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आईसेक्ट में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी: पर्यावरण, जल स्त्रोत तथा वैकल्पिक ऊर्जा पर 20 देश ले रहे हिस्सा

भोपाल: 14 मार्च/ पैरिस शिखर सम्मेलन में भारत की अहम भूमिका के बाद पर्यावरण तथा ग्लोबल वार्मिंग पर जिस तरह वैश्विक समझ बनी है तथा भारत के नेतृत्व में जिस तरह जागरुकता आई है- उसने देश तथा समस्त विश्व में इन ज्वलंत विषयों के महत्व को रेखांकित किया है।

आईसेक्ट विश्वविद्यालय - म.प्र. का पहला निजी विश्वविद्यालय, भी पिछले पाँच सालों से पर्यावरण, जल स्त्रोत तथा वैकल्पिक ऊर्जा जैसे विषयों को शोध तथा शिक्षा का केन्द्र बिन्दु बना कर कार्यरत है। संबंधित विषयों पर कार्यशालाओं, शोध-कार्य, संगोष्ठियों तथा जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से विश्वविद्यालय गंभीरता से कार्य करता आ रहा है।

यह बताते हुए हमें अत्यन्त हर्ष हो रहा है कि इसी तारतम्य में 15 से 18 मार्च 2016 तक विश्वविद्यालय ने जल, पर्यावरण तथा ऊर्जा पर एक अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हो रहा है। ए एंड एम टैक्सास विश्वविद्यालय अमेरिका जो क्लाईमेट चेन्ज का एक उत्कृष्ट केन्द्र है, अन्तर्राष्ट्रीय उत्कृष्ट जल प्रबंधन संस्थान ICEWaRM आस्ट्रेलिया  तथा अन्तर्राष्ट्रीय आणविक ऊर्जा संस्थान आस्ट्रिया इस संगोष्ठी के सह आयोजक है। इस संगोष्ठी में लगभग 20 देशों के विश्वविद्यालय, शोध संस्थान, वैज्ञानिक तथा हमारे अपने आईआईटी, आईआईएम, राष्ट्रीय शोध केन्द्र, विश्वविद्यालय, उद्योग क्षेत्र से विशेषज्ञ भाग लेंगे। इन चार दिनों में लगभग 400 शोध पत्र, केस स्टडी, प्रयोग निष्कर्ष पढ़ें जाएंगे तथा उन पर चर्चा होगी।

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  • आईसेक्ट विश्वविद्यालय में कैंपस ड्राईव

    भोपाल: 3 जून/ आईसेक्ट विश्वविद्यालय में हाल ही में कैंपस संपन्न हुआ। इस कैंपस में बीई, एम.बी.ए., बी.बी.ए, बी.कॉम फायनल ईयर के 100 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। अहमदाबाद की कंसलटेंसी ऐश्योर ने इस कैंपस का संचालन किया। ऐश्योर के मैंनेजिंग डायरेक्टर श्री सुनील व्यास व उनकी टीम ने लिखित परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन व पर्सनल इंटरव्यू के पश्चात 20 विद्यार्थियों को शार्टलिस्ट किया।

    शार्टलिस्ट विद्यार्थियों का चयन फायनल ईयर की परीक्षाओं के पश्चात अंतिम रूप से मार्केट रिसर्च व टेक्निकल रिसर्च एक्सीक्यूटिव के पद पर किया जाऐगा। इनका वार्षिक पैकेज 2.5 लाख प्रतिवर्ष रहेगा।

    विद्यार्थियों के चयन पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजय कांत वर्मा, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह व प्लेसमेंट अधिकारी श्री नितिन कालसकर ने उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए बधाई दी।  

  • आईसेक्ट विश्वविद्यालय में रिसर्च मैथोडोलाजी वर्कशॉप

    भोपाल: 25 मई/ ‘‘अनुसंधान (रिसर्च) का अर्थ नये तथ्यों को सामने लाना है जो पहले की अवधारणाओं को संतुष्ट करता है। हमारी जो भी रिसर्च है वो केवल डिग्री तक ही सीमित ना रहे समाज के लिये भी उपयोगी हो‘‘ यह बात आईसेक्ट विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय रिसर्च मैथोडोलाजी वर्कशॉप ‘‘ज्ञानोदय‘‘ में डॉ. रामाकांत भारद्वाज ने कही। डॉ. भारद्वाज मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। यह वर्कशॉप म.प्र. विज्ञान व प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकास्ट), भोपाल द्वारा प्रायोजित थी।

    उन्होंने अच्छें रिसर्च पेपर कैसे लिखे जाऐं पर प्रभावशाली व्याख्यान दिया। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में वैज्ञानिक शोध का उल्लेख मिलता रहा है। उन्होंने अच्छे रिसर्च पेपर लिखने के लिये दस बिन्दुओं का विस्तार से उल्लेख किया जिसमें विषय की रूपरेखा बनाना, नोटस तैयार करना, रफ ड्राफ्ट बनाना आदि प्रमुख है। रिसर्च पेपर में फ्यूचर स्कोप को अवश्य रेखांकित करना चाहिये।

    आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वी.के. वर्मा ने अपने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि रिसर्च जीवन का रवैया है जो आप पढ़ते है उसकी जड़ों तक जाऐं और उसे आगे बढ़ाये। उन्होंने अपने अनुभवों से रिसर्च के दौरान होने वाली गलतियों को विद्यार्थियों को समझाया।

    इस दो दिवसीय वर्कशॉप का उद्देश्य रिसर्च व रिसर्च प्रक्रियाओं को विद्यार्थियों को समझाना था। प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान व तकनीकी संकाय में रिसर्च के दौरान आंकड़े कैसे संग्रहित करते है। डाटा के विश्लेषण व विवेचन में उपयोगी आधुनिक तकनीक जैसे एसपीएसएस और मेटलैब के संबंध में विद्यार्थियों को जानकारी देना था।

    पहले दिन रिसर्च में साफ्टवेयर के अनुप्रयोगों विशेष रूप से एसपीएसएस (स्टेटिसटिकल साफ्टवेयर फॉर डाटा एनालिसिस) व मेटलैब विषयों पर जानकारी दी गई। दूसरे दिन बौद्धिक संपदा अधिकार व रिसर्च के लिये वित्तिय सहायता पर मेपकास्ट के वरिष्ठ प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एन.के. चैबे ने विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दी। विषय-विशेषज्ञ के रूप में इस वर्कशॉप में प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट, ग्वालियर की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. तारिका सिंह व डॉ. आशीष चांडोक, अनुसंधान समन्वयक, दयालबाग इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी एंड मेनेजमेंट, आगरा उपस्थित थे।

    वर्कशॉप में आईसेक्ट विश्वविद्यालय के समकुलपति श्री अमिताभ सक्सेना, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह, समन्वयक डॉ. संगीता जौहरी, डॉ. दीप्ती महेश्वरी, डॉ. संजीव गुप्ता उपस्थित थे। इस वर्कशॉप में बड़ी संख्या में रिसर्च स्कॉलर, अकाडमीशियन, इंडस्ट्री से आए हुए शोधार्थियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने इस वर्कशॉप को बहुत उपयोगी बताया जिससे उन्हें रिसर्च व आधुनिक तकनीकों का व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त हो सका।

  • आईसेक्ट में कोर्स डिजाइन आॅफ रुरल-अर्बन मैनेजमेंट विषय पर वर्कशॉप आयोजित

    भोपाल: 2 मई/  आजादी के बाद भी हम ‘ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना है’ यह सुनते आ रहे हैं। जिस तेजी से शहरी क्षेत्र का विकास हुआ उस तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्र का विकास नहीं हुआ। यही अंतराल दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। यह बात श्री अनूप कुमार, जीएम नाबार्ड ने आईसेक्ट विश्वविद्यालय में आयोजित हो रही आर-अर्बन मैनेजमेंट वर्कशॉप में कही। आगे अपने उद्बोधन में कहा कि आज आईसेक्ट विश्वविद्यालय आर-अर्बन मैनेजमेंट ;त्नतइंद डंदंहमउमदजद्ध पर कोर्स लेकर आ रहा है तो निश्चय ही विश्वविद्यालय एक ठोस कदम उठाएगा। जिसका लाभ ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को निचिश्त तौर पर मिलेगा। सिर्फ एक ही योजना को पूरे भारत या भारत के सभी प्रांतों में लागू करने से सफलता नहीं मिल पायेगी। कोर्स डिजाइन करते समय विश्वविद्यालय को हर अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्र में अलग-अलग गतिविधियों द्वारा ही विकास करना होगा क्योंकि हर क्षेत्र की अपनी एक विशिष्टता होती है और उनकी अपनी आश्वयकता भी।

    आईसेक्ट विश्वविद्यालय के आर-अर्बन मैनेजमेंट विषय के कोर्स डिजाइन हेतु आयोजित वर्कशॉप में अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स ने अपने विचार प्रस्तुत किए। जिसमें शिव कुमार उपाध्याय, रिटायर्ड डायरेक्टर फार्मल वेल फेयर एण्ड एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट, शालिनी पाण्डे, ट्रेनर एण्ड प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर क्रिस्प, भक्ति शर्मा, सरपंच बरखेड़ी जो कि भारत की 100 सबसे लोकप्रिय महिलाओं में शामिल हैं और राजीव अग्रवाल, सचिव मंडीदीप इंडस्ट्री एसोसियेशन ने कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला।

    इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वी के वर्मा, समकुलपति श्री अमिताभ सक्सेना व कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा नये कोर्स को प्रारंभ करने का उद्देश्य रोजगार के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र का विकास भी है। कोर्स का प्रारुप ऐसा होगा कि छात्र फील्ड पर जाने के बाद अपने मौलिक ज्ञान का 100प्रतिशत उपयोग कर सकेंगे।

  • आईसेक्ट द्वारा सिहंस्थ में आधार पंजीयन शिविर स्थापित

    उज्जैन: 29 अप्रैल/ आईसेक्ट संस्था द्वारा इस बार सिहंस्थ में देश के विभिन्न प्रान्तों से आये सभी श्रद्धालु एवं अतिथियों के लिए विशेष आधार पंजीयन शिविर स्थापित किया गया हैद्यइस कैंप के माध्यम से कुम्भ में आये देश भर के सभी नागरिको को आधार से सम्बंधित सेवांए दी जाएँगी।

    इस शिविर के  माध्यम से नागरिक अपने नामए पता एवं अन्य सम्बंधित जानकारी का संसोधनएबायोमेट्रिक अपडेशनए ई.आधार भी प्राप्त कर सकेंगे एवं जिनके आधार खो गए है या प्राप्त नहीं हुए है उनके आधार की जानकारी जैसी सुविधाए भी प्राप्त कर सकेंगे।

    श्री आनंद प्रकाश श्रीवास्तव नेशनल हेड आधार परियोजना भोपाल एवं श्री राहुल परमार स्टेट हेड आधार परियोजना ने जानकारी दी है की यह शिविर पूरेसिहंस्थ में आधार की सेवांए देंगे एवं समस्त सुविधाए नागरिको को निशुल्क उपलभध रहेंगीद्ययह शिविर वर्तमान में चामुण्डा माता जोनल ऑफिस एवं दत्त अखाडा के जोनल ऑफिस में स्थापित  किये जा चुकेहैं।

    श्रीअनुराग गुप्ता सहायक महाप्रबंधकए आईसेक्ट ने अवगत किया है की नागरिको की सुविधाए देखते हुए भविष्य में और भी शिविर स्थापित किये जायेंगे।

  • आईसेक्ट विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ने किया आंचलिक विज्ञान केन्द्र का भ्रमण

    भोपाल। आईसेक्ट विश्वविद्यालय के डिप्लोमा इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष के 70 छात्रों ने आंचलिक विज्ञान केन्द्र का भ्रमण किया। इस भ्रमण में छात्रों ने विज्ञान की नई-नई तकनीकों की जानकारी एकत्रित कर विज्ञान को करीब से अनुभव किया।

    छात्रों का दल इस भ्रमण के दौरान जिज्ञासु पूर्वक प्रश्न करते रहे जिसका विज्ञान केन्द्र के सदस्य दल ने प्रतिउत्तर देकर उनकी जिज्ञासा को तृप्त किया। विश्वविद्यालय छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु समय-समय पर पाठ्यक्रम के अलावा कई रुचिकर क्षेत्रों की जानकारी हेतु भ्रमण पर भेजते रहते हैं।

    विश्वविद्यालय के डीन डॉ. सितेश सिन्हा, प्राचार्य डॉ. बसंत सिंह और एचओडी डिप्लोमा प्रथम वर्ष डॉ. ब्रिजेश सिंह के द्वारा आंचलिक विज्ञान केन्द्र का आभार व धन्यवाद दिया साथ ही उन्होंने बताया कि भविष्य में भी विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए भ्रमण कराये जाते रहेंगे।

  • आईसेक्ट विश्वविद्यालय में गूगल की एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

    भोपाल: 26 अप्रैल/ आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग ने गूगल्स की एक दिवसीय कार्यशाला ‘‘स्थानीयकरण और अनुवाद के लिए गूगल की नई तकनीक’’ विषय पर आयोजित की। कार्यशाला में गूगल की ओर से आए एसोसिएट लीडर श्री प्रवीण दास, बैंगलोर ने गूगल ट्रांसलेट की नई और उम्दा तकनीक पर विस्तृत रुप से प्रकाश डाला। यह कार्यशाला दो सत्रों में आयोजित की गई। प्रथम सत्र में बताया गया कि कैसे लोग आज भी विश्व स्तर पर उपलब्ध संसाधनों से वंचित हैं जिसकी प्रमुख वजह भाषा की बाधा है।

    कार्यशाला के दूसरे सत्र में स्टूडेंट्स को बताया गया कि गूगल का नया ट्रांसलेटर एप ‘गूगल लेंस’ कैसे कार्य करेगा। गूगल लेंस की विशेषता होगी कि किसी भी फोटोग्राफ के टेक्स्ट मैटर को कैमरे के द्वारा ली गई तस्वीर से आपकी चुनी हुई भाषा में प्रभावशाली शब्दों में तुरंत कनवर्ट कर देना, जिससे कि आपको समझने में आसानी होगी।

    गूगल ने आईसेक्ट विश्वविद्यालय से 40 स्टूडेंट्स की एक टीम का चयन किया है। यह चुनी हुई टीम गूगल के नए ट्रांसलेटर एप ‘गूगल लेंस’ हेतु देशभर की विविध भाषा को आसान व प्रभावी ढंग से ट्रांसलेट करने के लिए कार्य करेगी।

    उत्कृष्टता का अग्रणी केन्द्र बन कर उभरा है। विश्वविद्यालय के 40 स्टूडेंट्स चयनित होने पर कुलपति प्रो. वी के वर्मा, समकुलपति अमिताभ सक्सेना और कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी और कहा कि विश्वविद्यालय हमेशा ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देता आया है जिससे कि यहां के स्टूडेंट्स अपनी एक अलग पहचान बना पाने में सक्षम हो सकें।

     

खरी बात

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