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पश्चिम बंगाल : शुरुआती 6 घंटों में 52 प्रतिशत मतदान

कोलकाता, 25 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के तहत सोमवार को दो जिलों- हावड़ा और उत्तर 24 परगना के 49 विधानसभा क्षेत्रों में जारी मतदान के शुरुआती छह घंटों में लगभग 52 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।

निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि दोपहर एक बजे तक कुल 52.22 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। उत्तर 24 परगना जिले में 52.12 प्रतिशत और हावड़ा जिले में 52.43 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान की प्रक्रिया सुबह सात बजे शुरू हुई और यह शाम छह बजे तक चलेगी।

चुनाव आयोग ने जहां मतदान के शांतिपूर्ण होने की बात कही है है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने कुछ मतदान केंद्रों पर धांधली के आरोप लगाए हैं।

हावड़ा उत्तर से चुनाव लड़ रहीं भाजपा उम्मीदवार रूपा गांगुली ने एक मतदान केंद्र पर मतदान प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाया। उन्हें कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का विरोध भी झेलने की बात भी कही।

रूपा गांगुली ने कहा, "मुझे सुबह से हमारे मतदाताओं को डराने-धमकाने और मतदान केद्रों पर तैनात हमारे मतदान एजेंटों के साथ उत्पीड़न की खबरें मिल रही हैं। तृणमूल कांग्रेस द्वारा बड़े पैमाने पर बूथ कैप्चरिंग और बोगस वोटिंग की जा रही है।"

वहीं, इस विधानसभा क्षेत्र से रूपा के प्रतिद्वंद्वी और तृणमूल उम्मीदवार पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मी रतन शुक्ला ने क्षेत्र में शांतिपूर्ण मतदान की बात कही।

उन्होंने गांगुली पर मतदाताओं को प्रभावित करने और मतदान प्रक्रिया को बाधित करने का आरोप लगाया। उन्होंने इस संदर्भ में रूपा गांगुली के खिलाफ ईसी में शिकायत भी दर्ज कराई है कि वह जबरन मतदान केंद्रों पर घुसीं और अपने मोबाइल के कैमरा से तस्वीरें खींची।

चुनाव आयोग ने रूपा गांगुली की गतिविधियों के बारे में हावड़ा जिले के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है।

तृणमूल के कार्यकर्ताओं द्वारा माकपा नेता तन्मय भट्टाचार्य (उत्तरी दम दम) की कार पर पत्थर फेंकने की घटना से उन्हें चोट लगने की सूचना है।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि भट्टाचार्य की शिकायत पर तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

निर्दलीय उम्मीदवार प्रतिमा दत्ता (पर्यावरण कार्यकर्ता तपन दत्ता की पत्नी, तपन की हत्या कर दी गई थी) का आरोप है कि हावड़ा के दोमजुर विधानसभा क्षेत्र के कई मतदान केंद्रों पर उनके मतदान एजेंटों को अंदर नहीं घुसने दिया गया।

बेल्घेरिया के जतिन दास नगर के मतदान केंद्र पर बम हमले की भी सूचना है।

चौथे चरण के तहत जिन 49 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहे हैं, उनमें से 33 उत्तर 24 परगना जिले में और शेष 16 हावड़ा जिले में हैं।

चौथे चरण के तहत 12,481 मतदान केंद्रों पर 1.08 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पंजीकृत हैं। इस चरण में 345 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, जिनमें से 40 महिलाएं हैं।

निर्वाचन आयोग इस चरण के लिए 14,353 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और 680 वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) मशीन का इस्तेमाल कर रहा है।

सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से केंद्रीय बलों की 672 कंपनियों और 23,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। इसके साथ ही दोनों जिले में पारदर्शी एवं निष्पक्ष चुनावों के लिए आवश्यक बंदोबस्त किए गए हैं।

वर्ष 2011 के विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने इन 49 में से 43 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को दो सीटें मिली थी। वामपंथी मोर्चे में मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को तीन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को एक सीट मिली थी।

तृणमूल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सभी निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवारों को उतारा है। वामपंथी मोर्चे के घटक और कांग्रेस 46 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि जनता दल (युनाइटेड) एक सीट पर और दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।

उत्तर 24 परगना की खारदा सीट से एक बार फिर दो अर्थशास्त्री आमने-सामने हैं। तृणमूल सरकार में वित्त, उद्योग एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अमित मित्रा और माकपा के असीम दासगुप्ता इस सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • उप्र : बेटी से दुष्कर्म करने वाला पिता गिरफ्तार
    मुजफ्फरनगर, 17 मई (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के बुढ़ाना में रिश्तों को कलंकित करते हुए एक पिता ने अपनी की नाबालिग बेटी को हवस का शिकार बना डाला।

    पांच माह से पिता की ज्यादती बर्दाश्त कर रही बेटी जब गर्भवती हो गई, तब मां को पता चला। मां-बेटी ने थाने पहुंच कर तहरीर दी। पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

    जनपद के बुढ़ाना कस्बे के कोतवाली रोड निवासी आरोपी युवक मजदूरी करता है। उसकी पत्नी भी घरों में झाड़ू-पोंछा का काम करती है। महिला ने बेटी के साथ कोतवाली पहुंचकर अपने पति के खिलाफ बेटी के साथ दुष्कर्म करने की तहरीर दी।

    उसने पुलिस से शिकायत करते हुए बताया कि जनवरी में वह काम करने के लिए गई हुई थी। उसका पति और नाबालिग बेटी घर पर अकेली थी। इस दौरान उसके पिता ने उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद से वह लगातार उसके साथ दुष्कर्म करता रहा। किशोरी ने भी डर के कारण किसी को कुछ नहीं बताया, लेकिन जब वह गर्भवती हो गई, तब मां को पता चला।

    मामले की सूचना पर सीओ ए.सी. शर्मा भी कोतवाली पहुंचे और महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी में उन्होंने किशोरी से पूछताछ की।

    थानाध्यक्ष अरुण त्यागी ने बताया कि आरोपी पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज उसे जेल भेज दिया गया है।

    --आईएएनएस
  • आजमगढ़ में हालात सामान्य, तनाव बरकरार
    आजमगढ़, 17 मई (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ के निजामाबाद क्षेत्र में सांप्रदायिक विवाद के बाद जारी तनाव है। क्षेत्र में मंगलवार को भी बड़ी संख्या में फोर्स तैनात रही।

    खुदादादपुर में बीते 12 घंटे से हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। बड़ी संख्या में आरएएफ, पीएसी तथा पुलिस की निगरानी में दंगाइयों पर नियंत्रण कर लिया गया है। प्रदेश के एडीजी (कानून व्यवस्था) के साथ ही वाराणसी के आईजी व डीआईजी भी आजमगढ़ में डेरा डाले हुए हैं।

    सोशल मीडिया के जरिए फैल रही अफवाहों को रोकने के लिए सोमवार की शाम से ही जिले में इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गई है। बलवाइयों की धरपकड़ के लिए रातभर छापेमारी चलती रही।

    संवेदनशील इलाकों में एहतियात के तौर पर आरएएफ और कमांडो की तैनाती की गई है। जिले के चर्चित संजरपुर और सरायमीर समेत कई बाजार आज भी बंद हैं। निजामाबाद के खुदादपुर, फरीदाबाद, बनगांव, फरिहा आदि इलाकों में भी सन्नाटा है। हिंसक झड़पें इन्हीं क्षेत्रों से शुरू हुई थीं।

    ऑटो के किराये व होली के दिन रंग डाले जाने को लेकर अब दो सांप्रदायों में विवाद बार-बार दंगों का रूप ले रहा है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बेवजह दंगे कराए जा रहे हैं।

    रविवार को हुए पथराव व आगजनी के बाद भीड़ की तरफ से की गई फायरिंग में एक सीओ समेत कई पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी घायल हो गए थे। लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़कर पुलिस ने किसी तरह हालात को काबू में किया था, लेकिन तनाव को कम करने के उपाय जारी हैं।

    --आईएएनएस
  • दिल्ली निगम चुनाव : आप, कांग्रेस के बाद भाजपा तीसरे स्थान पर (राउंडअप)
    नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)। दिल्ली नगर निगम के 13 वार्डो के लिए हुए उपचुनाव के नतीजों से मंगलवार को तीनों निगमों पर राज कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी 13 में से केवल तीन वार्डो पर जीत बरकरार रख पाई।

    पहली बार निकाय चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी (आप) ने पांच वार्डो में जीत दर्ज की और कांग्रेस ने चार सीटें जीतकर अपनी स्थिति सुधारी है।

    एक सीट स्वतंत्र उम्मीदवार राजेंद्र सिंह तंवर ने जीती, जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।

    मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता अजय माकन, दोनों ने परिणाम को अपने-अपने हक में बताया है।

    केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी में अपना विश्वास बरकरार रखा है। आप पिछले वर्ष फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज कराकर सत्ता में आई थी।

    केजरीवाल ने कहा कि नगर निगम में सिर्फ भाजपा और कांग्रेस की उपस्थिति रही है, लेकिन बाहरी आप ने सर्वाधिक सीटें जीती है।

    उन्होंने अगले वर्ष उत्तर दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी), और दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के लिए होने वाले चुनाव में भारी जीत दर्ज कराने का संकल्प लिया।

    तीनों निकाय मिलकर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) बनते हैं, जो इस शहर की सबसे बड़ी नागरिक संस्था है।

    कांग्रेस ने कहा कि उसके पारंपरिक मतदाता पार्टी की ओर लौटने शुरू हो गए हैं। पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।

    कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा, "सफाई कर्मचारी, रेहड़ी-पटरी वाले और झुग्गी-बस्ती के लोगों सहित कांग्रेस के परंपरागत मतदाता कांग्रेस की तरफ लौट रहे हैं।" उपचुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत 24.7 रहा।

    उन्होंने कहा, "इसके अलावा अल्पसंख्यक मतदाता भी कांग्रेस की ओर लौट रहे हैं।" माकन ने कहा कि भाजपा और आप के धनबल, बाहुबल और प्रशासनिक बल के बावजूद कांग्रेस ने चार सीटें जीती हैं।

    लेकिन चुनाव परिणाम भाजपा के लिए परेशान करने वाले रहे, जिसका तीनों निगमों पर शासन है। भाजपा सिर्फ उन सात वार्डो में से मात्र दो पर जीत दर्ज करा पाई, जिनपर 2012 में उसने जीत दर्ज की थी। भाजपा की दो-दो सीटें कांग्रेस और आप के पास चली गईं और एक निर्दलीय के खाते में।

    आप के विजेता उम्मीदवारों में मोहम्मद सादिक (बल्लीमारान), अशोक कुमार (विकास नगर), रमेश (मटियाला), अनिल मलिक (नानकपुरा) और अभिषेक बिधूड़ी (तहखंड) हैं।

    जबकि भाजपा से महेंद्र नागपाल (वजीरपुर), भूपिंदर मोहन भंडारी (शालीमार बाग) और कृष्ण गहलोत (नवादा) विजयी हुए हैं।

    कांग्रेस के विजेता उम्मीदवारों में अशोक भारद्वाज (कमरुद्दीन नगर), योगिता राठी (मुनिरका), आनंद कुमार (खिचड़ीपुर) और पंकज (झिलमिल) शामिल हैं।

    भाटी वार्ड से स्वतंत्र उम्मीदवार राजेंद्र सिंह तंवर ने नतीजे आने के फौरन बाद घोषणा की कि वह कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं।

    कांग्रेस और भाजपा दोनों ने कहा कि परिणाम बताते हैं कि राजधानी के लोग 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद आप से दूर हो रहे हैं।

    आप नेता सोमनाथ भारती ने हालांकि इस आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "हमने पहली बार निगम चुनाव लड़ा है। हमारे वरिष्ठ नेताओं ने प्रचार तक नहीं किया। फिर भी हमारे लिए निगम चुनाव में यह एक शानदार शुरुआत है।"

    नगर निगम के 13 वार्डो के लिए 15 मई को मतदान हुआ था, जिसमें छह लाख से अधिक मतदाताओं में से 50 प्रतिशत से भी कम ने वोट दिए।

    मंगलवार सुबह राज्य निर्वाचन आयोग ने नतीजों की घोषणा कर दी। इन चुनावों को अगले वर्ष के निकाय चुनावों के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है।

    भाजपा नेताओं ने हालांकि कहा कि उन्हें 34.11 प्रतिशत वोट मिला है। आप 29.93 प्रतिशत वोट पाकर दूसरे स्थान पर और कांग्रेस 24.87 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे स्थान पर है।

    दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी परिणामों का विश्लेषण करेगी।

    उन्होंने कहा, "इसके कई कारण रहे। गर्मी के कारण हमारे पारंपरिक मतदाता घरों से नहीं निकले। तमाम सारे स्कूलों की छुट्टी के कारण दिल्ली से बाहर हैं।"

    2013 व 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए निगम सदस्यों द्वारा दिए गए इस्तीफे के बाद से दिल्ली में तीनों नगर निकायों के 13 वार्ड में सीटें रिक्त थीं।

    13 नवनिर्वाचित निगम पार्षदों में से 12 बार पहली बार चुनाव में खड़े हुए थे।

    --आईएएनएस
  • 'केरल दुष्कर्म कांड की जांच को प्रभावित किया जा रहा'
    नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)। केरल में दलित महिला जीशा की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले की जांच करने गई राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की एक समिति ने कहा है कि पुलिस 'दबाव' में काम कर रही है और चुनावी मुद्दों की वजह से हो सकता है कि इसकी निष्पक्ष जांच न हो।

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस जघन्य घटना के पहले महिला, उसकी मां और बहन को कथित रूप से उनके पड़ोसी परेशान करते थे। लेकिन, बार-बार शिकायत करने के बाद भी पुलिस ने कार्रवाई नहीं की थी।

    समिति की रिपोर्ट को मंगलवार को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भारतीय महिला प्रेस कॉर्प्स में पढ़कर सुनाया।

    मेनका गांधी ने कहा, "उन्होंने कहा था कि उनके साथ दुष्कर्म होने जा रहा है, हत्या होने जा रही है लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।"

    रिपोर्ट में कहा गया है, "समिति का यह मानना है कि केरल में चुनाव हो रहा है, ऐसे में प्रशासन और पुलिस कुछ अवांछित प्रभाव में काम कर रहे हैं। ऐसी संभावना है कि चुनावी दांवपेंच की वजह से जांच उतनी कड़ाई के साथ नहीं हो पाए, जितनी होनी चाहिए।"

    केरल विधानसभा का चुनाव सोमवार को संपन्न हुआ है।

    एनसीडब्ल्यू की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि समिति ने नौ मई को ही पत्र लिखकर मुख्य चुनाव आयुक्त को अपनी चिंता से अवगत करा दिया था।

    केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी एक पत्र भेजा गया है। उसमें ठीक चुनाव के समय केरल की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताई गई है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़िता और उसके परिवार को अक्सर उसके पड़ोसी परेशान करते थे। इस बारे में पीड़िता की मां ने अपने एक पड़ोसी पर आरोप भी लगाया था।

    उसकी मां ने पुलिस प्रशासन के पास संभावित खतरे को लेकर रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। उसकी शिकायत पर पुलिस ने कोई कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई।

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीड़िता की मां की कई मौकों पर स्थानीय पंचायत नेता के करीबी रिश्तेदार से लड़ाई भी हुई थी। वह रिश्तेदार वाम मोर्चे से जुड़ा है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने उस व्यक्ति से पूछताछ नहीं की। वह रसूख वाला और राजनीतिक पहुंच वाला लगता है। इससे पुलिस पर संदेह की अंगुली उठती है।

    28 अप्रैल को 27 वर्षीया जीशा की एर्नाकुलम के पेरंबावूर में लाश बुरी हालत में मिली थी। अपराध की बर्बरता को देखते हुए उसकी तुलना वर्ष 2012 में दिल्ली के निर्भया कांड से की जा रही है।

    --आईएएनएस
  • उप्र : पीके की रणनीति, कांग्रेस को कुर्मी व ब्राह्मण का मिले साथ
    लखनऊ, 17 मई (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की नैया पार करने का जिम्मा लेने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) चाहते हैं, प्रदेश में कुर्मी और ब्राह्मण समाज के लोगों को पार्टी से जोड़ा जाए।

    पीके के जिम्मेदारी संभालने के बाद एक सुगबुगाहट भी तेजी से फैल रही है कि यूपी कांग्रेस में जल्द ही व्यपाक फेरबदल होने वाला है।

    भाजपा में ब्राह्मण अध्यक्ष को हटाए जाने के बाद ब्राह्मणों की नाराजगी को अपने पक्ष में भुनाने के लिए कांग्रेस उन्हें विकल्प देने जा रही है। यूपी कांग्रेस का नया चेहरा किसी ब्राह्मण को बनाए जाने की तैयारी है।

    पीके की रणनीति है कि कुर्मी वोट बैंक के साथ अगर ब्राह्मण को भी पाले में कर लिया जाए तो कांग्रेस को यूपी में बड़ी सफलता हाथ लग सकती है।

    भाजपा से नाराज ब्राह्मण प्रतिक्रियात्मक तौर पर कांग्रेस के साथ आ सकता है। पीके अपने प्रबंधन के लिहाज से तीन ब्राह्मण नेताओं के नाम कांग्रेस हाईकमान को सुझाए हैं, लेकिन राहुल गांधी ने किसी नाम पर फिलहाल अपनी मुहर नहीं लगाई है।

    पीके ने प्रदेश अध्यक्ष के लिए कमलापति त्रिपाठी के पौत्र राजेशपति त्रिपाठी, पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद तथा सांसद प्रमोद तिवारी के नाम अध्यक्ष पद के लिए सुझाए हैं। उनका मानना है कि विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस को ब्राह्मणों में पैठ बनानी ही होगी।

    प्रशांत का तर्क है कि ब्राह्मण समाज का भाजपा से मोहभंग हो रहा है, लेकिन उसे बेहतर विकल्प नहीं मिलने के चलते वह सपा और बसपा की तरफ जाता रहा है। अगर कांग्रेस खुद को मजबूत विकल्प साबित करे तो ब्राह्मण समाज पार्टी से जुड़ सकता है।

    विधानसभा के 2002 के चुनाव में 50 फीसदी ब्राह्मण मतदाता भाजपा के साथ था, लेकिन 2007 में 44 तथा 2012 के विधानसभा चुनाव में 38 फीसदी मतदाता ही भगवा के साथ रह गया था।

    वर्ष 2017 में इसमें और कमी आने की प्रबल आशंका है। सन् 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा भी 19 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाताओं के वोट पाने में सफल रहे।

    पीके का मानना है कि अगर कांग्रेस मजबूत विकल्प साबित हुई तो मुस्लिम मतदाता भी सपा-बसपा से ज्यादा कांग्रेस से स्वाभाविक तौर पर जुड़ जाएगा। पर, पीके की दिक्कत यह है कि उनके हिस्से में अब तक जो दो जीतें आई हैं, वे प्रतिकूल परिस्थितियों में मिली हैं।

    --आईएएनएस
  • आजमगढ़ में सांप्रदायिक तनाव सपा-भाजपा का खेल : रिहाई मंच
    लखनऊ, 17 मई (आईएएनएस/आईपीएन)। रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने मंगलवार को कहा कि आजमगढ़ को सांप्रदायिकता की आग में झोंककर सपा-भाजपा गठजोड़ ठीक वही षड्यंत्र रच रहा है जो उसने मुजफ्फरनगर समेत सैकड़ों सांप्रदायिक तनावों में किया है।

    उन्होंने कहा कि खुदादादपुर में दो पक्षों के निजी मामले को पुलिस और सांप्रदायिक तत्वों की मिलीभगत से पूरे मामले को सांप्रदायिक बना दिया गया। पुलिस ने मुसलमानों के घरों में जबरन घुसने की कोशिश की, फायरिंग की तथा आंसू गैस के गोले छोड़े जो लोगों के घरों में जाकर गिरे। इस दौरान पुलिस ने घरों में तोड़फोड़ भी की।

    शुऐब ने कहा कि दरवाजे तोड़ने और चीख-पुकार की आवाजें आने के बाद क्षेत्र का माहौल तनावपूर्ण हो गया।

    उन्होंने बताया कि आजमगढ़ दंगों को लेकर मंच जल्द ही वहां का दौरा करेगा और हकीकत जानेगा।

    वहीं आजमगढ़ के दाऊदपुर, खुदादादपुर, फरिहा समेत पूरे इलाके में बने सांप्रदायिक माहौल पर मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि आजमगढ़ में सांप्रदायिक तनाव लगातार बने रहने के पीछे की वजह मुस्लिमों के खिलाफ हमलावरों में मुख्यत: यादव जाति के लोगों का शामिल होना है, जिनके खिलाफ अखिलेश यादव सरकार कारवाई से बच रही है।

    उन्होंने कहा कि इस पूरे सांप्रदायिक तनाव में पूर्व भाजपा सांसद रमाकांत यादव की संलिप्तता है। उन्होंने मांग कि पूर्व सांसद को गिरफ्तार करते हुए पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच कराई जाए। उन्होंने बताया कि इस मामले में मंच ने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है।

    --आईएएनएस

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