दूरियां मिटाते हैं व्यंजन : शेफ गास्टन
गास्टन ने इस सप्ताह स्पेन पुरस्कार वितरण समारोह में हिस्सा लिया था, जिसमें उन शेफ को पुरस्कृत किया गया जिन्होंने अपने व्यंजनों को समाज में बदलाव के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि संस्कृति का आदान-प्रदान कभी नहीं रुकना चाहिए।
गास्टन के पहले रेस्तरां 'मैडम तुसान' को 2013 में प्रतिष्ठित ब्रिटिश पत्रिका 'रेस्टोरेंट' ने लैटिन अमेरिका का सर्वश्रेष्ठ रेस्तरां चुना।
गास्टन अपने व्यंजनों और रेस्तरां के जरिए संस्कृति के आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं। उनके मुताबिक, पेरू के व्यंजन उनकी प्रेरणा के मुख्य स्रोत हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
विश्व धरोहर संबंधित सिफारिश वापस लेगा जापान
जापान टाइम्स की रपट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के सलाहकार पैनल ने बीते महीने जापान से नागासाकी और कुमामोतो प्रांत की 14 नामांकित जगहों की पुनर्समीक्षा करने के लिए कहा था। पैनल ने इसकी वजह जापान सरकार द्वारा इन जगहों की 'ओवरआल वैल्यू' की व्याख्या नहीं कर पाने को बताया था। यह भी कहा था कि सरकार यह नहीं बता सकी है कि ये जगहें विश्व धरोहर जगहों के मानकों पर कैसे खरा उतरती हैं।
इन जगहों में 1864 में नागासाकी में बना औरा गिरजाघर और कुमामातो प्रांत में स्थित ईसाइयों के वे स्थल हैं, जहां 17वीं सदी में ईसाई समुदाय ने रोक, उत्पीड़न और यंत्रणा के बावजूद अपने धार्मिक रीति-रिवाजों को जिंदा रखा था।
यह वह समय था, जिसमें 'छिपे ईसाई' अस्तित्व में आए थे। ये वे लोग थे जिन्होंने बाह्य ईसाई जगत से संपर्क न होने के बावजूद अपनी ईसाई परंपराओं को हर जुल्म के बीच जिंदा रखा था।
सरकार का मानना है कि ये वे जगहें हैं, जो जापान में ईसाई धर्म के 250 साल के इतिहास के बारे में बताती हैं। जापान की कुल आबादी में एक फीसदी लोग ईसाई हैं।
जापान के सांस्कृतिक मंत्री हिरोशी हासे ने कहा कि वह स्थानीय नगर प्रशासनों के साथ मिलकर इन जगहों के बारे में और जानकारी इकट्ठा करेंगे और इन्हें विश्व धरोहर बनाने के लिए फिर से आवेदन करेंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
मप्र : निदा फाजली के प्रति शिवराज सहित मंत्रियों ने शोक जताया
भोपाल, 8 फरवरी (आईएएनएस)। प्रख्यात शायर व गीतकार निदा फाजली के निधन पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित उनकी सरकार के कई मंत्रियों ने शोक जताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समकालीन उर्दू कविता में निदा फाजली ने प्रयोगधर्मी कवि के रूप में ख्याति प्राप्त की। उनमें आम आदमी के दर्द को संवेदनशीलता के साथ अभिव्यक्त करने की क्षमता थी। उर्दू कविता को समृद्ध बनाने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
राज्य के गृह एवं जेल मंत्री बाबूलाल गौर ने अपने शोक संदेश में कहा कि मशहूर शायर और गीतकार फाजली का मध्यप्रदेश से जुड़ाव रहा है। उनके निधन से हमने एक बड़े कवि को खो दिया है।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने शायर और लेखक पद्मश्री निदा फाजली के अवसान पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि फाजली की अनेक रचनाएं संगीत के साथ मिलकर लोकप्रिय गीतों के रूप में सामने आईं। गीत-संगीत प्रेमी उन्हें सदैव याद रखेंगे।
निदा फाजली को वर्ष 1998 में 'खोया हुआ सा कुछ' काव्य संग्रह पर साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला था। उन्हें मध्यप्रदेश शासन ने वर्ष 2004-05 में प्रतिष्ठित शिखर सम्मान से सम्मानित किया था।
राज्य के संस्कृति राज्यमंत्री सुरेंद्र पटवा ने उर्दू के मशहूर शायर एवं फिल्म गीतकार निदा फाजली के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। पटवा ने अपने शोक संदेश में कहा है कि निदा फाजली उर्दू और फारसी के ज्ञाता थे। बंटवारे के समय जब इनका परिवार पाकिस्तान चला गया, तब उन्होंने हिन्दुस्तान में ही बसने का निर्णय लिया।
दिल्ली में जन्मे फाजली ने मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रहकर स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। वे कवि सम्मेलनों और मुशायरा के मंचों की शान हुआ करते थे। फाजली का निधन साहित्य जगत के लिए एक बड़ी और अपूरणीय क्षति है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
निदा फाजली के निधन पर प्रधानमंत्री, सोनिया ने शोक जताया
फाजली का सोमवार को मुंबई में निधन हो गया।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट में कहा, "निदा फाजली साहब अब हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन, उनकी शायरी और सिनेमा एवं लेखन में उनका योगदान हमेशा हमारे बीच रहेंगे। मेरी संवेदनाएं निदा फाजली साहब के प्रशंसकों के लिए हैं। उनका न रहना सचमुच बेहद दुखद है।"
सोनिया ने अपने शोक संदेश में कहा, "वह साहित्य अकादमी और पद्मश्री विजेता थे। उन्हें उनके लेखन के लिए सदा याद रखा जाएगा। उनके लेखन ने पूरी एक पीढ़ी को सम्मोहित किए रखा।"
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी निदा फाजली के निधन पर शोक जताया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
श्रद्धांजलि- निदा फाजली : रोते हुए बच्चों को अब हंसाएगा कौन
उसको रुखसत तो किया था, मुझे मालूम न था/सारा घर ले गया, घर छोड़ के जाने वाला।' ये निदा फाजली के अल्फाज हैं, जो आज हम सबको रुखसत कर चले गए।
जिदगी के हर मोड़ पर मिली तकलीफ को अल्फाजों में पिरोने वाले और अपनी बातों को बेबाकी से कहने वाले उर्दू और हिंदी के नामचीन शायर मुख्तदा हसन निजा फाजली सोमवार (आठ फरवरी) को दुनिया को अलविदा कह गए।
निदा को अपनी शायरी के माध्यम से जीवन के हर पहलू की हकीकत को शब्दों में बयां करने में महारत हासिल थी।
शायरी के साथ ही यह उनकी जनमानस के अंतर्मन में झांकने की कारीगरी थी कि उन्होंने समाज के कोने-कोने में कदम जमाए रूढ़ियों, रीतियों तथा अंधविश्वासों के मकड़जाल को काटकर लोगों को मजहब और धर्म के असली मायने समझाने का भी प्रयास किया।
उनका एक शेर-
'घर से मस्जिद है बहुत दूर,
चलो यूं कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।' उनके साफ मन और इंसानियत को बचाए रखने के लिए उनके मन की तड़प को बयां करता है।
दिल्ली के एक कश्मीरी परिवार में 12 अक्तूबर, 1938 को जन्मे निदा को शायरी विरासत में मिली थी। उनके पिता भी उर्दू के मशहूर शायर थे। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उनका पूरा परिवार पाकिस्तान चला गया, लेकिन निदा के तन-मन में भारत की मिट्टी की खुशबू इस कदर समाई थी कि उन्होंने भारत में ही रहने का फैसला किया।
उनके शायर बनने का किस्सा भी काफी दिलचस्प है। एक मंदिर के पास से गुजरते हुए फाजली को सूरदास का एक पद सुनाई दिया, जिसमें राधा और कृष्ण की जुदाई का वर्णन था। इस कविता को सुनकर वह इतने भावुक हो गए कि उनके कवि मन ने उन्हें उनके भविष्य की दिशा दिखा दी और उन्होंने उसी क्षण फैसला कर लिया कि वह कवि के रूप में अपनी पहचान बनाएंगे।
उनका प्रारंभिक जीवन ग्वालियर में गुजरा। ग्वालियर में रहते हुए उन्होंने उर्दू अदब में अपनी पहचान बना ली थी और बहुत जल्दी ही वे उर्दू के एक नामचीन कवि के रूप में पहचाने जाने लगे।
काम की तलाश में कम उम्र में ही निदा ने मुंबई का रुख कर लिया और 'ब्लिट्ज' और 'धर्मयुग' के लिए काम किया।
उर्दू में 'निदा' का अर्थ है 'आवाज' और निदा फाजली सचमुच उर्दू की एक अत्यंत लोकप्रिय, दमदार और दिल को छू लेने वाली आवाज थे।
उनकी नज्में, गजलें और उनके गीत संवेदनाओं और भावनाओं की धड़कन, तड़पन और ललकार लिए नजर आते हैं।
फाजि़ला कश्मीर के एक इलाके का नाम है, जहां से निदा के पुरखे आकर दिल्ली में बस गए थे, इसलिए उन्होंने अपने उपनाम में फाजली जोड़ा।
मीर और गालिब की रचनाओं से प्रभावित निदा ने अपनी लेखनी को किसी बंधन में नहीं बांधा और अपनी लेखनी को अलग मुकाम दिया।
उन्होंने समाज के तानों-बानों और रिश्तों के खट्टे-मीठे, तीखे-कड़वे अनुभवों का जिक्र इस सरलता से किया है कि उनकी कही बात हर किसी के मन में गहराई तक असर कर जाती है।
फिल्म 'रजिया सुल्तान' के निर्माण के दौरान शायर जानिसार अख्तर के निधन हो जाने के कारण फिल्मकार कमाल अमरोही ने उन्हें इस फिल्म के लिए गीत लिखने का मौका दिया और उन्होंने 'रजिया सुल्तान' के लिए पहला गाना - 'तेरा हिज्र मेरा नसीब है, तेरा गम मेरी हयात है' से अपने फिल्मी गीत लेखन के सफर की शुरुआत की।
इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों के लिए एक से बढ़कर एक उम्दा गीत लिखे, जिनमें फिल्म 'आहिस्ता-आहिस्ता' का मशहूर गीत 'तू इस तरह से मेरी जि़ंदगी में शामिल है', 'सरफरोश' के लिए 'होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है', 'रजिया सुल्तान' का 'आई जंजीर की झनकार खुदा खर करे' और 'सुर' के लिए 'आ भी जा' जैसे कई गीत उनकी शब्दों की जादूगरी की बानगी पेश करते हैं।
निदा फाजली की कविताओं का पहला संकलन 'लफ्जों का पुल' छपते ही उन्हें भारत और पाकिस्तान में अपार ख्याति मिली।
इससे पहले अपनी गद्य की किताब 'मुलाकातें' के लिए भी वे काफी चर्चित रह चुके थे। 'खोया हुआ सा कुछ' उनकी शायरी का एक और महžवपूर्ण संग्रह है, जिसके लिए 1999 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।
जिंदगी को खुली किताब की मानिंद पेश करने के पैरोकार निदा ने अपनी आत्मकथा भी लिखी, जिसका पहला खंड 'दीवारों के बीच' और दूसरा खंड 'दीवारों के बाहर' बेहद लोकप्रिय हुए।
वर्ष 1998 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। वर्ष 2013 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया और सांप्रदायिक सद्भाव पर लेखन के लिए उन्हें 'राष्ट्रीय सद्भाव पुरस्कार' भी प्रदान किया गया।
ताउम्र अपनी शर्तो पर जिए निदा ने 78 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उन्होंने अचानक कुछ इस तरह दुनिया से फुर्सत ले ली -
अपनी मर्जी से कहां अपने सफर के हम हैं।
रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं।।
मशहूर शायर निदा फाजली का निधन
मुंबई, 8 फरवरी (आईएएनएस)। उर्दू और हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार और बॉलीवुड के नामचीन गीतकार निदा फाजली का दिल का दौरा पड़ने से सोमवार को मुंबई में निधन हो गया। वह 78 वर्ष के थे। इधर कुछ दिनों से बीमार निदा ने सोमवार को पूर्वाह्न् 11.30 बजे अंतिम सांस ली।
दिल्ली में 12 अक्टूबर, 1938 को एक कश्मीरी परिवार में जन्मे फाजली के पिता भी उर्दू के मशहूर शायर थे। उनका मूल नाम मुख्तदा हसन निजा था। बाद में उन्होंने अपना नाम निदा फाजली रख लिया। निदा का मतलब है आवाज और फाजल कश्मीर का एक इलाका है, जहां उनके पुरखे रहते थे।
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया, लेकिन उन्होंने भारत में ही रहने का फैसला किया।
निदा ने स्कूल से लेकर कालेज तक की पढ़ाई ग्वालियर में की। वर्ष 1957 में उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की। वर्ष 1964 में रोजगार की तलाश में वह मुंबई आए और यहीं के होकर रह गए।
साहित्यकार निदा की 24 किताबें प्रकाशित हैं, जिनमें कुछ उर्दू, कुछ हिंदी और कई गुजराती भाषा में हैं। उनकी कई रचनाएं महाराष्ट्र में स्कूली किताबों में शामिल हैं।
उन्हें वर्ष 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2013 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया था।
फाजली ने 'कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता', 'होश वालों को खबर क्या', 'तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है' और 'किसका चेहरा' जैसी कई मशहूर गजलों से शायरी की दुनिया में अपना खास मुकाम बनाया।
तरक्की पसंद शायर निदा का एक शेर है-
घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूं कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।
यह शेर धर्म, मजहब के नाम पर झगड़ने वालों को अच्छी सीख देता है। वह कट्टरता के खिलाफ थे और प्रगतिशील विचारों के लिए जाने जाते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
मशहूर शायर निदा फाजली नहीं रहे
नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। उर्दू और हिंदी के प्रख्यात शायर और बॉलीवुड के नामचीन गीतकार निदा फाजली का दिल का दौरा पड़ने से सोमवार को मुंबई में निधन हो गया। वह 78 वर्ष के थे। काफी दिनों से बीमार निदा ने सोमवार को पूर्वाह्न् 11.30 बजे अंतिम सांस ली।
दिल्ली में एक कश्मीरी परिवार में जन्मे फाजली के पिता भी उर्दू के मशहूर शायर थे। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया, लेकिन उन्होंने भारत में ही रहने का फैसला किया।
फाजली ने 'कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता', 'होश वालों को खबर क्या', 'तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है' और 'किसका चेहरा' जैसी कई मशहूर गजलों से शायरी की दुनिया में अपना खास मुकाम बनाया।
उन्हें पद्मश्री और साहित्य अकादमी पुरस्कारों से भी नवाजा गया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान में स्थान दें : डॉ. पाठक
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा हिंदी की ही पूर्वी रूप है और हिंदी से अलग नहीं है।
डॉ. पाठक ने कहा कि राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ी को राजभाषा के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयासरत है। राजभाषा आयोग के अध्यक्ष पद का जो दायित्व उन्हें मिला है, उसे वह पूरी निष्ठा और जिम्मेदारी के साथ निभाएंगे।
उन्होंने कहा कि मंत्रालयीन कार्य भी हिंदी के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा में होना चाहिए।
मैट्स यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग द्वारा तृतीय अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन शनिवार को किया गया। इसके शुभारंभ अवसर पर उन्होंने कहा कि यह छत्तीसगढ़ का पहला विश्वविद्यालय है, जहां अखिल भारतीय स्तर का कवि सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से आए ख्यातिप्राप्त कवियों ने श्रोताओं को अपनी रचनाओं से मंत्रमुग्ध कर दिया। देश की वर्तमान राजनीतिक और सामजिक परिस्थितियों पर अपनी रचनाओं के माध्यम से कटाक्ष करने के साथ-साथ कवियों ने ज्वलंत मुद्दों पर भी व्यंग्य के तीर चलाए।
हिंदी विभागाध्यक्ष और अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की संयोजिका डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि कवि सम्मेलन की शुरुआत मुंबई के ख्यातिप्राप्त बाल कवि चेतन चर्चित की कविताओं से हुआ।
चेतन ने प्रेम रस का समां बांधते हुए युवाओं को कई पंक्तियां समर्पित कीं और आरक्षण तथा बेरोजगारी की समस्या पर तीखा कटाक्ष किया। वहीं मध्यप्रदेश की कवयित्री रश्मि किरण ने श्रंगार रस की रचनाओं से श्रोताओं को मुग्ध किया।
दिल्ली के ख्यातिप्राप्त कवि ओमपाल सिंह निडर ने वीर रस के ओज से श्रोताओं के दिलों के तार छेड़े। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से देश के वर्तमान हालातों और राजनीतिक परिस्थितियों पर भी तीर छोड़े।
नागपुर (महाराष्ट्र) के कवि मुकेश मनमौजी और रायपुर के कवि राजेश जैन राही ने भी अपनी कविताओं से श्रोताओं का दिल जीता।
इस मौके पर विशेष अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ हिंदी ग्रंथ अकादमी के अध्यक्ष रमेश नैयर, छत्तीसगढ़ राज्य पर्यटन मंडल के उपाध्यक्ष केदारनाथ गुप्ता, छत्तीसगढ़ की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सत्यभामा आडिल, डॉ. उर्मिला शुक्ला, डॉ. सुधा वर्मा, रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अनिल पुसदकर भी उपस्थित थे।
मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. बी. जॉन, कुलसचिव गोकुल नंदा पंडा और विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों ने सभी अतिथियों का शॉल और श्रीफल देकर सम्मान किया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
प्रधानमंत्री ने सुदर्शन पटनायक को गुजरात आने का न्योता दिया
सुदर्शन पटनायक ने कहा, "प्रधानमंत्री ने रेत कला में गुजरात के युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए मुझे आमंत्रित किया है। मैंने गुजरात जाने और रेत कला प्रशिक्षण संस्थान खोलने और युवाओं को प्रशिक्षित करने का प्रधानमंत्री से वादा किया है।"
मोदी ने रविवार को पुरी में जगन्नाथ मंदिर का दर्शन किया, वहीं पटनायक ने उन्हें रेत से बनाई गई भगवान जगन्नाथ की मूर्ति भेंट की।
पटनायक ने रेत की कला से प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करते हुए कहा, प्रधानमंत्री से मुलाकात करना बहुत बड़ा सम्मान है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्तमान विषयों और सामाजिक मुद्दों पर रेत कला के लिए उनकी प्रशंसा की।
पद्मश्री पटनायक ने 50 से अधिक चैंपियनशिप और दुनिया भर के समारोहों में भाग लिया है और देश के लिए कई पुरस्कार जीते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
पुस्तक 'ऐवरी रॉक हैज ए रोज लाइनिंग' का विमोचन
'ऐवरी रॉक हैज ए रॉक लाईनिंग.' विदेशी यूनिवर्सिटी में इस भारतीय जोड़ी की अद्भुत यात्रा का सार है, जहां उन्होंने जीवन और सफलता के दूसरे मायने समझे। लेखक मोनालिसा का लेखन प्रवाह सशक्त है जहां उन्होंने अपने अनुभव, घटनाओं और लक्षण को अद्वितीय परिप्रेक्ष्य के साथ पुस्तक में उतारा है। यह प्रवाह अमेरिका में पढ़ने जाने वाले विद्यार्थियों के जीवन को प्रदर्शित करती है जहां मोनालिसा व ज्ञाना ने यहां की जमीनी हकीकत को जाना।
सफलता की सच्ची कहानी और सख्त बजट पर जीवन का संतुलन बनाने की गाथा प्रस्तुत करती यह पुस्तक छोटे-छोटे सपने, उम्मीदें, खुशियां, तकरार और जीतने के साथ-साथ इस बात को भी प्रमाणित करती है कि किस तरह से छोटी-छोटी गतिविधियां एक साथ मिलकर एक यादगार यात्रा बनाती हैं, जो जीवन से भी बड़ी हैं।
वर्तमान में यह पुस्तक अलग-अलग स्थानों पर पाठकों से रूबरू हो रही है, जहां इसे काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। विशेष रूप से अन्तर्राष्ट्रीय छात्रों व शिक्षकों ने पुस्तक को हाथों-हाथ लिया है।
आभा पब्लिकेशन द्वारा जारी पुस्तक 'ऐवरी रॉक हैज ए रॉक लाईनिंग' सभी प्रमुख बुक स्टोर के साथ-साथ अमेजन व फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन पोर्टल पर 399 रुपये में उपलब्ध है।
लेखिका मोनालिसा ने पूर्व में 'वी आर, देअरफोर वी नीड टू थिंक', लिखी थी। लेखन से इतर मोनालिसा सामाजिक कार्यो के लिए हमेशा तैयार रहती हैं, चाहे मुद्दा कैसा भी हो और बेशक इसके लिए उन्हें अकेले पहल करनी पड़े।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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खरी बात
क्या पाकिस्तान सिर्फ टैरर ही नहीं फेल स्टेट भी है ?
पुण्य प्रसून बाजपेयी अगर हेडली सही है तो पाकिस्तानी सत्ता के लिये लश्कर भारत के खिलाफ जेहाद का सबसे मजबूत ढाल भी है और विदेश कूटनीति का सबसे धारदार हथियार...
आधी दुनिया
सावित्रीबाई फुले जिन्होंने भारतीय स्त्रियों को शिक्षा की राह दिखाई
उपासना बेहार “.....ज्ञान बिना सब कुछ खो जावे,बुद्धि बिना हम पशु हो जावें, अपना वक्त न करो बर्बाद,जाओ, जाकर शिक्षा पाओ......” सावित्रीबाई फुले की कविता का अंश अगर सावित्रीबाई फुले...
जीवनशैली
ब्रिटेन में कौन करता है ज्यादा सेक्स
लंदन, 5 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तरपूर्व ब्रिटेन में रहने वाले लोग देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले के मुकाबले बिस्तर पर ज्यादा सक्रिय होते हैं। वे महीने में कम से...