अनुराग डे
कोलकाता, 27 मार्च (आईएएनएस)। कड़े प्रतिद्वंद्वियों के बीच वह एक राजनीतिक अनाड़ी हो सकते हैं, लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र चंद्र कुमार बोस को उम्मीद है कि वह नेताजी के राष्ट्रवाद के विचार को मुख्यधारा की राजनीति में बरकरार रख सकते हैं। बोस तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में किस्मत आजमा रहे हैं।
नेताजी के वंशज और भाजपा के उम्मीदवार बोस ने जोर देकर कहा, "यह व्यक्तित्वों की लड़ाई नहीं बल्कि उपेक्षा के खिलाफ विकास की लड़ाई है।"
राजनीतिक हलकों में कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के बीच चुनावी गठजोड़ से माहौल बन सकता है, लेकिन बोस प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री दीपादास मुंशी को चुनावी दौड़ से बाहर बता रहे हैं।
बोस ने आईएएनएस से एक साक्षात्कार में कहा, "यह नापाक गठबंधन क्षणभंगुर साबित होगा। यह सीधा आमने-सामने का मुकाबला है।" उन्होंने कांग्रेस और वामदल के तालमेल को खारिज करते हुए यह बात कही।
इसी साल के प्रारंभ में भाजपा में शामिल हुए बोस ने कहा, "चुनावी मुकाबले ने उन्हें भाजपा का एक योग्य सैनिक बनने का बड़ा अवसर दिया है।"
बोस (55) से जब दुर्जेय ममता बनर्जी के खिलाफ लड़ने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, " जिसका कोई वजूद नहीं हो उसकी जगह हमेशा ऐसे किसी से लड़ना बेहतर रहता है जिसने अपने को स्थापित कर रखा है। यह शख्सियतों की लड़ाई नहीं बल्कि भाजपा के विकास के एजेंडे और तृणमूल कांग्रेस के कुशासन और उपेक्षा के बीच की लड़ाई है।"
उन्होंने कहा कि उद्योग से लेकर कानून-व्यवस्था तक, स्वास्थ्य से शिक्षा तक, हर क्षेत्र में पूरी तरह अराजकता है और राज्य धीरे-धीरे बर्बादी की ओर जा रहा है।
बोस ने मतदाताओं से मिलने के लिए उनके घरों तक जाने के दौरान ये बातें कहीं।
भवानीपुर राज्य के ऐसे विधानसभा क्षेत्रों में से एक है जिसमें विभिन्न राज्यों और समुदायों के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। यहां बंगाली के साथ गुजराती, सिख, बिहारी, मारवाड़ी और विभिन्न अन्य समुदाय के लोगों की भी अच्छी संख्या है। इस क्षेत्र में दो लाख से अधिक मतदाता हैं।
बोस का कहना है कि मुख्यमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र और उनका निवास क्षेत्र होने के बावजूद यहां कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
उन्होंने कहा कि शहर के यह वैसे कुछ चुनिंदा स्थानों में शामिल है जो बारिश के दिनों में डूब जाता है। केवल बाहरी बदलाव किए गए हैं लेकिन यहां जल निकासी व्यवस्था के लिए कुछ नहीं किया गया है।
भाजपा में लाए जाने और राजनीति में प्रवेश के पीछे बोस की महत्वाकांक्षा राष्ट्रवाद के नेताजी के विचारों को मुख्यधारा की राजनीति में स्थापित करने की है।
बोस नेताजी द्वारा स्थापित ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक की जगह भाजपा में शामिल होने के अपने फैसले का बचाव करते हैं। वह कहते हैं यह विडंबना है कि कांग्रेस और जिन वामदलों ने नेताजी के विचारों और मान्यताओं को सफलतापूर्वक मिटा दिया, वे अब भाजपा पर अंगुली उठा रहे हैं। उनका कहना है कि देश में सर्वाधिक सांप्रदायिक पार्टी कांग्रेस है जो स्वतंत्रता के बाद से ही देश में बड़ी संख्या में हुए सांप्रदायिक दंगों की सहायक रही है।
नेताजी के बड़े भाई शरत चंद्र बोस के पौत्र ने कहा, "और, सबसे दुर्भाग्यपूर्ण चीज है ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक ने भी नेताजी के आदर्शो को भूलकर वामदल से हाथ मिला लिया।"
उन्होंने कहा, "मेरा पैतृक आवास भवानीपुर में है। इसलिए मैं लोगों को जानता हूं, उनकी समस्याओं को और उनकी आकांक्षाओं को महसूस करता हूं। " उनका आशय इस इलाके में स्थित नेताजी भवन से था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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