मनोज पाठक
सीतामढ़ी, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। देश के कई जिले जहां सूखे की चपेट में हैं, वहीं देश को स्वच्छ रखने के लिए विभिन्न स्तरों पर स्वच्छता अभियान चलाए जा रहे हैं। ऐसे में बिहार के सीतामढ़ी जिला प्रशासन ने स्वच्छता, बच्चों की सेहत और भूगर्भीय जलस्तर को बनाए रखने के लिए अनूठा अभियान चलाया है।
इस अभियान के तहत दो दिनों में जिले भर में 2,200 से ज्यादा सॉक-पिट (सोख्ता गड्ढा) का निर्माण कराया गया।
यूनिसेफ के सहयोग से 21 अप्रैल से प्रारंभ इस अभियान का मकसद हैंडपंपों (चापाकल) के पास जमा होनेवाले कीचड़युक्त दूषित जल की वजह से होनेवाली बीमारियों से बच्चों को बचाना तो है ही, साथ ही इससे बड़ी मात्रा में भूगर्भीय जलस्तर को बनाए रखना है।
सीतामढ़ी के जिलाधिकारी राजीव रोशन ने आईएएनएस को बताया कि सेाख्ता गड्ढा बनाए जाने के तकनीकी अध्ययन कराए जाने के बाद एक दिन में 10 हजार शिक्षकों और पांच लाख स्कूली बच्चों को इससे जोड़ा गया।
रोशन कहते हैं, "हैंडपंप के आसपास जमा कीचड़ और उसमें पनपने वाला लार्वा सेहत के लिए काफी खतरनाक होता है। इससे मलेरिया, चिकेन-गुनिया, ब्रेन मलेरिया जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं। ग्रामीण इलाकों में लोगों में साफ-सफाई के इस पहलू को लेकर उदासीनता रहती है। इसे लेकर लोगों को जागरूक करने में भी यह अभियान मददगार साबित होगा।"
इस अभियान से लोगों तक यह संदेश भी दिया गया कि हैंडपंप या जलजमाव वाले क्षेत्रों के पास गंदगी न जमा करें।
रौशन कहते हैं कि 4,000 रुपये से कम खर्च पर बनने वाला एक सोख्ता खुद स्कूल के शिक्षक और छात्रों ने मिलकर बनाया। इसके लिए किसी प्रकार की अतिरिक्त राशि खर्च नहीं की गई।
उन्होंने बताया कि इस अभियान के लिए पहले जिला स्तर पर सभी विभाग के अधिकारियों और कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया, फिर प्रखंड स्तर पर सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्यो और दो अन्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया।
जिला प्रशासन का मानना है कि 'विश्व पृथ्वी दिवस' से एक दिन पहले प्रारंभ किए गए इस अनूठे अभियान में बच्चों को इस लिए शामिल किया गया है, ताकि वे इस बहाने स्वच्छता का पाठ सीख सकें।
इस अभियान में साझीदार यूनिसेफ के वाटर सेनिटेशन एंड हाइजीन विशेषज्ञ प्रवीण मोरे कहते हैं, "इस अभियान से और भूगर्भीय जलस्तर व जलजनित रोगों से मुक्ति तो मिलेगी ही, साथ ही स्कूल के बच्चे अपने परिजनों को भी स्वच्छता के लिए प्रेरित करेंगे।"
मोरे बताते हैं कि सोख्ता भूजल संवर्धन में सहायक है। इसमें पानी को प्रातिक रूप से भूमिगत जल में डाला जाता है। यह संरचना गांव के साथ-साथ शहरों में भी समान रूप से उपयोगी है। इसमें 1़5 मीटर व्यास का गड्ढा खोदा जाता है। इसका आकार आवश्यकता के अनुसार घटाया या बढ़ाया जा सकता है।
गड्ढे में बोल्डर या ईंट के टुकड़ों से भर देते हैं। इस तरह सोख्ता गड्ढे (रिसन गड्ढा) का निर्माण किया जाता है, जिससे घर-आंगन व गांव में व्यर्थ बहते पानी को जमीन के अंदर पहुंचाकर भूजल भंडारण में वृद्धि की जा सकती है।
हैंडपंप के मुहाने पर सोख्ता गड्ढा के निर्माण से कार्य के दौरान व्यर्थ में बहते पानी को भूजल वृद्धि के उपयोग में लाया जा सकता है।
जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि सोख्ता गड्ढा का निर्माण जिले भर के स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों, प्रखंड कार्यालयों व आंगनबाड़ी केंद्रों के हैंडपंप के समीप किया गया है, ताकि भूजलस्तर को बरकरार रखा जा सके।
इतने बड़े पैमाने पर सोख्ता का निर्माण कार्य करने के लिए जिला प्रशासन ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन भी दिया है। इसके लिए राशि जमा करा दी गई है।
रौशन कहते हैं, "सोख्ता गड्ढे का निर्माण चापाकलों के पास कराया गया, इससे जलस्तर बना रहेगा। जिले में औसत जलस्तर पिछले एक वर्ष के दौरान दो फीट तक नीचे जा चुका है। इसके लिए जिले में 21 दिनों तक जागरूकता अभियान चलाया गया।"
उन्होंने बताया कि यह अभियान पहले चरण में सरकारी भवनों के पास चलाया गया, जबकि दूसरे चरण में आम लोगों को अपने घरों में सोख्ता बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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