गोपालगंज: 7 अप्रैल/ नदी अपना रास्ता खुद बनाती है ! यह कहावत गोपालगंज बिहार के सबिता देवी पर खूब लागू होती है ! फर्राटे से अंग्रेजी बोलती और स्कूटी से उड़ान भरती सबिता देवी की शिक्षा झारखण्ड के बोकारो शहर से हुई ! पढाई में हमेशा अव्वल रहने वाली सबिता ने पढाई के साथ ही स्पोर्ट्स और कल्चरल इवेंट में भी कई अवार्ड जीते ! इसके अलावा झारखण्ड में लगातार दस सालों तक हज़ारों की संख्या में जरूरतमंद गरीब लड़कियों और औरतों को मुफ्त सिलाई कटाई पेंटिंग इत्यादि में दक्ष कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया ! आज भी झारखण्ड में सबिता देवी द्वारा स्थापित कई सिलाई कटाई ट्रेनिंग सेंटर चल रहे है !
सबिता की शादी तिन साल पहले आर्मी मैन ललित नारायण से हुई ! देवापुर, गोपालगंज बिहार निवासी ललित नारायण कभी कश्मीर और कभी बांग्लादेश के बॉर्डर पर माँ भारती के सेवा में तैनात रहे ! ऐसे में सबिता ने गावं की तस्बीर बदलने की ठानी ! सबिता देवी बताती है की बिहार के गावं शुरू से ही बदहाली का शिकार है कई बार सत्ता परिवर्तन के बाद भी हालत नहीं सुधरी है ! यहाँ आज भी महिलायें डरी सहमी रहती है ! सरकारी योजनाओं में लूट खसोट मची है ! सबिता देवी ने हाल में ही नीतीश सरकार के पूर्ण शराब बंदी के फैसले का स्वागत करते हुवे कहा है की शराब बंदी से महिलायों पर हो रहे अत्याचार में कमी आएगी !
पोलिटिकल साइंस से ग्रेजुएट सबिता ने पंचायती राज को ना सिर्फ किताबों ने बल्कि गावं में घूम कर समझा ! सबिता की गावं वाले बताते है कि बहु ने शादी की मेहंदी छूटने से पहले गावों में घूमकर महिलाओं का एक ग्रुप बना लिया और उन्हें सिलाई कटाई का मुफ्त प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया था ! सबिता ने ड्राप आउट बच्चों को स्कूल से जोड़ने में काफी अहम भूमिका निभाई ! मुस्लिम बाहुल छेत्रों में लोगों को जागरूक कर हिन्दू मुस्लिम एकता का सन्देश देते हुवे गावों को शिक्षित बनाने का बीड़ा उठाया ! सबिता अपनी स्कूटी लेकर कभी भी किसी की भी मदद करने निकल जाती है ! सबिता को अक्सर ब्लॉक , थाने या डीएम ऑफिस के घूसखोर अधिकारीयों और कर्मचारियों को डांटते फटकारते देखा जा सकता है !
सोशल एक्टिविज्म वाले परिवार की बेटी है सबिता
सबिता देवी का पूरा परिवार सोशल एक्टिविज़्म में शुरू से ही रहा है ! बतौर मेजर पति ललित नारायण फ़िलहाल बांग्लादेश के बॉर्डर पर तैनात है ! पिता नथुनी प्रसाद शरुआती दिनों से ही स्टील प्लांट में यूनियन लीडर रहे ! मज़दूरों के हक़ के लिए आवाज़ उठाते पिता के कागज़ी कामों में सबिता अहम भूमिका निभाती थी ! सबिता के दो बड़े भाइयों में एक देश के जाने माने आरटीई एक्टीविस्ट हैं दूसरे किसानों की दुर्दशा को बेहतर बनाने के लिए गावों में संघर्षरत है !
देवापुर पंचायत से चुनाव लड़ रही है सबिता
ग्रामीणों के आग्रह पर सबिता देवी ने आखिर चुनाव लड़ने का फैसला किया और देवापुर पंचायत से नामांकन भरा है ! अपने छेत्र में ख्याती प्राप्त कर चुकी सबिता चुनाव मैदान में है ! देखना दिलचस्प होगा की गावों की पगडंडियों पर पोलिटिकल साइंस से ग्रेजुएट स्कूटी से निकली एक शहरी लड़की बिहार के दबंगों और माफियाओं को कैसे टक्कर दे पाती है !