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अब दीर्घायु व 'चिर यौवन' का सपना साकार हो सकता है, जानिये कैसे? Featured

लंदन, 3 दिसम्बर (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों ने तीन प्रजाति के जंतुओं में 40 हजार गुणसूत्रों का विश्लेषण करने के बाद उन 30 प्रमुख गुणसूत्रों (जीन) की पहचान कर ली है, जिनमें मामूली बदलाव कर दीर्घायु व 'चिर यौवन' का सपना साकार हो सकता है।

इनमें से एक जीन विशेष रूप से प्रभावशाली बीकैट-1 जीन है।

स्विस फेडरल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के एनर्जी मेटाबॉलिज्म विभाग के प्रोफेसर मिसेल रिसटोव ने बताया, "जब हम इन जीनों के प्रभाव को रोक देते हैं, तो इससे निमैटोड के जीवनकाल में कम से कम 25 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाती है।"

रिसटोव को इसमें कोई शक नहीं है कि इसी तरह से मनुष्य में भी बुढ़ापा पैदा करनेवाले जीनों को निष्क्रिय किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, "हम केवल उन जीनों को पहचानने में सक्षम हो पाए हैं, जो विकास की प्रक्रिया के दौरान मानव समेत सभी सजीवों में विकसित हुए हैं और बुढ़ापा पैदा करते हैं।"

हालांकि अभी इस पर शोध कार्य जारी है कि कहीं इन जीनों को निष्क्रिय करने से कोई दूसरा दुष्प्रभाव तो सामने नहीं आ जाएगा, क्योंकि इन जीनों के किसी सकारात्क प्रभाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और अगर इन्हें निष्क्रिय कर दिया गया तो उसका दुष्प्रभाव भी हो सकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका जोर मनुष्यों के जीवनकाल को बढ़ाने पर नहीं, बल्कि उन्हें लंबे समय तक स्वस्थ रखने पर है और वे इसी दिशा में शोध कर रहे हैं।

इस शोध के माध्यम से बुढ़ापे में होनेवाली बीमारियां जैसे मधुमेह और उच्च रक्तचाप आदि को रोकने का तरीका ढूंढा जा रहा है।

यह शोध 'नेचर कम्यूनिकेशन' पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

इंडो एशियन न्यूज सर्विस।

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  • आईआईटी छात्र ने विकसित किया पोर्टेबल पैथोलॉजी मोबाइल लैब

    नई दिल्ली, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रूड़की के एक पूर्व छात्र ने अत्यंत कम खर्च में देश के गांवों एवं दूरदराज इलाकों में बीमारियों की जांच की सुविधाएं उपलब्ध कराने की पहल करते हुए पोर्टेबल पैथोलॉजी मोबाइल लैब विकसित किया है जो अपनी तरह का दुनिया का संभवत: पहला मोबाइल लैब है।

    इस मोबाइल लैब का विकास करने वाले अमित भटनागर ने 2003 में आईआईटी, रूड़की से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बी. टेक करने के बाद कई वर्षो तक अमेरिका में अच्छे खासे पैकेज पर नौकरी की लेकिन देश के लोगों के लिये कुछ करने की ललक लेकर 2008 में स्वदेश लौट कर इस मोबाइल लैब का विकास किया। उन्हें इस लैब के विकास के लिये भारत सरकार के प्रौद्योगिकी नवाचार बोर्ड (टीआईबी) की ओर से वित्तीय सहायता भी मिली और इस लैब को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा उत्पाद का पुरस्कार भी मिल चुका है।

    एक बड़े सुटकेस सरीखे इस मोबाइल लैब को आईआईटी दिल्ली के परिसर में भारत के अब तक के सबसे बड़े विज्ञान मेले में प्रदर्शित किया जा रहा है।

    इस मोबाइल लैब का इस्तेमाल पहाड़ की बफीर्ली चोटियों से लेकर अत्यंत गर्म रेगिस्तानी इलाकों में भी हो सकता है और इस लैब की मदद से बहुत कम लागत पर विभिन्न बीमारियों की जांच की जा सकती है। इस लैब को अमेरिका सहित 50 से अधिक देशों में पेटेंट हासिल हो चुका है तथा इसे अमेरिका के खाद्य एवं औषधि विभाग (एफडीए) से प्रमाणित किया जा चुका है।

    अमित भटनागर ने बताया कि इस मोबाइल लैब का इस्तेमाल सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), भारतीय सेना, सीआरपीएफ, हरियाणा एनआरएचएम, केरल एनआरएचएम, उत्तराखंड सरकार के अलावा वोकहार्ट, हेल्पेज इंडिया, अमर उजाला फाउंडेशन जैसी अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल लेह और कारगिल से लेकर दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, झारखंड एवं केरल में मोबाइल चिकित्सा वाहनों में इस्तेमाल हो रहा है। दिल्ली में एनडीएमसी चरक पालिका हास्पीटल और आम आदमी क्लीनिक में भी इस्तेमाल हो रहा है।

    अमित भटनागर ने कहा कि हमारे देश में 95 करोड़ लोगों को चिकित्सकीय जांच की सुविधाएं नहीं मिलती और बीमारियों की समय पर जांच एवं उनका इलाज नहीं होने के कारण 57 लाख लोगों की मौत हो जाती है। बीमारियों के प्रकोप को रोकने में यह मोबाइल लैब महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

    इस मोबाइल लैब को चलाने के लिये बिजली की जरूरत नहीं होती। इसे सोलर पैनल एवं बैटरी से चलाया जा सकता है। इस लैब के जरिये लिपिड प्रोफाइल और किडनी फंक्शन, ईसीजी, बीएमआई, रक्त चाप और ग्लूकोज समेत 57 से अधिक तरह की जांच की जा सकती है। इस मोबाइल लैब की कीमत करीब चार लाख रुपये है और इसे आसानी से कहीं भी लाया ले जा सकता है।

    इसका उत्पादन एवं व्यावसायिक वितरण एक्युस्टर टेक्नोलॉजी की ओर से किया जा रहा है।

    यह मेला आठ दिसंबर तक सुबह साढ़े दस बजे से लेकर शाम छह बजे तक आम लोगों के लिये खुला रहेगा।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस की हर्बल दवा होगी दुष्प्रभाव रहित
    नई दिल्ली, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। युवा भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के लिए एक प्रभावी और दुष्प्रभाव रहित दवा तैयार कर रही है। वैज्ञानिकों को बहुत जल्द यह दवा विकसित कर लेने की उम्मीद है।

    रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस जोड़ों की एक गंभीर समस्या है, जिसके प्रभावी उपचार के बहुत कम विकल्प उपलब्ध हैं। भारत में एक करोड़ से अधिक लोग इस ऑटोइम्यून बीमारी से पीड़ित हैं। इसमें शरीर की रक्षा प्रणाली स्वस्थ ऊत्तकों के खिलाफ काम करने लगती है।

    एक टॉक्सिकोलॉजिस्ट और टीम के प्रमुख शोधकर्ता अंकित तंवर ने कहा कि उन्होंने रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के लिए सबसे प्रभावी जड़ी बूटियों की खोज करने के लिए डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) और जामिया हमदर्द की मदद से इस परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया है।

    राष्ट्रीय राजधानी स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में चल रहे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ 2015) में युवा वैज्ञानिकों के सम्मेलन में तंवर ने दावा किया कि उन्होंने रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस की अधिक कारगर दवा बनाने के लिए अनुकूल जड़ी बूटियों की खोज करने के लिए दुनिया में पहली बार एक गणितीय मॉडल विकसित किया है।

    तंवर ने कहा कि टीम ने विभिन्न देशों और भारत के विभिन्न भागों से 50 संभावित प्रभावशाली जड़ी बूटियों की पहचान की और उनमें से 11 को चुना।

    जामिया हमदर्द, दिल्ली के मेडिकल एलिमेंटोलॉजी एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग के सहयोग से टीम अब स्तनधारी मॉडल पर अपनी हर्बल औषधि का परीक्षण करने के लिए काम कर रही है।

    अब तक के परिणाम से पता चला है कि यह नया उत्पाद न सिर्फ रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस की रोकथाम और इलाज कर सकेगा, बल्कि किसी भी संभावित संक्रमण से देखभाल भी करेगा। साथ ही यह गंभीर रोगियों के इलाज में भी कारगर साबित होगा।

    रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के गंभीर मामले में जोड़ों में जलन के साथ अत्यधिक दर्द, जोड़ों में क्षति और हड्डियों में तेजी से नुकसान के कारण रोगी को अत्यधिक तकलीफ होती है।

    रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस रोग के पनपने से वर्षो पहले इसके प्रति संवेदनशीलता का पता लगाना संभव है। इसका अर्थ यह है कि सही दवा उपलब्ध होने पर इसके प्रति संवेदनशील व्यक्ति में इसकी शुरुआत को कई वर्षो तक टाला जा सकता है। साथ ही बीमारी का अच्छी तरह से इलाज भी किया जा सकता है।

    रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के विकास को रोकने के लिए दर्द निवारक, स्टेरॉयड और संशोधक दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल करके ऑटोइम्युनिटी को दबाने और जोड़ों को बाद में होने वाले क्षय से सुरक्षा देने के अवांछित प्रभाव हो सकते हैं। इससे ऑटोइम्युनिटी को दबाने से संबंधित संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। इस स्थिति के लिए हर्बल दवाओं के एक गैर विषैले और प्रभावी उपचार की खोज की जा रही है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • अब गुड़ से बनेंगे चॉकलेट
    नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। गुड़ से बने स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरे चॉकलेट, जल्द ही बाजार में मिलने लगेंगे और आपके घरांे के रेफ्रिजरेटर में भी मौजूद होंगे। शोधकर्ताओं का एक समूह इस दिशा में काम कर रहा है। ये चॉकलेट मधुमेह से ग्रस्त लोग भी खा सकते हैं।

    आम तौर पर चॉकलेट में काफी मात्रा में कोका, दुग्ध पाउडर, मक्खन, परिष्कृत शक्कर और अधिक कैलोरी वाले स्वादिष्ट बनाने वाले पदार्थ होते हैं। हालांकि ये बहुत अधिक कैलोरी के होते हैं लेकिन इनमें काबोहाइड्रेड एवं प्रोटीन नगण्य होते हैं। चॉकलेट में बहुत कम पौष्टिकता होती है क्योंकि इनमें घटक के रूप में परिष्कृत शक्कर मिलाया जाता है। चॉकलेट के कारण दांत खराब होने, दांत में कैविटी होने तथा मधुमेह होने जैसी समस्याएं एवं बीमारियां होने के खतरे होते हैं।

    राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के लक्ष्मीनारायण प्रौद्योगिकी संस्थान के खाद्य प्रोद्योगिकी विभाग की श्वेता एम. देवताले ने कहा, "परिष्कृत शक्कर के स्थान पर हम विभिन्न तरह के गुड का उपयोग करते हैं। पिघले हुए गुड़ में हम स्वादिष्ट बनाने वाले पदार्थ के तौर पर कॉफी/कोको पाउडर का इस्तेमाल करते हैं, ताकि इसे स्वादिष्ट बनाया जा सके। इसके अलावा स्वास्थ्य लाभ के लिए इसमें पोषक तत्व भी मिलाए जाते हैं।"

    आईआईटी दिल्ली में पांच दिवसीय विज्ञान मेले में शोधकर्ताओं के एक दल का नेतृत्व कर रही देवताले ने एक शोध पत्र प्रस्तुत किया, 'जैगरी डिलाइट : ए हेल्दी सबस्टीच्यूट फॉर चॉकलेट।'

    उन्होंने कहा कि चॉकलेट महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त विभिन्न प्रकार के गुड़ का उपयोग करके तैयार किए गए हैं। कोल्हापुरी गुड़ अपनी गुणवत्ता के लिए राज्य में सबसे लोकप्रिय है। भारत में दुनिया के कुल गुड़ उत्पादन का 70 प्रतिशत उत्पादन होता है।

    उन्होंने कहा, "हमने तरल गुड़, जैविक ठोस गुड़, नारियल पौधों के रस से बनाये गए गुड़, खजूर और ताड़ के पौधों के रस से बनाए गए गुड़ और पाउडर गुड़ जैसे विभिन्न प्रकार के गुड़ का इस्तेमाल करके चॉकलेट बनाया है। गुड़ से बनाए जाने वाले स्वादिष्ट चॉकलेट में कच्चे माल के रूप में मक्खन/कोको बटर सबस्टीट्यूट, इमल्सीफायर के रूप में सोया लेसितिण, कोको पाउडर, वसायुक्त दुग्ध पाउडर और कॉफी पाउडर मिलाए जाते हैं।"

    विश्लेषण और प्रयोगात्मक कार्य खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग, लक्ष्मीनारायण प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर; केंद्रीय एगमार्क प्रयोगशाला, नागपुर; और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, नागपुर के द्वारा एक साथ मिलकर किया गया था।

    उन्होंने कहा, "गुड़ के इस्तेमाल से बनाए गए चॉकलेट को पोषण की दृष्टि से अत्यधिक स्वीकार्य पाया गया था। इसे कम पोषण और कुपोषण से निपटने के लिए हेल्थ सप्लिमेंट के रूप में लिया जा सकता है। आयुर्वेद में गुड़ तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने, एनीमिया को रोकने और हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। यह पर्यावरण के विषाक्त पदार्थो से शरीर की रक्षा भी कर सकता है और कैल्शियम, फॉस्फोरस और लोहे जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होने के कारण यह फेफड़ों के कैंसर की आशंका को भी कम कर सकता है।"

    देवताले ने कहा कि इस चॉकलेट के बाजार में उपलब्ध सामान्य चॉकलेट की तुलना में लगभग 20-30 प्रतिशत सस्ता होने की उम्मीद है। टीम ने इस उत्पाद के पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है।

    उन्होंने कहा, "चॉकलेट को पोषण की दृष्टि से अधिक स्वस्थ बनाने की अनिवार्य आवश्यकता है। हम इसके स्वाद से कोई समझौता किए बिना ही एक सर्वश्रेष्ठ चॉकलेट विकसित करने की कोशिश की है।"

    शोध टीम में डॉ. एम. जी. भोटमांगे, खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख, एलआईटी नागपुर; प्रबोध एस. हाल्दे, प्रमुख, तकनीकी रेगुलेटरी अफेयर्स, मैरिको लिमिटेड; और एम. एम. चितले, निदेशक, एफबीओ तकनीकी सेवा, ठाणे शामिल हैं।

    आईआईएसएफ 2015 नोडल एजेंसी के रूप में प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और आकलन परिषद (टीआईएफएसी) के साथ, देश का सबसे बड़ा विज्ञान आंदोलन चलाने वाले विज्ञान भारती के सहयोग से विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालयों की ओर से आयोजित की जा रही है।

    इंडो-एशियन न्यूज सíवस।
  • कैलिफोर्निया गोलीबारी आतंकवादी घटना : ओबामा

    वाशिंगटन, 7 दिसम्बर (आईएएनएस/सिन्हुआ)। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कैलिफोर्निया के सान बर्नार्डिनो गोलीबारी कांड को आतंकवादी घटना करार देते हुए चेतावनी दी कि आतंकवाद नए चरण में प्रवेश कर गया है।

    ओबामा ने रविवार को देश के नाम अपने संबोधन में कहा, "यह एक आतंकवादी घटना थी, जिसका उद्देश्य निर्दोष लोगों की जान लेना था। यह स्पष्ट है कि दोनों हमलावर कट्टरपंथी थे।"

    ओबामा का यह संबोधन देश पर आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा और हमले की संभावनाओं के बीच आया।

    ओबामा ने देशवासियों से कहा कि बुधवार को कैलिफोर्निया के सामाजिक सेवा केंद्र में हुए हमले के बाद उनका डर वाजिब है।

    ओबामा ने कहा, "पिछले कुछ साल में आतंकवादी हमलों में वृद्धि हुई है। हम 9/11 जैसे हमलों को जितने बेहतर तरीके से रोकने की कोशिश कर रहे हैं उतने ही बड़े पैमाने पर सामूहिक गोलीबारी जैसी घटनाएं हमारे समाज में आम हो गई हैं।"

    गौरतलब है कि कैलिफोर्निया के सान बर्नार्डिनो में दो हमलावरों सैयद फारुक (28) और तशफीन मलिक (27) ने गोलीबारी की थी, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी और 21 लोग घायल हो गए थे।

    स्थानीय पुलिस के मुताबिक, यह हमला एक सोची-समझी साजिश थी। हालांकि, अभी तक गोलीबारी के कारणों का पता नहीं चला है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • ओबामा ने आईएसआईएस के खात्मे का संकल्प लिया

    अरुण कुमार
    वाशिंगटन, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कैलिफोर्निया गोलीबारी के बाद आतंकवाद से लड़ने के उपायों पर रविवार को देश को संबोधित करते हुए एक सशक्त, कठोर और बुद्धिमतापूर्ण अभियान के जरिए आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) को उखाड़ फेंक इस खतरे से उबरने का संकल्प लिया।

    पाकिस्तानी मूल के पति-पत्नी ने बुधवार को कैलिफोर्निया के सान बर्नार्डिनो शहर में अंधाधुंध गोलियां बरसाकर 14 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इस हमले में 21 अन्य लोग घायल हुए थे।

    ओबामा ने रविवार रात प्राइम टाइम में देश को संबोधित करते हुए इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) या इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवांत (आईएसआईएल) को पूरी दुनिया के लिए एक खतरा करार दिया। उन्होंने कहा, "आतंकवाद असल मायने में खतरा है, लेकिन हम इस खतरे से उबर आएंगे।"

    उन्होंने कहा, "हम हमें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाले आईएसआईएल या अन्य किसी भी आतंकवादी संगठन को बर्बाद कर देंगे।"

    ओबामा ने कांग्रेस से इन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया। अमेरिका ने देशवासियों से मुस्लिम दोस्तों या मुस्लिम पड़ोसियों से मुंह न फेरने और आईएसआईएस के साथ होने वाले संघर्ष को इस्लाम के विरुद्ध जंग न समझने की अपील भी की।

    ओबामा ने तीसरी बार व्हाइट हाउस स्थित अपने 'ओवल ऑफिस' से देश को संबोधित किया, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

    उन्होंने पिछली बार अगस्त 2010 में इराक में अमेरिका की युद्ध कार्रवाई को खत्म करने और मेक्सिको की खाड़ी में भयानक रूप से फैले तेल के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए 15 जून को अपने ओवल ऑफिस से देश को संबोधित किया था।

    कैलिफोर्निया के सान बर्नार्डिनो शहर में हुई गोलीबारी की घटना को पाकिस्तानी मूल के सैयद फारूक (28) और उसकी पाकिस्तानी पत्नी तशफीन मलिक ने अंजाम दिया था। दोनों इंटरनेट के जरिए आईएसआईएस के सरगना के प्रति वफादारी निभाने का प्रण ले चुके थे।

    ओबामा ने उच्च तकनीक और कानून के जानकारों से आग्रह किया कि वे ऐसे कदम उठाएं जिससे आतंकवादी कानून से बच निकलने के लिए तकनीक का उपयोग न कर सकें। उन्होंने कहा, "हम लगातार इस बारे में जांच-परख कर रहे हैं, ताकि हमें पता चल सके कि इस दिशा में अतिरिक्त कदम कब और क्या उठाने की आवश्यकता है।"

    उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि इस हमले में विदेश या देश में ही छिपे बैठे किसी आतंकवादी संगठन का हाथ है।

    ओबामा ने कहा, "लेकिन यह स्पष्ट है कि दोनों (सैयद व तशफीन )आतंकवाद की अंधकार भरी राह पर निकल पड़े थे और उन्होंने इस्लाम की एक विकृत व्याख्या को अपना लिया था, एक ऐसी व्याख्या जो अमेरिका व पश्चिम के खिलाफ जंग की बात कहती है।"

    ओबामा ने कहा, "यह आतंकवादी कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य बेगुनाह लोगों की जान लेना था।"

    अमेरिका के राष्ट्रपति ने आतंकवादियों से निपटने के लिए एक चार सूत्री रणनीति तैयार की है। इस रणनीति में हर देश में मौजूद आतंकवादी सरगना का खात्मा, इराक एवं सीरिया के सुरक्षाबलों को आईएसआईएस से लड़ने के लिए प्रशिक्षण एवं हथियार उपलब्ध कराना, आईएसआईएस की गतिविधियों, उसके लेन-देन और भर्ती प्रक्रिया को रोकना और सीरिया के गृह युद्ध का राजनीतिक समाधान या युद्ध विराम की एक बुनियाद डालना शामिल है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • मप्र : आंखों के गलत ऑपरेशन मामले में सिविल सर्जन निलंबित

    भोपाल, 7 दिसम्बर। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में बीते माह ऑपरेशन के बाद आंखों में हुए संक्रमण से 40 मरीजों की आंखों की रोशनी खोने के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिविल सर्जन को निलंबित कर दिया है। उन्होंने पीड़ितों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का भी ऐलान किया है।

    मुख्यमंत्री चौहान ने सोमवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन की कार्यवाही के बाद संवाददाताओं से कहा कि बड़वानी में हुई घटना दुखद है। सरकार प्रभावितों को हर संभव मदद दे रही है, उन्हें बेहतर उपचार मुहैया कराए जा रहे हैं। मामले की जांच की जा रही है।

    चौहान ने कहा कि इस मामले में कुछ लोगों (चिकित्सक सहित छह कर्मचारी) को निलंबित किया जा चुका है। इस लापरवाही के लिए सिविल सर्जन डॉक्टर अमर सिंह विशनार भी जिम्मेदार हैं। उन्हें भी निलंबित किया गया है। इसके अलावा प्रभावितों को दो-दो लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।

    बड़वानी के सरकारी अस्पताल द्वारा बीते माह नवंबर में नेत्र शिविर में कुल 86 लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन हुए थे। इनमें से कुल 45 मरीजों को संक्रमण होने पर इंदौर के अरविंदो और एमवायएच अस्पताल में भर्ती कराया गया। रविवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के नेत्र विशेषज्ञों का दल इंदौर पहुंचा और उसने मरीजों की आंखों का परीक्षण किया। इस दल ने पाया कि ऑपरेशन के दौरान इस्तेमाल किए गए आई वाश फ्लूइड में गड़बड़ी के कारण 40 मरीजों की आंखों की रोशनी का अब लौटना मुश्किल है।

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