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पैंक्रियाज ही नहीं, दिमाग भी करता है ग्लूकोज के चयापचय को नियंत्रित

न्यूयार्क, 25 मार्च (आईएएनएस)। ग्लूकोज के चयापचय में दिमाग का क्या काम है? शोधकर्ताओं की माने तो जबाव है काफी ज्यादा। क्योंकि यह खून में ग्लूकोज के स्तर को बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

रॉकफेलर विश्वविद्यालय और रेनस्सेलेर पॉलीटेक्निक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने चूहों के ऊपर प्रयोग कर यह निष्कर्ष निकाला है।

मोलेकूलर जेनेटिक्स की प्रयोगशाला के प्रमुख जेफेरी फ्राइडमैन और उनके साथियों ने ग्लूकोज के चयापचय प्रणाली में केंद्रीय तंत्र की भूमिका का अध्ययन करने में सफलता पाई है।

फ्राइडमैन ने बताया, "ये परिणाम काफी उत्साहजनक हैं क्योंकि वे रक्त में शर्करा के नियंत्रण के बारे में व्यापक दृष्टि प्रदान करते हैं। वे दिखाते हैं कि इस प्रक्रिया में दिमाग की भूमिका कितना महत्वपूर्ण है।"

अब तक यह माना जाता था कि पैंक्रियाज गंथ्री से निकले हार्मोन जिसमें इंसुलिन भी शामिल हैं, ही रक्त में शर्करा के स्तर को बरकरार रखने के लिए जिम्मेदार हैं।

इस शोध से पता चला है कि दिमाग का वेंट्रोमेडियर हाइपोथैलेमस नाम का क्षेत्र भी रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • पाकिस्तानी मरीज को मिला कृत्रिम हाथ
    नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। पाकिस्तान का एक 41 वर्षीय व्यक्ति जो एक दुर्घटना में अपने दोनों हाथ खो चुका था, उसे यहां इंडियन स्पाइनल इंज्यूरी सेंटर (आईएसआईसी) में कृत्रिम हाथ लगाया गया।

    रानो पांच साल पहले एक घातक दुर्घटना के शिकार हुए थे, जिसमें उन्हें अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े थे। उनका बांया हाथ कंघे से अलग हो गया था और दाहिना हाथ कोहनी के पास से अलग हो गया था।

    आईएसआईसी के मददकारी प्रौद्योगिकी विभाग ने कम लागत में एक अनूठे कृत्रिम हाथ का निर्माण किया है, जो कटे हाथ की जगह ले सकता है। सेंटर ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी।

    रानो इससे पहले एक आयातित रोबोटिक हाथ का प्रयोग करते थे, जिससे उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने कास्मेटिक प्रोस्थेसिस हाथ बनवाया। लेकिन इससे उन्हें कोई राहत नहीं मिली। आखिरकार उन्हें आईएसआईसी भेजा गया।

    मददकारी प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक नेकराम उपाध्याय ने बताया, "जब रानो यहां आए थे, तो वह खुद से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे, क्योंकि उनका कास्मेटिक प्रोस्थेसिस हाथ देखने में तो ठीक था, लेकिन उससे उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही थी। हमने उनके लिए कम लागत में एक अनूठा यंत्र बनाया है जो कृत्रिम हाथ की तरह काम करता है।"

    उपाध्याय कहते हैं, "यह यंत्र मरीज की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। हम अपने इस काम की सफलता से काफी खुश हैं।"

    अब रानो और उनका परिवार काफी खुश है कि वे दैनिक जीवन में अब अधिक स्वतंत्रता के साथ रह पाएंगे।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • सिर्फ एक टीके से साल भर के लिए कंडोम से छुटकारा!
    न्यूयार्क, 30 मार्च (आईएएनएस)। लंबे समय से एक टिकाऊ पुरुष गर्भनिरोधक का इंतजार था जो जल्द ही खत्म होने वाला है। क्योंकि शोधकर्ताओं ने एक ऐसा टीका विकसित किया है जिसे एक बार लगाने पर एक साल तक बिना कंडोम के सेक्स किया जा सकेगा।

    फिलहाल पुरुषों के गर्भनिरोधक का काफी कम विकल्प उपलब्ध है जिसमें कंडोम और नसबंदी प्रमुख हैं। जहां कंडोम बड़ी आसानी से सर्वत्र उपलब्ध है और सही तरीके से प्रयोग करने पर कई बीमारियों से भी बचाता है वहीं इसके प्रयोग के बावजूद सालाना 18 फीसदी गर्भवस्था दर देखी गई है।

    वहीं, पुरुष नसबंदी काफी प्रभावी है, लेकिन यह एक स्थायी समाधान है। अभी तक पुरुषों के लिए ऐसा कोई गर्भनिरोधक उपलब्ध नहीं है जो लंबे समय तक चले, लेकिन स्थायी न हो।

    खरगोशों पर किए गए अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि इसका असर एक साल तक रहता है।

    शोध प्रमुख व अमेरिका के शिकागो स्थित इलीनोइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डोनाल्ड वाल्लर का कहना है, "खरगोश पर किए गए प्रयोग के दौरान मिले नतीजे उम्मीद से बेहतर थे। वेसल जेल बहुत ही तेज गर्भनिरोधक नतीजे देता है जो काफी लंबे समय तक बना रहता है। इस टीके के जो गुण हैं वो मनुष्यों के लिए बनाए जाने वाले गर्भनिरोधक के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।"

    यह शोध बेसिक एंड क्लिनिकल एंड्रोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।

    वेसलजेल नाम के इस टीके को अमेरिका की एक गैरसरकारी संस्था पारसेमस फाउंडेशन ने विकसित किया है।

    शोधकर्ताओं का कहना है कि इस टीके का मनुष्यों पर परीक्षण जल्द ही शुरू होगा।

    पारसेमस फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक इलेन लिसनेर का कहना है, "गर्भनिरोधक विकसित करना एक बेहद महंगी परियोजना है। लेकिन अब यह परियोजना शुरुआती अवस्था में नहीं है। बल्कि हम उस काम को पूरा करने जा रहे हैं जिसे हमने शुरू किया था।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • इबोला से घबराने की जरूरत नहीं : डब्ल्यूएचओ
    जेनेवा, 30 मार्च (आईएएनएस/सिन्हुआ)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम अफ्रीका में फैली इबोला के कारण बहुत चिंता की कोई बात नहीं है और यह पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न (पीएचईआईसी) की स्थिति उत्पन्न नहीं करता।

    यह घोषणा अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमन के तहत मंगलवार को हुई नौवीं आपात समिति की बैठक के बाद की गई। यह बैठक पश्चिम अफ्रीका में इबोला वायरस फैलने के संदर्भ में हुई थी।

    डब्ल्यूएचओ के अनुसार, गिनी, लाइबेरिया और सियरा लियोन ने इबोला वायरस संचरण की मूल चेन में रुकावट की पुष्टि से संबंधित मापदंड पूरा कर लिया है। खासकर इन तीनों देशों ने इबोला के आखिरी मामले के बाद से अपने 42 महीने की अवलोकन अवधि और 90 दिन की अतिरिक्त अवलोकन अवधि भी पूरी कर ली है। इस आखिरी मामले का इबोला संचरण की मूल चेन के साथ संबंध मिला था, जिसका परीक्षण दो बार नकारात्मक रहा था।

    डब्लूएचओ ने कहा कि पश्चिम अफ्रीका में इबोला संचरण अब कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके प्रसार का खतरा भी कम हो गया है। उसने यह भी कहा कि इन तीनों देशों के पास फिलहाल इतनी क्षमता है कि वे नए वायरस के सामने आने पर तेजी से इसकी रोकथाम के लिए कदम उठा सकें।

    डब्लूएचओ ने इबोला प्रकोप की वजह से गिनी, लाइबेरिया और सियरा लियोन की यात्रा और व्यापार पर लगी पाबंदी को शीघ्र हटाने का आह्वान किया। साल 2013 से इबोला संक्रमण के कारण 11,000 लोगों की मौत हो गई, जबकि 28,600 लोग इस वायरस से संक्रमित हुए।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • सन फार्मा ने नोवार्टिस से जापान में 14 ब्रांड खरीदे
    चेन्नई, 30 मार्च (आईएएनएस)। सन फार्मासूटिकल्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने बुधवार को कहा कि वह 29.3 करोड़ डॉलर के नकद सौदे के तहत जापान में नोवार्टिस एजी और नोवार्टिस फार्मा एजी से 14 स्थापित प्रीस्क्रिप्शन ब्रांडों को खरीदने के लिए तैयार हो गया है।

    कंपनी ने मंगलवार शाम जारी एक बयान में कहा कि सन फार्मा की एक संपूर्ण सहायक कंपनी नोवार्टिस से 14 स्थापित प्रीस्क्रिप्शन ब्रांड खरीदेगी और इसके लिए 29.3 करोड़ डॉलर नकद भुगतान करेगी।

    कंपनी ने कहा, "इन ब्रांडों की कुल सालाना आय करीब 16 करोड़ डॉलर है।"

    बयान के मुताबिक, "समझौते की शर्तो के तहत सन फार्मा की सहायक कंपनी को सभी विपणन अधिकार हस्तांतरित किए जाने तक नोवार्टिस इन ब्रांडों का विपणन करती रहेगी।"

    अधिग्रहीत ब्रांडों का विपणन अब सन फार्मा के लेबल के तहत होगा।

    सन फार्मा के प्रबंध निदेशक दिलीप सांघ्वी ने बयान में कहा, "जापान हमारे लिए रणनीतिक महत्व का बाजार है। इस अधिग्रहण से सन फार्मा का जापान के प्रीस्क्रिप्शन बाजार में प्रवेश हो रहा है और इससे हमें भविष्य में बड़ा उत्पाद पोर्टफोलियो बनाने में मदद मिलेगी।"

    दिसंबर-2015 के आईएमएस आंकड़े के मुताबिक जापान का फार्मासूटिकल बाजार 73 अरब डॉलर का है, और उसकी 1,000 अरब डॉलर के वैश्विक फार्मा बाजार में सात फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • दर्दनाक माहवारी से हृदयघात का खतरा

    न्यूयार्क, 30 मार्च (आईएएनएस)। जिन महिलाओं को भारी मात्रा में और दर्दनाक माहवारी का सामना करना पड़ता है, उन महिलाओं में हृदयघात के जोखिम की संभावना तीन गुना अधिक होती है। एक शोध में यह जानकारी सामने आई है।

    भारी और पीड़ादायक महावारी एंडोमेट्रियोसिस विकार के कारण होती है। इस विकार की वजह से गर्भाशय के ऊतकों की असामान्य वृद्धि होने लगती है।

    अमेरिका के मैसाचुसेट्स राज्य की राजधानी बोस्टन स्थित ब्रिंघम एंड विमेन हॉस्पिटल से इस अध्ययन की मुख्य लेखक फैन मू ने बताया, "एंडोमेट्रियोसिस विकार वाली महिलाओं को इसकी जानकारी होनी चाहिए कि उन्हें एंडोमेट्रियोसिस विकार रहित महिलाओं की तुलना में हृदय रोग का उच्च खतरा होता है। खासकर युवा अवस्था में यह जोखिम अधिक होता है।"

    इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने नर्सेस हेल्थ स्टडी के दूसरे भाग के एक लाख 16 हजार 430 महिलाओं के आंकड़ों का आकलन किया था। ऑपरेशन के द्वारा 11 हजार 903 महिलाओं के परीक्षण के आखिरी चरण में इस विकार की पहचान की गई थी।

    20 सालों के परीक्षण में शोधार्थियों ने पाया कि एंडोमेट्रियोसिस विकार रहित महिलाओं की तुलना में एंडोमेट्रियोसिस विकार वाली महिलाओं में 1.52 प्रतिशत अधिक हृदयघात और 1.91 प्रतिशत एंजीना और सीने के दर्द का जोखिम होता है।

    शोधार्थियों का कहना है कि एंडोमेट्रियोसिस के ऑपरेशन से भी आंशिक रूप से हृदयघात का जोखिम बढ़ सकता है।

    यह शोध 'सर्कुलेशन कार्डियोवस्कुलर क्वालिटी एंड आउटकम्स' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • आत्मकेंद्रित पुरुषों में यौन अपराध की प्रवृत्ति अधिक

    न्यूयार्क, 30 मार्च (आईएएनएस)। जो पुरुष आत्मकेंद्रित मानसिकता से ग्रस्त होते हैं, उनमें जघन्य यौन अपराध को अंजाम देने की प्रवृत्ति अधिक होती है। यह जानकारी एक नए शोध में सामने आई है।

    अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ जार्जिया से इस अध्ययन की मुख्य लेखक एमिली म्यूलसो ने कहा, "जो लोग अपनी मनोविकार संबंधी आत्मकेंद्रित विशेषताओं का प्रदर्शन करते हैं, ऐसे पुरुषों को अन्य लोगों के साथ जुड़ने में खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है।"

    शोध में पता चला है कि ऐसे पुरुष अपने शिकार को पकड़ने के लिए शराब और अन्य डेट रेप दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। डेट रेप दवाएं अस्थाई रूप से पीड़ित के साथ घटित घटनाओं की स्मृतियां क्षीण कर देती हैं।

    इस शोध के लिए 234 छात्रों पर सर्वेक्षण किया गया था। इनमें से अधिकतर छात्र कॉलेज में अपना पहला या दूसरा साल पूरा कर रहे थे।

    शोधार्थियों को इस अध्ययन में मनोविकार आत्मकेंद्रण और यौन उत्पीड़न अपराधों का मजबूत संबंध देखने को मिला।

    यह शोध 'वॉयलेंस अगेंस्ट विमेन' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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