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हृदयरोग व मधुमेह भी ला सकते हैं विकलांगता

नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत में 12 करोड़ लोगों को किसी न किसी किस्म की विकलांगता है। 41 प्रतिशत से ज्यादा शारीरिक रूप से विकलांग हैं। इसके साथ ही जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की मौजूदगी इस सदी में इन समस्याओं को बढ़ा रही है। आज दिल के रोगों, कैंसर, मोटापा, डायबिटीज, स्ट्रोक और आर्थराइटिस जैसी बीमारियां हमारे देश में विकलांगता का कारण बन रही हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ के.के. अग्रवाल ने बताया, "दिल के रोगों, कैंसर, मोटापा, डायबिटीज, स्ट्रोक और अर्थराइटिस जैसी लंबी बीमारियां हमारे देश में विकलांगता का कारण बन रही हैं। आज के दौर में लोगों की अस्वास्थ्यकर और पूरा दिन बैठे रहने वाली जीवनशैली की वजह से विकलांगता की समस्या और बढ़ती जा रही है। यह जरूरी है कि इस को रोका जाए।"

उन्होंने कहा, "हम लोगों को सेहतमंद और संतुलित आहार लेने, उचित व्ययाम करने, पूरी नींद और धूप लेने, शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने और तनावमुक्त रहने के लिए स्वास्थ तरीके अपनाने की सलाह देते हैं। स्ट्रोक की स्थिति में तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत के बारे में जागरूक होना भी जरूरी है, क्योंकि यह सीधे विकलांगता का कारण बनता है।"

नियमित व्यायाम : एक खोज में यह बात सामने आई है कि शारीरिक गतिविधियों न करने और बदलते जीवनशैली के तरीकों की वजह से 74 प्रतिशत शहरी लोगों को दिल के गंभीर रोग होने का खतरा है। इसलिए व्यायाम करना जरूरी है, क्योंकि यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है और मोटापे पर भी विराम लगाता है। यह शहरी जीवन के प्रतिदिन के तनाव को कम करने में भी मदद करता है।

धूम्रपान छोड़ें : तंबाकू इस वक्त देश में 10 लाख जानें ले लेता है। जैसे ही कोई धूम्रपान करता है 400 जहरीले पदार्थ उसके रक्त में बनने लगते हैं जो रक्त धमनियों को क्षति पहुंचाते हैं और वसा युक्त पदार्थ पैदा कर उनको तंग कर देते हैं, जो स्ट्रोक और दिल के दौरे का कारण बन सकता है। तंबाकू की इच्छा को दबाने के लिए आप चिउंगम चबा सकते हैं, सेलरी स्ट्क्सि ले सकते हैं या फिर पुदीना का इस्तेमाल करें।

दिल के लिए लाभप्रद आहार लें : सेहतमंद और संतुलित आहार सेहतमंद जीवन की कुंजी है। अत्यधिक ट्रांस फैटी एसिड, डायट्री कोलेस्ट्रॉल और सेचुरेटेड फैट्स मोटापे, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाईपरटेंशन और डायबिटीज का कारण बनते हैं, यह सभी दिल के रोगों के कारण बन जाते हैं। हरी और पत्तेदार सब्जियां, ताजा फल, संपूर्ण अनाज, बीन्स, डाइट्री फाइबर, सूखे मेवे और मछली अच्छी सेहत के लिए जरूर खाने चाहिए।

सेहतमंद तरीके से तनाव कम करें : आधुनिक जीवनशैली से जुड़ा तनाव भी ऐसी बीमारियों के बढ़ने का कारण बन रहा है। कई बार तनाव अवसाद का रूप लेने लग जाता है। लोग आमतौर पर धूम्रपान, शराब और अस्वस्थ चीजों का सेवन कर तनाव से बचने की कोशिश करते हैं और यह सब जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का कारण बन जाता है। मेडिटेशन, प्राणायाम और योग तनाव कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

नियमित स्वास्थ्य जांच : आज लोग काफी अस्वस्थ जीवनशैली जीते हैं। इसलिए नियमित स्वास्थ्य जांच बेहद जरूरी है। खासकर तब, जब पहले से परिवार में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का इतिहास रहा हो। गंभीर रोगों की जल्दी पहचान और इलाज करने से जान बचाई जा सकती है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • भारतीय वैज्ञानिकों ने सस्ता डेंटल इंप्लांट का विकास किया
    नई दिल्ली, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। भारत में वैज्ञानिकों ने एक अभिनव और सस्ता डेंटल इंप्लांट का विकास किया है जिसकी बदौलत लाखों लोगों के लिए कम खर्च में ही दंत प्रतिस्थापन (टूथ रिप्लेसमेंट) और पुनस्र्थापन (रिस्टोरेशन) कराना संभव हो जाएगा।

    केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी लीडरशिप इनीशियेटिव (एनएमआईटीएलआई) योजना के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली और मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज ने इस इंप्लांट को विकसित किया है।

    शोध टीम के अनुसार, इंप्लांट पर किए गए परीक्षण में पता चला है कि यह इंप्लांट वर्तमान समय में आयातित बेहतरीन इंप्लांट से भी बेहतर काम कर सकता है और उस इंप्लांट की तुलना में पांच गुना कम खर्च में ही इसे बनाया जा सकता है।

    सरकार के 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने के एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में इसकी व्याख्या करते हुए आईआईटी, दिल्ली के परियोजना समन्वयक और एसोसिएट डीन (अनुसंधान एवं विकास) नरेश भटनागर ने कहा कि इस इंप्लांट की कीमत प्रति इंप्लांट 3000 रुपये होगी जबकि आयातित इंप्लांट की कीमत 18000 से 20000 रुपये है।

    डंेटल इंप्लांट को सर्जरी की मदद से क्राउन या डेन्चर जैसे प्रोस्थेटिक के लिए सपोर्ट या माउंट की तरह ही हड्डी से सहारा देते हुए प्रत्यारोपित किया जाता है। इंप्लांट की कारगरता का पता इंप्लांट के द्वारा तनाव और बायोकेमिकल दबाव को सहन करने की क्षमता से चलता है।

    शोधकर्ताओं के अनुसार नये इंप्लांट को इस प्रकार बनाया गया है ताकि यह तनाव को कम कर सके और इसके विकसित फीचर के कारण इसे बनाने में भी कम खर्च आता है और इसे एक दांत या कई दांतों के लिए आसानी से प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इस डिवाइस का कई केन्द्रों पर परीक्षण किया जा रहा है और वर्तमान में इसे शत प्रतिशत सफल पाया गया है।

    डॉ. भटनागर के अनुसार, दंत प्रत्यारोपण भारत में अपेक्षाकृत कम कराया जाता है और इसका एक प्रमुख कारण इस प्रक्रिया का अत्यधिक खर्चीला होना है। यहां हर साल सिर्फ दो या तीन लाख दंत प्रत्यारोपण ही किए जाते हैं। यहां कोरिया जैसे देशों की तुलना में भी कम दंत प्रत्यारोपण किए जाते हैं जहां की आबादी यहां से बहुत कम है लेकिन दोनों देशों में हर साल लगभग बराबर संख्या में दंत प्रत्यारोपण किए जाते हैं। डॉ. भटनागर ने कहा, "यह स्पष्ट है कि इंप्लांट के अत्यधिक महंगा होने के कारण भारत में जरूरतमंद कई लोग डेंटल इंप्लांट नहीं करा पाते हैं।

    यह नवाचार राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी, दिल्ली) में चल रहे पांच दिवसीय भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) 2015 के तहत आयोजित वृहद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और औद्योगिक प्रदर्शनी में मुख्य आकर्षणों में से एक है। एक्सपो 8 दिसंबर तक सुबह 10.30 से 6.00 बजे तक जनता के लिए खुला है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • फेस्टिव सीजन में मोहब्बत की ऑनलाइन तलाश
    नई दिल्ली, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। आपने 'प्यार का मौसम' या 'आया मौसम दोस्ती का' जैसा शब्द हिंदी फिल्मों के गीतों में सुना होगा और खासकर सावन महीने को प्यार के मुफीद मौसम माना जाता है। लेकिन 'ऑनलाइन लव' के मामले में इस मौसम का मतलब फेस्टिव सीजन है। आश्चर्य हो रहा है! लेकिन ऐसा सचमुच में है, ये हम नहीं, बल्कि आंकड़ों की जुबानी है।

    डेटिंग एप 'वू' के मुताबिक, युवाओं द्वारा फेस्टिव सीजन के दौरान लव की ऑनलाइन तलाश में खासी बढ़ोतरी हो जाती है। इस दौरान भारी संख्या में लोग डेटिंग एप को डाउलोड करते हैं और साइन अप करते हैं।

    वू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुमेश मेनन ने आईएएनएस से कहा, "पिछले फेस्टिव सीजन के दौरान वू ने नियमित साइन अप में तीन गुना अधिक बढ़ोतरी और नियमित मैच-मेकिंग में दोगुनी बढ़ोतरी दर्ज की।"

    उन्होंने कहा, "इस सीजन के दौरान इस डेटिंग एप को लगभग 17 लाख लोगों ने डाउनलोड कर पंजीयन किया और इसने प्रतिदिन 17 हजार लोगों को उनके ख्वाबों की मल्लिका/शहजादे से उन्हें मिलाने में मदद की।"

    प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का कहना है कि ये आंकड़ें चौंकाने वाले हैं, क्योंकि मैच मेकिंग में महीनों का समय लगता है, जबकि फेस्टिव सीजन के दौरान यह चुटकियों में हो जाता है।

    मैचिंग में भारी बढ़ोतरी के बारे में सवाल पूछे जाने पर सीईओ के साथ ही एप के सह संस्थापक मेनन ने कहा, "जब संख्या में इजाफा होने लगा, तो हमने कुछ उपयोगकर्ताओं के फीडबैक इकट्ठे किए, जिसमें यह बात सामने आई कि फेस्टिव सीजन के दौरान खुशनुमा मिजाज की वजह से लोगों को अपना साथी ढूंढने में मदद मिलती है। इसके अलावा, छुट्टियां होने के कारण वे एप पर ज्यादा समय दे पाते हैं, जिससे इस काम में उन्हें और आसानी हो जाती है।"

    उन्होंने कहा, "लोग हालांकि सालों भर आपस में जुड़ते हैं और मोहब्बत में पड़ते हैं, लेकिन हमने पाया कि लोगों में फेस्टिव सीजन के दौरान अपना मोहब्बत ढूंढ़ने के प्रति थोड़ी अधिक तड़प होती है। बीते दो वर्षो से हम इस बात को नोटिस कर रहे हैं कि फेस्टिव सीजन के आसपास एप के डाउनलोड में बढ़ोतरी होती है और यह फरवरी तक जारी रहता है, क्योंकि इसी महीने में अपने ख्वाबों के राजकुमार/राजकुमारी तक अपने दिल का संदेश सुनाने का दिन यानी 'वेलेंटाइन डे' आता है।

    विशेषज्ञों ने लोगों की इस नई परंपरा में दिलचस्पी को प्रौद्योगिक क्रांति करार दिया और हर ढलते दिन या रात के साथ यह अपनी पहुंच का दायरा बढ़ाता ही जा रहा है।

    भारत में अन्य मशहूर डेटिंग साइटों में 'टिंडर', 'थ्रिल एंड ओके क्यूपिड' हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डेटिंग साइटों पर 1.5-2 करोड़ लोग मौजूद हैं और प्रौद्योगिकी में उन्नति और इंटरनेट के प्रसार के साथ ही इस संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।

    कई उपयोगकर्ताओं ने आईएनएस से कहा कि अपने साथी की तलाश ऑनलाइन करने में उन्हें बेहद मजा आता है, क्योंकि गली-गली घूमने की बजाय जब प्रौद्योगिकी अपने स्क्रीन पर आपको यह मौका दे रही है, तो इसका फायदा क्यों न उठाया जाए और फेस्टिव सीजन में ऐसा करना और आसान हो जाता है।

    मुंबई में सेल्स का काम देखने वाली नंदिनी (27) ने आईएएनएस से कहा, "दिवाली मेरे लिए सुकून भरा पल होता है। और जब लोग एक साथ जुटते हैं, तो मेरी शादी की बात उठती है और मेरे बहनोई ने इसके लिए मेरे मोबाइल पर वू डाउनलोड कर दिया और इसपर ट्राई करने को कहा। कई लोगों से मेरी अच्छी बातचीत हुई और अब मैं किसी उपयुक्त साथी की तलाश में हूं।"

    दिल्ली में पब्लिक रिलेशंस का काम करने वाले वैभव मिश्रा (23) ने कहा कि साथी की ऑनलाइन तलाश की बात मुझे मजाकिया लगा।

    मिश्रा ने आईएएनएस से कहा, "गर्लफ्रेंड की ऑनलाइन तलाश करना शुरुआत में मुझे मजाकिया लगा, लेकिन बाद में यह सीरियस अफेयर में तब्दील हो गया और मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि मैंने इस एप की मदद से एक अच्छी गर्लफ्रेंड ढूंढ़ ली।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • कहां चली गई 20 लाख की उड़द दाल?
    ललितपुर (उप्र), 5 दिसम्बर (आईएएनएस/आईपीएन)। महंगी दाल, वह भी उड़द की, जिसके पापड़ बनते हैं और डोसा भी। मध्यप्रदेश के बीना गल्ला मंडी से 20 लाख रुपये की उड़द दाल पांच नवंबर चली थी छत्तीसगढ़ के लिए मगर पहुंची नहीं, तो गई कहां?

    तय समय तक माल गंतव्य तक न पहुंचने पर मामले की सूचना बीना थाने में दर्ज कराई गई थी। छानबीन के दौरान सागर के पास बहेरिया से पुलिस ने खाली ट्रक बरामद कर लिया था। लेकिन ट्रक में लदी करीब 20 लाख रुपये की 335 बोरियां उड़द गायब थीं, जबकि ट्रक चालक व सह चालक भी फरार थे। अब मप्र पुलिस मामले की तह तक जाने के लिए चालक व सह चालक के मोबाइल नंबरों को ट्रेस कर रही है।

    इस कार्य को अंजाम देने के लिए सागर पुलिस ने अब पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी से मुलाकात कर सहयोग मांगा है।

    पांच नवंबर को बीना गल्ला मंडी स्थित भावना ट्रेडर्स से छत्तीसगढ़ के धमतरी स्थित अम्बिका दाल मिल के लिए 335 बोरी करीब 200 कुंतल उड़द की दाल ट्रक में लाद कर भेजी गई थी। करीब पांच दिन बाद छत्तीसगढ़ से व्यापारी ने ट्रक न पहुंचने की बात कही। इस पर बीना कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई गई।

    शुरुआती जांच में बीना पुलिस ने जिला सागर के ग्राम बहेरिया से ट्रक तो बरामद कर लिया, लेकिन उसमें लदी 335 बोरी उड़द गायब थी। वहीं ट्रक चालक ग्राम सेमरा डांग निवासी सुकपाल सिंह ठाकुर व सह चालक ग्राम कड़ेसरा के मजरा कतक्यारी निवासी वीरपाल यादव तभी से गायब हैं और उनके मोबाइल नंबर भी बंद हैं। नंबरों की जांच-पड़ताल के लिए मध्य प्रदेश पुलिस ने ललितपुर पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी से मुलाकात कर सहयोग मांगा है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर सुहाना होगा सफर

    लखनऊ, 5 दिसंबर (आईएएनएस/आईपीएन)। लखनऊ से आगरा तक का सफर सुहाना और सुरक्षित होने की उम्मीद उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने अपनी एक महत्वाकांक्षी परियोजना से जगाई है। सरकार ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर पीएसी की तीन बटालियन को स्थापित किए जाने का फैसला लिया है।

    पीएसी की तैनाती पर डीजीपी मुख्यालय ने काम करना शुरू कर दिया है। नया एक्सप्रेस-वे होने की वजह से इसके इर्द-गिर्द पीएसी की बटालियन की स्थापना कर रास्ते पर निगरानी रखी जाएगी। एक्सप्रेस-वे पर पुलिस की गाड़ियों की आवाजाही आम जनता को सुरक्षा का अहसास कराएगा। आने वाले तीन बरसों में डीजीपी मुख्यालय प्रदेश में पीएसी की दस बटालियन का इजाफा करने का रोडमैप तैयार कर रहा है।

    डीजीपी मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में कई साल से पीएसी की कोई नई बटालियन नहीं बनाई गई है। उत्तराखंड के निर्माण के बाद इनमें से आठ बटालियन वहां ट्रांसफर हो चुकी हैं। बची हुई कंपनियों में से ज्यादातर महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा में तैनात हैं। यही वजह है कि कोई बटालियन साल में एक माह के लिए जरूरी प्रशिक्षण सत्र में शामिल नहीं हो पा रही है।

    प्रदेश में जारी पंचायत चुनाव के दौरान फोर्स की कमी ने अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया है। डीजीपी जगमोहन यादव ने इसके लिए सैद्धांतिक सहमति प्रदान करते हुए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है।

    प्रदेश में पीएसी की दस बटालियन का इजाफा होने से कानून-व्यवस्था के मामलों में तत्परता के साथ कार्रवाई की जा सकेगी। प्रारंभिक तौर पर पहली तीन बटालियन लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर स्थापित किए जाने की तैयारी है। ये बटालियन मैनपुरी, कन्नौज व फिरोजाबाद में एक्सप्रेस-वे के किनारे जमीन लेकर स्थापित किए जाने पर मंथन हो शुरू हो चुका है।

    महंगी पड़ रही केंद्रीय बलों की तैनाती :

    प्रदेश में होने वाले मुख्य पर्वो, चुनाव, वीवीआईपी मूवमेंट, वीआईपी सिक्योरिटी के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती घाटे का सौदा साबित हो रही है। हालिया पंचायत चुनाव के लिए गृह मंत्रालय द्वारा दी गई कंपनी सेंट्रल पैरा मिलेट्री फोर्स के लिए राज्य सरकार को करोड़ों रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। इसके अलावा रात के समय किसी जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब होने पर केंद्रीय बलों की सेवा लेना टेढ़ी खीर साबित होता है।

    वहीं पीएसी की एक बटालियन को स्थापित करने में भी अधिक खर्च आता है। इसे देखते हुए राज्य सरकार अपने संसाधनों को बढ़ाने की कवायद में जुट गई है।

    पीएसी की बढ़ती जरूरत को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने इंडिया रिजर्व बटालियन स्कीम की शुरुआत की थी, लेकिन दुर्भाग्य से यह उप्र में फेल हो गई। प्रदेश में दो इंडिया रिजर्व बटालियन की स्थापना मऊ और सोनभद्र में हुई थी। मऊ की बटालियन को नोएडा भेज दिया गया, जबकि सोनभद्र की बटालियन नक्सली गतिविधियों को देखते हुए वहीं पर डटी रहती है।

    दूसरी ओर, केंद्रीय बल होने की वजह से इसे दूसरे प्रदेशों में भी तैनात किए जाने की संभावना को देखते हुए राज्य सरकार ने इंडिया रिजर्व बटालियन स्कीम से किनारा कर लिया है। फिर भी उम्मीदें कायम हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • मप्र : आंखों में संक्रमण मामले में चिकित्सक सहित 6 निलंबित

    बड़वानी 5 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में बीते माह आयोजित नेत्र शिविर में किए गए ऑपरेशन के बाद 37 मरीजों की आंखों में संक्रमण होने के मामले में चिकित्सक सहित छह कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। जिन मरीजों की आंखों में संक्रमण है, उनमें से बड़ी संख्या में ऐसे हैं, जिन्हें साफ दिखाई नहीं दे रहा।

    बड़वानी में नंवबर माह में आयोजित नेत्र शिविर में 86 मरीजों के ऑपरेशन हुए थे। इनमें से 37 मरीजों को संक्रमण हुआ है और उन्हें उपचार के लिए इंदौर के अरविंदो व एमवायएच अस्पताल भेजा गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। 37 में से अधिकांश मरीज ऐसे हैं, जिन्हें अब भी साफ दिखाई नहीं दे रहा।

    आधिकारिक तौर पर जारी बयान में बताया गया है कि राज्य प्रशासन ने शुक्रवार की रात एक आदेश जारी कर बड़वानी जिले में नेत्र शिविर में लापरवाही बरते जाने पर नेत्र रोग चिकित्सक डॉ. आर.एस. पलोड को निलंबित कर दिया है। मोतियाबिन्द के ऑपरेशन के बाद रोगियों में संक्रमण के लिए नेत्र सहायक प्रदीप चौकडे, स्टाफ नर्स लीला वर्मा, सुश्री माया चौहान, विनीता चौकसे और शबाना मंसूरी को भी निलम्बित करने के आदेश दिए गए हैं।

    ऑपरेशन के बाद आंखों में संक्रमण होने की बात सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई है, जबकि बड़वानी अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर को सील कर दिया गया है। यहां उपयोग में लाई गई दवाओं का परीक्षण कराया जा रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मरीजों के बेहतर इलाज के निर्देश दिए हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • स्वच्छता को जनांदोलन बनाया जाएगा : वेंकैया
    नई दिल्ली, 4 दिसम्बर (आईएएनएस)। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि स्वच्छ भारत मिशन को एक रात में हासिल नहीं किया जा सकता, लेकिन इस दिशा में अच्छी शुरुआत हुई है और स्वच्छ भारत मिशन को जन आंदोलन बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि धीमी शुरुआत के बाद अब सभी राज्य स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए अधिक सक्रिय हो रहे हैं।

    नायडू और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष बिल गेट्स ने देश के शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन को लागू करने के बारे में काफी देर तक विचार-विमर्श किया।

    शहरी विकास मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, गेट्स ने कहा कि सभी के लिए सुरक्षित और टिकाऊ स्वच्छता सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए भारत के साथ उनके फाउंडेशन का सहयोग श्रेष्ठ भागीदारियों में से एक है।

    बयान में करि गया है कि फाउंडेशन ने स्वच्छता सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष जनवरी में शहरी विकास मंत्रालय के साथ सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।

    गेट्स ने स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रयासों का उल्लेख किया और सुझाव दिया कि मल प्रबंधन पर उचित ध्यान दिए जाने की जरूरत है। "इसके बदले में स्वास्थ्य के लिए अच्छे लाभ वाले प्रभाव प्राप्त होंगे।"

    उन्होंने मल पदार्थो की प्रोसेसिंग के लिए विकेंद्रीकृत मल प्रोसेसिंग केंद्र स्थापित करने की जरूरत पर जोर दिया।"

    उन्होंने बताया कि अफ्रीका में बड़ी संख्या में व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया गया है, लेकिन उनका कम उपयोग हो रहा है।

    गेट्स ने जनता की गुणवत्तायुक्त शौचालय प्रौद्योगिकियों तक पहुंच बनाने की जरूरत पर जोर दिया।

    गेट्स ने शहरी विकास मंत्रालय के साथ चल रहे सहयोग के बारे में खुशी जाहिर की और भारत की जनता तक सुरक्षित और टिकाऊ स्वच्छता सेवाएं प्रभावी रूप से उपलब्ध कराने के कार्य के विस्तार के लिए सामूहिक लक्ष्यों को बढ़ाने के बारे में पूरी मदद देने का आश्वासन दिया।

    नायडू ने कहा कि व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के साथ ही सरकार ठोस अपशिष्ट और सेप्टेज प्रबंधन पर ध्यान दे रही है।

    उन्होंने कहा कि नगरपालिका ठोस अपशिष्ट से उत्पादित ऊर्जा और कम्पोस्ट खाद की खरीदारी को बढ़ावा देने के लिए नीति पहल विचार-विमर्श के अंतिम चरण में है।

    शहरी विकास मंत्रालय के सचिव मधुसूदन प्रसाद, तथा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस विचार-विमर्श में भाग लिया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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