BREAKING NEWS
नौसेना सौर, महासागरीय ऊर्जा का इस्तेमाल करेगी
फ्रेंच ओपन : मार्क और फेलिसियानो ने जीता पुरुष युगल खिताब
मोदी ने कतर के अमीर संग बातचीत की
कीमोथेरेपी से होने वाली सुन्नता में व्यायाम सहायक
'भारत में निवेश के लिए चीन की कंपनियों के हैं कुछ मुद्दे'
अफगानिस्तान न्यायालय में आतंकवादी हमला, जज समेत 7 की मौत
अरबों लोग टीवी पर देखेंगे मुहम्मद अली का अंतिम संस्कार
मिस्टर एंड मिस इंडिया 2016 से ग्लैमर वर्ल्ड में युवाओं को मिलेंगे नए अवसर
बांग्लादेश : पुलिस अफसर की पत्नी की गोली मारकर हत्या
सिडनी में स्वाद के शौकीनों के लिए केक शो का आगाज

LIVE News

नौसेना सौर, महासागरीय ऊर्जा का इस्तेमाल करेगी

फ्रेंच ओपन : मार्क और फेलिसियानो ने जीता पुरुष युगल खिताब

मोदी ने कतर के अमीर संग बातचीत की

कीमोथेरेपी से होने वाली सुन्नता में व्यायाम सहायक

'भारत में निवेश के लिए चीन की कंपनियों के हैं कुछ मुद्दे'

पर्यावरण, जल स्त्रोत तथा वैकल्पिक ऊर्जा पर देश और दुनियाभर के बुद्धिजीवियों का आईसेक्ट में लगा जमावड़ा

भोपाल: 15 मार्च/ ‘‘आईसेक्ट विश्वविद्यालय सदैव देश तथा समस्त विश्व में ज्वलंत विषयों के महत्व को रेखांकित करता आ रहा है। निश्चय ही इस बार पर्यावरण, जल स्त्रोत तथा वैकल्पिक ऊर्जा जैसे विषयों को शोध तथा शिक्षा का केन्द्र बिन्दु बना कर समाज के हित में मील का पत्थर साबित होगा।’’ यह बात विश्वविद्यालय में आयोजित चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए बतौर मुख्य अतिथि श्री अखिलेश पांडे, अध्यक्ष म.प्र. निजी वि.वि. आयोग ने कही। इस अवसर पर प्रो. पी के वर्मा, महानिदेशक विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद म.प्र. और श्री संतोष चौबे, कुलाधिपति आईसेक्ट, अमृतलाल वेगड़, पर्यावरणविद, प्रो. वी पी सिंह, प्रोफेसर टेक्सास ए एण्ड एम यूनिवर्सिटी यूएसए, प्रो. वी के वर्मा, कुलपति आईसेक्ट विश्वविद्यालय और डॉ. विजय सिंह, कुलसचिव आईसेक्ट विश्वविद्यालय विशेषरुप से उपस्थित रहे।

इस अवसर पर आईसेक्ट के कुलाधिपति संतोष चौबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस संगोष्ठी के माध्यम से देश-दुनिया में क्या शोध चल रहे हैं और कौन से तरीके हैं जिन्हें अपनाकर दिनोंदिन विकराल होती इन जटिल समस्याओं का हल निकाला जा सके, इसी उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु इस संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय कर रहा है। टेक्नोलाजी पर आधारित समाधान की रिपोर्ट मध्य प्रदेश सरकार के संबंधित विभागों को सौंपी जाएगी। प्रो. वी पी सिंह जो कि जल इंजीनियरिंग के विश्व के 5 प्रमुख वैज्ञानिकों में शामिल हैं ने इस संगोष्ठी को विश्वभर में व्याप्त जल संकट जैसी विकराल समस्याओं के समाधान हेतु हल तलाशने को प्रेरित बताया। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन भी किया गया।

ज्ञात हो कि इस संगोष्ठी में लगभग 20 देशों के विश्वविद्यालय, शोध संस्थान, वैज्ञानिक तथा हमारे अपने आईआईटी, आईआईएम, राष्ट्रीय शोध केन्द्र, विश्वविद्यालय, उद्योग क्षेत्र से विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। इन चार दिनों में लगभग 20 देश, 32 एक्सपर्ट और 400 से अधिक शोध पत्र, केस स्टडी, प्रयोग निष्कर्ष पढ़े जाएंगे तथा उन पर चर्चा होगी।

विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का एकमात्र लक्ष्य ज्ञान-विज्ञान को एक प्लेटफार्म पर लाना है। क्लाइमेट चेंज, वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट, पाल्यूशन, वेस्ट मैनेजमेंट, न्यू एण्ड रेन्यूएबल सोर्सेस आॅफ एनर्जी और कम्प्युटेशनल एंड माडलिंग विषय पर छह समानांतर सत्र जो कि छह सभागारों में 40 सत्र, शारदा हाल, पचमढ़ी हाल, भोजपुर हाल, इंद्रसागर हाल, सिंहस्थ हाल, नर्मदा हाल में अगले 4 दिन आयोजित होते रहेंगे।

Related items

  • आईसेक्ट विश्वविद्यालय में कैंपस ड्राईव

    भोपाल: 3 जून/ आईसेक्ट विश्वविद्यालय में हाल ही में कैंपस संपन्न हुआ। इस कैंपस में बीई, एम.बी.ए., बी.बी.ए, बी.कॉम फायनल ईयर के 100 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। अहमदाबाद की कंसलटेंसी ऐश्योर ने इस कैंपस का संचालन किया। ऐश्योर के मैंनेजिंग डायरेक्टर श्री सुनील व्यास व उनकी टीम ने लिखित परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन व पर्सनल इंटरव्यू के पश्चात 20 विद्यार्थियों को शार्टलिस्ट किया।

    शार्टलिस्ट विद्यार्थियों का चयन फायनल ईयर की परीक्षाओं के पश्चात अंतिम रूप से मार्केट रिसर्च व टेक्निकल रिसर्च एक्सीक्यूटिव के पद पर किया जाऐगा। इनका वार्षिक पैकेज 2.5 लाख प्रतिवर्ष रहेगा।

    विद्यार्थियों के चयन पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजय कांत वर्मा, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह व प्लेसमेंट अधिकारी श्री नितिन कालसकर ने उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए बधाई दी।  

  • आईसेक्ट विश्वविद्यालय में रिसर्च मैथोडोलाजी वर्कशॉप

    भोपाल: 25 मई/ ‘‘अनुसंधान (रिसर्च) का अर्थ नये तथ्यों को सामने लाना है जो पहले की अवधारणाओं को संतुष्ट करता है। हमारी जो भी रिसर्च है वो केवल डिग्री तक ही सीमित ना रहे समाज के लिये भी उपयोगी हो‘‘ यह बात आईसेक्ट विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय रिसर्च मैथोडोलाजी वर्कशॉप ‘‘ज्ञानोदय‘‘ में डॉ. रामाकांत भारद्वाज ने कही। डॉ. भारद्वाज मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। यह वर्कशॉप म.प्र. विज्ञान व प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकास्ट), भोपाल द्वारा प्रायोजित थी।

    उन्होंने अच्छें रिसर्च पेपर कैसे लिखे जाऐं पर प्रभावशाली व्याख्यान दिया। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में वैज्ञानिक शोध का उल्लेख मिलता रहा है। उन्होंने अच्छे रिसर्च पेपर लिखने के लिये दस बिन्दुओं का विस्तार से उल्लेख किया जिसमें विषय की रूपरेखा बनाना, नोटस तैयार करना, रफ ड्राफ्ट बनाना आदि प्रमुख है। रिसर्च पेपर में फ्यूचर स्कोप को अवश्य रेखांकित करना चाहिये।

    आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वी.के. वर्मा ने अपने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि रिसर्च जीवन का रवैया है जो आप पढ़ते है उसकी जड़ों तक जाऐं और उसे आगे बढ़ाये। उन्होंने अपने अनुभवों से रिसर्च के दौरान होने वाली गलतियों को विद्यार्थियों को समझाया।

    इस दो दिवसीय वर्कशॉप का उद्देश्य रिसर्च व रिसर्च प्रक्रियाओं को विद्यार्थियों को समझाना था। प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान व तकनीकी संकाय में रिसर्च के दौरान आंकड़े कैसे संग्रहित करते है। डाटा के विश्लेषण व विवेचन में उपयोगी आधुनिक तकनीक जैसे एसपीएसएस और मेटलैब के संबंध में विद्यार्थियों को जानकारी देना था।

    पहले दिन रिसर्च में साफ्टवेयर के अनुप्रयोगों विशेष रूप से एसपीएसएस (स्टेटिसटिकल साफ्टवेयर फॉर डाटा एनालिसिस) व मेटलैब विषयों पर जानकारी दी गई। दूसरे दिन बौद्धिक संपदा अधिकार व रिसर्च के लिये वित्तिय सहायता पर मेपकास्ट के वरिष्ठ प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एन.के. चैबे ने विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दी। विषय-विशेषज्ञ के रूप में इस वर्कशॉप में प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट, ग्वालियर की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. तारिका सिंह व डॉ. आशीष चांडोक, अनुसंधान समन्वयक, दयालबाग इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी एंड मेनेजमेंट, आगरा उपस्थित थे।

    वर्कशॉप में आईसेक्ट विश्वविद्यालय के समकुलपति श्री अमिताभ सक्सेना, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह, समन्वयक डॉ. संगीता जौहरी, डॉ. दीप्ती महेश्वरी, डॉ. संजीव गुप्ता उपस्थित थे। इस वर्कशॉप में बड़ी संख्या में रिसर्च स्कॉलर, अकाडमीशियन, इंडस्ट्री से आए हुए शोधार्थियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने इस वर्कशॉप को बहुत उपयोगी बताया जिससे उन्हें रिसर्च व आधुनिक तकनीकों का व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त हो सका।

  • आईसेक्ट में कोर्स डिजाइन आॅफ रुरल-अर्बन मैनेजमेंट विषय पर वर्कशॉप आयोजित

    भोपाल: 2 मई/  आजादी के बाद भी हम ‘ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना है’ यह सुनते आ रहे हैं। जिस तेजी से शहरी क्षेत्र का विकास हुआ उस तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्र का विकास नहीं हुआ। यही अंतराल दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। यह बात श्री अनूप कुमार, जीएम नाबार्ड ने आईसेक्ट विश्वविद्यालय में आयोजित हो रही आर-अर्बन मैनेजमेंट वर्कशॉप में कही। आगे अपने उद्बोधन में कहा कि आज आईसेक्ट विश्वविद्यालय आर-अर्बन मैनेजमेंट ;त्नतइंद डंदंहमउमदजद्ध पर कोर्स लेकर आ रहा है तो निश्चय ही विश्वविद्यालय एक ठोस कदम उठाएगा। जिसका लाभ ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को निचिश्त तौर पर मिलेगा। सिर्फ एक ही योजना को पूरे भारत या भारत के सभी प्रांतों में लागू करने से सफलता नहीं मिल पायेगी। कोर्स डिजाइन करते समय विश्वविद्यालय को हर अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्र में अलग-अलग गतिविधियों द्वारा ही विकास करना होगा क्योंकि हर क्षेत्र की अपनी एक विशिष्टता होती है और उनकी अपनी आश्वयकता भी।

    आईसेक्ट विश्वविद्यालय के आर-अर्बन मैनेजमेंट विषय के कोर्स डिजाइन हेतु आयोजित वर्कशॉप में अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स ने अपने विचार प्रस्तुत किए। जिसमें शिव कुमार उपाध्याय, रिटायर्ड डायरेक्टर फार्मल वेल फेयर एण्ड एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट, शालिनी पाण्डे, ट्रेनर एण्ड प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर क्रिस्प, भक्ति शर्मा, सरपंच बरखेड़ी जो कि भारत की 100 सबसे लोकप्रिय महिलाओं में शामिल हैं और राजीव अग्रवाल, सचिव मंडीदीप इंडस्ट्री एसोसियेशन ने कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला।

    इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वी के वर्मा, समकुलपति श्री अमिताभ सक्सेना व कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा नये कोर्स को प्रारंभ करने का उद्देश्य रोजगार के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र का विकास भी है। कोर्स का प्रारुप ऐसा होगा कि छात्र फील्ड पर जाने के बाद अपने मौलिक ज्ञान का 100प्रतिशत उपयोग कर सकेंगे।

  • आईसेक्ट द्वारा सिहंस्थ में आधार पंजीयन शिविर स्थापित

    उज्जैन: 29 अप्रैल/ आईसेक्ट संस्था द्वारा इस बार सिहंस्थ में देश के विभिन्न प्रान्तों से आये सभी श्रद्धालु एवं अतिथियों के लिए विशेष आधार पंजीयन शिविर स्थापित किया गया हैद्यइस कैंप के माध्यम से कुम्भ में आये देश भर के सभी नागरिको को आधार से सम्बंधित सेवांए दी जाएँगी।

    इस शिविर के  माध्यम से नागरिक अपने नामए पता एवं अन्य सम्बंधित जानकारी का संसोधनएबायोमेट्रिक अपडेशनए ई.आधार भी प्राप्त कर सकेंगे एवं जिनके आधार खो गए है या प्राप्त नहीं हुए है उनके आधार की जानकारी जैसी सुविधाए भी प्राप्त कर सकेंगे।

    श्री आनंद प्रकाश श्रीवास्तव नेशनल हेड आधार परियोजना भोपाल एवं श्री राहुल परमार स्टेट हेड आधार परियोजना ने जानकारी दी है की यह शिविर पूरेसिहंस्थ में आधार की सेवांए देंगे एवं समस्त सुविधाए नागरिको को निशुल्क उपलभध रहेंगीद्ययह शिविर वर्तमान में चामुण्डा माता जोनल ऑफिस एवं दत्त अखाडा के जोनल ऑफिस में स्थापित  किये जा चुकेहैं।

    श्रीअनुराग गुप्ता सहायक महाप्रबंधकए आईसेक्ट ने अवगत किया है की नागरिको की सुविधाए देखते हुए भविष्य में और भी शिविर स्थापित किये जायेंगे।

  • आईसेक्ट विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ने किया आंचलिक विज्ञान केन्द्र का भ्रमण

    भोपाल। आईसेक्ट विश्वविद्यालय के डिप्लोमा इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष के 70 छात्रों ने आंचलिक विज्ञान केन्द्र का भ्रमण किया। इस भ्रमण में छात्रों ने विज्ञान की नई-नई तकनीकों की जानकारी एकत्रित कर विज्ञान को करीब से अनुभव किया।

    छात्रों का दल इस भ्रमण के दौरान जिज्ञासु पूर्वक प्रश्न करते रहे जिसका विज्ञान केन्द्र के सदस्य दल ने प्रतिउत्तर देकर उनकी जिज्ञासा को तृप्त किया। विश्वविद्यालय छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु समय-समय पर पाठ्यक्रम के अलावा कई रुचिकर क्षेत्रों की जानकारी हेतु भ्रमण पर भेजते रहते हैं।

    विश्वविद्यालय के डीन डॉ. सितेश सिन्हा, प्राचार्य डॉ. बसंत सिंह और एचओडी डिप्लोमा प्रथम वर्ष डॉ. ब्रिजेश सिंह के द्वारा आंचलिक विज्ञान केन्द्र का आभार व धन्यवाद दिया साथ ही उन्होंने बताया कि भविष्य में भी विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए भ्रमण कराये जाते रहेंगे।

  • आईसेक्ट विश्वविद्यालय में गूगल की एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

    भोपाल: 26 अप्रैल/ आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग ने गूगल्स की एक दिवसीय कार्यशाला ‘‘स्थानीयकरण और अनुवाद के लिए गूगल की नई तकनीक’’ विषय पर आयोजित की। कार्यशाला में गूगल की ओर से आए एसोसिएट लीडर श्री प्रवीण दास, बैंगलोर ने गूगल ट्रांसलेट की नई और उम्दा तकनीक पर विस्तृत रुप से प्रकाश डाला। यह कार्यशाला दो सत्रों में आयोजित की गई। प्रथम सत्र में बताया गया कि कैसे लोग आज भी विश्व स्तर पर उपलब्ध संसाधनों से वंचित हैं जिसकी प्रमुख वजह भाषा की बाधा है।

    कार्यशाला के दूसरे सत्र में स्टूडेंट्स को बताया गया कि गूगल का नया ट्रांसलेटर एप ‘गूगल लेंस’ कैसे कार्य करेगा। गूगल लेंस की विशेषता होगी कि किसी भी फोटोग्राफ के टेक्स्ट मैटर को कैमरे के द्वारा ली गई तस्वीर से आपकी चुनी हुई भाषा में प्रभावशाली शब्दों में तुरंत कनवर्ट कर देना, जिससे कि आपको समझने में आसानी होगी।

    गूगल ने आईसेक्ट विश्वविद्यालय से 40 स्टूडेंट्स की एक टीम का चयन किया है। यह चुनी हुई टीम गूगल के नए ट्रांसलेटर एप ‘गूगल लेंस’ हेतु देशभर की विविध भाषा को आसान व प्रभावी ढंग से ट्रांसलेट करने के लिए कार्य करेगी।

    उत्कृष्टता का अग्रणी केन्द्र बन कर उभरा है। विश्वविद्यालय के 40 स्टूडेंट्स चयनित होने पर कुलपति प्रो. वी के वर्मा, समकुलपति अमिताभ सक्सेना और कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी और कहा कि विश्वविद्यालय हमेशा ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देता आया है जिससे कि यहां के स्टूडेंट्स अपनी एक अलग पहचान बना पाने में सक्षम हो सकें।

     

खरी बात

छत्तीसगढ़ के मुख्य सेवक रमन सिंह के नाम एक तुच्छ नागरिक का खुला पत्र

माननीय मुख्यमंत्री,छत्तीसगढ़ शासन, रायपुर. महोदय, इस राज्य के मुख्य सेवक को इस देश के एक तुच्छ नागरिक का सलाम. आशा है, मेरे संबोधन को आप व्यंग्य नहीं समझेंगे, क्योंकि देश...

आधी दुनिया

14 फीसदी भारतीय कारोबार की लगाम महिलाओं के हाथ

ऋचा दूबे एक ऑनलाइन खुदरा कारोबार चलाती हैं, जो कारीगरों को उपभोक्ताओं से जोड़ता है। यह आधुनिक भारतीय महिला के लिए कोई अनोखी बात नहीं है। लेकिन हाल के आंकड़ों...

जीवनशैली

पोर्नोग्राफी से बढ़ता है धर्म के प्रति झुकाव : अध्ययन

न्यूयॉर्क, 30 मई (आईएएनएस)। आप इसे विचित्र कह सकते हैं, लेकिन ओक्लाहोमा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि जो लोग हफ्ते में एक बार से अधिक अश्लील फिल्म...