लंदन, 3 दिसम्बर (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों ने तीन प्रजाति के जंतुओं में 40 हजार गुणसूत्रों का विश्लेषण करने के बाद उन 30 प्रमुख गुणसूत्रों (जीन) की पहचान कर ली है, जिनमें मामूली बदलाव कर दीर्घायु व 'चिर यौवन' का सपना साकार हो सकता है।
इनमें से एक जीन विशेष रूप से प्रभावशाली बीकैट-1 जीन है।
स्विस फेडरल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के एनर्जी मेटाबॉलिज्म विभाग के प्रोफेसर मिसेल रिसटोव ने बताया, "जब हम इन जीनों के प्रभाव को रोक देते हैं, तो इससे निमैटोड के जीवनकाल में कम से कम 25 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाती है।"
रिसटोव को इसमें कोई शक नहीं है कि इसी तरह से मनुष्य में भी बुढ़ापा पैदा करनेवाले जीनों को निष्क्रिय किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, "हम केवल उन जीनों को पहचानने में सक्षम हो पाए हैं, जो विकास की प्रक्रिया के दौरान मानव समेत सभी सजीवों में विकसित हुए हैं और बुढ़ापा पैदा करते हैं।"
हालांकि अभी इस पर शोध कार्य जारी है कि कहीं इन जीनों को निष्क्रिय करने से कोई दूसरा दुष्प्रभाव तो सामने नहीं आ जाएगा, क्योंकि इन जीनों के किसी सकारात्क प्रभाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और अगर इन्हें निष्क्रिय कर दिया गया तो उसका दुष्प्रभाव भी हो सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका जोर मनुष्यों के जीवनकाल को बढ़ाने पर नहीं, बल्कि उन्हें लंबे समय तक स्वस्थ रखने पर है और वे इसी दिशा में शोध कर रहे हैं।
इस शोध के माध्यम से बुढ़ापे में होनेवाली बीमारियां जैसे मधुमेह और उच्च रक्तचाप आदि को रोकने का तरीका ढूंढा जा रहा है।
यह शोध 'नेचर कम्यूनिकेशन' पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
इंडो एशियन न्यूज सर्विस।
अब दीर्घायु व 'चिर यौवन' का सपना साकार हो सकता है, जानिये कैसे? Featured
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