ब्रजेंद्रनाथ सिंह
नई दिल्ली, 11 जनवरी (आईएएनएस)। देश के दूसरे प्रधानमंत्री दिवंगत लालबहादुर शास्त्री के घरवालों ने मांग की है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस की ही तरह शास्त्रीजी की रहस्यमय हालात में हुई मौत से जुड़ीं फाइलें सार्वजनिक की जाएं। जय जवान-जय किसान का नारा देने वाले लालबहादुर शास्त्री के परिजनों का कहना है कि केंद्र की हर सरकार से उन्हें सौतेला व्यवहार मिला है।
लालबहादुर शास्त्री के बड़े बेटे कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री (67) ने आईएएनएस से कहा, "नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विमान हादसे से जुड़ी फाइलों का सार्वजनिक होना शुरू हो गया है। लेकिन, सरकार की तरफ से शास्त्रीजी की मौत से संबद्ध फाइलों के बारे में ऐसा कोई संकेत नहीं मिल रहा है। यह उनके साथ अन्याय है। शास्त्रीजी के साथ यह सौतेला सलूक क्यों?"
फाइल सार्वजनिक करने की यह मांग सोमवार को लालबहादुर शास्त्री की 50वीं पुण्यतिथि पर की गई।
अनिल ने कहा, "प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी चुनावी सभाओं में कहा करते थे कि कांग्रेस की सभी सरकारों ने शास्त्रीजी के साथ नाइंसाफी की है। लेकिन अब क्या? उन्होंने भी तो शास्त्रीजी के लिए कुछ नहीं किया।"
भारतीय जनता पार्टी लालबहादुर शास्त्री की ताशकंद में हुई मौत पर से पर्दा हटाने की मांग करती रही है। उनकी मौत 10 जनवरी 1966 को हुई थी। वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ ऐतिहासिक समझौते पर दस्तखत करने ताशकंद गए थे। इस समझौते के तहत 1965 की भारत-पाकिस्तान की जंग से पहले की यथास्थिति बहाल की गई थी।
अनिल ने कहा, "अब वे (भाजपा) सत्ता में हैं। उन्हें वह सब कुछ करना चाहिए जिसकी जरूरत है। फाइलें सार्वजनिक करने की तो बात भूल जाइये, इस सरकार ने तो शास्त्रीजी के नाम पर एक योजना तक नहीं शुरू की है। एक सड़क तक का नाम उनके नाम पर नहीं रखा है। वे कम से कम कोई सिक्का या उनके जय जवान-जय किसान नारे पर आधारित कोई पुरस्कार जारी कर सकते थे।"
अनिल शास्त्री ने कहा कि सरकार के ठंडे रुख की ही वजह से मध्य दिल्ली स्थित लाल बहादुर शास्त्री स्मारक संग्रहालय का हाल उस तरह से अच्छा नहीं है जैसा महात्मा गांधी, पंडित नेहरू या इंदिरा गांधी के स्मारकों का है।
(लाल बहादुर शास्त्री स्मारक संग्रहालय उस घर में बना है जिसमें शास्त्री रहा करते थे। इस घर की दीवारें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 जनपथ स्थित आवास से सटी हुई हैं)।
अनिल ने कहा, "हमारे साथ सरकारों का सौतेला व्यवहार जारी है। मैं चाहता हूं कि शास्त्री संग्रहालय के पास पार्किं ग की सुविधा हो। लेकिन, सरकार सुरक्षा कारणों से ऐसा नहीं होने देने की बात कह रही है। मैं इस मामले में गृह मंत्री राजनाथ सिंह को तीन पत्र लिख चुका हूं लेकिन कुछ नहीं हुआ। "
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य अनिल शास्त्री ने कहा कि पूरा देश शास्त्रीजी की मौत का सच जानना चाहता है। उन्होंने कहा कि उनकी मां का कहना था कि शास्त्रीजी की हत्या हुई थी। जब उनके पिता का शव आया था, उस समय उनकी मां की मानसिक हालत ऐसी नहीं थी कि वह कुछ कह पातीं। सरकार ने उनके शव के पोस्टमार्टम का कोई आग्रह नहीं किया था। इससे शक पैदा होता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
लालबहादुर शास्त्री के परिवार का दर्द : सभी सरकारों ने सौतेला सलूक किया Featured
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