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Wednesday, 23 March 2016 00:00

छात्रों और शिक्षकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम

नई दिल्ली, 23 मार्च (आईएएनएस)। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कार्यरत गैरसरकारी संस्था 'द लिव लव लॉफ फाउंडेशन' ने 'यू आर नॉट लोन' कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है, जिसका मकसद माध्यमिक छात्रों और शिक्षकों को तनाव, बेचैनी और अवसाद के बारे में शिक्षित करते हुए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े लांछन से छुटकारा दिलाना है।

द लिव लव लॉफ फाउंडेशन की स्थापना एक्टर दीपिका पादुकोण ने जून 2015 में की थी। फाउंडेशन ने बुधवार को दीपिका पादुकोण के स्कूल सोफिया हाई स्कूल, बेंगलुरु में इस कार्यक्रम के तहत मानसिक स्वास्थ्य के बारे में छात्रों और शिक्षकों को जानकारी दी। साथ ही साल 2016-17 के दौरान कुल 500 स्कूलों में इस आयोजन को करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

इस कार्यक्रम के बारे में दीपिका पादुकोण ने कहा, "हमारा मानना है कि नौजवानों में भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य की गड़बड़ियों को रोकने की शुरूआत स्कूल से ही की जा सकती है। हमें उम्मीद है कि हम स्कूलों के प्रबंधन के साथ मिल कर उनके संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ा सकेंगे। 'यू ऑर नॉट अलोन' की शुरुआत स्कूली छात्र और शिक्षक, उनके दोस्तों और पारिवारिक सदस्यों को पेश आ रही मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों को हल करने की एक कोशिश है।"

इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को अवसाद के बारे में जानकारी दी जाएगी कि कैसे यह उनके साथियों को प्रभावित कर सकता है, ऐसे में खुद की मदद करने और दोस्तों और परिवार के प्रति संवेदना पैदा करने के बारे में उन्हें शिक्षित किया जाएगा। इसका मकसद बेचैनी और अवसाद के मौके पर इस बारे में बात करने और मदद मांगने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना है।

वहीं शिक्षकों और स्कूल प्रबंधकों को इस कार्यक्रम के माध्यम से बेचैनी और अवसाद के विभिन्न लक्ष्णों और चिन्हों के बारे में जानकारी देना है ताकि वह संवदेनशील बच्चों को आवश्यकता पड़ने पर मदद कर सकें और प्रोफैशनल मदद प्राप्त कर सकें।

फाउंडेशन देश के अन्य स्कूलों से इस कार्यक्रम के लिए आवेदन मंगवा रही है जिसके तहत फाउंडेशन के साथ-साथ सहयोगी संस्थाओं द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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संदीप पौराणिक

मध्यप्रदेश के गुना जिले के भुलाय गांव के लोगों ने मृत्युभोज की परंपरा खत्म कर यह साबित कर दिया है कि अगर समाज ठान ले, तो कोई काम मुश्किल नहीं होता।

मृत्युभोज पर खर्च होने वाली राशि को भुलाय गांव के निवासी समाज हित के काम में लगाते हैं।

जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर राघोगढ़ विकासखंड में स्थित भुलाय गांव में भी मृत्युभोज की परंपरा थी, मगर गांव के कुछ युवाओं ने हरिद्वार में गायत्री परिवार के आदर्श ग्राम की संकल्पना को देखा और उसी के आधार पर गांव में मृत्युभेाज न कराने का मन बनाया।

पिछले 10 साल से मृत्युभोज बंद है। इस प्रथा में खर्च होने वाला धन गांव की गौशाला को दान में दिया जाता है। माह के अंतिम रविवार को पूरा गांव एक साथ सफाई कार्य में जुटता है। यहां के 70 फीसदी घरों में शौचालय है। इतना ही नहीं गांव में कई मुद्दों और विवादों को भी आपसी बातचीत से निपटा लिया जाता है।

गांव के एक निवासी भगत सिंह ने बताया कि उनके यहां बदलाव की शुरुआत 2005 में हुई। वे अपने साथियों छतर सिंह, महेश कुमार, देवेंद्र सिंह, मंगल सिंह, प्रकाश, अर्जुन आदि के साथ हरिद्वार के गायत्री तीर्थ शांतिकुंज गए थे। वहां उन्होंने गायत्री परिवार के आदर्श ग्राम की संकल्पना को समझा और तय किया कि वे भी इसे अपने गांव में लागू करेंगे।

ग्रामीण बताते हैं कि कुछ अरसे पहले गांव के रामप्रसाद धाकड़ के पिता का निधन हुआ था। उन्होंने मृत्युभोज न देते हुए दो लाख रुपये गौशाला को दान दे दिए। इसी तरह छोटे-छोटे दान से एक साधना कक्ष भी यहां बनाया गया है। इस कक्ष में बच्चों के लिए संस्कारशाला भी चलती है। यहां हरिद्वार का एक दंपति बच्चों को शिक्षा देता है। सारा खर्च लोग अपने स्तर पर वहन करते हैं।

गांव वालों का कहना है कि एक दशक से गांव के विवाद थाने नहीं पहुंचते। अगर विवाद होता भी है तो उसे आपस में मिल बैठकर सुलझा लिया जाता है।

बीते पंचायत चुनाव के समय भी किसी तरह का विवाद नहीं हुआ। भगत सिंह धाकड़ सरपंच का चुनाव लड़ना चाहते थे, पर जब उन्हें पता चला कि चौन सिंह यादव ने इस पद के पर्चा भरा है तो उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। परिणामस्वरूप चौन सिंह सरपंच निर्वाचित हुए।

सरपंच सिंह ने बताया कि गांव की दुकानों पर तंबाकू से जुड़े उत्पाद न के बराबर ही बिकते हैं। गांव के पास चार-पांच साल पहले अवैध शराब की दुकान खुली थी, लेकिन लोगों ने उसे बंद करा दिया। लोग पर्यावरण को लेकर बहुत सजग हैं। परिवार में जन्मदिन और पूर्वजों की याद में गांव का हर व्यक्ति एक पौधा लगाता है। इससे गांव काफी हरा-भरा हो गया।

भुलाय गांव के लोगों की पहल पर गायत्री परिवार के मुखिया प्रणव पंड्या का कहना है कि गायत्री परिवार सामजिक नव-क्रांति का कार्य कर रहा है। उत्तराखंड के भोगपुर, उत्पाल्टा से लेकर देश के हर राज्य में कार्य हो रहे हैं। भोपाल के समीप इमलिया में भी इस प्रकार का कार्य हो रहा है।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष पंड्या की अध्यक्षता में इमलिया गांव में राष्ट्रीय गौ-विज्ञान कार्यशाला का आयोजन हुआ था। तभी से यहां पर गौमूत्र तथा इससे संबंधित कई पदार्थो से कई तरह की दवाइयां बनाना सिखाई जाती हैं। इस हुनर को सिखने के बाद कई महिलाओं ने अपना खुद का रोजगार स्थापित किया है।

अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख का कहना है कि गौ-संरक्षण, गौ-पालन, गौ-संवर्धन सबका कर्तव्य है। गौ-सेवा के साथ पंचगव्य आधारित उत्पादों की दिशा में भी कार्य होने चाहिए। बदली हुई गांव की तस्वीर आने वाले दिनों में समाज की तस्वीर बदलेगी।

Sunday, 20 March 2016 00:00

मप्र : बालाघाट व सिंगरौली को एक अरब रुपये की जरूरत

भोपाल, 20 मार्च (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिले रहे बालाघाट और सिंगरौली की अवसंरचना विकास के लिए स्कीम फॉर स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्च र के तहत एक अरब रुपये की जरूरत है। राज्य के गृह एवं जेल मंत्री बाबूलाल गौर ने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर यह राशि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया।

जनसंपर्क विभाग द्वारा रविवार को जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि गौर ने गृहमंत्री राजनाथ से मुलाकात के दौरान कहा कि दोनों जिलों में एसआईएस योजना में प्रस्तावित कार्यो में सौ करोड़ रुपये की जरूरत है, जिनमें नवीन सड़क कार्य निर्माण, मोबाइल टावरों की स्थापना, नवीन चौकियों की स्थापना एवं अपग्रेडेशन शामिल है। इससे सुरक्षा बलों के आवागमन और सुगम संचार व्यवस्था रहेगी।

गौर ने कहा कि पूर्व में यह जिले नक्सल प्रभावित जिले थे और इन्हें केंद्र से मदद मिलती थी। इन जिलों में आधारभूत बुनियादी अवसंरचना का निर्माण किया जाना है, जिसमें सड़क और अन्य कार्य शामिल हैं, जिसके लिए सौ करोड़ की जरूरत है।

गौर ने कहा कि बालाघाट और सिंगरौली पड़ोसी राज्यों के नक्सल प्रभावित क्षेत्र से जुड़े हैं और यहां पर नक्सलियों की आवागमन संबंधी सूचनाएं भी मिलती हैं। ऐसे में इन जिलों के लिए भारत सरकार से दो भारत रक्षित वाहिनी के गठन का अनुरोध किया गया था।

इनमें से जिला बालाघाट के लिए एक अतिरिक्त भारत रक्षित वाहिनी की स्वीकृति वर्ष 2014 में दी गई थी। इसका गठन किया जा रहा है। इस संबंध में अनुरोध है कि सिंगरौली के लिए भी एक और भारत रक्षित वाहिनी के गठन स्वीकृति दी जाए।

गौर ने प्रदेश में केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती पर होने वाले संपूर्ण व्यय को भारत सरकार द्वारा किए जाने का अनुरोध किया। प्रदेश में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में वर्ष 2007 से सीआरपीएफ की तैनाती पर राज्य से 226 करोड़ रुपये की मांग प्रस्तावित है।

उन्होंने कहा कि भविष्य में नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सीआरपीएफ की तैनाती पर होने वाले व्यय से राज्य को मुक्त रखा जाए। उन्होंने छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्य के प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में नक्सल समस्या को देखते हुए एसआईएस योजना जारी रखने का आग्रह किया।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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Sunday, 20 March 2016 00:00

छग : नि:शक्त जोड़ों को 1 लाख की मदद

एकान्त प्रिय चौहान
रायपुर, 20 मार्च (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ विधानसभा में महिला एवं बाल विकास विभाग तथा समाज कल्याण विभाग की एक हजार 85 करोड़ रुपये की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दी गईं।

महिला एवं बाल विकास विभाग के लिए एक हजार छह करोड़ 20 लाख नौ हजार रुपये समाज कल्याण विभाग के लिए 78 करोड़ 79 लाख 93 हजार रुपये का बजट प्रावधान शामिल हैं।

अनुदान मांगों पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री रमशीला साहू ने कहा कि वर्तमान में गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों में टेक होम राशन पद्धति के तहत 'रेडी टू ईट फूड' प्रदान किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अब आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं को महतारी जतन योजना के तहत स्वादिष्ट और पौष्टिक गर्म भोजन भी दिया जाएगा। इस योजना के लिए वर्ष 2016.17 के बजट में 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसी तरह अब मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत 3 से 6 वर्ष आयु के बच्चों को सप्ताह में एक दिन सुगंधित मीठा दूध दिया जाएगा।

इस योजना से लगभग नौ लाख बच्चे लाभान्वित होंगे। वर्ष 2016.17 के बजट में इस योजना के लिए भी 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

मंत्री ने बताया कि प्रदेश के जरूरतमंद बच्चों और महिलाओं के विकास एवं संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार प्रतिबद्ध है। जहां वर्ष 2003 में विभाग का बजट 149 करोड़ 41 लाख रुपये था, जो बढ़कर अब 1902 करोड़ 25 लाख रुपये हो चुका है।

आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से हितग्राहियों को गुणवत्तायुक्त पूरक पोषण आहार प्रदान करने के लिए 450 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों में पौष्टिक पूरक पोषण आहार का वितरण प्रदेश से कुपोषण और एनीमिया को कम करने में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।

उन्होंने कहा कि विगत दस वर्षों में कुपोषण के स्तर में करीब 17 प्रतिशत की कमी आई है और हम कुपोषण स्तर को 30 प्रतिशत से नीचे लाने में सफल हुए हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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लंदन, 20 मार्च (आईएएनएस)। अगर कोई व्यक्ति दृढ़ संकल्प कर ले, तो वह दुनिया का कठिन से कठिन काम भी कर सकता है। अभी तक तो यह हौसला बढ़ाने का एक जुमला मात्र था। लेकिन, अब इस जुमले पर वैज्ञानिकों ने भी अपनी मुहर लगा दी है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक समय तक कठिन कार्य करने से मस्तिष्क को चुनौती मिलती है और इससे मस्तिष्क में लंबे समय से मौजूद तमाम बाधाओं को दूर किया जा सकता है।

पोलैंड की जगेल्लोनियन यूनिवर्सिटी में हुए इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता मारसिन स्वैड बताते हैं, "हम सभी अपने मस्तिष्क को स्वचालित करने में सक्षम है, अगर हम संबंधित काम को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हों। "

उन्होंने बताया कि परिणामों से पता चला है कि हम मस्तिष्क में सक्रियता लाते हुए उसे अधिक लचीला बना सकते हैं, जिससे मस्तिष्क के अलग-अलग भागों में लचीलापन और अपनी मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।

इस शोध के लिए नौ महीने की अवधि के दौरान 29 प्रतिभागियों की आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें ब्रेल पढ़ना सिखाया गया। निष्कर्षो के अनुसार, इस दौरान उन लोगों की पढ़ने की गति 17 शब्द प्रति मिनट रही।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह निष्कर्ष मानव मस्तिष्क के कार्यात्मक संगठन को लेकर दृष्टिकोण का पुनर्मूल्यांकन करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि मानव मस्तिष्क अन्य जीवों के मस्तिष्क की तुलना में अधिक लचीला होता है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।


Sunday, 20 March 2016 00:00

मप्र में मुख्यमंत्री आवास पर मोमबत्ती की रोशनी में काम

भोपाल, 20 मार्च (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में राजधानी भोपाल स्थित मुख्यमंत्री आवास में शनिवार की रात को एक घंटे बिजली का उपयोग नहीं हुआ और सारा काम मोमबत्ती की रोशनी में चलता रहा। ऐसा 'अर्थ अवर' अभियान में भागीदारी के तहत हुआ।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भविष्य के लिए ऊर्जा और पृथ्वी बचाने के विश्व अभियान 'अर्थ अवर' में शनिवार को भागीदारी की। उन्होंने जरूरी कामकाज मोमबत्ती की रोशनी में निपटाए।

जनसंपर्क विभाग की ओर से रविवार को जारी बयान में कहा गया है कि 'अर्थ अवर' के दौरान रात 8.30 बजे से रात 9.30 बजे तक एक घंटे मुख्यमंत्री आवास पर बिजली का उपयोग नहीं किया गया।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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एकान्त प्रिय चौहान

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की मंजू, उत्तरा, दीक्षा और सीता के पैरों में भले जान नहीं है, लेकिन तलवारबाजी में इनका कोई जवाब नहीं। अरुणा का भी एक हाथ नहीं है, लेकिन उसने भी तलवारबाजी में कई पदक हासिल कर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है।

इसी तरह ममता भी दोनों पैरों से नि:शक्त है, लेकिन तैराकी में अच्छे-अच्छों को मात देती है। उसने तैराकी की विभिन्न स्पर्धाओं में राष्ट्रीय स्तर पर कई जीत हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है।

शारीरिक अक्षमता भी इनके हौसलों को हिला नहीं पाई, तभी तो राष्ट्रीय स्तर की तलवारबाजी और तैराकी की विभिन्न स्पर्धाओं में उन्होंने अपना एक गौरवपूर्ण मुकाम हासिल किया है।

बीए प्रथम वर्ष की छात्रा दीक्षा तिवारी ने बताया कि तलवारबाजी की विभिन्न राष्ट्रीय स्पर्धाओं में उसने कुल पांच स्वर्ण पदक हासिल किए हैं। अभी वह कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर सीखने के लिए आश्रय दत्त कर्मशाला के अंतर्गत जिला मुख्यालय बिलासपुर के तिलक नगर स्थित नि: शुल्क प्रशिक्षण केंद्र में कम्प्यूटर का प्रशिक्षण ले रही है।

दीक्षा ने बताया कि वह ट्राय सायकल से रोज कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र जाती है। वह अपने सारे दैनिक कार्य स्वयं पूरा करती है। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह खुद अपना कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र खोलना चाहती है।

मंजू यादव राष्ट्रीय स्तर पर एक रजत पदक और एक कांस्य पदक जीत चुकी है। इसी प्रकार एम.ए. अंतिम वर्ष की छात्रा उत्तरा नारंग ने तलवारबाजी की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दो स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक हासिल किए।

वहीं कक्षा 12वीं की छात्रा सीता साहू ने राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वर्ण, एक-रजत और एक कांस्य पदक, बी.ए. द्वितीय वर्ष की छात्रा अरुणा रावतकर ने राष्ट्रीय स्तर की तलवारबाजी प्रतियोगिताओं में तीन स्वर्ण पदक और एक कांस्य पदक हासिल किया है।

बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा ममता मिश्रा तैराकी की अलग-अलग कलाओं जैसे-बटर फ्लाई, बैक स्ट्रोक, ए फ्री स्टाइल में माहिर है। ममता ने अब तक तैराकी की विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पांच स्वर्ण, तीन रजत और दो कांस्य पदक जीता है। वह आगे चलकर शिक्षक बनना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि बिलासपुर जिले की रहने वाली इन हुनरमंद छात्राओं को अभी हाल ही में आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने यहां राजधानी रायपुर स्थित इंडोर स्टेडियम में राज्य स्तरीय महिला सम्मेलन में सम्मानित किया था। कहने को तो ये किशोरियां नि:शक्त हैं, लेकिन आज समाज के लिए प्रेरणा बन गई हैं।

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संदीप पौराणिक

देश में इन दिनों 'भारत माता की जय' पर जिरह छिड़ी हुई है इतना ही नहीं जय के आधार पर ही देशभक्त और देशद्रोही तय किए जा रहे हैं, मगर बुंदेलखंड के झांसी जिले में 'वीरा' एक ऐसा गांव है, जहां होली के मौके पर हिंदू ही नहीं, मुसलमान भी देवी के जयकारे लगाकर गुलाल उड़ाते हैं।

झांसी के मउरानीपुर कस्बे से लगभग 12 किलोमीटर दूर है वीरा गांव। यहां हरसिद्घि देवी का मंदिर है। यह मंदिर उज्जैन से आए परिवार ने वर्षो पहले बनवाया था, इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा भी यही परिवार अपने साथ लेकर आए थे।

मान्यता है कि इस मंदिर में आकर जो भी मनौती (मुराद) मांगी जाती है, वह पूरी होती है।

क्षेत्र के पूर्व विधायक प्रागीलाल बताते हैं कि वीरा गांव में होली का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है, यहां होलिका दहन से पहले ही होली का रंग चढ़ने लगता है, मगर होलिका दहन के एक दिन बाद यहां की होली सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देने वाली होती है।

जिसकी मनौती पूरी होती है, वे होली के मौके पर कई किलो व क्विंटल तक गुलाल लेकर हरसिद्धि देवी के मंदिर में पहुंचते हैं। यही गुलाल बाद में उड़ाया जाता है।

प्रागीलाल का कहना है कि इस होली में हिंदुओं के साथ मुसलमान भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और देवी के जयकारे भी लगाते हैं। होली के मौके पर यहां का नजारा उत्सवमय होता है, क्योंकि लगभग हर घर में मेहमानों का डेरा होता है, जो मनौती पूरी होने के बाद यहां आते हैं।

स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार अशोक गुप्ता ने बताया कि बुंदेलखंड सांप्रदायिक सदभाव की मिसाल रहा है। यहां कभी धर्म के नाम पर विभाजन रेखाएं नहीं खिंची हैं। होली के मौके पर वीरा में आयोजित समारोह इस बात का जीता जागता प्रमाण है।

यहां फाग (जिसे भोग की फाग कहा जाता है) के गायन की शुरुआत मुस्लिम समाज का प्रतिनिधि ही करता रहा है, उसके गायन के बाद ही गुलाल उड़ने का क्रम शुरू होता रहा है। अब सभी समाज के लोग फाग गाकर होली मनाते हैं। इसमें मुस्लिम भी शामिल होते हैं।

व्यापारी हरिओम साहू के मुताबिक, होली के मौके पर इस गांव के लोग पुराने कपड़े नहीं पहनते, बल्कि नए कपड़ों को पहनकर होली खेलते हैं, क्योंकि उनके लिए यह खुशी का पर्व है।

सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह होली को बुंदेलखंड के लोगों के लिए सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक समरसता का पर्व बताते हैं। उनका कहना है कि होली ही एक ऐसा त्योहार है, जब यहां के लोग सारी दूरियों और अन्य कुरीतियों से दूर रहते हुए एक दूसरे के गालों पर गुलाल और माथे पर तिलक लगाते हैं। वीरा गांव तो इसकी जीती-जागती मिसाल है।

बुंदेलखंड के वीरा गांव की होली उन लोगों के लिए भी सीख देती है, जो धर्म और जय के नाम पर देश में देशभक्त और देशद्रोह की बहस को जन्म दे रहे हैं। अगर देश का हर गांव और शहर 'वीरा' जैसा हो जाए, तो विकास और तरक्की की नई परिभाषाएं गढ़ने से कोई रोक नहीं सकेगा।

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Sunday, 20 March 2016 00:00

उत्तर प्रदेश में आलू से महंगा बिक रहा भूसा!

विद्या शंकर राय

उत्तर प्रदेश में 50 जिले सूखे से प्रभावित हैं। वहीं सूखे की मार झेल रहे इन जिलों में अब पशुपालकों के सामने पशुओं के चारे का संकट पैदा हो गया है। मौसम की बेरुखी के चलते इस बार भी चारे के संकट से छुटकारा मिलना असंभव है।

पशुधन एवं पशुपालन विभाग के अनुसार, हालांकि गर्मियों में हरे चारे की व्यवस्था के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

पशुपालन विभाग के सूत्रों की मानें तो हरे चारे की किल्लत व भूसे की बढ़ती कीमतों ने पशुपालकों की कमर तोड़ दी है। आलम यह है कि भूसा आलू से महंगा बिक रहा है। आलू जहां 800 से 900 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, वहीं भूसा 1000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक दाम पर बेचा जा रहा है।

विभाग के एक अधिकारी ने आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि सूखे की वजह से हरे चारे बरसीम, रिजका, जई व चूरी की कमी की वजह से भूसे की मांग में वृद्धि हुई है।

उन्होंने बताया, "पिछले रवि के सीजन में ओला व अतिवृष्टि की वजह से गेंहू की फसल को नुकसान हुआ था। इससे भी भूसे का संकट पैदा हो गया। भूसे का इस्तेमाल पेपर उद्योग में होने से भी उसकी कीमतें बढ़ती हैं।"

विभाग के सूत्रों की मानें तो सूखे को देखते हुए आने वाले दिनों में भी भूसे और हरे चारे के संकट से छुटकारा पाना आसान नहीं दिख रहा है। पशुचारे का संकट देशव्यापी है, क्योंकि लगभग 20 करोड़ पशुओं के सापेक्ष आधा चारा ही उपलब्ध है।

विभाग के मुताबिक, केंद्र सरकार की समिति ने हाल ही में एक रिपोर्ट दी है जिसमें बताया गया है कि देश में हरे चारे और भूसे का संकट है। देश में शुष्क चारे का 40 प्रतिशत, हरे चारे का 36 फीसदी और पूरक आहार की 57 फीसदी कमी है।

कृषि वैज्ञानिक चंद्रकात पांडेय ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि पिछले सत्र में गेहूं का पौधा कमजोर रहा और लंबाई भी पहले की अपेक्षा 10 फीसदी घटी है। इसकी वजह से भूसे का संकट पैदा हुआ है।

उन्होंने बताया कि भूसे की कमी को पूरा करने के लिए किसानों को पुआल का प्रयोग करना पड़ता है। लेकिन यह पशुओं के लिए लाभकारी साबित नहीं होता।

विभाग के सूत्रों के मुताबिक, बुंदेलखंड में पशुओं के चारे की कमी की स्थिति और भयावह है। इससे निपटने के लिए सरकार की तरफ से भूसा और शुष्क चारे की खरीद की योजना लागू की है। इस वजह से भी अन्य क्षेत्रों में उपलब्ध भूसा बुंदेलखंड में भेजा जाएगा।

उप्र पशुधन विकास परिषद के कार्यकारी अधिकारी बीबीएस यादव के मुताबिक, पशुओं के लिए वर्ष भर हरे चारे की व्यवस्था करने के लिए बरसीम, जई और ज्वार जैसे बीज किसानों को उपलब्ध कराए जाते हैं। इससे किसानों को काफी लाभ मिलता है।

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भोपाल, 19 मार्च (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में खरगोन जिले के दो युवकों को सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की तस्वीर से छेड़छाड़ कर उसे शेयर करने पर गिरफ्तार किए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। पुलिस की इस कार्रवाई का चौतरफा विरोध हो रहा है और इसे आपातकाल की याद दिलाने वाला कृत्य करार दिया जा रहा है।

हिंदू भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाते हुए गोगावां थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने भीकनगांव निवासी शाकिर यूनिस बंठिया (22) और खरगोन के वसीम शेख (21) को गुरुवार को गिरफ्तार किया।

इन पर आरोप है कि उन्होंने मोहन भागवत की तस्वीर से छेड़छाड़ कर उसे साझा किया, जिसमें चेहरा तो भागवत का है, मगर निचला हिस्सा एक महिला का है, जिसमें महिला को टॉप और कत्थई रंग की लैगिंग को पहने दिखाया गया है। यह छेड़छाड़ वाली तस्वीर संघ में ड्रेसकोड में बदलाव के एलान के बाद आई ।

इन दोनों युवकों के खिलाफ रजनीश निंबालकर द्वारा गोगावां थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी, इस शिकायत पर पुलिस ने यूनिस को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 और भारतीय दंड विधान की धारा 505 (दो) और वसीम को धारा 151 के तहत प्रकरण दर्ज कर गुरुवार को गिरफ्तार किया और बाद में रिहा कर दिया।

खरगोन के पुलिस अधीक्षक अमित सिंह ने शनिवार को आईएएनएस से कहा कि दोनों युवकों को रिहा कर दिया गया है। भागवत के चेहरे वाली जो तस्वीर बनाई गई है, उसमें निचला हिस्सा महिला का है, जो सेक्स अपील कर रहा है, इस तस्वीर से दो वर्गो में मनमुटाव की संभावना है, इसी के चलते प्रकरण दर्ज किया गया।

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रदेश सचिव बादल सरोज ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा है कि आरएसएस द्वारा ड्रेसकोड में बदलाव किए जाने के बाद से सोशल मीडिया पर अनेक कार्टून वायरल हो रहे हैं। दो युवकों ने एक तस्वीर फेसबुक पर साझा किया, जिस पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया जो अवैधानिक चाटुकारिता और प्रशासन के दुरुपयोग का निर्लज्ज नमूना है।

उन्होंने कहा कि यह आपातकाल (इमरजेंसी) के नाम पर थोपी गई तानाशाही के समय की याद दिलाने वाला कृत्य है। यह कैसा संगठन, विचार या सरकार है, जिन्हें कार्टून तक से डर लगता है।

एमनेस्टी इंटरनेशन इंडिया ने भी खरगोन पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है। एमनेस्टी के कैंपेनर अभीर वी.पी. ने दोनों युवकों पर दर्ज प्रकरण वापस लेने की मांग की है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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खरी बात

भगत सिंह का सपना और आजादी

विवेक दत्त मथुरिया 23 मार्च को पूरा देश भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को आजादी के लिए उनकी शहादत के लिए याद करता है। बड़ा सवाल यह है कि क्या...

आधी दुनिया

18 मार्च, विश्व निद्रा दिवस: बैरन नींद न आए..महिलाओं में अनिद्रा की समस्या

नई दिल्ली, 17 मार्च (आईएएनएस)। अनिद्रा और कम नींद उन समस्याआंे में से है जिनसे महिलाएं अक्सर ग्रस्त रहती हैं। एक अनुमान के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में...

जीवनशैली

तनावाग्रस्त व्यक्ति को महिला साथी के प्रति संवेदनशील बनाता है 'लव हार्मोन'

लंदन, 21 मार्च (आईएएनएस)। 'लव हार्मोन' कहे जाने वाले ऑक्सीटोसिन को गंभीर आघात या ऑपरेशन के बाद तनाव से ग्रस्त (पीटीएसडी) मरीजों को दिए जाने पर उनमें महिलाओं के प्रति...