भोपाल: 27 जनवरी/ पर्यटन वर्ष 2015-16 के अवसर पर म.प्र. राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला में ‘‘मध्यप्रदेश पर्यटन इतिहास व्याख्यान माला’’ के अंतर्गत वानिकी विशेष श्री पी.एम.राजवाड़े का व्याख्यान आज दिनांक 27 जनवरी, 2016 बुधवार को होटल पलाश रेजीडेंसी, भोपाल में आयोजित किया गया। व्याख्यान में श्री राजवाड़े ने म.प्र. के वनों का प्राकृतिक महत्व, जीवन में वनों की आवश्यकता एवं उपयोगिता आदि वन से संबंधित इस विषय पर श्रोताओं को जानकारी प्रदान की।
श्री राजवाडे़ प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद से सन् 1999 में सेवा निवृत्त हुए। इनकी नियुक्ति की प्रथम पदस्थापना सन् 1956 में शिवपुरी जिले में हुई तथा सन् 1982 से 1985 तक अविभाजित मध्यप्रदेश के बस्तर (वर्तमान छत्तीसगढ़) में सहायक मुख्य वन संरक्षक के रूप में भी अपनी सेवाऐं दी।
श्री राजवाड़े ने व्याख्यान के दौरान बताया कि सन् 1985 में उनकी सेवा अवधि के दौरान तात्कालीन प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी एवं तात्कालीन राष्ट्रपति श्री आर.वैंकटरमन द्वारा कान्हा नेशनल पार्क का भ्रमण किया गया जिसमें उनके द्वारा प्रदेश के वनों के प्राकृतिक सौदर्य एवं उनके संरक्षण की सराहना की गई। श्री राजवाड़े ने अपने जीवनकाल में मध्यप्रदेश में विभिन्न वन्य क्षेत्र में रहकर जो अनुभव प्राप्त किये उन्हें उपस्थित श्रोताओं के साथ बांटते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में अतुलनीय वन्य संपदा है साथ ही वनों की दृष्टि से मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है जहॉं हर प्रकार के जंगल पाये जाते है जिनमें रहने वाले विभिन्न वनवासी-आदिवासियों द्वारा न केवल वनों का संरक्षण किया जाता है बल्कि वन्य प्रणियों को भी संरक्षित किया जाता है।
मध्यप्रदेश के विभिन्न वन्य क्षेत्रों के आसपास जो अलग अलग जनजातियॉं एवं वनवासी निवासरत है उनका वनों के प्रति अत्यधिक लगाव है इसके साथ साथ वह वनांे के महत्व को भली भांति समझते है साथ ही वनों की उपज से उनका जीवन निर्वाह होता है तथा वह वनों में उपलब्ध संपूर्ण दुर्लभ औषधियों एवं जीवन दायिनी जड़ी बूटियों आदि की जानकारी भी रखते है जो कि मानव जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी है।
व्याख्यान माला कार्यक्रम में पर्यटन निगम के प्रबंध संचालक श्री हरिरंजन राव तथा अपर प्रबंध संचालक श्रीमती तन्वी सुन्द्रियाल सहित निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी तथा भोपाल नगर की गणमान्य हस्तियॉं भी उपस्थित थी। पलाश रेजीडेंसी के ‘‘विचार सभागार’’ में श्रोताओं की उपस्थिति ने यह दर्शाया कि मध्यप्रदेश में स्थित वनों से रूबरू होने की भोपाल के नागरिकों में असीमित उत्कंठा है।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर म.प्र. पर्यटन द्वारा व्याख्यान कर्ता श्री पी.एम.राजवाड़े सहित समस्त श्रोताओं का आभार व्यक्त किया गया।