कोच्ची, 11 फरवरी (आईएएनएस)। केरल उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक हत्याकांड में आरोपी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता पी. जयराजन की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता कथिरुर मनोज की हत्या के इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है।
जमानत याचिका खारिज होने के बाद अब सीबीआई उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर सकती है।
इससे पहले माकपा के पूर्व विधायक जयराजन की जमानत याचिका तीन बार निचली अदालत द्वारा खारिज की जा चुकी है, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
सीबीआई ने जयराजन को जमानत देने का पुरजोर विरोध किया और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के. टी. शंकरन ने सीबीआई का तर्क स्वीकार कर लिया।
सीबीआई के वकील ने गुरुवार को कहा कि चूंकि जयराजन के खिलाफ मामला गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है, इसलिए उन्हें जमानत बिल्कुल नहीं दी सकती।
उल्लेखनीय है कि जयराजन पर 1999 में हुए प्राणघातक हमले के आरोपियों में मनोज भी शामिल था।
इसके बाद एक सितंबर, 2014 को कन्नूर के निकट मनोज पर सात लोगों ने हमला किया। हमलावरों ने पहले मनोज के वाहन पर बम फेंका और फिर गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी।
सूत्रों के अनुसार जमानत याचिका खारिज होने के बाद सीबीआई जल्द ही जयराजन को गिरफ्तार कर सकती है। पिछले महीने निचली अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका नामंजूर होने के बाद जयराजन को कन्नूर के एक अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था।
सीबीआई अब तक इस मामले में 23 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है और जयराजन से पिछले वर्ष पूछताछ भी कर चुकी है। हालांकि तब पूछताछ के बाद जयराजन को छोड़ दिया गया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
खरी बात
JNU के बहाने देश की शिक्षा और सन्दर्भों पर पुनर्विचार का समय
संदीप नाईक ये देश क्या होता है और कितने लोग जानते बूझते है देश, देश प्रेम और देश द्रोह का सही अर्थ, जिस देश में सरकार के कारण रोहित वेमुला...
आरएसएस की मीडिया और जनता का जेएनयू
सन्दर्भ - वर्ल्ड रेड हैंड डे: हथियारबंद संघर्षों में बच्चों का इस्तेमाल
आधी दुनिया
सावित्रीबाई फुले जिन्होंने भारतीय स्त्रियों को शिक्षा की राह दिखाई
उपासना बेहार “.....ज्ञान बिना सब कुछ खो जावे,बुद्धि बिना हम पशु हो जावें, अपना वक्त न करो बर्बाद,जाओ, जाकर शिक्षा पाओ......” सावित्रीबाई फुले की कविता का अंश अगर सावित्रीबाई फुले...
जीवनशैली
गर्भ से ही शुरू हो जाता है भावनात्मक विकास
लंदन, 17 फरवरी (आईएएनएस)। गर्भावस्था के दौरान और जन्म लेने के बाद एक वर्ष तक पारिवारिक वातावरण बच्चे के भावनात्मक विकास में अहम भूमिका निभाता है। एक नए शोध में...