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आईपीएल : मुंबई ने कोलकाता को 6 विकेट से हराया (राउंडअप)

शारपोवा के डोपिंग मामले का फैसला अदालत करेगा : आईटीएफ

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तृणमूल नारदा स्टिंग की आतंरिक जांच करेगी

कोलकाता, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को घोषणा की कि वह नारदा स्टिंग की आतंरिक जांच करेगी, जिसमें पार्टी के कई वरिष्ठ नेता कथित तौर पर रिश्वत लेते पकड़े गए थे।

तृणमूल के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि इस 'साजिश' में कांग्रेस नेता अहमद पटेल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी की भूमिका की जांच की जाएगी।

चटर्जी ने कहा, "आतंरिक जांच में इसकी रिलीज के समय से लेकर इसकी सामग्री समेत सभी पहलुओं की जांच की जाएगी और अगर कोई दोषी पाया जाएगा तो पार्टी उचित कदम उठाएगी।"

चटर्जी ने कहा, "इस जांच में अहमद पटेल, सिद्धार्थ नाथ सिंह और सीताराम येचुरी जैसे उन लोगों की भूमिका की जांच की जाएगी, जिनका नाम इस मामले में आया है। अगर उनके शामिल होने की बात साबित होगी तो हम प्रयास करेंगे कि उनके खिलाफ कदम उठाए जाएं।"

स्टिंग में पकड़े गए नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच और कार्रवाई की मांग को लेकर दायर की गई कई जनहित याचिकाओं पर कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई करने के एक दिन बाद यह घोषणा की गई है।

पोर्टल नारदा न्यूज द्वारा किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में तृणमूल कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को एक काल्पनिक कंपनी का पक्ष लेने के बदले कथित रूप से रिश्वत लेते दिखाया गया था। उसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्य के वर्तमान मंत्री और सांसद नजर आए थे।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • भाजपा सांसद को तीन साल कैद की सजा

    अहमदाबाद, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। गुजरात के अमरेली जिले की एक सत्र अदालत ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अमरेली के सांसद नारन कछाड़िया को तीन साल कैद की सजा सुनाई। साथ ही 25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। कछाड़िया को तीन साल पहले सरकारी ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक भीमजी दाभी से मारपीट करने के मामले में यह सजा सुनाई गई है।

    अदालत ने इस मामले में भाजपा की एक स्थानीय महिला नेता सहित चार अन्य लोगों को भी दोषी करार दिया है। सभी दोषियों पर 25-25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।

    अदालत ने इन सभी को राहत देते हुए गिरफ्तारी से बचने के लिए इस फैसले के खिलाफ 11 मई तक उच्च न्यायालय जाने के लिए समय दिया है।

    इस फैसले पर नारन कछाड़िया (58) ने संवाददाताओं से कहा, "मैं निर्दोष हूं और फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाऊंगा।"

    अमरेली की सिविल अस्पताल की डॉक्टर भीमजी दाभी की जनवरी, 2013 में तब पिटाई कर दी गई थी जब उन्होंने कथित रूप से भाजपा की महिला नेता मधुबेन जोशी के 23 वर्षीय बेटे रवि जोशी का इलाज करने से इनकार कर दिया था।

    जब डॉक्टर दाभी ने कथित रूप से जोशी और उनके बेटे को अस्पताल से बाहर जाने के लिए कह दिया तो बात बढ़ गई और उन्होंने कछाड़िया को बुला लिया। बताया जाता है कि कछाड़िया अपने समर्थकों के साथ अस्पताल पहुंचकर डॉक्टर दाभी पर हमला कर दिया। इसके विरोध में अस्पताल के कर्मचारी तत्काल हड़ताल पर चले गए थे। बाद में सांसद समेत 15 लोगों के खिलाफ पुलिस ने शिकायत दर्ज की थी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • सोनिया ने ममता-मोदी के बीच गठजोड़ का लगाया आरोप
    सुजापुर (पश्चिम बंगाल), 13 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच गठजोड़ का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख भी उसी जनताविरोधी नीतियों का पालन कर रही है जो केंद्र में मोदी सरकार कर रही है।

    उन्होंने यहां एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, "मैं आपको चेताना चाहती हूं कि जो व्यक्ति अपने आप को दीदी कहती हैं, और जो नमो-नमो का नारा लगवाता है, दोनों मिले हुए हैं।"

    "जब भी प्रधानमंत्री को संसद में समस्या होती है, तो तृणमूल उसे बचाने आ जाती है। बदले में प्रधानमंत्री तृणमूल की जनता विरोधी नीतियों पर आंखें मूंद लेते हैं।"

    सोनिया ने कहा कि क्या मोदी और बनर्जी ने चिटफंट कंपनियों पर कोई कार्रवाई की जिसमें बंगाल के गरीबों से करोड़ों रुपये लूट लिए। "उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि दोनों एक ही थाली में खाना खाते हैं।"

    उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा ने लोगों को घोखा दिया और बंगाल में तृणमूल ने बहुमत मिलने के बाद लोगों को धोखा दिया।

    "जिस तरीके से दीदी पैसा, सत्ता और बल का प्रयोग अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए करती हैं। मोदी भी वही तरीका विभिन्न राज्यों में कांग्रेसी सरकारों को गिराने के लिए अपनाते हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ने उन लोगों को जेल नहीं भेजा जिन्होंने गरीबों का पैसा लूटा। इसी प्रकार मोदी ने उन लोगों के आसानी से देश छोड़कर जाने दिया जिन्होंने बैंकों का पैसा लूटा।"

    उन्होंने 2001 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल के साथ कांग्रेस के गठजोड़ को याद करते हुए कहा कि तब हमने बनर्जी का समर्थन किया था। क्योंकि उन्होंने गरीबों, महिलाओं और हाशिये पर पड़े लोगों की भलाई करने की बात कही थी। लेकिन सत्ता में आते ही उन्होंने अपने सारे वादे भुला दिए।

    उन्होंने कहा कि बंगाल में महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद महिलाओं पर अत्याचार के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • परमाणु सक्षम के-4 मिसाइल का अरिहंत पनडुब्बी से सफल परीक्षण
    नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम के-4 मिसाइल का बुधवार को अरिहंत पनडुब्बी से लांच कर परीक्षण किया गया। के-4 मिसाइल और अरिहंत पनडुब्बी दोनों को स्वदेश में ही विकसित किया गया है।

    पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश (सेवानिवृत्त) ने इसे एक बड़ा कदम करार दिया है। लेकिन उनके मुताबिक अरिहंत को अंतर प्राद्वीपीय मिसाइल से लैस करने की जरूरत है। इन मिसाइलों की रेंज 5,000 किलोमीटर से ज्यादा होती है।

    के-4 का रेंज 3,500 किलोमीटर है। इस परीक्षण को पिछले महीने गुप्त रूप से किया गया और रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आधिकारिक रूप से इस बारे में किसी टिप्पणी से इनकार किया है।

    इसके बारे में एडमिरल अरुण प्रकाश ने आईएएनएस को बताया, "अरिहंत का पूर्ण इस्तेमाल करने के लिए उसमें अंतरप्राद्विपीय मिसाइल सक्षम बनाने की जरूरत है। हमें 5,500 किलोमीटर रेंज के मिसाइलों की जरूरत है ताकि यह पनडुब्बी भारतीय समुद्र के किसी भी हिस्से में अपने लक्ष्य के खतरा साबित हो सके।"

    जानकार सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि इस मिसाइल का परीक्षण बंगाल की खाड़ी में किया गया। इसे पानी के 20 मीटर अंदर छोड़ा गया और इसने लक्ष्य को दागने से पहले 700 किलोमीटर की दूरी तय की। इस दौरान 7 मार्च को इसकी एक डमी का भी नकली परीक्षण किया गया।

    इस मिसाइल और पनडुब्बी दोनों को डीआरडीओ ने विकसित किया है। के-4 का नाम मिसाइल मैन के नाम से मशहूर पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है।

    इस मिसाइल को खासतौर से अरिहंत के लिए ही विकसित किया गया है, क्योंकि दूसरा परमाणु सक्षम मिसाइल अग्नि-3 इस पनडुब्बी के लिए मुफीद नहीं है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • सीरियाई छात्रों को संसदीय चुनाव से बेहतर भविष्य की उम्मीद (लीड-1)
    दमिश्क, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। संकटग्रस्त सीरिया में विश्वविद्यालय के छात्रों ने बुधवार को संसदीय चुनाव में भाग लिया। उन्हें उम्मीद है कि प्रत्याशी उनके लिए नौकरी के अवसर मुहैया कराना सुनिश्चित करेंगे।

    समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, दमिश्क विश्वविद्यालय के छात्रावासों में रहने वाले छात्र अपना वोट डालने के लिए कतारों में लग कर इंतजार करते नजर आए। इन छात्रों में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के कब्जे वाले क्षेत्रों के भी छात्र थे।

    दक्षिणी प्रांत दारा की एक छात्रा नोरहान ने कहा कि सीरियाई युवाओं को उनके लक्ष्यों को पूरा कराने में सक्षम लोगों को चुनने के लिए चुनावों में हर हाल में भाग लेना चाहिए। दारा से ही पांच साल पहले लड़ाई शुरू हुई थी।

    उसने कहा, "हम सभी को अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए चुनावों में शामिल होना चाहिए और इसका समर्थन करना चाहिए। हमें ऐसे व्यक्ति को चुनना चाहिए जो हमारी उम्मीदों के अनुसार आचरण करेगा, हमारा प्रतिनिधित्व करेगा और बेहतर भविष्य मुहैया कराने के लिए हमारी समस्याओं का समाधान करेगा।"

    उसकी दोस्त सिहाम ने कहा कि जो लोग संवेदनशील जगहों से आते हैं उनके लिए चुनाव महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह इस सच्चाई के बावजूद कि उनका शहर बहुत पहले सरकार के नियंत्रण के बाहर हो चुका है, उन्हें अपने देश का होने का अहसास कराएगा।

    उत्तरी प्रांत अल्लेपो से आए एक अन्य छात्र मुहम्मद ने कहा कि चुनाव संवैधानिक दायित्व है और देश के पुनर्निमाण के प्रयासों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

    पांच साल के युद्ध के बाद हमें सीरिया के पुनर्निर्माण के लिए निश्चित रूप से मतदान में भाग लेना चाहिए। क्योंकि सीरिया को हमारी जरूरत है उसके युवकों की जरूरत है। हमें अनिवार्य रूप से इसमें भाग लेना चाहिए। केवल दूर से खड़ा होकर देखते नहीं रहना चाहिए।

    सीरिया का संसदीय चुनाव बुधवार को शुरू हुआ। इसमें 250 संसदीय सीटों के लिए 3,500 उम्मीदवार मैदान में हैं।

    स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे सीरिया के सरकार नियंत्रित इलाकों में 7300 मतदान केंद्र मतदान के लिए खोल दिए गए।

    चुनाव उप समिति ने सरकार नियंत्रित इलाकों में मतदान के लिए अपनी पूरी तैयारी की घोषणा की थी।

    गत फरवरी महीने में राष्ट्रपति बशर अल-असद ने 13 अप्रैल को संसदीय चुनाव कराने का आदेश दिया था।

    सीरिया में नए संविधान को अपनाने के ठीक एक महीने बाद 2012 में संसदीय चुनाव हुआ था।

    विपक्ष ने मौजूदा और पिछले चुनाव के दौरान बहिष्कार की घोषणा की थी।

    राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीबी) के सदस्य मुंथर खद्दाम ने कहा है कि उनका संगठन दूसरी बार भी चुनाव का बहिष्कार करेगा।

    उन्होंने कहा, "चुनाव असामान्य संदर्भ में हुआ है और यह जेनेवा वार्ता के राजनीतिक रास्ते के खिलाफ है।"

    हालांकि सरकार के निष्ठावानों ने चुनाव कराने के फैसले के बारे में कहा कि यह इस बात का सबूत है कि दमिश्क अब भी स्वतंत्र रूप से निर्णय लेता है। इन लोगों का मानना है कि चुनाव और जल्द फिर से शुरू होने वाली जेनेवा वार्ता अलग-अलग पथ हैं।

    सरकार की ओर से मतदान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के तहत दमिश्क की गलियां उम्मीदवारों के पोस्टरों से अटी पड़ी हैं।

    हालांकि युद्ध से पहले के चुनावों में उम्मीदवार अपनी योजनाओं और नीतियों से लोगों को अवगत कराने के लिए टेंट लगाते थे। लेकिन इस बार सुरक्षा कारणों से उम्मीदवारों के कार्यक्रमों के उल्लेख के लिए इस तरह के सत्रों को रद्द कर दिया गया है। यही वजह है कि इस साल राजधानी दमिश्क और अन्य जगहों पर लोग केवल पोस्टरों के जरिए ही उम्मीदवारों को जानते हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • नमामि गंगे के लिए भारत, जर्मनी के बीच समझौते
    नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय और जर्मनी के जर्मन इंटरनेशनल कोआपरेशन (जीआईजेड) के बीच बुधवार को नई दिल्ली में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा नदी के संरक्षण के लिए एक क्रियान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

    मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस समझौते का उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण के लिए उत्तरदायी राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय हितधारकों को एकीकृत नदी बेसिन प्रबंधन दृष्टिकोण के लिए सक्षम बनाना है। यह भारत और जर्मनी के बीच जानकारी के आदान-प्रदान और सामरिक नदी बेसिन प्रबंधन मामलों के व्यावहारिक अनुभव, प्रभावी डाटा प्रबंधन प्रणाली तथा जन भागीदारी पर आधारित होगा।

    बयान के अनुसार, यह परियोजना अन्य राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पहलों के साथ मिलकर काम करेगी। इसमें भारत और जर्मनी की 'राष्ट्रीय शहरी नीति को समर्थन' यानी एसएनयूएसपी और पर्यावरण अनुकूल सतत औद्योगिक उत्पादन (एसईआईपी) जैसी द्विपक्षीय परियोजनाएं शामिल हैं। इस परियोजना की अवधि तीन साल यानी 2016 से 2018 तक होगी।

    इस परियोजना में जर्मनी का अंशदान 22.5 करोड़ रुपये का होगा। शुरुआत में उत्तराखंड पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और गंगा से जुड़े दूसरे राज्यों तक इसका दायरा बढ़ाया जाएगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य राइन और दान्यूब नदी के लिए इस्तेमाल की गई सफल नदी बेसिन प्रबंधन नीति को अपनाना है। इसके अतिरिक्त जहां तक संभव हो सके गंगा नदी का प्राचीन वैभव लौटाने के लिए इस नीति को यहां दोहराना है।

    इस समझौते पर भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. मार्टिन ने और जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय में सचिव शशि शेखर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।

    इस अवसर पर जर्मन राजदूत ने कहा कि उनका देश गंगा नदी के प्रति आस्था और उसके सांस्कृतिक महत्व को समझता है तथा मां गंगा को उसका प्राचीन वैभव वापस लौटाने के लिए अपना श्रेष्ठ प्रयास करेगा।

    जर्मन सरकार का आभार प्रकट करते हुए शेखर ने कहा कि जर्मनी से मिलने वाला तकनीकी सहयोग गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने में अत्यंत फलदायी साबित होगा। उन्होंने कहा, "इस क्षण से ही हम गंगा नदी को निर्मल बनाने के लिए और तेज गति से आगे बढ़ेंगे।"

    'नमामि गंगे' भारत सरकार का एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य नए वेग से गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करना और पावन गंगा का संरक्षण करना है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • एक लाख से अधिक दिव्यांगों को कौशल प्रशिक्षण
    नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि पिछले एक वर्ष में एक लाख से अधिक दिव्यांगों को कौशल प्रशिक्षण दिया गया है।

    सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग के तहत काम करने वाले कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एएलआईएमसीओ) ने सहायता एवं सहायक उपकरणों के वितरण के लिए बरेली में मंगलवार को एक विशाल शिविर का आयोजन किया।

    केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत की अध्यक्षता और केंद्रीय कपड़ा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा बरेली के सांसद संतोष कुमार गंगवार की उपस्थिति में 1578 लाभार्थियों को अत्याधुनिक उच्च तकनीक वाले सहायता एवं सहायक उपकरण प्रदान किए गए।

    बरेली में शिविर के सफल संचालन के लिए विकलांगजन सशक्तीकरण विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए संतोष कुमार गंगवार ने अपने लोकसभा क्षेत्र की ओर से आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि यह शिविर कई दिव्यांगों के लिए लाभदायक होगा और उन्हें रोजमर्रा के जीवन में पेश आने वाली चुनौतियों से पार पाने के लिए मददगार साबित होगा।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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