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वक्फ संपत्तियों का इस्तेमाल सशक्तीकरण के लिए हो : नकवी
नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक सशक्तीकरण के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बात का पूरा भरोसा है कि केंद्रीय वक्फ परिषद, वक्फ परिसंपत्तियों को मुस्लिम समुदाय के विकास से जोड़ने का काम करेगा।
उन्होंने कहा कि नया वक्फ अधिनियम लागू होने के बावजूद कई राज्य अब तक वक्फ संपत्तियों का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक सशक्तीकरण के लिए नहीं कर पाए हैं। कई वक्फ संपत्तियों पर 'वक्फ माफिया' ने कब्जा कर रखा है। इस बात का अभियान चलाया जाना चाहिए कि वक्फ संपत्ति जिनके लिए है, उनके हित में ही उसका प्रयोग किया जाए।
यहां शुरू हुई राज्य वक्फ बोर्डो के अध्यक्षों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में नकवी ने यह बात कही।
नकवी ने कहा कि वक्फ अधिनियम, 2013 को संशोधित किया गया है लेकिन उसमें अभी और सुधार करने की जरूरत है। राज्यों, आम जनता, शिक्षा संस्थानों और धार्मिक संस्थानों की सलाह से वक्फ अधिनियम में और सुधार करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। नकवी ने कहा कि नए वक्फ अधिनियम के बाद अब केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डो की जिम्मेदारी बढ़ गई है।
मंत्री ने कहा कि केंद्र ने वक्फ बोर्डो को सलाह दी है कि वे वक्फ संपत्तियों के बारे में अपने रिकॉर्डो को कम्प्यूटर आधारित बनाएं ताकि पारदर्शी व्यवस्था बन सके और लोगों को आसानी से इन संपत्तियों के बारे में जानकारी मिल सके। कई राज्यों ने इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया है लेकिन अब भी ऐसे कई राज्य वक्फ बोर्ड मौजूद हैं जो वक्फ संपत्तियों के ऑनलाइन पंजीकरण के प्रति गंभीर नहीं हैं।
नकवी ने कहा कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों सहित समाज के हर वर्ग के आमूल विकास के प्रति प्रतिबद्ध है और इस दिशा में काम कर रही है। मुस्लिम समुदाय का समावेशी विकास हमारा लक्ष्य है। इस संबंध में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और विकास महत्वपूर्ण कदम है। देश में 31 राज्य वक्फ बोर्ड हैं। पूरे देश में 4,27,000 पंजीकृत वक्फ संपत्तियां मौजूद है, लेकिन कुछ ऐसी संपत्तियां भी हैं जिनका पंजीकरण नहीं हुआ है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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छत्तीसगढ़ : नक्सली विस्फोट में 7 जवान शहीद (लीड-1)
रायपुर/जगदलपुर, 30 मार्च (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों द्वारा किए गए बारूदी सुरंग विस्फोट में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सात जवान शहीद हो गए और दो अन्य घायल हो गए। इस घटना के मद्देनजर गृहमंत्री अजय चंद्राकर ने आपात बैठक बुलाई।
राज्यपाल बलरामजी दास टंडन एवं मुख्यमंत्री रमन सिंह ने दंतेवाड़ा जिले के ग्राम मेलावाड़ा के पास नक्सलियों द्वारा किए गए विस्फोट की विधानसभा में कड़ी निंदा की और जवानों की शहादत पर गहरा दुख व्यक्त किया।
सीआरपीएफ के डीआईजी पी. चंद्रा ने कहा, "जवान छुट्टी से वापस लौट रहे थे। सभी जवान सादी वर्दी में थे। उनके पास हथियार भी नहीं थे। इसी बीच वे दंतेवाड़ा जिले के ग्राम मेलावाड़ा के पास नक्सलियों द्वारा किए गए बारूदी सुरंग विस्फोट की चपेट में आ गए। इसमें सात जवान शहीद हो गए और दो घायल हो गए।"
सूत्रों के अनुसार, बारूदी सुरंग विस्फोट में सीआरपीएफ के सात जवान एएसआई डी. विजय राज, हेड कांस्टेबल प्रदीप तिर्की, कांस्टेबल रंजन दास, कांस्टेबल देवेन्द्र चौरसिया, कांस्टेबल नाना उदे सिंह, कांस्टेबल रूप नारायण दास और कांस्टेबल मृत्युंजय मुखर्जी शहीद हो गए। वहीं दो जवान घायल हो गए। जवान सीआरपीएफ की 230वीं बटालियन के थे।
सूत्रों के अनुसार, विस्फोट इतना जबरदस्त था कि जिस वाहन से जवान यात्रा कर रहे थे, उसके परखच्चे उड़ गए। विस्फोट से गाड़ी का इंजन अलग होकर 100 मीटर दूर जा गिरा।
राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने दंतेवाड़ा जिले के मैलावाड़ा के समीप नक्सलियों द्वारा किए गए बम विस्फोट में जवानों की शहादत पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने नक्सलियों की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा है कि उनका यह कृत्य कायराना है।
राज्यपाल ने शहीद जवानों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने घायल जवानों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि चाहे केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान हों, चाहे भारत सीमा सुरक्षा बल, तिब्बत सीमा पुलिस (आई.टी.बी.पी.) या छत्तीसगढ़ पुलिस के जवान, ये सभी बस्तर में प्रजातंत्र को बचाने के लिए आए हैं।
उन्होंने कहा, "आज की इस घटना में हमारे इन बहादुर जवानों ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए शहादत दी है। मैं उनकी शहादत को सलाम करता हूं।"
मुख्यमंत्री ने नक्सलियों की निंदा करते हुए कहा कि इस देश के प्रजातंत्र को बंदूक की नोक पर बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि जनजाति बहुल बस्तर अंचल के लोगों में विकास की इच्छा शक्ति के आगे नक्सलियों के इरादे कभी सफल नहीं होंगे।
सूत्रों ने बताया कि गृहमंत्री के बंगले में आपात बैठक देर रात जारी रही। बैठक में गृह सचिव बी.वी.आर. सुब्रमण्यम, पुलिस महानिदेशक ए.एन.उपाध्याय, पुलिस उप महानिदेशक (नक्सल) डी.एम. अवस्थी सहित पुलिस के आला अधिकारी मौजूद थे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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'भारत माता की जय' बोलने की लालसा होनी चाहिए : नकवी
नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बुधवार को कहा कि 'भारत माता की जय' बोलना फैशन नहीं बल्कि हर भारतीय की लालसा होनी चाहिए।
नकवी राज्यों के वक्फ बोर्ड अध्यक्षों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हर भारतीय के डीएनए में राष्ट्रवाद है। लेकिन देशभक्ति और राष्ट्रवाद पर कोई निराधार बहस हो, यह चिंता की बात है।
उन्होंने कहा कि देशभक्ति किसी मजबूरी का नहीं बल्कि यह प्रेम और अनुराग का हिस्सा है।
नकवी ने यह भी कहा कि 'राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता का प्रमाण-पत्र बांटने की जरूरत नहीं है।'
उनकी यह टिप्पणी राष्ट्रवादी नारे लगाने को लेकर उपजे विवाद को देखते हुए आई है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने इससे पहले इसी माह कहा कि युवकों को इसे बार-बार बोलना सिखाया जाना चाहिए।
भागवत ने बाद में स्पष्ट किया था कि किसी को भी यह नारा लगाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
अपने भाषण में नकवी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार अल्पसंख्यकों सहित समाज के सभी वर्गो के समग्र विकास के लिए कड़ी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा, "मुस्लिम समुदाय का समेकित विकास हमारा लक्ष्य है और इस लक्ष्य को हासिल करने में कोई भी नकारात्मक एजेंडा सफल नहीं होगा।" इस सिलसिले में वक्फ संपत्तियों की रक्षा एवं विकास एक महत्वपूर्ण कदम है।
देश भर में 31 राज्य वक्फ बोर्ड हैं और 4 लाख 27 हजार पंजीकृत वक्फ संपत्तियां हैं। इनके अलावा गैर पंजीकृत संपत्तियां भी हैं।
नकवी ने कहा कि नया वक्फ कानून बनने के बाद भी इसकी संपत्ति का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक विकास में नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि कई वक्फ संपत्तियां वक्फ माफिया के कब्जे में हैं। इन्हें इनके चंगुल से छुड़ाने के लिए युद्धस्तर पर अभियान छेड़ने की जरूरत है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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युवा स्टार्ट-अप के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र केंद्र बनेगा : जितेन्द्र सिंह
नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से सटे पूर्वोत्तर क्षेत्र को विकसित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के दोनों ओर क्षेत्रीय तथा सांस्कृतिक समानता है। डॉ. जितेन्द्र सिंह भारत, म्यांमार तथा बांग्लादेश के बीच उप-क्षेत्रीय सहयोग विषय पर एक गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के बयान के अनुसार, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उद्घाटन सत्र में कहा कि संपूर्ण रूप से कारोबार बढ़ रहा है, विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत महाशक्ति बन रहा है इसके लिए उन्होंने युवा शक्ति तथा भारत के सभी क्षेत्रों के सामान विकास पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विकास के मामले में पूर्वोत्तर भारत को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है और अन्य मंत्रालयों के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय इस दिशा में तालमेल से काम कर रहा है।
डॉ. सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए हाल में कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। गंतव्य उत्तर पूर्व समारोह तथा सिक्किम को देश के पहले जैविक राज्य के रूप में मान्यता दी गई। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कारोबार पर बल देते हुए कहा कि हम हितधारक बनाए बिना आगे नहीं बढ़ सकते और हितधारकों को सहायता देने की आवश्यकता है। उन्होंने खाद्य उद्योगों का उदाहरण देते हुए कहा कि खाद्य सामग्री उत्पादन लागत प्रभावी और प्रामणिक होनी चाहिए।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में स्टार्ट-अप की व्यापक संभावनाएं है। इसके लिए पूर्वोत्तर भारत में स्टार्ट-अप के लिए वेंचर फंड तथा अन्य उपाय किए जा सकते है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में युवा स्टार्ट अप पूर्वोत्तर भारत को अपना स्थान बनाएंगे।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत के आगे बढ़ने में कुछ चुनौतियां है। इनमें संसाधनों का अधिकतम उपयोग, युवा ऊर्जा को अधिक से अधिक सक्रिय करना तथा प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल शामिल है।
भारत की 'ऐक्ट ईस्ट' नीति के बारे में डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इसे कारगर रूप से लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से सटे पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में सम्पर्क मार्ग की समस्या है। उन्होंने नए हवाई अड्डों, हेलिकॉप्टर सेवा के विकल्प का सुझाव दिया।
चार सत्रों की इस संगोष्ठी में उप क्षेत्र में आर्थिक सहयोग, भारत, म्यांमार तथा बांग्लादेश के बीच व्यापार रूझान और व्यापार के तरीकों तथा सम्पर्क और एफडीआई के जरिए आर्थिक सहयोग जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। संगोष्ठी में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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माल्या की 4000 करोड़ रुपये देने की पेशकश (लीड-1)
नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। कर्ज नहीं चुकाने के मामले में फंसे उद्योगपति विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए ऋण निपटारे के लिए 4,000 करोड़ रुपये भुगतान करने की पेशकश की है। 13 बैंकों ने किंगफिशर एयरलाइंस को कर्ज दे रखा है।
भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्ववाले इन 13 बैंकों के संघ की ओर से यह जानकारी बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में दी गई। मामले की अगली सुनवाई अब सात अप्रैल को होगी।
न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ. नरीमन की पीठ को यह भी बताया गया है कि माल्या ने पेशकश की है कि यदि उन्हें बहुराष्ट्रीय कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के खिलाफ किए गए मुकदमे में जीत मिलती है तो वह उससे हासिल होने वाली 2,000 करोड़ रुपये की राशि देने को तैयार हैं।
माल्या और किंगफिशर एयरलाइंस की ओर से पेश वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने न्यायालय से कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के मुख्य महाप्रबंधक के समक्ष बुधवार सुबह बकाया चुकाने का प्रस्ताव पेश किया गया है।
माल्या का एसबीआई को दिया गया प्रस्ताव सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में पेश किया गया। वैद्यनाथन ने न्यायालय से आग्रह किया कि उसे सीलबंद ही रखा जाए और इसे मीडिया तक नहीं पहुंचना चाहिए।
वैद्यनाथन ने कहा, "बकाया निपटारे के लिए बातचीत चल रही थी, लेकिन दुर्भाग्य से मामला मीडिया तक पहुंच गया।"
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि मीडिया ने तो माल्या की बंद एयरलाइंस से कितना वसूला जाना है, केवल उसका उल्लेख किया है।
इसके बाद एसबीआई के नेतृत्ववाले 13 बैंकों के संघ का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एस. एस. नागानंद ने माल्या के प्रस्ताव का विस्तृत खुलासा कर दिया।
उन्होंने न्यायालय से कहा कि माल्या के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए उनकी मुवक्किल और इन बैंकों के संघ की अध्यक्ष अरुं धति भट्टाचार्य को एक सप्ताह का समय चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2013 में बैंक ने एक मुकदमा दाखिल कर 6,903 करोड़ रुपये और भुगतान की तिथि तक उस पर ब्याज की मांग की थी।
नागानंद की दलील स्वीकार करते हुए न्यायालय ने संघ को एक हफ्ते का समय दे दिया। न्यायालय ने कहा कि अगली सुनवाई सात अप्रैल को होगी।
न्यायालय द्वारा माल्या के मौजूदा ठिकाने के बारे में पूछे जाने पर उनके वकील वैद्यनाथन ने कहा कि माल्या अब भी विदेश में हैं। भारत से लंदन जाने के बाद उन्होंने बैंक के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दो बार बातचीत की हैं। उसके बाद एसबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय में माल्या की व्यक्तिगत पेशी के लिए याचिका दायर की है।
इससे पहले माल्या को देश छोड़ने से रोकने के लिए एसबीआई के नेतृत्व वाले 13 बैंकों का अल्पकालिक संघ सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा था, लेकिन जब तक नौ मार्च को इस याचिका पर शीर्ष अदालत सुनवाई करती, माल्या लंदन चले गए।
ये बैंक माल्या से नौ हजार करोड़ रुपये वसूलना चाहते हैं। उनका कहना है कि किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए कर्ज के बदले माल्या की गारंटी के तौर पर जो संपत्तियां हैं, वे कर्ज की 1/15 फीसदी भी नहीं हैं।
एसबीआई के अलावा अन्य बैंकों ने जो किंगफिशर को कर्ज दिए हैं, वे हैं- बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, एक्सिस बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, जम्मू एवं कश्मीर बैंक, आईडीबीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एवं सिंध बैंक, यूको बैंक और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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राष्ट्रीय महिला कोष के कामकाज की समीक्षा
नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने बुधवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय महिला कोष की 56वीं गवर्निग बोर्ड बैठक में उसके कामकाज की समीक्षा की।
बोर्ड के सदस्यों को संबोधित करते हुए मेनका संजय गांधी ने हाल ही में महिला ई-हाट प्रारंभ करने की दिशा में राष्ट्रीय महिला कोष के अधिकारियों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। महिला ई-हाट, महिलाओं के लिए एक ऑनलाइन विपणन मंच है, जिसका शुभारंभ 07 मार्च, 2016 को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने किया था। महिला ई-हाट एक अनोखा ऑनलाइन मंच है, जहां प्रतिभागी अपने उत्पादों की बिक्री करने के लिए उन्हें प्रदर्शित कर सकते हैं।
बोर्ड के सदस्यों को संबोधित करते हुए मेनका ने कहा कि महिला ई-हाट का लक्ष्य है कि कम से कम एक लाख वैंडर उसकी साइट पर अपने उत्पादों को प्रदर्शित करें। बैठक में उत्पादों के पिकअप और डिलीवरी की व्यवस्था, ई-बे के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर, सर्च इंजनों पर महिला ई-हाट को आप्टमाइज करना, उत्पादों के डिजाइन और गुणवत्ता और अन्य बातों के अलावा वैंडर्स का प्रशिक्षण आदि जैसे महिला ई-हाट से संबंधित मामलों पर चर्चा की गई। उन्होंने राष्ट्रीय महिला कोष में रिक्तियों की स्थिति साथ ही साथ बचे हुए ऋणों की भी समीक्षा की।
मेनका गांधी ने राष्ट्रीय महिला कोष के अधिकारियों द्वारा पिछले दो वर्षो के दौरान ऋण नहीं चुकाने वालों से ऋण वसूली के लिए किए गए प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने बचे हुए ऋणों की वसूली के लिए भी उचित उपाय किए जाने का निर्देश दिया। राष्ट्रीय महिला कोष के अधिकारियों ने उन्हें इस दिशा में हर संभव कदम उठाए जाने का भरोसा दिलाया।
बैठक में महिला एवं बाल विकास सचिव, वी. सोमसुंदरम, राष्ट्रीय महिला कोष की उपाध्यक्ष नंदिनी आजाद, राष्ट्रीय महिला कोष की कार्यकारी निदेशक रश्मि सक्सेना साहनी और बोर्ड के अन्य सदस्यों ने भाग लिया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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