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UP मिशन 2017: दलित महापुरुषों के सहारे सियासत चमकाने में लगी पार्टियां Featured

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में अब सालभर से भी कम समय बचा है। इसलिए दलितों में अपनी पैठ गहरी करने की जद्दोजहद में लगी पार्टियां अब दलित महापुरुषों के सहारे अपनी सियासत चमकाने में लग गई हैं।

बाबा साहब अंबेडकर, संत रविदास, जगजीवन राम व कांशीराम के जरिए दलितों को रिझाने की कोशिशें अब ज्यादा तेज हो गई हैं।

सत्ता में वापसी तय करने में जुटी सपा :

सत्ता में वापसी तय करने में जुटी सपा को दलितों में भी अपनी पैठ बढ़ाने की चिंता है। उसकी रणनीति दलितों में गैर जाटव जातियों में पासी, वाल्मीकि, खटिक, कोरी, धोबी का बड़ा समर्थन हासिल करने की है। पार्टी इन जातियों को बताना चाहती है कि बसपा सरकार में इनकी उपेक्षा हुई। पार्टी का अनुसूचित जाति जन प्रकोष्ठ प्रकोष्ठ दलित बस्तियों में बताएगा कि कैसे अखिलेश सरकार दलित वर्ग के हित में काम कर रही है।

चुनाव को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले साल अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस पर रद्द सार्वजनिक अवकाश को इस साल बहाल कर दिया।

सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, "चुनाव में आरक्षण भी एक मुद्दा रहेगा। आरएसएस के दबाव में भाजपा सरकार कब आरक्षण उलट दे, कहा नहीं जा सकता। एक ओर संघ प्रमुख आरक्षण के खिलाफ बयान दे रहे हैं, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री अपने को अंबेडकर भक्त बताते हुए आरक्षण जारी रखने का इरादा बताते हैं। फिर भी लोग विश्वास नहीं कर रहे हैं। बिहार में क्या हुआ, दुनिया ने देखा।"

मायावती देंगी करारा जवाब :

कभी संत रविदास तो कभी बाबा साहब अंबेडकर। दलित वोटबैंक में सेंध लगाने की विरोधी दलों की लगातार चल रही कोशिशों का बसपा मुखिया मायावती 14 अप्रैल को लखनऊ में बड़ा जमावड़ा कर करारा जवाब देंगी।

बसपा दलित समाज में जन्मे संतों, गुरुओं, महापुरुषों के सम्मान में उनकी जयंती व पुण्यतिथि पर बड़े आयोजन करती रही है। बाबा साहब अंबडेकर के जन्मदिन 14 अप्रैल और परिनिर्वाण दिवस 6 दिसंबर को पार्टी हर वर्ष आयोजन करती रही है, लेकिन विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही जिस तरह विरोधी दलों ने पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश तेज कर दी है, उसके बाद पार्टी ने बाबा साहब के जन्मदिन पर इस बार शक्ति प्रदर्शन से जवाब देने का फैसला किया है।

बसपा के खिलाफ भाजपा छेड़ेगी जंग :

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बसपा के खिलाफ बड़ी सियासी जंग छेड़ने की तैयारी में है। दलित वोटों को लेकर बसपा के साथ होने वाले इस सियासी टकराव में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर सबसे बड़ा मुद्दा होंगे।

भाजपा 14 अप्रैल को बाबा सहेब की जयंती को अपने सभी छोटे-बड़े कार्यालयों पर प्रमुखता से मनाएगी। अंबेडकर जयंती के बहाने भाजपा मायावती और उनकी नीतियों पर हमला बोलेगी।

अंबेडकर जयंती के साथ प्रदेशभर में शुरू होने वाली भाजपा की इस मुहिम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) जैसे सहयोगी संगठन भी शामिल बताए जा रहे हैं। लेकिन भाजपा का कोई नेता यह बताने को तैयार नहीं है कि अंबेडकर को हिंदू धर्म क्यों छोड़ना पड़ा और भाजपा समर्थकों को मायावती की पार्टी 'मनुवादी' क्यों कहती है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा 10 से 20 फीसदी दलित वोटों को अपनी ओर खींचने की इस मुहिम के तहत ग्रामीण इलाकों पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित करने जा रही है।

कांग्रेस ने दलित नेताओं को आगे बढ़ाया :

लगातार 10 साल केंद्र की सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में दलितों के बीच नए नेतृत्व उभारने में जुट गई है। पार्टी में दलितों के बीच अच्छी पैठ रखने वाले नेताओं को आगे बढ़ाया जा रहा है।

पार्टी की ओर से हाल ही में कांग्रेस ने लखनऊ में 'दलित नेतृत्व विकास और संवाद' विषय पर दलित कान्क्लेव का आयोजन किया गया था। इसमें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शिरकत की थी। पार्टी अब उत्तर प्रदेश में दलित चेहरे के तौर पर पन्नालाल पुनिया को आगे कर रही है।

इससे पहले कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भीम ज्योति यात्रा निकाल चुकी है। इसका मकसद कांग्रेस से दूर हो चले दलितों को फिर से पार्टी के साथ जोड़ना है।

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  • आतंकवाद पर भारत की पीड़ा समझेगा पाक
    प्रभुनाथ शुक्ल
    पाकिस्तान के पेशावर स्थित आर्मी स्कूल में 16 नवंबर को आतंकी हमला था हुआ था। जिसमें 132 स्कूली छात्रों के साथ 141 को बड़ी निर्ममता से मौत के घाट उतारा गया था। इस हमले को तहरीक-ए-तालिबान के आतंकी समूह ने अंजाम दिया था।

    अब दूसरा सबसे बड़ा हमला पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के रिहायशी वाले इलाके में स्थित एक पार्क में हुआ। जिसमें 70 से अधिक लोग मारे गए। इस हमले की जिम्मेदारी भी तहरीक-ए-तालिबान से अलग हुए आतंकी संगठन जमातुल अरहार ने ली है। आतंकी हमले में 30 मासूम बच्चे मारे गए हैं जो पार्क में बेखौफ होकर बचपन की मस्ती में मशगूल थे। दो दर्जन से अधिक लोगों की हालत बेहद नाजुक है जबकि 300 लोग घायल हुए हैं। मरने वालों में 20 से अधिक लोग ईसाई समुदाय के हैं। चरपंथियों के निशाने पर ईसाई पंथ के लोग ही थे। इससे यह साफ जाहिर होता है कि आंतकियों ने इसकी पूर्व प्लानिंग कर रखी थी।

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    इस घटना में मानव बम का इस्तेमाल किया गया। इसकी समानता पेशावर हमले से मिलती है। इसमें भी मानव बम का उपयोग किया गया था। पेशावर हमले के बाद पाकिस्तान सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ अड़ियल रुख अपनाया। बहुतायत संख्या में पाक की जेलों में बंद आतंकियों को सजाए मौत की सजा दी गयी। फांसी की सजा पर लगा प्रतिबंध भी सरकार ने हटा दिया। लेकिन उसका कोई असर नहीं दिखा। पाकिस्तान जब तक भारत में प्रयोजित आतंकवाद को संजीदगी से नहीं लेगा वह भी इस पीड़ा से समय-समय पर कराहता रहेगा।

    आतंकवाद के सफाए के लिए भारत पाकिस्तान की हर संभव मदद करने को तैयार रहता है। पठानकोट हमले की जांच के लिए पाक से जेआईटी आयी है। जांच टीम को भारत सरकार और उसकी सुरक्षा एजेंसियों को सारी सुविधा और सहयोग मुहैया कराए गए हैं। जांच टीम पाठानकोट एयरबेस पर भी गयी। हलांकि देश के राजनैतिक दलों की ओर से इसका कड़ा विरोध भी हुआ, लेकिन मोदी सरकार पाकिस्तान को कोई मौका नहीं देना चाहती है।

    मुंबई आतंकी हमले पर भी पाकिस्तान को अजमल आमिर कसाब के संबंध में सारी जानकारी उपलब्ध कराई गई थी। पाकिस्तान के एक आलाधिकारी ने कबूल भी किया था कि मुंबई आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने जिस वोट का इस्तेमाल किया था, वह पाकिस्तानी थी। लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान ने कसाब को अपना नागरिक नहीं माना। क्योंकि इसके पीछे उसके घरेलू और राजनैतिक कारण हैं।

    भारत में चुनी हुई सरकार स्वतंत्र रूप से काम करती है जबकि पाकिस्तान में ऐसा नहीं है। वहां सरकार दिखावे की होती है जबकि सारा काम सेना और खुफिया एजेंसी आईएएसआई करती है। जिससे इस समस्या का हल फिलहाल नहीं निकलने वाला है। जिस आतंकवाद को पाकिस्तान अपनी सरजमीं से सालों से पालता पोषता चला आ रहा है आज उसकी कीमत भी उसे चुकानी पड़ रही है। भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां सेना की सह पर चलायी जाती हैं। आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए घिनौना जहर है। हमारे यहां एक देशी कहावत है कि जाके पैर न फटी बिवाई सो क्या जाने पीर पराई।

    पेशावर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा था-अच्छे और बुरे तालिबान में कोई फर्क नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी जब तक कि अंतिम आतंकवादी नहीं मारा जाता है। पाकिस्तान सरकार का यह बयान वास्तव में संजीदगी भरा था। पेशावर का यह आतंकी हमला दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी है।

    इसके पहले 2004 में रूस में आतंकी हमला हुआ था जिसमें 300 से अधिक स्कूली बच्चों को जान गंवानी पड़ी थी। यह हमला चेचेन्या विद्रोहियों की तरफ से किया गया था। वहां भी आतंकी फ्रंटियर कोर की वर्दी पहन कर स्कूल में घुस कर मासूमों की हत्या की थी। दुनिया भर में सिर उठाते आतंकवाद के खिलाफ भारत खड़ा है। लेकिन अब वक्त आ गया है जब पाकिस्तान को भारत के साथ मिल कर इसका मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए। क्योंकि यह सिद्ध है कि भारत में जो आतंकवाद की खेती की जा रही है उसे पाकिस्तान की सरजमीं से चलाया जा रहा है।

    मुंबई की 26/11 की घटना हो या हाल में पठानकोट के एयरबेस का। इस हमले में पाकिस्तान का खुला प्रमाण होने का हाथ मिला है। आतंकियों के पास से पाकिस्तान निर्मित दहशतगर्दी के साजो सामान खाद्य सामग्री और दूसरी वस्तुाएं मिली हैं। इससे यह साबित हो गया है कि भारत के खिलाफ आतंकी घटना को पाकिस्तान की सरजमीं से अंजाम दिया जा रहा है।

    भारत और पाकिस्तान एक साथ एक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की घोषणा करंे। अगर ऐसा होता है तो पूरी दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ बेहतर संदेश जाएगा। लेकिन पाकिस्तान को यह कबूलनामा कभी तैयार नहीं होगा। क्योंकि वहां की सरकारें ही भारत विरोध के बिसात पर चुनी जाती हैं।

    पाकिस्तान में किसी दल की सरकार बने उसकी मजबूरी होती है कि वह भारत विरोधी अभियान में सेना और आतंकवाद की मदद करें। अगर ऐसा वह नहीं करती है तो खुद पाकिस्तानी सेना उसे स्थिर नहीं रहने देगी। भारत में आतंकी हमले की साजिश रचने वाले लखवी को पाक अदालत ने जमानत दे दिया है। एक ओर पाकिस्तान अच्छा और बुरा तालिबान में कोई फर्क नहीं की बात करता है। दूसरी तरफ एक देश पर हमले की साजिश रचने वाले आतंकी हाफिज सईद को जमानत मिल जाती है लेकिन बाद में गंभीर आलोचना और भारत के कड़े प्रतिबाद के बाद उसे पुन: जेल भेज दिया जाता है। पाकिस्तान को आतंकवाद पर अपना नजरिया बदलना चाहिए। एक बेहतर संकल्प के साथ आतंकवाद की साझा लड़ाई में दोनों देशों को एक साथ आना चाहिए। जिससे आतंक से जुझती दुनिया को एक नया संदेश जाए। (आईएएनएस/आईपीएन)

    (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं।)

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • मप्र : शौचालय नहीं तो बंदूक का लाइसेंस, पासपोर्ट नहीं!
    संदीप पौराणिक
    नीमच, 30 मार्च (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान में हर वर्ग से जुड़े लोग अपनी हिस्सेदारी निभाने को आतुर हैं। मध्य प्रदेश के नीमच जिले की पुलिस ने तय किया है कि बंदूक के लाइसेंस और पासपोर्ट उन्हीं लोगों के बनाए जाएंगे, जिनके घरों में शौचालय होंगे।

    देशव्यापी स्वच्छता अभियान चल रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर हर घर में शौचालय की मुहिम जारी है। इसके लिए सरकारी से लेकर निजी स्तर तक पर खुले में शौच से मुक्ति के लिए कोशिशों का दौर जारी है।

    इसी क्रम में नीमच की पुलिस ने उन्हीं लोगों के बंदूक के लाइसेंस और पासपोर्ट बनाने का फैसला लिया है, जिनके घर में शौचालय होंगे।

    अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राकेश सगर ने आईएएनएस को बताया कि पुलिस के पास ऐसे स्रोत कम होते हैं, जिसके जरिए समाज के अच्छे लोगों से संपर्क का मौका मिले। पुलिस ने राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान में हिस्सेदारी निभाने के लिए कार्य योजना बनाई है। इसके तहत बंदूक के लाइसेंस और पासपोर्ट उन्हीं लोगों के बनाए जाएंगे जो घर में शौचालय होने के प्रमाण देंगे।

    ज्ञात हो कि बंदूक के लाइसेंस और पासपोर्ट के लिए पुलिस का वेरीफिकेशन आवश्यक होता है, उसके बाद ही लाइसेंस और पासपोर्ट बनता है। इसी को ध्यान में रखकर पुलिस ने शौचालय की शर्त को अनिवार्य कर दिया है।

    सगर ने बताया कि बंदूक का लाइसेंस और पासपोर्ट समाज के प्रमुख व प्रतिष्ठित वर्ग से जुड़े लोग बनवाते हैं, लिहाजा ऐसे लोगों को शौचालय बनवाने की बाध्यता की जाएगी तो समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा। इसी बात को ध्यान में रखकर जिले में स्वच्छता के अभियान को कारगर बनाने के लिए पुलिस ने इस तरह की शर्त तय की है।

    उन्होंने आगे कहा कि स्वच्छता देश और समाज से जुड़ा हुआ है, लिहाजा पुलिस की भी जिम्मेदारी है कि वह इस अभियान में अपनी भूमिका निभाए।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • सैफई देश का सबसे स्मार्ट गांव : अखिलेश

    लखनऊ/सैफई, 30 मार्च (आईएएनएस)। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि सैफई देश का सर्वाधिक स्मार्ट गांव है। सैफई में जल्द ही इलाज की विश्वस्तरीय सुविधाएं होंगी।

    मुख्यमंत्री ने बुधवार को सैफई रिम्स में इमरजेंसी ट्रामा सेंटर, फार्मेसी कॉलेज और सीनियर डॉक्टर्स के लिए हॉस्टल का शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री पहले ही सैफई में मेडिकल यूनिवर्सिटी की घोषणा कर चुके हैं।

    उन्होंने कहा कि आज सैफई गांव के पास अपनी हवाईपट्टी, अन्तर्राष्ट्रीय स्टेडियम, ऑल वीदर स्वीमिंग पुल, मेडिकल कॉलेज, पैरा मेडिकल कॉलेज, स्पोर्ट्स हॉस्टल के साथ बहुत कुछ है, जो शायद देश के किसी गांव में नहीं है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • CRPF जवान का पत्नी ने कहा, मेरे पति के साथ कुत्ते जैसा व्यवहार हुआ

    आलप्पुझा (केरल)़, 30 मार्च (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में डूबे केरल निवासी सीआरपीएफ के एक जवान की पत्नी ने बुधवार को सीआरपीएफ अधिकारियों पर पति के शव का अपमान करने का आरोप लगाया है।

    उल्लेखनीय है कि 33 वर्षीय अनिल अचेनकुंजू की पत्नी लिनी ने कहा, "मेरे पति के साथ कुत्ते जैसा व्यवहार हुआ। उनके शव पर कम से कम कफन तो होना चाहिए था।"

    उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, "क्या एक जवान के साथ ऐसा ही किया जाता है? या मेरे पति ही सिर्फ ऐसे जवान हैं, जिनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया?"

    लिनी ने इसके लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अधिकारियों और गृह मंत्रालय दोनों को दोषी ठहराया।

    चिंगोली जिले के अचेनकुंजू की मौत 24 मार्च को छत्तीसगढ़ में पानी की टंकी में डूबने से हुई थी। उनका शव शनिवार को यहां लाया गया।

    केरल के गृहमंत्री रमेश चेन्निथला ने नई दिल्ली में मीडिया को बताया कि उन्होंने इस मुद्दे पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह से बात की है। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।

    चेन्निथला ने कहा, "मृतक मेरे निर्वाचन क्षेत्र से हैं और मैं उन्हें जानता हूं। मृतक परिवार में एकमात्र कमाने वाला था। इसलिए राज्य सरकार अपना धर्म निभाएगी।"

    उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस घटना की जांच होने के बाद इस पर कार्रवाई की जाएगी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • केरल में कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन में अड़चन

    नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम, 30 मार्च (आईएएनएस)। केरल में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन में बुधवार को अप्रत्याशित अड़चन आ गई। ऐसा इस वजह से हुआ क्योंकि मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने चुनावी दौड़ से हटने की इच्छा जता दी।

    प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वी. एम. सुधीरन द्वारा उम्मीदवारों के चयन के मानदंड का मुद्दा उठाए जाने के बाद चांडी ने अपनी यह इच्छा जताई।

    चांडी के एक करीबी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि अभी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है क्योंकि सुधीरन अड़े हुए हैं। वह पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को इस आधार पर बदलना चाहते हैं कि वे अभी विवादों में हैं जबकि कुछ अन्य लंबे समय से चुनाव लड़ रहे हैं।

    चांडी के सहयोगी ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, "चांडी ने पार्टी के राज्य के साथ-साथ राष्ट्रीय नेताओं को यह स्पष्ट कर दिया है कि सुधीरन जिस पैमाने की बात कर रहे हैं, अगर वही तय हो गए तो फिर ये न केवल राज्य के नेताओं पर लागू होंगे बल्कि शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं पर भी लागू होंगे। उन्होंने कहा है कि वह इस चुनावी दौड़ से बाहर रहेंगे।"

    केरल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोमवार रात से दिल्ली में हैं। प्रत्याशियों के चयन की समिति की दो बार बैठक हो चुकी है। संकट तब शुरू हुआ जब सुधीरन ने कहा कि आरोपों का सामना कर रहे मंत्रियों और बुजुर्गो को किनारे रखा जाए।

    सुधीरन जिन्हें टिकट देने का विरोध कर रहे हैं उनमें उत्पाद राज्य मंत्री के. बाबू (बार घोटाले में आरोपों का सामना कर रहे ), राजस्व मंत्री अदूर प्रकाश (भूमि हस्तांतरण को लेकर विवादों में हैं, पिछल माह यह हस्तांतरण हुआ था और बाद में इसे रद्द करना पड़ा ), संस्कृति मंत्री के. सी. जोसेफ ( 1982 से लगातार विधायक हैं), बेन्नी बेहनान (सौर्य पैनल घोटाले के अभियुक्त) और राजधानी के जिले पारासाला विधानसभा क्षेत्र से विधायक ए. टी. जॉर्ज हैं।

    इन पांचों में प्रकाश और जॉर्ज राज्य के गृहमंत्री रमेश चेन्निथला गुट के हैं जबकि शेष तीनों चांडी के सबसे करीबियों में माने जाते हैं।

    चांडी अपने विचार से राष्ट्रीय नेतृत्व को अवगत करा चुके हैं कि यदि यही मानक हैं तो वह खुद उनमें से हैं जो सर्वाधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं और वह 1970 से ही हर चुनाव जीतते आ रहे हैं। इसलिए वह भी चुनाव मैदान से अलग रहेंगे।

    वर्ष 2004 का लोकसभा चुनाव हार चुके सुधीरन 2014 में तब राजनीतिक सुर्खियों में आ गए जब राहुल गांधी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पसंद किया। किसी को इसकी उम्मीद नहीं थी। तभी से चेन्निथला और चांडी गुट सुधीरन के उपायों की काट खोजता रहा है।

    अब सभी की निगाहें पार्टी आलाकमान पर है जो इस मुद्दे पर शुक्रवार को अंतिम फैसला देगा।

    140 सदस्यीय केरल विधानसभा का चुनाव 16 मई को होना है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • म्यांमार : यू हटिन ने राष्ट्रपति, सू की ने विदेश मंत्री पद की शपथ ली

    नेपीथा, 30 मार्च (आईएएनएस)। सत्तारूढ़ नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) पार्टी के नेता यू हटिन क्याव ने बुधवार को म्यांमार के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।

    समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सेना द्वारा नामित पहले उपराष्ट्रपति यू मिंट स्वे और दूसरे उपराष्ट्रपति यू हेनरी वान थियो ने भी संसद के अध्यक्ष यू मान विन खंग थान की मौजूदगी में पद की शपथ ली।

    राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के पद की शपथ लेने के बाद न्यू मयो न्यूनत के नेतृत्व में नौ सदस्यीय संवैधानिक ट्रिब्यूनल, यू हला थीन के नेतृत्व में पांच सदस्यीय यूनियन इलेक्शन कमिशन और राष्ट्रपति यू हटिन क्याव द्वारा नामित किए गए 18 कैबिनेट मंत्रियों ने पद की शपथ ली।

    नव नियुक्त मंत्रियों में से छह सत्तारूढ़ एनएलडी, दो यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (यूएसडीपी) से हैं। इसके अलावा तीन संसद के सैन्य सदस्य और सात गैर संसदीय विशेषज्ञ हैं।

    वहीं, एनएलडी की अध्यक्ष आंग सान सू की (70) म्यांमार की नई विदेश मंत्री बन गई हैं। वह नई सरकार में तीन अन्य विभाग भी संभालेंगी।

    यूनियन पार्लिमेंट ने सू की को राष्ट्रपति कार्यालय, शिक्षा विभाग और बिजली एवं ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी भी सौंपी है।

    राष्ट्रपति यू हटिन क्याव ने राष्ट्रपति भवन का रुख करने से पूर्व अपना पहला भाषण दिया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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