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सच है, हौसलों से ही होती है उड़ान Featured

एकान्त प्रिय चौहान

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की मंजू, उत्तरा, दीक्षा और सीता के पैरों में भले जान नहीं है, लेकिन तलवारबाजी में इनका कोई जवाब नहीं। अरुणा का भी एक हाथ नहीं है, लेकिन उसने भी तलवारबाजी में कई पदक हासिल कर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है।

इसी तरह ममता भी दोनों पैरों से नि:शक्त है, लेकिन तैराकी में अच्छे-अच्छों को मात देती है। उसने तैराकी की विभिन्न स्पर्धाओं में राष्ट्रीय स्तर पर कई जीत हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है।

शारीरिक अक्षमता भी इनके हौसलों को हिला नहीं पाई, तभी तो राष्ट्रीय स्तर की तलवारबाजी और तैराकी की विभिन्न स्पर्धाओं में उन्होंने अपना एक गौरवपूर्ण मुकाम हासिल किया है।

बीए प्रथम वर्ष की छात्रा दीक्षा तिवारी ने बताया कि तलवारबाजी की विभिन्न राष्ट्रीय स्पर्धाओं में उसने कुल पांच स्वर्ण पदक हासिल किए हैं। अभी वह कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर सीखने के लिए आश्रय दत्त कर्मशाला के अंतर्गत जिला मुख्यालय बिलासपुर के तिलक नगर स्थित नि: शुल्क प्रशिक्षण केंद्र में कम्प्यूटर का प्रशिक्षण ले रही है।

दीक्षा ने बताया कि वह ट्राय सायकल से रोज कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र जाती है। वह अपने सारे दैनिक कार्य स्वयं पूरा करती है। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह खुद अपना कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र खोलना चाहती है।

मंजू यादव राष्ट्रीय स्तर पर एक रजत पदक और एक कांस्य पदक जीत चुकी है। इसी प्रकार एम.ए. अंतिम वर्ष की छात्रा उत्तरा नारंग ने तलवारबाजी की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दो स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक हासिल किए।

वहीं कक्षा 12वीं की छात्रा सीता साहू ने राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वर्ण, एक-रजत और एक कांस्य पदक, बी.ए. द्वितीय वर्ष की छात्रा अरुणा रावतकर ने राष्ट्रीय स्तर की तलवारबाजी प्रतियोगिताओं में तीन स्वर्ण पदक और एक कांस्य पदक हासिल किया है।

बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा ममता मिश्रा तैराकी की अलग-अलग कलाओं जैसे-बटर फ्लाई, बैक स्ट्रोक, ए फ्री स्टाइल में माहिर है। ममता ने अब तक तैराकी की विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पांच स्वर्ण, तीन रजत और दो कांस्य पदक जीता है। वह आगे चलकर शिक्षक बनना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि बिलासपुर जिले की रहने वाली इन हुनरमंद छात्राओं को अभी हाल ही में आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने यहां राजधानी रायपुर स्थित इंडोर स्टेडियम में राज्य स्तरीय महिला सम्मेलन में सम्मानित किया था। कहने को तो ये किशोरियां नि:शक्त हैं, लेकिन आज समाज के लिए प्रेरणा बन गई हैं।

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  • लाइब्रेट लैब प्लस यानी ऑनलाइन जांच सुविधा
    नई दिल्ली, 7 मई (आईएएनएस)। ऑनलाइन डॉक्टरी परामर्श प्लेटफार्म लाइब्रेट ने 'लाइब्रेट लैब प्लस' लांच किया है, जो लोगों को डॉक्टरों से ऑनलाइन सलाह लेने, घर पर ही आवश्यक जांच करवाने और सीधे डॉक्टर के पास रिपोर्ट भेजने की सुविधा देती है।

    डॉक्टरों ने बताया कि लैब टेस्ट के झमेले की वजह से 70 प्रतिशत लोग बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए लाइब्रेट ने यह व्यपारिक फैसला लिया है।

    उन्होंने बताया कि लाइब्रेट लैब प्लस की सेवाएं दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरू में शुरू हो गई हैं। अन्य शहरों में भी यह सेवा शुरू होने जा रही है।

    पूरे भारत के 80 शहरों में 100000 डॉक्टरों के साथ लाइब्रेट नई किस्म का 30 ऑनलाइन-ऑफलाइन मार्केट प्लेस तैयार कर रहा है।

    लाइब्रेट के संस्थापक तथा सीईओ सौरभ अरोड़ा का कहना है, "हमने देखा कि लैब टेस्ट की वजह से ऑनलाइन इलाज में रुकावट आती है और यह डॉक्टर से सलाह लेने का चक्र तोड़ देती है। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने लैब टेस्ट को अपने प्लेटफार्म में शामिल करने का फैसला किया।"

    उन्होंने कहा कि लाइब्रेट लैब प्लस लोगों तक सीधे ऑनलाइन कंसल्टेशन की सेवाएं पहुंचाकर उन्हें अपनी सेहत के बारे में जागरूक करने की दिशा में एक अहम कदम है। इस सेवा के जरिए टेस्ट की बुकिंग, सैंम्पल पिकअप और डॉक्टर के पास सीधे रिपोर्ट भेजने की सुविधा भी प्राप्त की जा सकती है।

    उन्होंने कहा कि उचित समय पर लैब की जांच दिल के रोगों, थायरॉयड, हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी लंबी बीमारियों का पता लगाने, बचाव करने और उनका इलाज करने में मदद करती है।

    सौरभ अरोड़ा ने बताया कि 'लाइब्रेट लैब प्लस' ब्लड शूगर, कंप्लीट ब्लड काउंट, लिपिड प्रोफाइल, लिवर फंक्शन टेस्ट और थॉयरायड प्रोफाइल सहित करीब 2500 लैब टेस्ट उपलब्ध करवाएगा।

    लाइब्रेट ने यह प्लेटफार्म जनवरी, 2015 में शुरू किया था, जिसकी मदद से टेक्स्ट चैट के जरिए डॉक्टर से सलाह ली जा सकती है। इसमें बाद में वॉयस और वीडियो कॉल की सुविधा भी दी गई।

    लाइब्रेट की हेल्थ फीड के अंतर्गत 400 विषयों पर डॉक्टरों द्वारा सलाह दी जाती है। डॉक्टरों के हेल्थ टिप्स लोगों को रोगों से बचाव के प्रति जागरूक कर रहे हैं और उन्हें स्वस्थ रहने के लिए भी उत्साहित कर रहे हैं।

    --आईएएनएस
  • मप्र के बुंदेलखंड को भी चाहिए सरकारों की दरियादिली
    संदीप पौराणिक
    भोपाल, 6 मई (आईएएनएस)। बुंदेलखंड सूखे और पानी की समस्या से जूझ रहा है। विडंबना है कि दो राज्यों में फैले इस क्षेत्र से सरकारें भी भेदभाव करने में पीछे नहीं हैं। क्षेत्र के लोगों को इंतजार है कि सरकारें कब उन पर भी दरियादिली दिखाएंगी।

    उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में खाद्य सामग्री मुफ्त मिल रही है। पानी देने का श्रेय लेने को दो सरकारें टकराने लगी हैं, मगर मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड पर किसी की नजर नहीं है।

    बुंदेलखंड में मध्यप्रदेश के छह और उत्तर प्रदेश के सात जिले आते हैं। इस तरह बुंदेलखंड 13 जिलों को मिलाकर बनता है। सभी जिलों की कमोबेश एक जैसी हालत है। सूखे की मार ने किसान से लेकर मजदूर तक की कमर तोड़कर रख दी है। खेत सूखे हैं, तालाबों और कुओं में पानी नहीं है, इंसान को अनाज और जानवर को चारे के लिए जूझना पड़ रहा है।

    सामाजिक कार्यकर्ता मनोज बाबू चौबे का कहना है कि पूरे बुंदेलखंड का बुरा हाल है, कई मामलों में तो उत्तर प्रदेश के हिस्से से ज्यादा बुराहाल मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड का है। पानी के लिए कई कई किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ रहा है।

    वे कहते हैं कि गांव के गांव उजड़ गए हैं, रोजगार का इंतजाम नहीं है, मगर राज्य और केंद्र सरकार मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड से बेरुखी बनाए हुए है, जो कई सवाल खड़े कर रही हैं। सरकारों का रवैया यह बताने लगा है कि अब वोट की चाहत सवरेपरि हो गई है।

    उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के सात जिलों में समाजवादी पार्टी की सरकार ने अंत्योदय परिवारों के लिए मुफ्त में राशन राहत पैकेट बांटना शुरू कर दिया है, वहीं केंद्र सरकार ने पानी मुहैया कराने के लिए ट्रेन तक भेज दी है, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकारने से मना कर दिया है, मगर मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के गरीबों पर न तो राज्य सरकार का ध्यान है और न ही केंद्र सरकार कुछ करती नजर आ रही है। मध्यप्रदेश और केंद्र में भाजपा की सरकार हैं।

    बुंदेलखंड के वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र व्यास का कहना है कि राजनीतिक दलों को सिर्फ चिंता चुनाव जीतने के लिए वोट हथियाने की रहती है। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाला है, लिहाजा वहां की सरकार ने बुंदेलखंड के गरीब परिवारों को राहत पैकेट बांटना शुरू किया है।

    वहीं दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की मांग के बिना ही पानी की ट्रेन भेज दी, ताकि यहां के लोगों का दिल जीता जा सके, जो विशुद्ध तौर पर राजनीति का हिस्सा नजर आता है। दोनों ही दल राजनीतिक लाभ के लिए अपने को बुंदेलखंड का हितैषी बताने में लगे हैं। वास्तव में किसी को भी बुंदेलखंड के लोगों की चिंता नहीं है, अगर चिंता है तो सिर्फ वोट बटोरने की।

    छतरपुर जिले के पंचायत प्रतिनिधि रहे राम कृष्ण का कहना है कि बुंदेलखंड सूखा कई वर्षो से पड़ता आ रहा है। इस बार हालत पिछले वर्षो से कहीं ज्यादा खराब है। ऐसे में सरकारों की जिम्मेदारी है कि वह इस क्षेत्र के लिए आवश्यक कदम उठाए। राजनीतिक लाभ की बजाय सरकारों को इस इलाके के लोगों की परेशानी को बेहतर तरीके से समझना होगा, नहीं तो यही जनता उन्हें सबक सिखाने मे पीछे नहीं रहेगी।

    उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के लोगों केा अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार और केंद्र सरकार की पहल ने मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के लोगों के मन-मस्तिष्क में एक सवाल जरूर खड़ा कर दिया है कि उनके साथ यह भेदभाव आखिर क्यों हो रहा है।

    उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड के लिए पानी की ट्रेन लेना नहीं चाहती और केंद्र सरकार जिद किए हुए है, वहीं मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड की केंद्र सरकार चर्चा तक नहीं कर रही। इतना ही नहीं, मध्यप्रदेश की सरकार ने भी कोई ऐसा कदम नहीं उठाया है जो बुंदेलखंड के लोगों के जख्मों को कम कर सके।

    --आईएएनएस
  • बीजिंग के संग्रहालय ने कराई प्राचीन अवशेषों की खोज

    बीजिंग, 6 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। बीजिंग के 'फॉरबिडेन सिटी' पैलेस संग्रहालय ने युआन राजवंश (1271-1368) के इमारतों के अवशेष की खोज कराई है। शोधकर्ताओं ने 600 से भी अधिक साल पहले के इस संग्रहालय में काम करने के दौरान यह खोज की है। इसे आधिकारिक रूप से पैलेस संग्रहालय कहा जाता है।

    संग्रहालय के पुरातत्व विभाग के प्रमुख ली जी ने बताया कि मिंग और किंग के राजवंशों (1368-1911) द्वारा इस्तेमाल के किए इस पूर्व शाही महल की नींव के नीचे मिले यह अवशेष युआन राजवंश के काल के हो सकते हैं।

    यह महल परिसर चीनी सम्राटों के घर और 1420 से 1911 के बीच सत्ता का सर्वोच्च केंद्र था।

    उन्होंने बताया कि यह नए निष्कर्ष महल के इतिहास और प्राचीन बीजिंग के अभिन्यास को समझने में मदद करेंगे।

    --आईएएनएस

  • सिंहस्थ कुंभ में तबाही के बाद पीड़ितों के बीच पहुंचे शिवराज

    उज्जैन, 6 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ में गुरुवार को चक्रवाती हवाओं और बारिश ने जमकर ताबाही मचाई, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया। साथ ही वे स्वयं हालात का जायजा लेने शुक्रवार को उज्जैन पहुंच गए।

    उज्जैन में गुरुवार को चक्रवाती हवाओं और बारिश से मंगलनाथ और चिंतामन क्षेत्र में कई पंडाल धराशायी हो गए थे। इससे अफरा-तफरी मच गई थी। इस आपदा में सात लोगों की मौत हो गई और 60 से ज्यादा अन्य लोग घायल हैं।

    मुख्यमंत्री चौहान ने हादसे पर दु:खद जताते हुए मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मामूली रूप से घायलों को 25 हजार रुपये की तत्काल सहायता दी जाएगी और सरकार घायलों के उपचार का पूरा खर्च भी उठाएगी।

    चौहान शुक्रवार की अल सुबह उज्जैन पहुंचे। वर्षा और आंधी से प्रभावित इलाकों में जाकर उन्होंने साधु-संतों से चर्चा की और उन्हें सरकार की ओर से पूरा सहयोग करने की बात कही। उन्होंने मेला क्षेत्र में आंधी और वर्षा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए मंगलनाथ क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए।

    मंगलनाथ मेला क्षेत्र के निरीक्षण के बाद चौहान ने संबधित अधिकारियों को शनिवार तक मंगलनाथ क्षेत्र को पुन: स्थापित करने और वर्तमान हालात को बदलने के निर्देश दिए। उन्होंने साधु-संतों को पर्याप्त आवश्यक खाद्य सामग्री हर हाल में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

    --आईएएनएस

  • आंधी के बाद बदल गया सिंहस्थ कुंभ मेले का नाजारा

    उज्जैन, 6 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के दौरान गुरुवार को आंधी के बीच हुई तेज बारिश ने पलभर में यहां का नजारा बदल दिया। आकर्षक पंडाल और भव्य द्वार कुछ पलों में ही पत्तों की तरह बिखर गए और पंडालों के भीतर मौजूद श्रद्धालुओं में अपनी जान बचाने की होड़ मच गई।

    उज्जैन में 22 अप्रैल से इस शताब्दी का दूसरा सिंहस्थ कुंभ शुरू हुआ है। इस धार्मिक समागम में सरकार ने पांच करोड़ लोगों के आने का अनुमान लगाते हुए सारी व्यवस्थाएं की थी। तमाम अखाड़ों के साथ साधु-संतों और श्रद्घालुओं के लिए सामाजिक संस्थाओं ने पंडाल बनाए थे।

    कुंभ मेला क्षेत्र में गुरुवार की शाम तक हर तरफ तंबू, टेंट और उन पर फहराती पताकाएं ही नजर आती थीं, पर शुक्रवार सुबह का नजारा एकदम जुदा है। पंडालें पूरी तरह तहस नहस हैं, सड़कों पर पानी और कीचड़ हैं जो अमावस्या पर स्नान करने आने वाले श्रद्घालुओं के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।

    मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हालात का जायजा लेने के बाद शुक्रवार को अफसरों से कहा है कि हिम्मत नहीं हारना है, बल्कि इस आपदा के समय में भी कार्य करके दिखाना है। उन्होंने मेला क्षेत्र के टूटे हुए टेन्ट और अन्य सामग्री को अलग कर उसे पुन: स्थापित करने के निर्देश दिए।

    मुख्यमंत्री ने मेला क्षेत्र से कीचड़ को साफ करने और गंदे नालों को साफ करने के लिए सक्शन मशीन की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।

    वहीं, अस्पताल में भर्ती श्रद्घालु गुरुवार देर शाम के घटनाक्रमों को याद कर सहम जाते हैं। उनका कहना है कि वे पंडाल के अंदर थे, अचानक तेज हवा चली और बारिश शुरू हो गई। देखते ही देखते पंडाल गिर गया, जो अंदर थे वे अपना सब सामान छोड़कर बाहर भागे। लोगों ने जैसे तैसे अपनी जान बचाई। एक घायल ने कहा, "यह तो महाकाल की कृपा है कि हम बच गए।"

    एक घायल महिला ने बताया कि उसके सिर में चोट लगी है, मगर वह तो भगवान की कृपा से बच गई। वह पंडाल के भीतर थीं, तभी पूरा पंडाल गिर गया। वह और उसके साथ कई अन्य महिलाएं भी दब गई थीं। किसी तरह वे बाहर निकल पाईं। आंधी इतनी तेज थी कि कुछ ही देर में पंडालें गिरने लगे और स्वागत द्वार धराशायी हो गए।

    ज्ञात हो कि गुरुवार की शाम को चली तेज हवाओं और बारिश ने उज्जैन में जमकर तबाही मचाई। सात लोगों की मौत हो गई और 60 से ज्यादा लोग घायल हुए। घायलों का अस्पताल में इलाज जारी है।

    --आईएएनएस

  • केजरीवाल की तरह किसी पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा : श्री एम

    रीतू तोमर
    नई दिल्ली, 5 मई (आईएएनएस)। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पैदल यात्रा कर शांति एवं सद्भावना का संदेश फैला चुके केरल के आध्यात्मिक गुरु श्री एम अब 'आशा यात्रा' के दूसरे चरण में कन्याकुमारी से कोहिमा तक की पदयात्रा का खाका तैयार करने की योजनाओं में जुटे हैं।

    आध्यात्मिक मार्गदर्शक, समाज सुधारक, शिक्षाविद् और मानव एकता मिशन के संस्थापक श्री एम ने आईएएनएस के साथ खास बातचीत में उनके राजनीति में शामिल होने की संभावना, आशा यात्रा के दूसरे चरण और देश में 'हाफ विडो' की दशा में सुधार की योजनाओं पर चर्चा की।

    श्री एम ने जनवरी 2015 से कन्याकुमारी से कश्मीर तक 11 राज्यों से होते हुए पैदल आशा यात्रा का शुभारंभ किया था। यात्रा शुरू होने तक स्वयं श्री एम को अनुमान नहीं था कि उनका कारवां बढ़ता चला जाएगा।

    उन्होंने बताया, "इस यात्रा में चार समूहों में 40 से 60 लोग साथ चले। यात्रा में कभी 200 से कम लोग नहीं रहे। कभी-कभी यह संख्या हजारों तक पहुंच जाती। हमने बारिश, धूप और ठंड में हर मुश्किल घड़ी में अपनी यात्रा जारी रखी।"

    देश में 11 राज्यों से पूर्ण हुई इस 7,500 किलोमीटर लंबी यात्रा का उद्देश्य देश में शांति एवं सद्भाव का विकास करना था।

    आशा यात्रा को सफल बताते हुए श्री एम कहते हैं, "यह सिर्फ यात्रा नहीं थी। अभी हमें समाज में सुधार लाने की दिशा में बहुत कुछ करना है। यह पदयात्रा समाज में फैली असहिष्णुता और विभाजनकारी परिस्थितियों के मूल कारण को ढूंढ निकालने और उन्हें हटाकर देश की स्वाभाविक आध्यात्मिकता को पुनस्र्थापित करने का प्रयास है।"

    असहिष्णुता के मुद्दे पर वह कहते हैं, "पहले किसी भी क्षेत्र में मुस्लिम नाम के साथ शोहरत एवं दौलत बटोरनी मुश्किल होती थी, लेकिन आजकल खान, अनवर, अली नाम से कुछ फर्क नहीं पड़ता। लोग आपको हाथों हाथ स्वीकार कर लेते हैं। इससे बड़ा सहिष्णुता का प्रतीक क्या हो सकता है।"

    समाज सुधारकों और कार्यकर्ताओं के राजनीति में प्रवेश करने के चलन पर श्री एम ने कहा, "मैं एक आध्यात्मिक व्यक्ति हूं। अरविंद केजरीवाल की तरह राजनीति में प्रवेश का मेरा कोई इरादा नहीं है। मुझे समाज के लिए बहुत कुछ करना है।"

    उनका हिंदू-मुसलमान भेदभाव पर अपना अलग ही अनुभव है। वह कहते हैं, "देश में विशेष रूप से कश्मीर में हिंदू-मुसलमान की जो खाई दिखाई जाती है, वह है नहीं। यह मेरा स्वयं का अनुभव है। कश्मीर में हिंदू-मुसलमान जिस तरह से रहते हैं, कोई जाकर देख ले तो यह भेदभाव की धारणा ही खत्म हो जाएगी।"

    श्री एम आशा यात्रा के दूसरे चरण का खाका तैयार कर रहे हैं। अपनी इस पैदल यात्रा में देश के पूर्वी हिस्सों में जाने से वंचित रहने की वजह से वह कन्याकुमारी से कोहिमा तक की पैदल यात्रा पर काम कर रहे हैं।

    इस संबंध में सभी स्वयंसेवियों के साथ नवंबर में बैठक होगी। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट अगले कुछ महीनों में बेंगलुरू में शुरू किया जाएगा।

    --आईएएनएस

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