। उसके ऊपर देश में श्रृंखलाबद्ध आतंकवादी हमले की साजिश रचने का आरोप है। गिरफ्तारी के बाद उसे 20 जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • 'दिल्ली पुलिस केंद्र के आदेश पर काम न करे'
    नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली पुलिस से कहा कि वह 'केंद्र के आदेश' के तहत काम नहीं करे। अदालत ने दिल्ली पुलिस में अतिरिक्त भर्तियों के लिए धन नहीं देने पर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई।

    न्यायमूर्ति बी.डी.अहमद और न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने इस बात पर सवाल उठाया कि दिल्ली पुलिस में अतिरिक्त कर्मियों की भर्ती को गृह मंत्रालय की तरफ से मंजूरी मिलने के बावजूद वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इसके लिए धन क्यों नहीं जारी किया।

    उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह 'आक्रामकता' के साथ केंद्र सरकार को बताए कि उसे अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की जरूरत है।

    दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के मातहत है।

    पीठ ने कहा, "दिल्ली पुलिस को केंद्र के आदेशों के तहत काम नहीं करना चाहिए। स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए। यह बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है। दिल्ली पुलिस को इस बारे में अधिक आक्रामक होना होगा।"

    न्यायालय ने कहा, "जब गृह मंत्रालय ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी तो फिर व्यय मंत्रालय इसे कैसे रोक सकता है? इसे देखना चाहिए था कि प्रस्ताव पर अमल के लिए धन उपलब्ध हो सके।"

    अदालत ने कहा, "एक बड़े (शापिंग) माल को बनाने में इससे अधिक पैसा लग जाता है..यह (धन) व्यय विभाग में बैठे अफसरों की जेब से नहीं लिया जा रहा है। हम सभी इसके लिए भुगतान कर रहे हैं। क्या बदले में हमें सुरक्षा मिल रही है? क्या महिलाएं महज शाम सात बजे के बाद ही इत्मीनान से घूम-फिर सकती हैं?"

    जुलाई 2013 के आदेश में अदालत ने केंद्र सरकार से दिल्ली पुलिस में 14 हजार अतिरिक्त भर्तियों के लिए कहा था। इस पर 450 करोड़ रुपये का खर्च होना था।

    केंद्र सरकार नेदिसंबर 2015 में अदालत को बताया कि दिल्ली पुलिस में 4227 पदों का सृजन किया गया है।

    व्यय विभाग ने बुधवार को दाखिल हलफनामे में कहा कि इन 4227 पदों को दो चरणों में पुलिस में शामिल किया जाएगा। पहले 2016-17 में और फिर 2017-18 में।

    हलफनामे में कहा गया है कि गृह मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि वह दिल्ली पुलिस की वर्तमान और भावी जरूरतों के हिसाब से एक समग्र प्रस्ताव दे। इससे वित्त मंत्रालय को इस पर समग्र राय बनाने में आसानी होगी।

    अदालत को केंद्र सरकार का यह रुख पसंद नहीं आया कि श्रमशक्ति बढ़ाने के बजाए तकनीक पर ध्यान दिया जाए। अदालत ने कहा, "रोबोट दिल्ली नहीं चला सकते। वे मुफ्त में नहीं मिलते, उनके लिए धन खर्च करना होगा। मानव जीवन मुफ्त में उपलब्ध है।"

    एमिकस क्यूरी मीरा भाटिया ने कहा कि सरकार ने उन 44 जगहों पर भी सीसीटीवी नहीं लगाया, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने संवेदनशील माना है। उन्होंने इसकी वजह जाननी चाही।

    वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा ने पीठ से कहा, " मानव संसाधन और आधुनिक प्रौद्योगिकी को साथ-साथ चलने की जरूरत है।"

    अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की भर्ती न होने पर अदालत ने कहा, "केंद्र का रवैया खासा निराशाजनक है, फिर चाहे यह सरकार हो या फिर इसके पहले की सरकार रही हो।"

    अदालत ने ये बातें राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा और पुलिस बल बढ़ाने से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • बंगाल में म्यांमार के 19 अवैध आव्रजक गिरफ्तार
    कोलकाता, 20 जनवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में अवैध रूप से भारत में दाखिल होने के मामले में म्यांमार के सात बच्चों सहित कम से कम 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

    राजकीय रेल पुलिस (जीआरपी) ने मालदा टाउन रेलवे स्टेशन पर बुधवार तड़के दो पुरुषों, 10 महिलाओं व सात बच्चों के एक समूह को गिरफ्तार किया।

    जीआरपी के एक अधिकारी ने कहा, "समूह 10 दिन पहले बांग्लादेश से भारत में दाखिल हुआ था और काम की तलाश में दिल्ली जाने की फिराक में था। उनके पास से कोई यात्रा दस्तावेज नहीं मिला, इसलिए हमने पुरुषों व महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया।"

    अधिकारी ने कहा, "वयस्कों को अदालत के समक्ष पेश किया गया, वहीं बच्चों के मामले को बाल न्याय बोर्ड को सौंप दिया गया।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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