मनोज पाठक
पटना, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। बिहार में लगने वाले एशिया के विश्व प्रसिद्घ सोनपुर मेले में विदेशी पर्यटकों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। अपने गौरवशाली अतीत को संजोए हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में पर्यटन विभाग भी विदेशी सैलानियों को लुभाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। विदेशी पर्यटक भी मेले में पहुंचकर आनंद ले रहे हैं।
प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ होने वाला यह मेला इस वर्ष 25 नवंबर को प्रारंभ हुआ है और अब तक 48 विदेशी पर्यटक इस मेले में पहुंचे हैं। इन विदेशी सैलानियों को ठहरने के लिए मेला परिसर में बनाए गए पर्यटन ग्राम में आधुनिक सुख-सुविधा वाले ग्रामीण परिवेश में लगने वाले 20 स्विस कॉटेजों का निर्माण कराया गया है।
स्विस कॉटेज के प्रबंधक मुकेश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि अब तक 48 विदेशी सैलानी मेले का लुत्फ उठा चुके हैं। इनमें सबसे अधिक 19 सैलानी इंगलैंड से आए हैं, जबकि जापान से 13, जर्मनी से पांच, आस्ट्रेलिया से चार तथा फ्रांस, इटली और संयुक्त राज्य अमेरिका से दो-दो तथा ओमान से एक सैलानी शामिल हैं।
बिहार पर्यटन विकास निगम का दावा है कि इसके अलावे कई विदेशी सैलानी पटना और हाजीपुर के विभिन्न होटलों में रहकर मेला का आनंद उठाने भी यहां पहुंच रहे हैं।
मुकेश के अनुसार, ग्रामीण परिवेश में तैयार किए गए इन कॉटेजों में आधुनिक सभी सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। वे कहते हैं कि आधुनिक रूप से बनाया गया शौचालय तो है ही कॉटेज में ही पर्यटन ग्राम में ही रेस्टोरेंट और पार्किंग की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
उन्होंने बताया कि पर्यटक ग्राम में स्विस कॉटेज अब तक किसी दिन खाली नहीं है परंतु आगे के विषय में नहीं कहा जा सकता है। वे कहते हैं कि पिछले वर्ष करीब 50 विदेशी सैलानी सोनपुर मेले का आनंद उठाने यहां आए थे।
एक महीने तक चलने वाले इस मेले में आए विदेशी सैलानी भी मेले के बाजारों को देखकर आश्चर्यचकित हैं।
ब्रिटेन से आए डोनाल्ड कहते हैं, "सोनपुर मेले के बारे में बहुत कुछ सुन रखा है, मैं यहां कुत्ता और पक्षियों का बाजार देखकर रोमांचित हूं। मेले में मौत का कुआं और सर्कस भी रोमांच पैदा करने वाला है।"
करीब नौ वर्ग किलोमीटर में फैले इस मेले में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। पर्यटन विभाग के बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा आयोजित इस मेले में हाथी आकर्षण का केंद्र रहे हैं, लेकिन इस वर्ष हाथी नहीं पहुंच पाए हैं।
गौरतलब है कि पूर्व में इस मेले का आयोजन जिला प्रशासन और राजस्व विभाग करता था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
पटना, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। बिहार में लगने वाले एशिया के विश्व प्रसिद्घ सोनपुर मेले में विदेशी पर्यटकों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। अपने गौरवशाली अतीत को संजोए हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में पर्यटन विभाग भी विदेशी सैलानियों को लुभाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। विदेशी पर्यटक भी मेले में पहुंचकर आनंद ले रहे हैं।
प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ होने वाला यह मेला इस वर्ष 25 नवंबर को प्रारंभ हुआ है और अब तक 48 विदेशी पर्यटक इस मेले में पहुंचे हैं। इन विदेशी सैलानियों को ठहरने के लिए मेला परिसर में बनाए गए पर्यटन ग्राम में आधुनिक सुख-सुविधा वाले ग्रामीण परिवेश में लगने वाले 20 स्विस कॉटेजों का निर्माण कराया गया है।
स्विस कॉटेज के प्रबंधक मुकेश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि अब तक 48 विदेशी सैलानी मेले का लुत्फ उठा चुके हैं। इनमें सबसे अधिक 19 सैलानी इंगलैंड से आए हैं, जबकि जापान से 13, जर्मनी से पांच, आस्ट्रेलिया से चार तथा फ्रांस, इटली और संयुक्त राज्य अमेरिका से दो-दो तथा ओमान से एक सैलानी शामिल हैं।
बिहार पर्यटन विकास निगम का दावा है कि इसके अलावे कई विदेशी सैलानी पटना और हाजीपुर के विभिन्न होटलों में रहकर मेला का आनंद उठाने भी यहां पहुंच रहे हैं।
मुकेश के अनुसार, ग्रामीण परिवेश में तैयार किए गए इन कॉटेजों में आधुनिक सभी सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। वे कहते हैं कि आधुनिक रूप से बनाया गया शौचालय तो है ही कॉटेज में ही पर्यटन ग्राम में ही रेस्टोरेंट और पार्किंग की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
उन्होंने बताया कि पर्यटक ग्राम में स्विस कॉटेज अब तक किसी दिन खाली नहीं है परंतु आगे के विषय में नहीं कहा जा सकता है। वे कहते हैं कि पिछले वर्ष करीब 50 विदेशी सैलानी सोनपुर मेले का आनंद उठाने यहां आए थे।
एक महीने तक चलने वाले इस मेले में आए विदेशी सैलानी भी मेले के बाजारों को देखकर आश्चर्यचकित हैं।
ब्रिटेन से आए डोनाल्ड कहते हैं, "सोनपुर मेले के बारे में बहुत कुछ सुन रखा है, मैं यहां कुत्ता और पक्षियों का बाजार देखकर रोमांचित हूं। मेले में मौत का कुआं और सर्कस भी रोमांच पैदा करने वाला है।"
करीब नौ वर्ग किलोमीटर में फैले इस मेले में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। पर्यटन विभाग के बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा आयोजित इस मेले में हाथी आकर्षण का केंद्र रहे हैं, लेकिन इस वर्ष हाथी नहीं पहुंच पाए हैं।
गौरतलब है कि पूर्व में इस मेले का आयोजन जिला प्रशासन और राजस्व विभाग करता था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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