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सूरजमुखी की खेती से विमुख हो रहे किसान

विद्या शंकर राय
लखनऊ, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश की जलवायु और मिट्टी दोनों सूरजमुखी की खेती के अनुकूल है, लेकिन किसानों का इससे मोहभंग होता जा रहा है। या यूं कहें तो उप्र के खेतों में अब सूरजमुखी की बहार नजर नहीं आती।

किसानों को बेहतर लाभ देने और तिलहन के संकट में मददगार होने के बावजूद सूरजमुखी की खेती के लिए प्रोत्साहन सरकार नहीं दे पा रही है। सूरजमुखी की बुवाई का क्षेत्रफल 80 प्रतिशत से कम होना सरकार की नीतियों पर भी सवाल खड़ा करता है।

उत्तर प्रदेश में नब्बे के दशक में सूरजमुखी की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। यह खेती अब केवल कानपुर मंडल तक सिमट कर रह गई है।

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बातचीत के दौरान बताया कि पहले 55 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में सूरजमुखी की खेती होती थी, लेकिन अब यह घटकर पांच से छह हजार हेक्टेयर तक आ गई है।

उन्होंने बताया, "तो ऐसा नहीं है कि उप्र की जलवायु और मिट्टी सूरजमुखी की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। औसत उपज में उप्र प्रति हेक्टेयर 1889 किलोग्राम का उत्पादन कर सबसे आगे है। हालांकि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में क्षेत्रफल के हिसाब से अधिक खेती होती है। उप्र में इसकी खेती इसलिए नहीं हो पाती कि इसकी बिक्री की व्यवस्था नहीं की गई है।"

कानपुर में सूरजमुखी की खेती से जुड़े एक किसान शिवशंकर त्रिपाठी ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि सूरजमुखी की पैदावार में कमी नहीं है, बल्कि इसकी बिक्री की व्यवस्था नहीं हो पाती। सरकार ने इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया, अन्यथा उप्र में इसकी खेती से किसानों को लाभ पहुंचाया जा सकता था।

किसान और विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के दावे को स्वीकार करते हुए कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. राजेंद्र कुमार ने बताया, "समय रहते यदि सूरजमुखी का तेल निकालने के लिए उद्योग लगाए गए होते तो किसानों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। तिलहन संकट से निपटने के लिए इस ओर ध्यान देकर किसानों को सूरजमुखी की खेती के लिए प्रोत्साहित करना होगा।"

इधर, कृषि विशेषज्ञों की मानें तो सूरजमुखी में तापमान सहने की अदभुत क्षमता होती है। अत्यधिक ठंडे मौसम को छोड़कर सभी माह में सूरजमुखी की बुवाई की जा सकती है। फूल और बीज बनते समय तेज वर्षा व हवा से फसल गिरने का डर बना रहता है। लेकिन यदि फसल बच गई तो 80 से 120 दिनों के बीच यह तैयार हो जाती है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • प्रधानमंत्री ने आंध्र और छत्तीसगढ़ के सूखे की समीक्षा की
    नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सूखे की स्थिति की समीक्षा की और इसका प्रभाव कम करने में राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की।

    प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात में भूमि जल से सिंचाई के आर्थिक प्रभावों के विस्तृत अध्ययन के लिए एक टास्कफोर्स गठित करने का भी निर्देश दिया।

    आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की मौजूदगी में बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री ने सिंचाई के लिए राज्य सरकार के प्रयासों को सराहा।

    बैठक में यह बताया गया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (एनडीआरएफ) से आंध्र प्रदेश के लिए 315.95 करोड़ रुपये जारी किया गया है। यह इसी निधि से केंद्र सरकार के हिस्से के रूप में पहले जारी वर्ष 2015-16 के 330 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है। इसके अलावा भी वर्ष 2016-17 के लिए पहली किस्त के रूप में 173.25 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

    --आईएएनएस
  • बुंदेलखंड : 13 बांध सूखे, और बढ़ेगा जल संकट!
    आर. जयन
    बांदा, 17 मई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड क्षेत्र के बांदा, चित्रकूट और महोबा जिलों में जल संचय के लिए बने तेरह बांध सूख गए हैं, अगर पिछले साल की भांति मानसून ने दगा दिया तो आने वाले दिनों में यहां और जल संकट बढ़ सकता है।

    उत्तर प्रदेश के हिस्से वाला बुंदेलखंड क्षेत्र पिछले कई सालों से सूखे की चपेट में है, पर्याप्त बारिश न होने से यहां हमेशा जल संकट छाया रहता है। बांदा, चित्रकूट और महोबा जिलों में सिंचाई और पेयजल संकट से उबरने के लिए तेरह बांध बने हुए हैं।

    पिछले साल इन बांधों में काफी पानी संचयित था, लेकिन इस साल कम बारिश की वजह से बांधों में पानी का संचयन नहीं हो पाया। जो थोड़ा हुआ भी, वह भीषण गर्मी की चपेट में आकर गायब हो गया।

    चित्रकूट जिले के दो बांध ओहन व बरुआ और महोबा जिले के चार अर्जुन बांध, चंद्रावल बांध, कबरई व मझगवां बांध बिल्कुल सूख गए हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा में बांदा जिले के रनगवां, बरियारपुर व गंगऊ बांध, महोबा के उर्मिल, मौदहा एवं चित्रकूट जिले के रसिन और गुंता बांध में नाम मात्र का पानी बचा है। यहां केन, बागै, चंद्रावल जैसी आधा दर्जन नदियों की जलधारा भी सिकुड़कर पतली हो गई हैं।

    बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी के लिए एक दशक से 'नदी बचाओ-तालाब बचाओ' आंदोलन चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रैकवार ने बताया, "चित्रकूट जिले के ओहन और बरुआ बांध और महोबा जिले के अर्जुन, चंद्रावल, कबरई व मझगवां बांध विल्कुल सूख गए हैं। बांदा के रनगवां, बरियारपुर, गंगउ, महोबा के उर्मिल, मौदहा, और चित्रकूट जिले में रसिन व गुंता बांध में नाम मात्र का पानी बचा है।"

    उन्होंने बताया कि जीवन दायिनी नदियां- केन, बागै, बान गंगा, मंदाकिनी व चंद्रावल की धाराएं सिकुड़ चुकी हैं, जिससे गांवों से लेकर शहरों व कस्बों तक में जल संकट की काली छाया मंडरा रही है। यदि समय से बुंदेलखंड में मानसून की आमद न हुई तो जलसंकट और बढ़ सकता है।

    इस सामाजिक कार्यकर्ता की मानें तो बुंदेलखंड में अब भी प्राकृतिक जलस्रोत मौजूद हैं, जिनको पुनर्जीवित कर सरकार जलसंकट से निजात दिला सकती है।

    उन्होंने बताया कि बांदा जिले के फतेहगंज इलाके में गोबरी, गोड़रामपुर, गोंड़ी बाबा का पुरवा, बिलरियामठ, कुरुहूं गांवों में लगे सरकारी हैंडपंप पानी देना बंद कर दिए तो वहां के ग्रामीणों के समूह ने कंड़ैली नाला की झील की सफाई कर पीने योग्य पानी निकाल लिया है, इस तरह के कई जलस्रोत मौजूद हैं।

    चित्रकूटधाम परिक्षेत्र बांदा के आयुक्त एल. वेंकटेश्वरलू ने भी बांधों के सूखने की बात स्वीकार की है, समय से बारिश होने के अलावा इनमें पानी संचय का दूसरा उपाय नहीं है, पर पेयजल संकट से निपटने में प्रशासन सक्षम है।

    --आईएएनएस
  • चीन सामान्य विमानन सेवा उद्योग के विकास को बढ़ावा देगा
    बीजिंग, 17 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। चीन साल 2020 तक एक हजार अरब युआन (153.8 अरब डॉलर) के बाजार के सृजन के लिए अपने समान्य विमानन उद्योग के विकास को बढ़ावा देगा।

    चीन की कैबिनेट की स्टेट काउंसिल द्वारा जारी दिशा-निर्देश के मुताबिक, चीन नए सामान्य विमानन हवाईअड्डों का निर्माण करेगा और साल 2020 तक इस संख्या को 500 से अधिक करने का लक्ष्य है। चीन कम ऊंचाई के एयरस्पेस का भी समर्थन करेगा और इस क्षेत्र में शोध व विनिर्माण को बढ़ावा देगा।

    इसकी योजना साल 2020 तक हेलीकॉप्टरों तथा निजी विमानों सहित सामान्य विमानों की संख्या पांच हजार से अधिक करना है।

    स्टेट काउंसिल ने कहा कि चीन क्षेत्र में निजी निवेश को उत्साहित करेगा, पायलटों के प्रशिक्षण को बढ़ावा देगा, आपदा राहत, आपात चिकित्सा सेवा, पर्यावरण निगरानी तथा राष्ट्रीय भूमि व संसाधनों की खोज में सामान्य विमानों के इस्तेमाल का विस्तार करेगा।

    साल 2015 तक चीन के पास 1,874 सामान्य विमान थे और इनके रख-रखाव और संचालन के लिए 300 हवाईअड्डे थे।

    --आईएएनएस
  • उप्र : कई एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में लगेंगे अतिरिक्त डिब्बे
    लखनऊ, 17 मई (आईएएनएस/आईपीएन)। पूर्वोत्तर रेलवे ने प्रतीक्षा सूची के यात्रियों की सुविधा के मद्देनजर कई एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में अतिरिक्त कोच लगाने का फैसला किया है।

    इस बारे में पूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी सी.पी. चौहान ने कहा कि प्रतीक्षा सूची के यात्रियों की सुविधा के लिए रेल प्रशासन की ओर से अनेक एक्सप्रेस गाड़ियों में अतिरिक्त कोच लगाए जाएंगे।

    इन अतिरिक्त डिब्बों की फीडिंग की व्यवस्था तत्काल कर दी गई है, जिससे यात्रियों को इसका तत्काल लाभ मिल सके।

    उन्होंने बताया कि इन अतिरिक्त डिब्बों के सिस्टम पर आते ही गाड़ी के प्रस्थान समय से काफी पहले ही प्रतीक्षा सूची कम होगी या आरक्षण कंफर्म हो जाएगा। इस व्यवस्था से यात्रियों को सहूलियत के साथ-साथ दलालों पर भी अंकुश लगाने में रेल प्रशासन को सफलता मिली है।

    इन एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में लगेंगे अतिरिक्त कोच

    -15008 लखनऊ जं.-वाराणसी सिटी कृषक एक्सप्रेस में 18 मई को लखनऊ जं. से शयनयान श्रेणी का एक कोच।

    -15007 वाराणसी सिटी-लखनऊ जं. कृषक एक्सप्रेस में 19 मई को वाराणसी सिटी से शयनयान श्रेणी का एक कोच।

    -12589 गोरखपुर-सिकंदराबाद एक्सप्रेस में 18 मई को गोरखपुर से शयनयान श्रेणी का एक कोच।

    -12590 सिकंदराबाद-गोरखपुर एक्सप्रेस में 20 मई को सिकंदराबाद से शयनयान श्रेणी का एक कोच।

    -15107 छपरा-मथुरा एक्सप्रेस में 18 मई को छपरा से शयनयान श्रेणी का एक कोच

    -15108 मथुरा-छपरा एक्सप्रेस में 18 मई को मथुरा से शयनयान श्रेणी का एक कोच

    -15004 गोरखपुर-कानपुर अनवरगंज चौरीचौरा एक्सप्रेस में 17 मई को गोरखपुर से शयनयान श्रेणी का एक कोच।

    -15003 कानपुर अनवरगंज-गोरखपुर चौरीचौरा एक्सप्रेस में 18 मई को कानपुर अनवरगंज से शयनयान श्रेणी का एक कोच।

    -15018 गोरखपुर-लोकमान्य तिलक टर्मिनस दादर एक्सप्रेस में 17 मई को गोरखपुर से शयनयान श्रेणी का एक कोच।

    -15017 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर दादर एक्सप्रेस में 19 मई को लोकमान्य तिलक टर्मिनस से शयनयान श्रेणी का एक कोच।

    -05029 गोरखपुर-जम्मूतवी एक्सप्रेस में 17 मई को गोरखपुर से शयनयान श्रेणी का एक कोच।

    -05030 जम्मूतवी-गोरखपुर एक्सप्रेस में 19 मई को जम्मूतवी से शयनयान श्रेणी का एक कोच लगाया जाएगा।

    --आईएएनएस
  • एसबीआई में विलय के विरुद्ध अनुषंगी बैंक यूनियन की हड़ताल
    चेन्नई, 17 मई (आईएएनएस)। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पांच सहयोगी बैंकों के निदेशक मंडलों के कारोबार बंद करने और एसबीआई में विलय के फैसले के विरोध में ऑल इंडिया बैंक एंप्लाईज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने 20 मई को हड़ताल की घोषणा की है।

    एआईबीईए ने यहां मंगलवार को जारी बयान में कहा कि उसने एसबीआई के पांच सहयोगी बैंकों में 20 मई को हड़ताल की घोषणा की है। ये बैंक हैं -स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (एसबीटी), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (एसबीएच), स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे) और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (एसबीपी)।

    एआईबीईए के मुताबिक, मंगलवार को मुंबई में एसबीआई के पांचों सहयोगी बैंकों की बोर्ड बैठक में बैंकों को बंद करने और एसबीआई द्वारा अधिग्रहण किए जाने का कार्यक्रम तय किया गया।

    बयान में कहा गया है, "एआईबीईए के सभी वर्कमैन निदेशकों और कुछ अन्य स्वतंत्र निदेशकों द्वारा प्रस्ताव और अपनाई गई प्रक्रिया का विरोध करने के बावजूद इस बारे में फैसला किया गया है।"

    एआईबीईए ने कहा, "यह शर्मनाक है कि जहां सरकार कॉरपोरेट गवर्नेस और गुड गवर्नेस की बात करती है, वहीं इस गंभीर मुद्दे पर बिना बताए बोर्ड का कार्यक्रम तैयार किया जाता है और फैसला कर लिया जाता है।"

    बयान के मुताबिक, पांचों बैंकों का फैसला वित्तमंत्री द्वारा यूनियन को इस साल 23 मार्च और 25 अप्रैल को दिए गए आश्वासन के अनुरूप नहीं है।

    एआईबीईए ने कहा, "उन्होंने कहा था कि सभी पांच बैंकों को एक बैंक में तब्दील किया जा सकता है। लेकिन एसबीआई और सहयोगी बैंक जो करने की कोशिश कर रहे हैं, वह वित्तमंत्री द्वारा कही गई बात के उलट है।"

    --आईएएनएस
  • भारत में पुरुषों व महिलाओं की आय में 27 फीसदी अंतर
    नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)। ऑनलाइन करियर एवं नियोक्ता कंपनी मॉन्स्टर इंडिया (डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट मॉन्स्टरइंडिया डॉट कॉम) ने मंगलवार को अपना नवीनतम 'मॉन्स्टर वेतन सूचकांक' जारी किया।

    इस एमएसआई में भारत में महिला एवं पुरुषों के प्रति घंटा वेतन में 27 प्रतिशत का भारी अंतर सामने आया है। जहां पुरुष 288.68 रुपये प्रति घंटे का सकल औसत वेतन अर्जित करते हैं, वहीं महिलाएं केवल 207.85 रुपये प्रति घंटे का औसत सकल वेतन हासिल कर पाती हैं।

    इस रिपोर्ट में आठ अलग-अलग क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जो हैं-आईटी सर्विसेस, स्वास्थ्य देखरेख, देखभाल की सेवाएं, सामाजिक कार्य, शिक्षा, शोध, वित्तीय सेवाएं, बैंकिंग, बीमा, परिवहन, लॉजिस्टिक्स, संचार, निर्माण एवं तकनीकी सलाह, निर्माण एवं कानूनी सलाह, बाजार सलाह और कारोबारी गतिविधियां।

    एमएसआई का लक्ष्य नौकरी तलाशने वाले लोगों को भारत और विश्व के बाजार में औद्योगिक क्षेत्र, अनुभव, कार्यशील समूहों के व्यापक परिदृश्य में अन्य लोगों के साथ अपने वेतनों की तुलना करने का एक मापदंड प्रदान करना है।

    रोजगार प्रदाताओं के लिए एमएसआई एक ऑनलाइन वेतन सर्वेक्षण है, जिसका लक्ष्य रोजगारदाताओं को व्यावहारिक जानकारी प्रदान कर उन्हें वेतन बाजार का विश्लेशण करके कर्मचारी के लिए उचित वेतन निर्धारित करने के लिए सही निर्णय लेने में मदद करना है।

    भारतीय नौकरी बाजार का विश्लेषण दर्शाता है कि महिला एवं पुरुषों के वेतन में सर्वाधिक अंतर- 34.9 प्रतिशत निर्माण क्षेत्र में दर्ज किया गया है। सबसे कम अंतर बीएफएसआई एवं परिवहन, लॉजिस्टिक्स, संचार में दर्ज किया गया, जो 17.7 प्रतिशत है।

    महिला एवं पुरुषों की आय में यह अंतर महिला कर्मचारियों के मुकाबले पुरुष कर्मचारियों को प्राथमिकता देने, सुपरवाइजर के स्थान पर पुरुष कर्मचारियों की पदोन्नति को प्राथमिकता देने, मातृत्व की जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए महिलाओं के द्वारा काम से छुट्टी लेने एवं अन्य सामाजिक आर्थिक कारणों आदि के चलते हो सकता है।

    भारत/मध्यपूर्व/दक्षिणपूर्व एशिया/हांगकांग क्षेत्र के प्रबंध निदेशक संजय मोदी के मुताबिक, "विभिन्न क्षेत्रों में कर्मचारियों द्वारा लिए गए वेतन से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। परिवहन, लॉजिस्टिक्स एवं संचार के क्षेत्र में कर्मचारियों के औसत वेतन में छह प्रतिशत की कमी हो सकती है। जीएसटी प्रस्ताव के लागू होने एवं ई-कॉमर्स उद्योग की वृद्धि से यह क्षेत्र लाभान्वित हो सकता है।"

    --आईएएनएस

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