तालिबान ने 17 बंधकों की हत्या की, 18 अभी भी कब्जे में
काबुल, 31 मई (आईएएनएस)। अफगानिस्तान के कुंदुज प्रांत में तालिबान आतंकवादियों ने मंगलवार को लगभग 200 बस मुसाफिरों को अगवा कर बंधक बना लिया। इनमें 17 यात्रियों की हत्या कर दी गई जबकि 18 अभी भी आतंकियों के कब्जे में हैं।
स्थानीय सरकारी अधिकारियों ने खामा प्रेस के हवाले से तालिबान द्वारा अगवा यात्रियों में से 12 की हत्या की पुष्टि की है।
एक सुरक्षा अधिकारी शिर अजीज कामावल ने बताया कि आतंकवादियों ने कम से कम 17 यात्रियों की हत्या की है, जिन्हें कुदुंज-ताखुर राजमार्ग से अगवा किया गया था।
इस राजमार्ग पर एक चेकपोस्ट बनाकर तालिबान आतंकवादियों ने कम से कम 185 यात्रियों का रात 2 बजे अपहरण कर लिया।
आंतकवादियों ने चार बसों, तीन कारें और तीन वैन में सवार यात्रियों का अपहरण किया। बाद में ज्यादातर यात्रियों को छोड़ दिया गया। लेकिन, इनमें से कम से कम 17 यात्रियों को तालिबानियों ने मार डाला।
अधिकारियों का कहना है कि तालिबानियों के कब्जे में कम से कम 18 यात्री हैं और उनकी सुरक्षित रिहाई की कोशिशें जारी हैं।
तालिबान ने अभी तक इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और यह भी अभी साफ नहीं हुआ है कि अगवा किए गए कुछ यात्रियों की हत्या क्यों की गई।
कुंदुज में पिछले दो महीनों से सुरक्षा की स्थिति काफी बिगड़ गई है और तालिबानी आतंकवादी उत्तरी प्रांतों को अस्थिर करने में जुटे हैं।
तालिबानी आतंकवादियों ने प्रांतीय राजधानी कुंदुज पर पिछले साल कब्जा जमा लिया था, लेकिन बाद में अफगान सुरक्षा बलों ने उसे छुड़ाने में कामयाबी हासिल की थी।
तालिबान ने अपने नए सरगना मौलवी हैबतुल्ला के नेतृत्व में साफ कर दिया है कि वे अफगान सरकार के साथ किसी शांति वार्ता में भाग नहीं लेंगे।
इस आतंकवादी समूह के पिछले सरगना मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर की अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत हो गई थी, जिसके बाद नए प्रमुख को चुना गया है।
--आईएएनएस
सुरक्षाबलों ने हिज्बुल कमांडर के आत्मसमर्पण को नकारा
श्रीनगर, 28 मई (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा जिले में शनिवार को आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन (एचएम) के एक कमांडर के आत्मसमर्पण की खबरों का वरिष्ठ पुलिस और सैन्य अधिकारियों ने खंडन किया है।
इससे पहले खबर आई थी कि दक्षिण कश्मीर में सर्वाधिक वांछित हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के निकट सहयोगी तारिक पंडित ने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है लेकिन कर्नल एन.एन.जोशी ने संवाददाताओं से कहा, "तारिक के आत्मसमर्पण की खबरें आधारहीन हैं।"
इससे पहले कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और रक्षा सूत्रों ने मीडिया के समक्ष पुष्टि की थी कि हिज्बुल के कमांडर तारिक पंडित ने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।
इससे पहले कहा गया था कि तारिक का आत्मसमर्पण आतंकवादी गिरोह के लिए बहुत बड़ा झटका है। सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में तारिक को वानी तथा उसके सहयोगियों के साथ हथियारों से लैस तथा सैन्य परिधान में देखा गया है।
--आईएएनएस
कश्मीर : 2 अलग-अलग मुठभेड़ों में 6 आतंकवादी मारे गए
श्रीनगर, 27 मई (आईएएनएस)। उत्तरी कश्मीर के बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में शुक्रवार को छह आतंकवादी मारे गए। इस दौरान एक सैनिक शहीद हो गया और एक अन्य घायल हो गया।
पुलिस ने बताया कि बारामूला में तंगमार्ग इलाके के कांचीपुरम गांव में एक घर में छिपे दो आतंकवादी शुक्रवार को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए।
पुलिस ने बताया कि कांचीपुरम मुठभेड़ में सेना का एक जवान भी घायल हो गया।
कांचीपुरम गांव के एक घर में हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने सुबह ही घर को घेर लिया।
सुरक्षा बलों ने अपराह्न घर को ध्वस्त करने के लिए विस्फोटकों का उपयोग किया। वहीं मलबे से हिजबुल को दो आतंकवादियों के शव बरामद किए गए।
पुलिस ने बताया कि मारे गए आतंवादियों की पहचान की जा रही है।
दूसरी घटना कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास नौगाम क्षेत्र के टूट मार घाली इलाके की है, जहां दो-दिन से चल रही मुठभेड़ में चार आतंकवादी और सेना का एक जवान मारा गया।
टूट मार घाली में शहीद हुए जवान की पहचान अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले के बोरदुरिया गांव (खोंसा) के हवलदार हैंगपंग दादा के रूप में हुई है।
रक्षा सूत्रों ने आईएएनएस को बताया, "36 वर्षीय जवान ने 19 साल तक सेना की सेवा की है। वह अपनी पत्नी, 11 साल की बेटी और सात साल के बेटे के साथ रहता था।"
रक्ष अधिकारियों के अनुसार, मुठभेड़ खत्म होने के बाद नियंत्रण रेखा के टीएमजी इलाके के घने जंगलों में आतंकियों के खिलाफ अभियान अब भी जारी है।
रक्षा सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि मुठभेड़ में शामिल आतंकवादियों के समूह ने हाल ही में नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ किया था।
--आईएएनएस
तालिबान ने हैबतुल्ला को मंसूर का नया उत्तराधिकारी घोषित किया
काबुल, 25 मई (आईएएनएस)। अफगान तालिबान ने बुधवार को एक लड़ाका की जगह प्रभावशाली धार्मिक विद्वान हैबतुल्ला अखुंदजादा को अपना नया प्रमुख नियुक्त किया। तालिबान के पूर्व प्रमुख मुल्ला मंसूर की पिछले हफ्ते पाकिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत हो गई थी।
एक बयान में कहा गया है कि लड़ाका समूह (मिलिशिया ग्रुप) ने सिराजुद्दीन हक्कानी व मोहम्मद याकूब को अखुंदजादा का सहायक नियुक्त किया है। याकूब तालिबान के संस्थापक प्रमुख मुल्ला उमर का बेटा है।"
हक्कानी आतंकवादी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी पर अमेरिकी विदेश विभाग ने एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है। हक्कानी लंबे समय तक तालिबान और अलकायदा के संपर्क में रहा।
पहली बार तालिबान ने सार्वजनिक तौर पर अपने नेता मंसूर की मौत की पुष्टि की है। पिछले शनिवार पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के अहमद वाल शहर में अमेरिकी ड्रोन ने मंसूर के वाहन को निशाना बनाया था जिसमें उसकी मौत हो गई थी।
तालिबान के बयान में कहा गया है, "हम सभी मुसलमानों से तीन दिनों (गुरुवार से) के लिए मरहूम अख्तर मंसूर की याद में शोक मनाने एवं उनके कामों व उनकी रूह के लिए दुआ करने की अपील करते हैं।"
बयान में कहा, "हमारा जिहाद जारी रखेगा। हम अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के सभी मुजाहिदीन से फिक्र न करने और अपने नये नेता का समर्थन करने की दरख्वास्त करते हैं।"
अफगान के विश्लेषकों के अनुसार, हैबतुल्ला अखुंदजादा की नियुक्ति एक अचरज के रूप में है क्योंकि मंगलवार तक हक्कानी को मंसूर का सबसे सशक्त उत्तराधिकारी माना जा रहा था।
माना जाता है कि 45-46 वर्ष का हक्कानी अपने नेतृत्व में सबसे कट्टरपंथी है और उसे अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी एफबीआई ने वैश्विक आतंकी जैसे विशेष नाम से नवाजा है।
हैबतुल्ला अखुंदजादा एक धार्मिक विद्वान है। अफगानिस्तान में तालिबान के पांच साल के शासन के दौरान तालिबान कोर्ट का प्रमुख रहा है। इसके अलावा अफगान तालिबान के उप नेताओं में से एक है। तालिबान की ओर से जारी अधिकांश फतवों के पीछे वही होता है।
तालिबान के नेतृत्व परिषद ने मुल्ला मंसूर पर हुए हवाई हमले के अगले दिन ही उसके उत्तराधिकारी की नियुक्ति से संबंधित बातचीत शुरू कर दी थी।
तालिबान की ओर से मंगलवार को कहा गया था कि मुल्ला मंसूर की मौत से इस समूह के विद्रोह पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
दूसरी ओर टोलो न्यूज के अनुसार, अफगानिस्तान की सरकार ने उम्मीद जताई है कि तालिबान के नए नेता शांति प्रक्रिया में भाग लेंगे।
तालिबान के नए नेता की नियुक्ति की घोषणा के बाद बुधवार को काबुल में एक मिनी बस में आत्मघाती हमला हुआ जिसमें कम से कम 10 लोग मारे गए। बस न्यायालय के कर्मचारियों को लेकर जा रही थी।
तालिबान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।
ज्ञात हो कि सबसे पहले अमेरिका के रक्षा विभाग ने मुल्ला मंसूर पर हुए हमले की सूचना दी थी, लेकिन उसके मारे जाने की पुष्टि बाद में नेशनल डायरेक्ट्रेट ऑफ सिक्योरिटी सहित अफगानिस्तान के सुरक्षा संस्थानों ने की।
--आईएएनएस
तालिबान ने मुल्ला मंसूर का नया उत्तराधिकारी घोषित किया
काबुल, 25 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। अफगान तालिबान ने बुधवार को मावलावी हैबतुल्ला अखुंदजादा को अपना नया प्रमुख नियुक्त किया।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि तालिबान का पूर्व प्रमुख मुल्ला मंसूर बीते शनिवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मारा गया।
तालिबान ने एक बयान में कहा, "इस्लामी अमीरात के नेतृत्व परिषद ने मावलावी हैबतुल्ला अखुंदजादा को इस्लामी अरमीत का नया सरगना एवं मावलावी सिराजुद्दीन हक्कानी व मावलावी मोहम्मद याकूब को उसका उप प्रमुख नियुक्त करने का निर्णय लिया है।"
'सीएनएन' चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, हक्कानी आतंकवादी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी पर स्टेट डिपार्टमेंट ने एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया हुआ है। वहीं मुल्ला याकूब मरहूम तालिबान प्रमुख मुल्ला मोहम्मद उमर का बेटा है।
अधिकारियों के अनुसार, मावलावी एक धार्मिक विद्वान है और तालिबान कोर्ट का पूर्व प्रमुख है। इसके अलावा अफगान तालिबान के उप नेताओं में से एक है। तालिबान की ओर से जारी अधिकांश फतवों के पीछे वही होता है।
बयान में कहा गया, "हम सभी मुसलमानों से तीन दिनों (गुरुवार से) के लिए मरहूम अख्तर मंसूर की याद में शोक मनाने एवं उनके कामों व उनकी रूह के लिए दुआ करने की अपील करते हैं।"
बयान में कहा, "हमारा जिहाद जारी रखेगा। हम अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के सभी मुजाहिदीन से फिक्र न करने और अपने नये नेता का समर्थन करने की दरख्वास्त करते हैं"
तालिबान के नेतृत्व परिषद ने मुल्ला मंसूर पर हुए हवाई हमले के अगले दिन ही उसके उत्तराधिकारी की नियुक्ति से संबंधित बातचीत शुरू कर दी थी।
पूर्व में रिपोर्टों में ऐसा अनुमान लगाया गया था कि हक्कानी व मुल्ला याकूब मुल्ला मंसूर के उत्तराधिकारी हो सकते हैं।
तालिबान की ओर से मंगलवार को कहा गया था कि मुल्ला मंसूर की मौत से इस समूह के विद्रोह या बलवे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
सबसे पहले अमेरिका के रक्षा विभाग ने मुल्ला मंसूर पर हुए हमले की सूचना दी थी, लेकिन उसके मारे जाने की पुष्टि बाद में नेशनल डायरेक्ट्रेट ऑफ सिक्योरिटी सहित अफगानिस्तान के सुरक्षा संस्थानों ने की।
--आईएएनएस
तालिबान ने मावलावी को मंसूर का उत्तराधिकारी घोषित किया
काबुल, 25 मई (आईएएनएस)। अफगान तालिबान ने बुधवार को पहली बार अपने सरगना मुल्ला मंसूर के पाकिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने की पुष्टि करते हुए मावलावी हैबतुल्ला अखुंदजादा को अपना नया प्रमुख नियुक्त किया।
मुल्ला मंसूर बीते शनिवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मारा गया था।
'खामा प्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान ने एक ऑनलाइन बयान में पहली बार मुल्ला मंसूर के माने जाने की बात कबूली और मावलावी को उसका उत्तराधिकारी नियुक्त किया। मावलावी को सर्वसम्मति से चुना गया है।
बयान में कहा गया कि हक्कानी आतंकवादी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी व मरहूम तालिबान प्रमुख मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब को समूह का उप प्रमुख बनाया गया है।
तालिबान के नेतृत्व परिषद ने मुल्ला मंसूर पर हुए हवाई हमले के अगले दिन ही उसके उत्तराधिकारी की नियुक्ति से संबंधित बातचीत शुरू कर दी थी।
पूर्व में रिपोर्टों में ऐसा अनुमान लगाया गया था कि हक्कानी व मुल्ला याकूब मुल्ला मंसूर के उत्तराधिकारी हो सकते हैं।
तालिबान की ओर से मंगलवार को कहा गया था कि मुल्ला मंसूर की मौत से इस समूह के विद्रोह या बलवे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
सबसे पहले अमेरिका के रक्षा विभाग ने मुल्ला मंसूर पर हुए हमले की सूचना दी थी, लेकिन उसके मारे जाने की पुष्टि बाद में नेशनल डायरेक्ट्रेट ऑफ सिक्योरिटी सहित अफगानिस्तान के सुरक्षा संस्थानों ने की।
--आईएएनएस
'अच्छे दिन' की बाट जोहता कश्मीर
सरवर कशानी/रुवा शाह
श्रीनगर, 24 मई (आईएएनएस)। कई दशकों से आतंकवाद व अलगाववाद की आग में झुलस रहे 'धरती के स्वर्ग' कश्मीर के लोग बीते दो वर्षो से अधिक समय से 'अच्छे दिन' की बाट जोह रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा लगभग 18 महीने पहले दिसंबर 2014 में आयोजित एक विशाल जनसभा तथा केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के दो वर्ष पूरे होने के बाद भी कश्मीर और कश्मीरियों की समस्याएं जस की तस हैं। मोदी के शासन के एजेंडे में कश्मीर को विशेष स्थान मिलने के बाद भी मुद्दा जस का तस है।
राज्य में साल 2015 में विधानसभा चुनाव से पहले हुई भाजपा की जनसभा के कुछ महीने पहले घाटी में केंद्र सरकार ने लोगों के बीच सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की। घाटी में कम से कम छह सैनिकों को साल 2010 में हुए फर्जी मुठभेड़ में कथित संलिप्तता के लिए दोषी ठहराया गया। मुठभेड़ में तीन नागरिकों को विदेशी आतंकवादी करार देते हुए सेना के जवानों ने मार गिराया था।
कश्मीर में सेना लगभग तीन दशक से आतंकवादियों व अलगाववादियों से लोहा ले रही है।
कश्मीर में चुनाव प्रचार के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था, "फर्जी मुठभेड़ के लिए जिम्मेदार लोगों को दोषी ठहराना मेरे मजबूत इरादे का सबूत है। मैं यहां आपको इंसाफ दिलाने आया हूं।" चुनाव में मिली जीत के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ भाजपा ने गठबंधन सरकार का गठन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के लिए 80 हजार करोड़ रुपये के पैकेज के साथ नवंबर 2015 में एक बार कश्मीर पहुंचे और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 'जम्हूरियत', 'इंसानियत' व 'कश्मीरियत' के सिद्धांत को समर्थन जारी रखने का संकल्प लिया।
जम्मू एवं कश्मीर में राजनीतिक व विकासात्मक तौर पर हालांकि बहुत थोड़ा-सा बदलाव दिखा है।
कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए वाजपेयी की प्रशंसा पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण पहल के लिए की जाती है। उन्होंने जहां एक तरफ पाकिस्तान के तत्कालीन सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ के साथ बातचीत की, वहीं कश्मीरी अलगाववादियों के साथ भी बातचीत की थी।
मोदी की रणनीति पूर्व प्रधानमंत्रियों की तुलना में उलट है। जहां तक कश्मीर की बात है, तो वह इस बात को स्पष्ट करते हैं कि इस मुद्दे पर उन्हें दुनिया के किसी देश या संस्था से सलाह या विश्लेषण की जरूरत नहीं है।
प्रधानमंत्री न केवल अलगाववादियों को दबाकर रखना चाहते हैं, बल्कि पाकिस्तान को इस बात से बाखबर कर देना चाहते हैं कि यह उनका आंतरिक मुद्दा है और इसका समाधान रोजगार व समुचित विकास के माध्यम से किया जाएगा।
कश्मीर के केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन ने आईएएनएस से कहा, "इस मुद्दे पर गहनता से गौर करने की जरूरत है। वाजपेयी ने मुद्दे को सही रूप में समझा। मोदी कट्टर देशभक्त होने का दिखावा कर रहे हैं। इस विवाद (भारत व पाकिस्तान) को न केवल पिछली केंद्र सरकारों ने स्वीकार किया, बल्कि भारतीय संविधान ने भी इसे समझा।"
हुसैन ने कहा कि केवल रोजगार व विकास वृहद कश्मीर की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता और यह क्षेत्र में शांति नहीं ला सकता।
हाल में अशांति के कुछ मामलों -एनआईटी श्रीनगर में हिंसक प्रदर्शन तथा हंदवारा में भीषण हिंसक प्रदर्शन, जिसमें सुरक्षाबलों की गोलीबारी में पांच लोगों की मौत हुई- ने यह साबित कर दिया है कि कश्मीर में शांति बहाल करना आसान नहीं है और यह एक छोटी से छोटी घटना या सुरक्षाबलों के झूठ-सच के मानवाधिकार उल्लंघन की खबरों पर उबल उठता है।
विकास के मोर्चे पर जम्मू एवं कश्मीर में बहुत ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिला है। राज्य वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने आईएएनएस से कहा कि 80 हजार करोड़ रुपये के पैकेज का कुछ हिस्सा जारी किया गया है और अधिकांश राशि का इस्तेमाल 2014 में बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास के लिए किया गया।
नीति निर्माताओं के लिए बेरोजगारी चिंता की एक बड़ी वजह है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में लाखों पुरुष तथा महिलाएं बेरोजगारी से जूझ रहे हैं और 80 हजार करोड़ रुपये के पैकेज से इसका समाधान संभवन नहीं है। इसके लिए ठोस पहल करने की जरूरत है, जो रोजगार की गारंटी प्रदान करे।
राज्य के वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, "रोजगार के लिए अभी तक वैसा कुछ नहीं हुआ।"
उन्होंने कहा कि समस्या केवल रोजगार की ही नहीं, बल्कि कौशल की कमी की भी है। अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "सरकार ने हाल ही में एक कौशल विकास मिशन का गठन किया है। यह शुरुआती चरण में है, लेकिन अगर आप पूछेंगे कि कितने रोजगारों का सृजन किया गया है, तो मेरा जवाब होगा एक भी नहीं।"
--आईएएनएस
सीरिया में विस्फोटों में 74 मरे
दमिश्क, 23 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। सीरिया के दो तटीय शहरों में सोमवार को हुए कई बम विस्फोटों में कम से कम 74 लोगों की मौत हो गई है।
सीरिया के बंदरगाह शहर लटाकिया से 25 किलोमीटर दूर तटीय शहर जबलेह में हुए चार विस्फोटों में 45 लोग मारे गए।
दो विस्फोट जबलेह के मुख्य बस अड्डे के द्वार पर हुए, तीसरा बिजली सचिवालय के नजदीक, जबकि चौथा विस्फोट एक आत्मघाती हमलावर ने जबलेह के राष्ट्रीय अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में किया।
जबलेह के विस्फोटों के बाद, चार बम विस्फोटों ने लटाकिया से केवल 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तटीय शहर टार्टस को दहला दिया।
सीरिया के राष्ट्रीय प्रसारक के मुताबिक, तीन बम विस्फोट टार्टस शहर के एक बस अड्डे के पास हुए। ये विस्फोट आत्मघाती हमलावरों और एक कार बम से हुए थे।
राष्ट्रीय प्रसारक के मुताबिक, बस अड्डे के पास एक ट्रक में विस्फोट हो गया, जबकि दो आत्मघाती हमलावरों ने बस अड्डे के भीतर खुद को उड़ा लिया।
चौथा विस्फोट एक आत्मघाती हमलावर ने टार्टस में बस अड्डे के नजदीक असद उपनगर में किया।
राष्ट्रीय प्रसारक के मुताबिक, टार्टस में हुए विस्फोट में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जबकि एफएम रेडियो 'शैम' ने मेडिकल सूत्रों के हवाले से कहा है कि यहां हुए विस्फोट में 29 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
टार्टस और जबलेह में ये पहले विस्फोट हैं। पांच सालों से अशांत चल रहे इस देश के दोनों शहरों में इससे पहले मुख्यतौर पर शांति कायम थी।
राष्ट्रीय टीवी के मुताबिक, बम विस्फोटों के पीछे तुर्की समर्थित संगठन, अहरार अल-शाम का हाथ है।
--आईएएनएस
तालिबान सरगना मुल्ला मंसूर मारा गया : ओबामा
वाशिंगटन, 23 मई (आईएएनएस)। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में दो दिन पहले हुए अमेरिकी ड्रोन हमले में तालिबान सरगना मुल्ला अख्तर मंसूर के मारे जाने की पुष्टि की है।
ओबामा का यह बयान व्हाइट हाउस की ओर से ऐसे समय में जारी किया गया है, जबकि पाकिस्तान अब भी हमले में मंसूर के मारे जाने को लेकर संशय जता रहा है। साथ ही उसने अपनी जानकारी के बगैर हुए इस हमले को देश की संप्रभुता का हनन भी करार दिया है और इसको लेकर अमेरिका से विरोध जताया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने रविवार देर रात कहा था कि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया शख्स तालिबान सरगना मंसूर है।
लंदन पहुंचे नवाज ने संवाददाताओं से कहा कि हालांकि इस बारे में उन्हें अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी का फोन आया था, जिसमें ड्रोन हमले की जानकारी दी गई थी। लेकिन यह जानकारी हमले के बाद दी गई।
नवाज ने यह भी कहा कि केरी का फोन आने के बाद उन्होंने सेना प्रमुख से बात की। विदेश मंत्रालय से एक बयान भी जारी किया गया, जिसमें अमेरिकी ड्रोन हमले को देश की संप्रभुता का हनन करार देते हुए इसे लेकर विरोध जताया गया है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का यह भी कहना है कि अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया शख्स पाकिस्तानी नागरिक वली मुहम्मद है, जिसकी पुष्टि वहां से बरामद एक पासपोर्ट से होती है। माना जा रहा है कि यह पासपोर्ट धारक 21 मई को ही ईरान से पाकिस्तान लौटा था, जिस दिन मंसूर को निशाना बनाकर ड्रोन हमला किया गया।
वियतनाम की यात्रा पर गए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस बारे में कहा, "हम पाकिस्तान के साथ साझा उद्देश्यों पर काम करेंगे। जिन आतंकवादियों से हमारे देशवासियों को खतरा है उन्हें सुरक्षित पनाहगाह नहीं मिलना चाहिए। इतने सालों के संघर्ष के बाद अफगानिस्तान के लोगों और इस क्षेत्र को आज एक अलग और बेहतर भविष्य का मौका मिला है।"
"मंसूर ने अफगानिस्तान सरकार के शांति वार्ता की पेशकश दक्षिण एशिया के इस देश में हिंसा को रोकने के प्रयासों को खारिज कर दिया था।"
उन्होंने कहा कि आतंकवादी समूहों द्वारा जारी हिंसा में अब तक अनगिनत अफगान पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की जान गई है।
ओबामा ने कहा, "तालिबान को इस दीर्घकालीन संघर्ष को समाप्त करने के लिए अफगानिस्तान सरकार के साथ शांति एवं सुलह प्रक्रिया के मार्ग पर आगे बढ़ने के अवसर का लाभ उठाना चाहिए।"
ओबामा ने यह भी कहा कि अमेरिका अफगानिस्तानी सुरक्षा बलों की लगातार मदद करता रहेगा और राष्ट्रपति अशरफ घनी के अफगान के लोगों के लिए शांति और प्रगति के प्रयासों का सर्मथन करता रहेगा।
ओबामा ने कहा कि अमेरिका निरतंर उसके और उसकी गठबंधन सेना को निशाना बनाने वाले आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करता रहेगा।
जॉन केरी ने शनिवार को अफगान और पाकिस्तान सरकार को ओबामा द्वारा अधिकृत इस हमले की सूचना दी थी, जिसमें पाकिस्तान-अफगान सीमा पर स्थित शहर क्वेटा के नजदीक अहमेद वल में मंसूर को निशाना बनाया गया।
वहीं, व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में ओबामा ने कहा कि मुल्ला मंसूर का मारा जाना अफगानिस्तान में शांति बहाली के दीर्घकालीन प्रयासों की दिशा में मील का पत्थर है।
बयान के मुताबिक, "मंसूर के मारे जाने से उस आतंकवादी संगठन के सरगना का खात्मा हो गया है, जो अमेरिका पर हमले की साजिश में लगा हुआ था और अफगानिस्तान में युद्ध का जिम्मेदार था।"
उन्होंने अमेरिका और उसकी गठबंधन सेना को निशाना बनाने वालों को स्पष्ट संदेश देने के लिए अमेरिकी सेना का धन्यवाद किया।
नाटो के सेक्रेटरी जनरल जेंस स्टोलेनबर्ग ने कहा कि मंसूर की मौत से अफगानिस्तान में शांति की दिशा में प्रगति का एक अवसर है।
उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, "इस तालिबान नेता ने अनगिनत अफगान नागरिकों और सुरक्षा बलों की जान ली थी।"
मंसूर ने तालिबान के पूर्व नेता मुल्ला उमर के मौत के दो सालों बाद समूह की कमान संभाली थी।
तालिबान नेता के इस मौत से एक तरफ जहां शांति प्रयासों पर वहीं, दूसरी अमेरिका के पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर भी असर पड़ने की संभावना है।
मंसूर की मौत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अमेरिका और चीन के नेताओं के ताजा दौर की इस्लामाबाद में हुई बातचीत के एक दिन बाद हुई है, जिसमें तालिबान को शांति वार्ता के लिए तैयार करने के प्रयासों पर चर्चा हुई थी।
मंसूर की मौत से तालिबान का काफी धक्का लगा है। पर्यवेक्षकों का मानना है इससे समूह में नेतृत्व को लेकर एक बार फिर खींचतान शुरू हो सकती है।
मंसूर की मौत के बाद रविवार को तालिबान के शीर्ष नेताओं ने आपस में मुलाकात की और आगे की कार्ययोजना तैयार की।
तालिबान के शीर्ष नेतृत्व ने नए नेता के तौर पर कई नामों पर विचार किया, जिनमें कुख्यात गुरिल्ला कमांडर सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम भी था।
हक्कानी कुख्यात हक्कानी आतंकवादी समूह का सरगना है और कहा जाता है कि मुल्ला मुहम्मद ओमर की मौत के बाद उसने तालिबान के नेतृत्व के संकट सुलझाने में अहम भूमिका निभाई थी।
सूत्रों के मुताबिक, तालिबान इसके अलावा मुल्ला याकूब के नाम पर विचार कर सकती है, जो मुल्ला उमर का बेटा है। वह अपने पिता के नाम की वजह से संभावित एकता का सूत्रधार बन सकता है।
हालांकि तालिबान ने अभी मंसूर की मौत के बार में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
--आईएएनएस
श्रीनगर : आतंकवादियों के हमले में 3 पुलिसकर्मी शहीद
श्रीनगर, 23 मई (आईएएनएस)। श्रीनगर में सोमवार को हुए दो अलग-अलग आतंकवादी हमलों में तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। तीन साल बाद ऐसा हमला हुआ है।
पुलिस सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि मोटरसाइकल पर सवार दो हमलावरों ने श्रीनगर में दो 'निहत्थे' पुलिसकर्मियों पर बिल्कुल नजदीक से गोलीबारी की।
सूत्रों ने कहा कि पुलिसकर्मी शहर के मध्य लाल चौक से कुछ 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जादीबल इलाके के नजदीक एक भीड़भाड़ वाले चौराहे पर यातायात का संचालन कर रहे थे।
सूत्रों ने बताया कि सहायक उपनिरीक्षक नजीर अहमद और हवलदार बशीर अहमद के सिर पर गोली लगी थी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि महज एक घंटे बाद ही आतंकवादियों ने शहर के मध्य से लगभग पांच किलोमीटर दूर तेंगपोरा इलाके में एक और पुलिसकर्मी की जान ले ली और उसकी रायफल छीन कर भाग गए।
अधिकारी ने बताया कि एक अज्ञात राजनेता की रक्षा के लिए तैनात पुलिसकर्मी गोलियों से गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन ने दोनों हमलों की जिम्मेदारी ली है। ऐसे हमले तीन साल बाद हुए हैं। तीन साल पहले 22 जून, 2013 को लाल चौक के नजदीक शहर के मुख्य बाजार में भीड़भाड़ वाली हरि सिंह हाई स्ट्रीट मार्केट में आतंकवादियों ने दो पुलिसकर्मियों की जान ले ली थी।
हिजबुल मुजाहिदीन के प्रवक्ता बुरहानुद्दीन ने एक स्थानीय समाचार एजेंसी को फोन करके कहा कि सोमवार के हमलों को संगठन ने अंजाम दिया है।
पिछले महीने महबूबा मुफ्ती की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के बाद यह पहला बड़ा हमला है।
सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि उनके पास खुफिया जानकारी है कि कश्मीर घाटी में गर्मियों के महीनों में सीमा पार से घुसपैठ का प्रयास बढ़ने के मद्देनजर आतंकवादी श्रीनगर पर हमला करने की साजिश रच रहे हैं।
जीओसी 15 कॉर्प्स के सतीश दुआ ने यहां मीडिया से कहा, "सेना, पुलिस और अन्य एजेंसियां पूरी तरह तैयार हैं। हम इन आतंकवादियों को सफल नहीं होने देंगे।"
दुआ ने पुलिसकर्मियों की मौत को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया और आश्वासन दिया कि 'सेना, पुलिस और अन्य एजेंसियां ऐसे खतरों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
--आईएएनएस
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