मथुरा हिंसा की सीबीआई जांच पर सुनवाई मंगलवार को
नई दिल्ली, 6 जून (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें मथुरा हिंसा की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की गई है।
घटना में दो पुलिस अधिकारियों सहित 29 लोगों की जान चली गई थी और बड़े पैमाने पर संपत्ति को नुकसान पहुंचा था।
न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष तथा न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की सुनवाई मंगलवार को करने पर सहमति जताई। इससे पहले अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने मामले को उठाते हुए इस पर जल्द सुनवाई की आवश्यकता जताई थी।
हिंसा की यह घटना दो जून की है, जब पुलिस इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर उत्तर प्रदेश में मथुरा के जवाहरबाग में अवैध कब्जा हटाने पहुंची थी। बाग पर स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह के सदस्यों ने कब्जा कर रखा था।
इस हिंसक घटना में एक पुलिस अधीक्षक और एक थाना प्रभारी (एसएचओ) सहित 29 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 23 अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
भाजपा की दिल्ली इकाई के सदस्य, याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि मथुरा में हुई घटना के मूल कारण और 'कार्यपालिका, विधायिका और उग्रवादी समूह' के बीच संभावित गठजोड़ का पता लगाने के लिए सीबीआई जांच जरूरी है।
याचिका में दलील दी गई है कि केंद्र सरकार घटना की सीबीआई जांच के लिए तैयार है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार इसकी सिफारिश नहीं कर रही है।
याचिका में कहा गया है कि स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह, जय गुरुदेव के अनुयायियों से अलग हुए एक समूह से बना था।
उपाध्याय की ओर से अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने अदालत को मीडिया रपटों के आधार पर सबूत नष्ट किए जाने की भी बात कही।
उन्होंने कहा कि इस हिंसा में कई लोगों की जान जाने के साथ ही 200 वाहन भी नष्ट हो गए और बड़े पैमाने पर गैस सिलिंडर भी फट गए।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि जय गुरुदेव का अनुयायी रहा स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह का नेता राम वृक्ष यादव उत्तर प्रदेश सरकार के शक्तिशाली लोगों की मिलीभगत से समानांतर सरकार चला रहा था।
याचिका के मुताबिक, "स्थानीय निवासी मानते थे कि यादव उत्तर प्रदेश सरकार में कुछ मंत्रियों के बेहद करीब था, इसलिए स्थानीय प्रशासन उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहता था।"
याचिका में कहा गया है कि यह हिंसा के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के लिए स्पष्ट आधार है।
याचिका में सीबाआई जांच के अलावा ऐसी परिस्थितियों में मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए केंद्र सरकार को एक समान नीति तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
--आईएएनएस
ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी पर खालिस्तान समर्थक नारे
अमृतसर, 6 जून (आईएएनएस)। खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ 1980 के दशक में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए आपरेशन ब्लूस्टार की 32वीं बरसी पर सोमवार को कड़े सुरक्षा इंतजामों के बावजूद यहां राज्य सरकार के विरोध में और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए गए। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और एसजीपीसी कार्यबल की तैनाती के बावजूद नारेबाजी करने वाले उनकी पकड़ से बाहर रहे।
ऑपरेशन ब्लूस्टार की 32वीं बरसी पर यहां हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में विशेष प्रार्थना अयोजित की गई, जो शांतिपूर्ण रही। हालांकि कट्टरपंथी सिखों के एक समूह ने खालिस्तान के समर्थन में और राज्य सरकार तथा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ नारेबाजी की, लेकिन इससे स्वर्णमंदिर परिसर के भीतर अकाल तख्त के समक्ष चल रही प्रार्थना में किसी प्रकार की बाधा नहीं पहुंची।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी), कार्यबल के सदस्यों और पुलिसकर्मियों की नजर अराजक तत्वों पर रही, जो ऑपरेशन ब्लूस्टार के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को बाधित करना चाहते थे। वे जगह-जगह सादे लिबास में तैनात थे।
अकाल तख्त के जत्थेदार (प्रमुख) गुरबचन सिंह ने सिख समुदाय के लिए अपना संबोधन पढ़ा।
एसजीपीसी के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की 32वीं बरसी पर आयोजित समारोह में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने समाज के सभी वर्गो से संयम बरतने और शांतिपूर्वक बरसी मनाने की अपील की। यह अपील सिख कट्टरपंथियों और उदारवादी धड़ों के बीच झड़प की आशंकाओं के मद्देनजर की गई।
पिछले करीब तीन-चार साल से बरसी के मौके पर कट्टरपंथियों द्वारा खालिस्तान समर्थक नारेबाजी होती रही है। पिछले दो वर्षो में कुछ झड़पें भी हुई।
पंजाब पुलिस ने बरसी से पहले एहतियातन कई कट्टरपंथी सिख नेताओं को हिरासत में ले लिया था।
उल्लेखनीय है कि जून 1984 में अलगाववादी सिख नेता जरनैल सिंह भिंडरवाले के नेतृत्व में स्वर्ण मंदिर के अंदर छिपे हथियारबंद चरमपंथियों को बाहर निकालने के लिए सेना ने ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया था, जिसमें सुरक्षाकर्मियों सहित कई अन्य लोगों की जान गई थी।
--आईएएनएस
जेएनयू का छात्र बिहार में मुखिया बना
मनोज पाठक
भभुआ (बिहार), 5 जून (आईएएनएस)। आम तौर पर आज जहां लोग तमाम तरह की सुख सुविधाओं के साथ जीवन बिताने के लिए शहर की ओर भाग रहे हैं, वहीं बिहार के कैमूर जिले का एक युवक शहरी जीवन छोड़कर गांव में अपना भविष्य तलाशने पहुंचा है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में शोध कर रहे (रिसर्च स्कॉलर) 30 वर्षीय अमृत आनंद ने न केवल गांव में अपना भविष्य बनाने को सोचा है, बल्कि गांव की तकदीर बदलने की भी ठान ली है। अमृत ग्राम पंचायत चुनाव में पसांई पंचायत के मुखिया का चुनाव भी जीत गए हैं।
जेएनयू में जर्मन साहित्य पर शोध कर रहे अमृत अक्सर अपने गांव खजूरा आते रहते थे। इस दौरान गांव के रहन-सहन और यहां की समस्या को देखकर उन्हें दुख होता था। वे गांव की समस्या को दूर करने की सोचते थे। इसी दौरान बिहार ग्राम पंचायत चुनाव की घोषणा हुई और वे मुखिया के प्रत्याशी बन गए और आज मुखिया भी बन गए हैं।
अमृत ने आईएएनएस से कहा कि जब वे अपने गांव वापस आए और चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया तो उनके गांव के दोस्त उन पर हंस रहे थे। दोस्तों ने उनसे पूछा था कि आखिर दिल्ली छोड़कर गांव वापस आने की क्या जरूरत थी?
चुनाव प्रचार के दौरान लोगों ने 'दिल्ली वाले बाबू' कह कर उनका मजाक भी उड़ाया और यहां तक कहा, 'जैसे आया है वैसे ही चला भी जाएगा।'
इन सभी आलोचनाओं के बीच वे चुनाव मैदान में डटे रहे। अमृत ने चुनाव जीत कर सभी आलोचकों का मुंह बंद कर दिया। उनके पंचायत में कुल 17 गांव आते हैं।
अपनी इस जीत पर अमृत ने कहा कि अब पंचायत छोड़कर दिल्ली वापस जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। हालांकि उन्होंने कहा कि वह अपना शोध कार्य जरूर पूरा करेंगे।
अमृत ने आईएएनएस से कहा, "मेरे घर में पढ़ने लिखने का माहौल पहले से है। मेरा छोटा भाई अंकित आनंद अमेरिका में शोध कर रहा है। मैं भी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम कर चुका हूं। परंतु प्रारंभ से ही मेरे मन में अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ करने की ललक है।"
अमृत के पिता आनंद कुमार सिंह 15 बीघे जमीन पर खेती करते हैं। अमृत बताते हैं कि उनके पिता किसान जरूर हैं, लेकिन बच्चों को पढ़ाई के लिए हर सुविधा उपलब्ध कराते रहे हैं।
पंचायत चुनाव में उतरने के फैसले के बारे में अमृत बताते हैं कि जब भी वह गांव आते थे तो उन्हें लगता था कि गांव की कई ऐसी समस्याएं हैं जिन्हें गांव का मुखिया अगर चाहे तो दूर कर सकता है और गांव को कहीं ज्यादा बेहतर बनाया जा सकता है।
भविष्य की योजनाओं के विषय में अमृत बताते हैं कि उनकी प्राथमिकता गांव के लोगों को प्रखंड और जिला कार्यालयों में बिचैलियों से मुक्ति दिलाना, गांव को खुले में शौच से मुक्ति दिलाना और वैज्ञानिक पद्धतियों से खेती को बढ़ावा देना है।
वह कहते हैं, "गांव में सामूहिक शौचालय बनाने की उनकी योजना है। निजी शौचालय के लिए सरकार भी मदद करती है, परंतु वे गांव में सामूहिक शौचालय बनाने का प्रयास करेंगे।"
अमृत बताते हैं कि देश में संघीय ढांचे को समझने के लिए पंचायत चुनाव से अच्छा कुछ भी नहीं हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में 8000 से ज्यादा ग्राम पंचायत हैं और सभी जिलों में अभी मतगणना का कार्य जारी है।
--आईएएनएस
महाराष्ट्र के मंत्री खडसे का इस्तीफा, पूर्व न्यायाधीश करेंगे जांच
मुंबई, 4 जून (आईएएनएस)। महाराष्ट्र की भाजपा सरकार को एक बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार में दूसरा सबसे बड़ा कद रखने वाले राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे को एक के बाद एक कई विवादों में फंसने के बाद शनिवार को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। खडसे पर एक विवादित भूमि सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप है। इसके अलावा अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से कथित रिश्ते को लेकर भी वह विवादों में थे। सरकार ने उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच बंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने की घोषणा की है।
सूत्रों के मुताबिक, कभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे खडसे (63) के पास राजस्व, अल्पसंख्यक विकास एवं वक्फ, राज्य उत्पाद, राहत एवं पुनर्वास, भूकंप पुनर्वास, बागवानी, कृषि और पशुपालन, डेयरी विकास और मछली पालन विभाग थे। उन्होंने शनिवार की सुबह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और मंत्री पद से इस्तीफा सौंपा। बाद में फडणवीस ने जांच की घोषणा की।
भाजपा के विधायकों के बीच खडसे के पर्याप्त समर्थन को देखते हुए उनके द्वारा दो साल पर होने वाले राज्य के छह राज्यसभा की सीटों और 10 विधान परिषद की सीटों के चुनाव में गड़बड़ी की आशंका थी। इसे देखते हुए शुक्रवार को जब चुनाव संपन्न हो गया तब शनिवार को यह इस्तीफा आया। इस बीच सभी दलों के नेता बिना किसी विरोध के चुनाव जीत गए।
राजभवन के एक अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री की संस्तुति के बाद खडसे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष रावसाहेब दानवे ने मीडिया से कहा कि खडसे ने 'नैतिकता के आधार' पर इस्तीफा दिया है, लेकिन पार्टी पूरी दृढ़ता के साथ उनके पीछे खड़ी है।
राज्य में चार दशकों के दौरान पार्टी को मजबूत करने के लिए दानवे ने उत्तरी मुंबई से अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) के भाजपा नेता खडसे के योगदान की सराहना की।
खडसे ने अपना बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने 'कुछ भी गलत नहीं किया है' और न ही अपने 'पद का दुरुपयोग किया' है। वह पिछले कुछ हफ्ते से मीडिया ट्रायल के शिकार हैं।
खडसे ने कहा, "मैंने कुछ भी गलत नहीं किया.. जब मेरे खिलाफ आरोप लगे, तो मैंने आरोप लगाने वालों को सबूत पेश करने को कहा, जो वह कर नहीं पाए। मैंने मुख्यमंत्री से आरोपों और आरोप लगाने वालों की पूरी जांच करने को कहा है।"
पार्टी के अंदर और पार्टी के बाहर से अपनी आलोचना करने वालों पर बरसते हुए खडसे ने कहा, 'यह भाजपा पर हमला है।' यहां उल्लेखनीय है कि कुछ अन्य नाराज मंत्री भी खडसे के खिलाफ विभिन्न तरह के आरोप लेकर मुख्यमंत्री फडणवीस से मिले थे।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने शाम में ट्वीट किया कि खडसे ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच की मांग की है। बंबई उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को इस जांच के लिए नियुक्त किया जाएगा।
इससे पहले शुक्रवार को फडणवीस ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से नई दिल्ली में मुलाकात की थी और इस मुद्दे पर उन्हें विस्तृत जानकारी सौंपी थी।
इसके बाद फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक की और उन्हें इस विवाद से राज्य में धूमिल हो रही भाजपा की 'साफ छवि' से अवगत कराया।
खडसे पिछले कुछ सप्ताह से विवादों में थे। भ्रष्टाचार के मामलों में वह सत्तारूढ़ गठबंधन की सहयोगी पार्टी शिवसेना सहित कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और आम आदमी पार्टी (आप) और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आलोचना झेल रहे थे।
खडसे ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए स्वयं को निर्दोष साबित करने की प्रतिबद्धता जताई है।
खडसे पर पुणे में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास कॉर्पोरेशन (एमआईडीसी) के एक औद्योगिक प्लॉट को कौड़ियों के भाव आवंटित करने और उन्हें अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के लगातार फोन आने के आरोप लगे हैं।
खडसे के एक सहयोगी गजानन पाटिल द्वारा ठाणे के कल्याण में प्रस्तावित भूमि के संबंध में 30 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप भी हैं।
आप की पूर्व कार्यकर्ता अंजलि दमनिया ने उन पर करोड़ों रुपये के सिंचाई घोटाले में भी संलिप्तता का आरोप लगाया। इसके अलावा, सबसे नए आरोप में मछुआरों की एक सोसाइटी ने खडसे पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है।
विपक्षी दल कांग्रेस ने खडसे के इस्तीफे का स्वागत किया है। साथ ही मांग की है घोटाले में जिन अन्य मंत्रियों का नाम आया है, वे भी इस्तीफा दें।
मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरूपम ने कहा, "खडसे को तत्काल गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमा चलाना चाहिए।"
कांग्रेस नेता और नवनिर्वाचित विधायक नारायण राणे ने कहा कि मुख्यमंत्री खेल खेल रहे हैं और अपनी पार्टी से पिछड़े वर्ग के सभी नेताओं का सफाया कर रहे हैं। उनके साथ बड़ा अन्याय कर रहे हैं।
खडसे के दावे का मजाक उड़ाते हुए राकांपा के नेता ने कहा कि यदि इस्तीफा नैतिकता के आधार पर था, तो इतना अधिक विलंब क्यों किया?
--आईएएनएस
मप्र : राज्यसभा में कांग्रेस उम्मीदवार को बसपा का समर्थन
भोपाल, 4 जून (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में हो रहे राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार विवेक तन्खा का बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने समर्थन करने का फैसला लिया है।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने शनिवार को एक बयान जारी कर बताया कि बसपा की प्रमुख मायावती ने 11 जून को होने वाले राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार तन्खा को समर्थन देने का एलान करते हुए चारों विधायकों को तन्खा के पक्ष में मतदान करने हेतु निर्देशित किया है।
उन्होंने कहा कि बसपा की अध्यक्ष मायावती का यह फैसला फांसीवादी और साम्प्रदायिक विचारधारा के खिलाफ है, जो स्वागत योग्य है।
ज्ञात हो कि राज्य में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चार उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा के दो अधिकृत उम्मदीवार अनिल माधव दवे व एम जे अकबर की जीत तय है, वहीं कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार विवेक तन्खा को जीत के लिए एक वोट कम था, मगर अब बसपा का समर्थन मिल गया है। वहीं भाजपा के पदाधिकारी विनोद गोटिया निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं और उसकी कांग्रेस में सेंधमारी की कोशिश जारी हैं।
बसपा प्रमुख मायावती ने लखनऊ में एक बयान जारी कहा है कि मध्य प्रदेश में बसपा संख्या बल के आधार पर अपना उम्मीदवार जिता नहीं सकती है, लिहाजा पार्टी ने साम्प्रदायिक ताकतों को कमजोर करने के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार विवेक तन्खा को समर्थन देने का फैसला लिया है। इस तरह बसपा के चारों विधायक कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन में मतदान करेंगे।
-- आईएएनएस
मोदी को बनारस, तो सपा को सिर्फ सैफई-इटावा दिखता है : मायावती
लखनऊ, 4 जून (आईएएनएस)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व प्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी को केवल बनारस, तो सपा को सिर्फ सैफई और इटावा दिखता है।
मायावती ने कहा कि अखिलेश मथुरा हिंसा कांड को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उन्हें इस वक्त बुंदेलखंड के बजाय मथुरा में होना चाहिए था। मथुरा हिंसा कांड की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच होनी चाहिए।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को लखनऊ में संवाददाताओं से कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में दलितों को जानवरों की संज्ञा दी जा रही है।
मायावती ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा के लोग बेहद हताश और निराश हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा को आंसू पोंछने वालों की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार कांग्रेस की राह पर चल रही है। सीबीआई का दुरुपयोग करने में भाजपा सरकार कांग्रेस की राह पर है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली और बिहार की हार से भाजपा हताश है और वह कट्टरवादियों को संरक्षण दे रही है। भाजपा सरकार जनता को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के गवर्नर ने भाजपा को सही आईना दिखाया है।
मायावती ने कहा कि मोदी सरकार में गरीबी और महंगाई बढ़ी है। यह हवाई बयानबाजी और जुमले वाली सरकार है। लखनऊ में अंबेडकर का बहुत बड़ा पार्क है और इस बार बसपा की सरकार बनी तो पार्क और स्मारक नहीं बनवाएंगे।
सपा सरकार पर निशाना साधते हुए बसपा सुप्रीमो ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कानून-व्यवस्था में असफल है। उन्होंने कहा कि बसपा की कानून-व्यवस्था लोगों के दिमाग में बसी है।
मायावती ने कहा कि भाजपा के बुरे दिन आने में ज्यादा दिन नहीं लगेंगे। मोदी सरकार को एक असफल सरकार के रूप में याद किया जाएगा।
उन्होंने कहा, "भाजपा के बुरे दिन अब दूर नहीं हैं। असम की जीत को भाजपा ऐसे प्रचारित कर रही है, जैसे उसने कोई बहुत बड़ी सफलता हासिल कर ली हो, जबकि भाजपा के लिए दिल्ली से शुरू हुआ हार का सिलसिला बिहार के बाद पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल होते हुए पुडुचेरी तक पहुंच गया है।"
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का दो साल का कार्यकाल उद्योगपतियों व धन्ना सेठों को समर्पित रहा है। आम जनता के लिए इस सरकार ने कोई काम नहीं किया। जबकि इस दौरान उद्योगपतियों का एक लाख 14 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया गया।
मायावती ने कहा कि हाल यह है कि किसान और छोटे कारोबारी कर्ज माफ नहीं होने से परेशान हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को मथुरा जाना चाहिए था, लेकिन वे बुंदेलखंड चले गए। अखिलेश अब तक के सबसे खराब मुख्यमंत्री साबित हुए हैं।
--आईएएनएस
विवादों में फंसे महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ खडसे का इस्तीफा
मुंबई, 4 जून (आईएएनएस)। महाराष्ट्र की भाजपा सरकार को एक बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार में दूसरा सबसे बड़ा कद रखने वाले राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे को एक के बाद एक कई विवादों में फंसने के बाद शनिवार को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। खडसे पर एक विवादित भूमि सौदे में रिश्वत लेने का आरोप है। इसके अलावा अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से कथित रिश्ते को लेकर भी वह विवादों में थे।
सूत्रों के मुताबिक, खडसे (63) ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और राज्य सरकार के करीब एक दर्जन विभागों के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष रावसाहे दानवे ने संवाददाताओं से कहा कि खडसे ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया है, लेकिन पार्टी पूरी दृढ़ता के साथ उनके पीछे खड़ी है।
राज्य में चार दशकों के दौरान पार्टी को मजबूत करने के लिए दानवे ने उत्तरी मुंबई से भाजपा नेता खडसे के योगदान की सराहना की।
खडसे ने अपना बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और न ही अपने पद का दुरुपयोग किया है। वह पिछले कुछ हफ्ते से मीडिया ट्रायल के शिकार हैं।
खडसे ने कहा, "मैंने कुछ भी गलत नहीं किया.. जब मेरे खिलाफ आरोप लगे, तो मैंने आरोप लगाने वालों को सबूत पेश करने को कहा जो वह कर नहीं पाए। मैंने मुख्यमंत्री से आरोपों और आरोप लगाने वालों की पूरी जांच करने को कहा है।"
पार्टी के अंदर और पार्टी के बाहर से अपनी आलोचना करने वालों पर बरसते हुए खडसे ने कहा, 'यह भाजपा पर हमला है।'
इससे पहले शुक्रवार को फडणवीस ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से नई दिल्ली में मुलाकात की थी और इस मुद्दे पर उन्हें विस्तृत जानकारी सौंपी थी।
इसके बाद फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक की और उन्हें इस विवाद से राज्य में धूमिल हो रही भाजपा की 'साफ छवि' से अवगत कराया।
खडसे पिछले कुछ सप्ताह से विवादों में हैं। भ्रष्टाचार के मामलों में वह सत्तारूढ़ गठबंधन की सहयोगी पार्टी शिवसेना सहित कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और आम आदमी पार्टी (आप) और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आलोचना झेल रहे हैं।
खडसे ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए स्वयं को निर्दोष साबित करने की प्रतिबद्धता जताई।
खडसे पर पुणे में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास कॉर्पोरेशन (एमआईडीसी) के एक औद्योगिक प्लॉट को कौड़ियों के भाव आवंटित करने और उन्हें अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के लगातार फोन आने के आरोप लगे हैं।
खडसे के एक सहयोगी गजानन पाटिल द्वारा ठाणे के कल्याण में प्रस्तावित भूमि के संबंध में 30 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप भी हैं।
आप की पूर्व कार्यकर्ता अंजलि दमनिया ने उन पर करोड़ों रुपये के सिंचाई घोटाले में भी संलिप्तता का आरोप लगाया। इसके अलावा, सबसे नए आरोप में मछुआरों की एक सोसाइटी ने खडसे पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है।
खडसे मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। उनके पास राजस्व, अल्पसंख्यक विकास एवं वक्फ, राज्य उत्पाद, राहत एवं पुनर्वास, भूकंप पुनर्वास, बागवानी, कृषि और पशुपालन, डेयरी विकास और मछली पालन विभाग हैं।
विपक्षी दल कांग्रेस ने खडसे के इस्तीफे का स्वागत किया है। साथ ही मांग की है घोटाले में जिन अन्य मंत्रियों का नाम आया है, वे भी इस्तीफा दें।
मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरूपम ने कहा, "खडसे को तत्काल गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमा चलाना चाहिए।"
कांग्रेस नेता और नवनिर्वाचित विधायक नारायण राणे ने कहा कि मुख्यमंत्री खेल खेल रहे हैं और अपनी पार्टी से पिछड़े वर्ग के सभी नेताओं का सफाया कर रहे हैं। उनके साथ बड़ा अन्याय कर रहे हैं।
खडसे के दावे का मजाक उड़ाते हुए राकांपा के नेता ने कहा कि यदि इस्तीफा नैतिकता के आधार पर था, तो इतना अधिक विलंब क्यों किया?
--आईएएनएस
एकनाथ खडसे का मंत्रिमंडल से इस्तीफा
मुंबई, 4 जून (आईएएनएस)। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने शनिवार को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।
उन पर भूमि घोटाले और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से कथित संबंधों के आरोप लगे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, खडसे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।
इससे पहले शुक्रवार को फडणवीस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह से नई दिल्ली में मुलाकात की और इस मुद्दे पर उन्हें विस्तृत जानकारी सौंपी।
इसके बाद फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी बैठक की और इस विवाद से राज्य में धूमिल हो रही भाजपा की 'साफ छवि' से अवगत कराया।
खडसे पिछले कुछ सप्ताह से विवादों में हैं। भ्रष्टाचार मामलों में वह सत्तारूढ़ गठबंधन की सहयोगी पार्टी शिवसेना सहित कांग्रेस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और आम आदमी पार्टी (आप) और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आलोचना झेल रहे हैं।
खडसे ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए स्वयं को निर्दोष साबित करने की प्रतिबद्धता जताई।
खडसे पर पुणे में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास कॉर्पोरेशन (एमआईडीसी) के एक औद्योगिक प्लॉट को कौड़ियों के भाव आवंटित करने और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के लगातार फोन आने के आरोप लगे हैं।
खडसे के एक सहयोगी गजानन पाटिल द्वारा ठाणे के कल्याण में प्रस्तावित भूमि के संबंध में 30 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप भी हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) की पूर्व कार्यकर्ता अंजलि दमनिया ने उन पर करोड़ों रुपये के सिंचाई घोटाले में भी संलिप्तता का आरोप लगाया।
--आईएएनएस
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे महाराष्ट्र के मंत्री खडसे का इस्तीफा
मुंबई, 4 जून (आईएएनएस)। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्री एकनाथ खडसे ने शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
खडसे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और कई विभागों से संबंधित कागजात उन्हें सौंप दिए, जिनमें राजस्व एवं अल्पसंख्यक विभाग से संबंधित दस्तावेज भी शामिल थे।
इससे पहले शुक्रवार को फडणवीस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह से नई दिल्ली में मुलाकात की और इस मुद्दे पर उन्हें विस्तृत जानकारी सौंपी। इसके बाद फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी बैठक की।
खडके पिछले कुछ सप्ताह से विवादों में हैं। भ्रष्टाचार मामलों में वह सत्तारूढ़ गठबंधन की सहयोगी पार्टी शिवसेना सहित कांग्रेस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और आम आदमी पार्टी (आप) और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आलोचना झेल रहे हैं।
हालांकि, खडसे ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है और स्वयं को निर्दोष सिद्ध करने की प्रतिबद्धता जताई है।
--आईएएनएस
मथुरा हिंसा : 24 मरे, आरोप-प्रत्यारोप शुरू
मथुरा/नई दिल्ली, 3 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मथुरा में गुरुवार शाम हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है। इसमें 22 उपद्रवी और दो पुलिसकर्मी हैं।
हिंसा की इस घटना पर विपक्षी दलों, खासतौर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर निशाना साधा और राज्य में प्रशासन व कानून-व्यवस्था की पूर्ण विफलता का आरोप लगाया।
अखिलेश यादव ने हिंसा की आयुक्त स्तर की एक जांच कराने का आदेश दिया, जबकि केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस घटना पर एक रपट मांगी है।
इस घटना के सिलसिले में 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
अखिलेश ने संवाददाताओं से कहा, "यह एक गंभीर मामला है और आयुक्त स्तर पर इसकी जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने वाले सभी लोगों को कानून के कटघरे में खड़ा किया जाएगा।"
अखिलेश ने यह स्वीकार किया कि इस मामले से निपटने में चूक हुई है।
उन्होंने कहा, "अतिक्रमणकारियों के साथ चर्चा की कई कोशिशें की गईं, चेतावनी दी गई, लेकिन उन्होंने जमीन खाली नहीं की। इसमें एक चूक भी हुई है। गलती यह हुई कि पुलिस तैयारी के बगैर चली गई। किसी को पता नहीं था कि अंदर कितने विस्फोटक थे।"
यह पूछे जाने पर कि क्या यह खुफिया चूक थी, उन्होंने कहा, "यह खुफिया चूक नहीं थी.. जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि वहां कितने हथियार, गोला-बारूद थे।"
मुख्यमंत्री ने हिंसा में मारे गए दोनों पुलिस अधिकारियों के परिजनों को प्रत्येक को 20-20 लाख रुपये अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मथुरा में स्थिति की समीक्षा की और राज्य सरकार को हर तरह की मदद का आश्वासन दिया।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से चूक हुई है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं दोबारा न होने पाएं।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार से घटना पर रपट का इंतजार कर रही है।
राज्यपाल राम नाईक ने भी घटना के बारे में एक विस्तृत रपट मांगी है।
सत्ताधारी सपा की आलोचना करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने अखिलेश सरकार से इस्तीफे की मांग की।
उन्होंने घटना की समयबद्ध न्यायिक जांच की मांग की और कहा कि आयुक्त स्तर की जांच सिर्फ एक खानपूर्ति ही होगी।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलिस अधिकारियों और अन्य की मौत पर शोक व्यक्त किया और कहा कि घटना इस बात को याद दिलाती है कि उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है।
भाजपा ने घटना की सीबीआई जांच की मांग करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार पर जोरदार हमला किया।
भाजपा प्रवक्ता सांबित पात्रा ने कहा, "उत्तर प्रदेश में प्रशासन और कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। मथुरा कोई छोटा शहर नहीं है। यह इस इलाके का एक केंद्र है और यहां इस तरह गोला-बारूद और हथियार जमा किए गए थे। स्थानीय प्रशासन इससे अनजान कैसे रहा?"
भाजपा सचिव श्रीकांत शर्मा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश पर मथुरा पहुंचे और उन्होंने आईएएनएस से कहा, "समाजवादी पार्टी के गुंडों ने जवाहरबाग इलाके में करीब तीन साल पहले कब्जा किया था और पुलिस को कार्रवाई की आजादी नहीं दी गई। यह सरासर लापरवाही का मामला है।"
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हम इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हैं।"
अभिनय से राजनीति में आईं, मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने भी घटना की सीबीआई जांच की वकालत की।
गुरुवार शाम अतिक्रमणकारियों ने पुलिस के एक दल पर उस समय हमला कर दिया, जब वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर मथुरा के जवाहरबाग इलाके को शांतिपूर्ण तरीके से खाली कराने गए थे।
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जावेद अहमद ने शुक्रवार को कहा कि इस हमले में 24 लोगों की मौत हो चुकी है और 23 पुलिसकर्मी घायल हैं, जिसमें से कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है।
अहमद ने संवाददाताओं को बताया, "अभी तक 22 उपद्रवियों की मौत हो गई है। इनमें एक महिला भी शामिल है। इनमें से 11 की मौत जलने से हुई है, जबकि बाकियों ने घायल होने के बाद दम तोड़ दिया।"
अहमद ने संवाददाताओं को बताया, "हमें यह बताते हुए दुख हो रहा है कि पुलिस अधीक्षक मुकुल द्विवेदी और थाना प्रभारी संतोष यादव शहीद हो गए। उन्होंने कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारी के निर्वाह के दौरान अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।"
--आईएएनएस
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