विश्व धरोहर संबंधित सिफारिश वापस लेगा जापान
जापान टाइम्स की रपट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के सलाहकार पैनल ने बीते महीने जापान से नागासाकी और कुमामोतो प्रांत की 14 नामांकित जगहों की पुनर्समीक्षा करने के लिए कहा था। पैनल ने इसकी वजह जापान सरकार द्वारा इन जगहों की 'ओवरआल वैल्यू' की व्याख्या नहीं कर पाने को बताया था। यह भी कहा था कि सरकार यह नहीं बता सकी है कि ये जगहें विश्व धरोहर जगहों के मानकों पर कैसे खरा उतरती हैं।
इन जगहों में 1864 में नागासाकी में बना औरा गिरजाघर और कुमामातो प्रांत में स्थित ईसाइयों के वे स्थल हैं, जहां 17वीं सदी में ईसाई समुदाय ने रोक, उत्पीड़न और यंत्रणा के बावजूद अपने धार्मिक रीति-रिवाजों को जिंदा रखा था।
यह वह समय था, जिसमें 'छिपे ईसाई' अस्तित्व में आए थे। ये वे लोग थे जिन्होंने बाह्य ईसाई जगत से संपर्क न होने के बावजूद अपनी ईसाई परंपराओं को हर जुल्म के बीच जिंदा रखा था।
सरकार का मानना है कि ये वे जगहें हैं, जो जापान में ईसाई धर्म के 250 साल के इतिहास के बारे में बताती हैं। जापान की कुल आबादी में एक फीसदी लोग ईसाई हैं।
जापान के सांस्कृतिक मंत्री हिरोशी हासे ने कहा कि वह स्थानीय नगर प्रशासनों के साथ मिलकर इन जगहों के बारे में और जानकारी इकट्ठा करेंगे और इन्हें विश्व धरोहर बनाने के लिए फिर से आवेदन करेंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
मप्र : निदा फाजली के प्रति शिवराज सहित मंत्रियों ने शोक जताया
भोपाल, 8 फरवरी (आईएएनएस)। प्रख्यात शायर व गीतकार निदा फाजली के निधन पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित उनकी सरकार के कई मंत्रियों ने शोक जताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समकालीन उर्दू कविता में निदा फाजली ने प्रयोगधर्मी कवि के रूप में ख्याति प्राप्त की। उनमें आम आदमी के दर्द को संवेदनशीलता के साथ अभिव्यक्त करने की क्षमता थी। उर्दू कविता को समृद्ध बनाने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
राज्य के गृह एवं जेल मंत्री बाबूलाल गौर ने अपने शोक संदेश में कहा कि मशहूर शायर और गीतकार फाजली का मध्यप्रदेश से जुड़ाव रहा है। उनके निधन से हमने एक बड़े कवि को खो दिया है।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने शायर और लेखक पद्मश्री निदा फाजली के अवसान पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि फाजली की अनेक रचनाएं संगीत के साथ मिलकर लोकप्रिय गीतों के रूप में सामने आईं। गीत-संगीत प्रेमी उन्हें सदैव याद रखेंगे।
निदा फाजली को वर्ष 1998 में 'खोया हुआ सा कुछ' काव्य संग्रह पर साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला था। उन्हें मध्यप्रदेश शासन ने वर्ष 2004-05 में प्रतिष्ठित शिखर सम्मान से सम्मानित किया था।
राज्य के संस्कृति राज्यमंत्री सुरेंद्र पटवा ने उर्दू के मशहूर शायर एवं फिल्म गीतकार निदा फाजली के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। पटवा ने अपने शोक संदेश में कहा है कि निदा फाजली उर्दू और फारसी के ज्ञाता थे। बंटवारे के समय जब इनका परिवार पाकिस्तान चला गया, तब उन्होंने हिन्दुस्तान में ही बसने का निर्णय लिया।
दिल्ली में जन्मे फाजली ने मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रहकर स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। वे कवि सम्मेलनों और मुशायरा के मंचों की शान हुआ करते थे। फाजली का निधन साहित्य जगत के लिए एक बड़ी और अपूरणीय क्षति है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
निदा फाजली के निधन पर प्रधानमंत्री, सोनिया ने शोक जताया
फाजली का सोमवार को मुंबई में निधन हो गया।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट में कहा, "निदा फाजली साहब अब हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन, उनकी शायरी और सिनेमा एवं लेखन में उनका योगदान हमेशा हमारे बीच रहेंगे। मेरी संवेदनाएं निदा फाजली साहब के प्रशंसकों के लिए हैं। उनका न रहना सचमुच बेहद दुखद है।"
सोनिया ने अपने शोक संदेश में कहा, "वह साहित्य अकादमी और पद्मश्री विजेता थे। उन्हें उनके लेखन के लिए सदा याद रखा जाएगा। उनके लेखन ने पूरी एक पीढ़ी को सम्मोहित किए रखा।"
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी निदा फाजली के निधन पर शोक जताया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
'मध्य पूर्व के हालात स्वतंत्रता से पहले के भारत जैसे'
विकास दत्ता
नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य पूर्व के मामलों के विशेषज्ञ वली नस्र का कहना है कि मध्य पूर्व के मौजूदा संकटग्रस्त हालात के लिए संप्रदायवाद जितना जिम्मेदार है, उतनी ही जिम्मेदार औपनिवेशिक शासन की विरासत भी है। उनका कहना है कि यहां के हालात और भारत के आजादी मिलने के पहले के हालात एक जैसे हैं।
जयपुर साहित्य सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आने के दौरान वली नस्र ने आईएएनएस से खास मुलाकात में यह बात कही। अमेरिका की जान हापकिन्स यूनिवर्सिटी के स्कूल आफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज के डीन नस्र ने कहा, "उपनिवेशवाद ने मध्य पूर्व में केवल देशों के नक्शों को ही प्रभावित नहीं बल्कि अपने द्वारा स्थापित आंतरिक ढांचे में संप्रदायवाद को भी मजबूत किया था। जैसे, सीरिया में अलवियों को बढ़ावा देना, फ्रांस के मातहत लेबनान में ईसाईयों को बढ़ावा देना, और ऐसी ही अन्य कार्रवाईयां।"
उन्होंने कहा, "उपनिवेशवाद और संप्रदायवाद का संघर्ष धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवाद से था..इसे इस रूप में समझा जा सकता है कि मध्यपूर्व का संप्रदायवाद भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान की सांप्रदायिकता जैसा है..बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का मुद्दा।"
2009-11 के दौरान बराक ओबामा प्रशासन के विदेश नीति सलाहकार रह चुके नस्र ने कहा, "इराक की हिंसा भारत के विभाजन के समय की हिंसा जैसी है।"
अरब जगत की राजनीति और इस्लामिक आंदोलनों के जानकार नस्र ने कहा कि शिया और सुन्नियों के बीच का विवाद धर्म के बिंदुओं पर नहीं बल्कि सत्ता के बंटवारे पर है। उन्होंने कहा कि 2003 में इराक पर अमेरिका के हमले और अरब देशों के जनांदोलनों ने संप्रदायवाद के दरवाजों को और खोल दिया।
नस्र ने कहा, "अरब जनांदोलन की शुरुआत लोकतंत्र की मांग के साथ हुई, लेकिन इसके बाद क्या? यही मुख्य मुद्दा है।" नस्र ने यह बात स्वतंत्रता पूर्व भारत और मध्य पूर्व के हालात की तुलना करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष के साथ-साथ कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच इस बात पर भी तीखा मतभेद था कि आजादी के बाद की राजनैतिक तस्वीर क्या होगी।
'शिया रिवाइवल: हाऊ कनफ्लिक्ट विदइन इस्लाम विल शेप द फ्यूचर' के लेखक नस्र कहते हैं कि इस्लामिक स्टेट जैसे संगठनों का उभरना सुन्नी कट्टरपंथियों की वह कोशिश है जिसके तहत वे शिया ईरान की सद्दाम हुसैन के पतन के बाद इराक में बढ़ती पकड़ को कमजोर करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति ने सुन्नी ताकतों, विशेषकर सऊदी अरब के लिए चुनौती पैदा की। भारत के लखनऊ में, जिसे शिया संस्कृति की दृष्टि से महतवपूर्ण माना जाता है, शिया-सुन्नी विवाद के अध्ययन के लिए समय बिता चुके नस्र ने कहा, "शिया और सुन्नियों या ईरान और सऊदी अरब के बीच का छद्म युद्ध दक्षिण एशिया तक फैल गया और पाकिस्तान अभी भी इसकी चपेट में है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
गूगल ने 'पीरियॉडिक टेबल' निर्माता को याद किया
रूसी रसायनज्ञ का जन्म आठ फरवरी, 1834 को हुआ था और उन्होंने रसायन के तत्वों की आवर्त सारणी के एक दूरदर्शी संस्करण 'पीरियॉडिक लॉ' का निर्माण किया था और इसीलिए उन्हें 'फादर ऑफ पीरियॉडिक टेबल' कहा जाता है।
उन्होंने रसायन के तत्वों की आवर्त सारणी के एक दूरदर्शी संस्करण 'पीरियॉडिक लॉ' को पहले से ही खोजे गए तत्वों की प्रकृति का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया और साथ ही यह भी अनुमान लगाया कि आठ तत्वों की प्रकृति का पता लगाया जाना बाकी है।
मेंडेलीव की 'पीरियॉडिक लॉ टेबल' को 1869 में प्रकाशित किया गया था, जिसमें 63 तत्वों को उनके परमाणु भार के साथ दर्शाया गया।
इस टेबल में फिर बाद में बदलाव किए गए और इसका पुन:निर्माण भी किया गया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
प्रधानमंत्री ने सुदर्शन पटनायक को गुजरात आने का न्योता दिया
सुदर्शन पटनायक ने कहा, "प्रधानमंत्री ने रेत कला में गुजरात के युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए मुझे आमंत्रित किया है। मैंने गुजरात जाने और रेत कला प्रशिक्षण संस्थान खोलने और युवाओं को प्रशिक्षित करने का प्रधानमंत्री से वादा किया है।"
मोदी ने रविवार को पुरी में जगन्नाथ मंदिर का दर्शन किया, वहीं पटनायक ने उन्हें रेत से बनाई गई भगवान जगन्नाथ की मूर्ति भेंट की।
पटनायक ने रेत की कला से प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करते हुए कहा, प्रधानमंत्री से मुलाकात करना बहुत बड़ा सम्मान है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्तमान विषयों और सामाजिक मुद्दों पर रेत कला के लिए उनकी प्रशंसा की।
पद्मश्री पटनायक ने 50 से अधिक चैंपियनशिप और दुनिया भर के समारोहों में भाग लिया है और देश के लिए कई पुरस्कार जीते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
विटेंज कार रैली में 100 वाहनों से झलकी समृद्ध विरासत
दो दिवसीय विंटेज कार रैली के पहले दिन मुख्य अतिथि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने लाल किले पर इस शो का उद्घाटन किया।
इस मौके पर रैली के संस्थापक एवं प्रबंधक मदन मोहन ने कहा, "इस आयोजन के माध्यम से मैं अपने जज्बे और सपने को आगे बढ़ा रहा हूं जिसका उद्देश्य भारत को विश्व स्तरीय मोटरिंग टूरिज्म स्थल के तौर पर स्थापित करना है। इस विंटेज कार रैली के साथ हम निश्चित तौर पर वैश्विक विंटेज रैलियों के नक्शे पर भारत की पहचान स्थापित करने में सफल होंगे। साथ ही भविष्य के आयोजनों में हम पूरी दुनिया से लाखों अंतर्राष्ट्रीय सैलानियों को आकर्षित करने में भी सफल होंगे।"
विंटेज कार रैली के अलावा उद्घाटन समारोह में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए गए।
इस विंटेज कार रैली में शामिल ऐतिहासिक कारों में मेबैक एसडब्ल्यू 38 (1937), होर्च 780 कैर्बियोलेट (1959), लिस्टर कॉस्टिन जैगुआर (1933), जैगुआर एसएसआई कूपे, जैगुआर एक्सके 120, मर्सिडीज 630 मर्फी, रॉल्सरॉयस-सिल्वर घोस्ट जैसी कारें आकर्षण का केंद्र हैं।
इसके अलावा मर्सिडीज-बेंज के संस्थापक और महान ऑटोमोबाइल निर्माता कार्ल फ्रेडिक बेंज द्वारा बनाई गई पहली कार और हेनरी फोर्ड द्वारा 1896 में बनाई गई क्वाड्रिसाइकिल भी शामिल हैं।
आयोजन में विभिन्न गतिविधियों से आने वाली आय का एक हिस्सा लड़कियों के कल्याण और शिक्षा के लिए दान किया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
गुलाम अली लखनऊ में, शिवसेना के उप्र प्रमुख नजरबंद
प्रदेश के प्रमुख सूचना सचिव नवनीत सहगल ने शनिवार को गुलाम अली की अगवानी की। उनके आगमन के मद्देनजर शिवसेना के राज्य प्रमुख अनिल सिंह को लखनऊ पुलिस ने सुबह छह बजे ही उनके सरोजनी नगर स्थित आवास पर नजरबंद कर दिया।
गौरतलब है कि शिवसेना पाकिस्तानी कलाकारों के भारत में प्रदर्शन के खिलाफ है। बीते नौ अक्टूबर को गुलाम अली का मुंबई में होने वाला कार्यक्रम शिवसेना के विरोध के बाद रद्द कर दिया गया था।
शिवसेना ने कार्यक्रम को बाधित करने की धमकी देते हुए कहा था कि जब तक सीमा पार से आतंकवाद नहीं रुकता, तब तक पड़ोसी देश के किसी भी कलाकार को देश में प्रस्तुति देने की मंजूरी नहीं मिलेगी।
शिवसेना महाराष्ट्र की सरकार में शामिल है, इसलिए मुंबई और पुणे में गुलाम अली के कार्यक्रम रुकवाने में पार्टी सफर रही थी।
मुंबई और पुणे में गजल गायक गुलाम अली के कार्यक्रम रद्द होने के बाद उनका कार्यक्रम दिल्ली में होना तय हुआ था, लेकिन दिसंबर में होने वाले इस आयोजन से पहले ही गुलाम अली लखनऊ पहुंच गए थे। 10 अक्टूबर की शाम उन्होंने एमएसएमई कॉन्क्लेव में गजलों की महफिल सजाई थी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिवसेना के 'उत्पाती रवैये' को ध्यान में रखते हुए एहतियातन शिवसेना के प्रदेश अध्यक्ष को लखनऊ में ही उनके आवास पर नजरबंद कर दिया गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
नेताजी की फिक्र करने के बजाए उनका कीर्तिगान करें : बेनेगल
कोलकाता साहित्य समारोह में श्याम बेनेगल ने एक चर्चा में हिस्सा लेते हुए यह बात कही। उन्होंने इस दावे को भी खारिज कर दिया कि नेताजी उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में 'गुमनामी बाबा' बनकर गुप्त रूप से रह रहे थे।
उन्होंने कहा, "हमें उनका यशोगान करना चाहिए, न कि लगातार इसी चिंता में डूबे रहना चाहिए कि 18 अगस्त 1945 के बाद क्या हुआ था।"
बेनेगल ने कहा, "दुर्भाग्य से नेताजी की तमाम उपलब्धियां बिना वजह के इन रहस्यों में दबकर रह गईं कि क्या उनकी मौत हुई या गुमशुदा हो गए या यह कि क्या वह विमान दुर्घटना में मारे गए या फिर साइबेरिया चले गए।"
उन्होंने इन तमाम बातों को 'महज अटकलबाजी' बताया। बेनेगल ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि बोस के लापता होने के पीछे पंडित जवाहर लाल नेहरू का हाथ था।
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक ने कहा, "मैं इस ऑटोमेटिक धारणा के भी खिलाफ हूं कि इस पूरी कहानी के खलनायक नेहरू थे। अगर सच में ऐसा ही था तो उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) के तीन अफसरों का लालकिला मुकदमे में बचाव क्यों किया था।" बेनेगल अईएनए के कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लन और मेजर जनरल शाहनवाज खान के संयुक्त कोर्ट मार्शल का जिक्र कर रहे थे।
सुभाष चंद्र बोस पर पुरस्कार विजेता फिल्म 'नेताजी सुभाषचंद्र बोस: द फॉरगटेन हीरो' बनाने वाले बेनेगल ने इस बात पर दुख जताया कि लोगों का ध्यान नेताजी की मौत, उनके गायब होने के रहस्यों में ही उलझा हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके बजाए होना यह चाहिए कि 'हम उनके योगदान, उनकी उपलब्धियों का और इस बात का यशोगान करें कि कैसे उन्होंने और उनकी आईएनए ने ब्रिटिश सत्ता को बाहर निकालने के लिए अंतिम धक्का दिया था।'
उन्होंने कहा, "अटकलें बताती हैं कि वह विमान दुर्घटना के बाद जीवित रहे और अपने अंत तक कहीं बाबा बन कर रहे। वह निश्चित ही ऐसे आदमी नहीं थे। वह लोगों के नेता थे..भला वह क्यों किसी आश्रम में गुमनामी में रहते।"
बेनेगल ने कहा कि उन्हें नेताजी के लापता होने की बातों से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा, "बात यह है कि वह उड़ कर गए और कभी लौटे नहीं। यह जितना हो सकता है उतना साफ है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
नर्तकी आनंदा शंकर हार्वर्ड में देंगी व्याख्यान
हैदराबाद स्थित भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी प्रतिपादक डॉ. आनंदा बोस्टन स्थित हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में दो दिवसीय सम्मेलन की 'इंस्पायर' श्रृंखला के तहत 7 फरवरी (रविवार) को व्याख्यान देंगी।
पद्मश्री आनंदा ने 'भारत में परिवर्तन : अवसर और चुनौतियां' विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने के बारे में कहा, "यह इस तरह के एक प्रतिष्ठित सम्मेलन में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित करना वास्तव में अत्यंत सम्मान की बात है, जहां व्यापार और राजनीति की दुनिया के भारत की प्रबुद्ध हस्तियां और अन्य दिग्गज अपने विचारों को साझा करेंगे। मैं इस रोमांचक आयोजन का हिस्सा बनने के लिए आभारी हूं।"
सम्मेलन 6 व 7 फरवरी को होगा, जिसमें अन्य वक्ताओं में केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, फिल्मी हस्तियां में कमल हासन और करण जौहर, बैंकर चंदा कोचर, सांसद शशि थरूर और राजनयिक निरूपमा राव शामिल हैं।
हार्वर्ड सम्मेलन डॉ. आनंदा के तीन सप्ताह के अमेरिका के दौरे के दौरान ही होगा। वह 25 फरवरी को समाप्त होने वाली अपनी 15 आयोजनों वाली यात्रा में आठ शहरों में व्याख्यान देंगी, नृत्य करेंगी और कार्यशालाओं व कैंसर एडवोकेसी का संचालन करेंगी।
बोस्टन में, वह 5 फरवरी को संगम, एमआईटी की ओर से एक व्याख्यान-प्रदर्शन और नृत्य कार्यशाला आयोजित करंेगी।
बाद के दिनों में अन्य स्थानों में कोलंबिया कॉलेज, शिकागो, व्योमिंग विश्वविद्यालय, ओबर्लिन कॉलेज, ओहियो और वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास शामिल हैं।
हैदराबाद में शंकरानंद कलाक्षेत्र की कलात्मक निर्देशक और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉ. आनंदा ने कला के क्षत्र में काफी कार्य किया है, जिनमें पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक कथाओं के अमूर्तीकरण से लेकर महिला अध्ययन, कविता और अमूर्त, दर्शन और हास्य के क्षेत्र शामिल हैं।
प्रेरक वक्ता के रूप में डॉ. आनंदा प्रमुख कार्पोरेट संस्थाओं, नेतृत्व कार्यक्रमों, अस्पतालों, विश्वविद्यालयों और स्कूलों में विभिन्न विषयों पर युवा भारत के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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खरी बात
क्या पाकिस्तान सिर्फ टैरर ही नहीं फेल स्टेट भी है ?
पुण्य प्रसून बाजपेयी अगर हेडली सही है तो पाकिस्तानी सत्ता के लिये लश्कर भारत के खिलाफ जेहाद का सबसे मजबूत ढाल भी है और विदेश कूटनीति का सबसे धारदार हथियार...
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उपासना बेहार “.....ज्ञान बिना सब कुछ खो जावे,बुद्धि बिना हम पशु हो जावें, अपना वक्त न करो बर्बाद,जाओ, जाकर शिक्षा पाओ......” सावित्रीबाई फुले की कविता का अंश अगर सावित्रीबाई फुले...
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ब्रिटेन में कौन करता है ज्यादा सेक्स
लंदन, 5 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तरपूर्व ब्रिटेन में रहने वाले लोग देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले के मुकाबले बिस्तर पर ज्यादा सक्रिय होते हैं। वे महीने में कम से...