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'तृणमूल के गुंडों ने एलजेपी के किन्नर उम्मीदवारों को धमाकाया'

चीन, जर्मनी शोध व विकास सहयोग बढ़ाने के इच्छुक

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दलितों को सम्मान दिलाने के लिए बाबा साहब ने अपमान तक सहा : मोदी (राउंडअप)

वासन की पार्टी ने डीएमडीके-पीडीब्ल्यूएफ से मिलाया हाथ


चेन्नई, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। तमिलनाडु में जी.के. वासन की पार्टी तमिल मनीला कांग्रेस (टीएमसी) न ेशनिवार को डीएमडीके-पीडीब्ल्यूएफ (पीपुल्स वेल्फेयर फ्रंट) गठबंधन में शामिल होने की घोषणा की।

राज्य में 16 मई को होनेवाले विधानसभा चुनाव में टीएमसी 26 सीटों पर लड़ेगी।

पांच छोटी पार्टियों के गठबंधन में टीएमसी के शामिल हो जाने से यह छह पार्टियों का महागठबंधन हो गया है। पीपुल्स वेल्फेयर फ्रंट में दो वामपंथी पार्टियों के अलावा दलित पार्टी वीसीके और वाइको के नेतृत्व वाला एमडीएमके भी शामिल है।

टीएमसी प्रमुख वासन को भारतीय जनता पार्टी का समर्थन भी प्राप्त है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • मेजर की शहादत पर घरवालों ने गर्व जताया
    गुड़गांव, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। मणिपुर में आदिवासी उग्रवादियों के साथ लड़ाई में शहीद होने वाले मेजर अमित देसवाल के घरवालों ने गुरुवार को कहा कि उन्हें अमित की शहादत पर गर्व है।

    राष्ट्रीय रायफल्स के 21 स्पेशल फोर्स के मेजर देसवाल हरियाणा के झज्जर जिले के सुरहेटी गांव के रहने वाले थे। यह गांव गुड़गांव से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। वह मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में उग्रवादियों के साथ लड़ते हुए बुधवार को शहीद हुए थे।

    देसवाल के रिश्तेदार संजीव कुमार ने बताया, "बहादुर फौजी ने एक योद्धा की तरह अंतिम सांस ली।"

    उनके चाचा ओम सिंह ने कहा, "परिवार को उनकी मौत का दुख है, लेकिन उन्होंने देश के लिए अपनी जान दी है। वह एक कमांडो की तरह अंतिम सांस तक लड़ते रहे।"

    देसवाल के पिता और दादा भी सेना में थे।

    मेजर देसवाल की शादी मई 2009 में हुई थी। वह अपने पीछे पत्नी और चार साल का बेटा छोड़ गए हैं। पत्नी और पुत्र उनके साथ मणिपुर में रह रहे थे। उनके परिवार के अन्य सदस्य झज्जर के सेक्टर 6 इलाके में रहते हैं।

    देसवाल को 10 जून 2006 में आर्टिलरी रेजिमेंट में कमीशन मिला था।

    गुड़गांव के डुंडाहेड़ा में स्थित आर्टिलरी रेजिमेंट के कर्नल नरेंद्र चिकारा ने आईएएनएस को बताया, "अपनी बेसिक सेवा पूरी करने के बाद वह स्पेशल ग्रुप में शामिल हो गए और उसके बाद वे प्रतिष्ठित स्पेशल फोर्स के लिए चुने गए।"

    उन्होंने कहा, "वह इस इलीट ग्रुप में जनवरी 2011 में शामिल हुए थे। वह शारीरिक रूप से काफी चुस्त-दुरुस्त थे। उन्हें जनवरी 2016 में एक अभियान में मणिपुर भेजा गया था।"

    देसवाल का पार्थिव शरीर गुरुवार को गुड़गांव पहुंचेगा।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • बिहार में शराबबंदी राजद का एजेंडा : रघुवंश प्रसाद
    पटना, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने बिहार में शराबबंदी को लेकर कहा कि शराबबंदी राजद का एजेंडा रहा है, लेकिन अब लोग वाहवाही लूट रहे हैं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर गांव-गांव शराब की दुकान किसने खुलवाई थी?

    पटना में गुरुवार को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आयोजित एक समारोह में भाग लेते हुए उन्होंने इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा, "राजद का एजेंडा राज्य में मदिरालय नहीं पुस्तकालय, मधुशाला नहीं पाठशाला व गोशाला रहा है। ऐसे में आज लोग शराबबंदी पर ढोल बजा-बजाकर वाहवाही लूट रहे हैं।"

    उन्होंने कहा कि आज जो लोग वाहवाही लूट रहे हैं, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि शराब की दुकान गांव-गांव में किसने खुलवाई?

    सिंह ने आगे कहा कि बिहार में सिंचाई की व्यवस्था गडबड़ है। राज्य में सूखे जैसी स्थिति हो गई है। सिंचाई और पीने के पानी का संकट है। सरकार के सिस्टम में काफी गड़बड़ियां हैं।

    इस समारोह में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद भी शामिल थे।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • ग्वालियर में टाइम कीपर करोड़पति
    ग्वालियर, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में पुलिस के विशेष संगठन लोकायुक्त द्वारा दी गई दबिश में लोक निर्माण विभाग के टाइम कीपर (समयपाल) के करोड़पति होने का खुलासा हुआ है। उसके यहां मिले दस्तावेजों से डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के अलावा तीन निर्माण कंपनियां होने का खुलासा हुआ है।

    लोकायुक्त के ग्वालियर कार्यालय के अनुसार, लोक निर्माण विभाग के टाइम कीपर डी.पी. परमार के पास आय से अधिक संपत्ति होने की शिकायत मिली थी। इस शिकायत की पुष्टि के बाद लोकायुक्त के दल ने गुरुवार को करैया गांव स्थित आवास पर दबिश दी।

    लोकायुक्त के निरीक्षक (इंस्पेक्टर) अतुल सिंह ने संवाददाताओं को बताया है कि गुरुवार को परमार के निवास पर दी गई दबिश में दो जेसीबी मशीन, दो डंपर, छह चारपहिया वाहन के अलावा कई भूखंडों के दस्तावेज मिले। इसकी अनुमानित कीमत डेढ़ करोड़ रुपये है। वहीं तीन निर्माण कंपनियों के दस्तावेज भी मिले हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • 'तृणमूल के गुंडों ने एलजेपी के किन्नर उम्मीदवारों को धमाकाया'

    कोलकाता, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) की राज्य इकाई ने गुरुवार को कहा कि पार्टी के बॉबी हलदर और संकरी मंडल पश्चिम बंगाल से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले पहले किन्नर हो सकते थे, लेकिन 'तृणमूल के गुंडों' ने 'उन्हें अंजाम भुगतने' की धमकी दी है।

    इसके कारण उन्होंने अपना नामांकन दाखिल न करने का फैसला किया है।

    हलदर (39) भवानीपुर से लड़ने वाले थे, जिससे तृणमृल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्विम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव लड़ेंगी। मंडल जाधवपुर से खड़े होकर पूर्व मार्क्‍सवादी सांसद सुजान सक्रवर्ती और तृणमूल के राज्य मंत्री मनीष गुप्ता से मुकाबला करने वाले थे।

    लेकिन हलदर और मंडल दोनों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल न करने का फैसला किया है।

    एलजेपी की राज्य अध्यक्ष मीरा चक्रवर्ती ने आईएएनएस से कहा, "किन्नरों को चुनाव में उतारना एलजेपी का एक ऐतिहासिक फैसला था, लेकिन तृणमूल की आतंकी चालों के कारण यह नहीं हो पाया। जब से उन दोनों की उम्मीदवारी की घोषणा की गई थी, तभी से तृणमूल के गुंडों द्वारा उन दोनों को लगातार धमकाया और अपमानित किया जा रहा था।"

    मीरा ने कहा, "उनकी ऐसी दहशत है कि कोई भी उनके नामांकन के प्रस्तावक के तौर पर आने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। हलदर और मंडल दोनों को उनके समुदाय से बाहर कर देने की धमकी दी गई थी। वे इन धमकियों को झेल नहीं पाए और उन्होंने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है।"

    हलदर ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इंकार करते हुए आईएएनएस से कहा, "मैं चुनाव लड़ना चाहता था।"

    एलजेपी ने कहा है कि वह इस मामले में चुनाव आयोग के पास जाएगी।

    जाधवपुर और भवानीपुर दोनों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 11 अप्रैल है।

    भारत के पहले किन्नर कॉलेज प्राचार्य मनाबी बंदोपाध्याय से प्रेरित हलदर और मंडल किन्नर समुदाय के कल्याण के लिए काम करना चाहते थे।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • अब सेहत पर नजर रखेगा नया एप 'अपोलो जियो'
    नई दिल्ली, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। रोजाना के जीवन में अपनी सेहत की खबर न रखने वालों के लिए जियो ने 'अपोलो लाइफ' के साथ मिलकर यहां 'अपोलो जियो' लांच किया। इस एप की मदद से लोग विश्व भर के विशेषज्ञों, चिकित्सकों से अपनी सेहत से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं।

    विश्वविख्यात चिकित्सक, लेखक और उद्यमी तथा प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ पूनाचा मकैयाह द्वारा स्थापित कंपनी जियो का यह एप अपने कार्य में व्यस्त रहने वाले लोगों को मोबाइल पर उनकी जीवनशैली और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने वाली सामग्री मुहैया कराता है, ताकि वह किसी भी परिस्थिति में अपनी सेहत का ध्यान रखने में सक्षम हो सकें।

    'अपोलो जियो' के ब्रांड एम्बेसेडर और दक्षिण भारतीय फिल्म जगत के लोकप्रिय अभिनेता राम चरण ने कहा, "आज के प्रतिस्पर्धी दौर में सेहत का ध्यान रखना और स्वस्थ रहना बहुत महžवपूर्ण है। हम अक्सर खुद को तनावग्रस्त और थका हुआ महसूस करते हैं और यह एप तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रहे इन मुद्दों को हल करने में सहायता करेगा।"

    'चोपड़ा फाउंडेशन' के चेयरमैन और जियो के प्रबंधन निदेशक तथा सह-संस्थापक डॉ. दीपक चोपड़ा ने कहा, "अच्छे स्वास्थ्य का भविष्य इस बात से जुड़ा हुआ है कि हर दिन का अनुभव कैसे हमारे जीवविज्ञान को प्रभावित करता है। 'अपोलो जियो' के साथ हम एक ऐसा तंत्र तैयार करेंगे, जो लोगों को आसानी से पुरानी बीमारी के उपचार और रोकथाम में भाग लेने में सहायता करेगा। यह निजी बदलाव और स्वस्थ रहने की कुंजी है।"

    अपोलो अस्पताल समूह के चेयरमैन डा. प्रताप सी. रेड्डी ने कहा, "हम स्वास्थ्य को समय पर पहुंच मुहैया कराने और लोगों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा के मामले में जानकार विकल्प का चुनाव करना संभव बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • दलितों को सम्मान दिलाने के लिए बाबा साहब ने अपमान तक सहा : मोदी (राउंडअप)
    इंदौर, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के महू में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली से 'ग्रामोदय से भारत उदय अभियान' की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने वंचित, दलितों व शोषितों को हक तथा सम्मान दिलाने के लिए अपमान तक सहा।

    प्रधानमंत्री मोदी ने महू स्थित अंबेडकर स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद सैनिक मैदान में आयोजित सभा में कहा कि बाबा साहब अपने मान-सम्मान के लिए नहीं, बल्कि समाज की बुराइयों के खिलाफ जंग छेड़ने वाले नायक थे। समाज के आखिरी छोर पर बैठे दलित, शोषित को बराबरी का हक और सम्मान दिलाने के इसके लिए उन्हें अपमानित भी होना पड़ा, मगर वे अपने मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए।

    डॉ. अंबेडकर की शिक्षा और योग्यता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जिस महापुरुष के पास इतनी बड़ी ज्ञान संपदा हो, विश्व की गणमान्य विश्वविद्यालय की डिग्री हो, उसने अपने लिए कुछ नहीं लिया। उस कालखंड में अपने लिए लेने-पाने के अवसर भरे पड़े, मगर उन्होंने गरीबों, शोषितों के हक के लिए सारे अवसरों को छोड़कर अपने को इस देश की मिट्टी में खपा दिया।

    मोदी ने कहा कि भारत रत्न बाबा साहेब द्वारा देश को सुदृढ़ बनाने के लिए संविधान में की गई अपेक्षाओं और महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज को साकार करने का काम अधूरा है। इसे पूरा करने के लिए विकास के सभी स्रोतों और संसाधनों को गांव की ओर मोड़ने की जरूरत है, क्योंकि विकास के लिए टुकड़ों में काम करने से बात नहीं बनेगी।

    उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बिना बड़ा हमला बोला और कहा कि बीते छह दशक से अपने को गरीबों का मसीहा प्रस्तुत करने वालों का हिसाब चौंकाने वाला है।

    उन्होंने कहा किकुछ लोग बीते छह दशकों से अपने को गरीबों का मसीहा प्रस्तुत करते आ रहे हैं, उनकी जुबां पर हर समय गरीब ही गरीब होता है। जब उनका हिसाब देखा जाए तो वह चौंका देता है।

    प्रधानमंत्री ने बीते छह दशकों के शासन पर कटाक्ष किया और कहा कि गरीबों की बात करने वालों के काल में लगभग 18 हजार गांव ऐसे थे, जहां न तो बिजली का खंभा लगा था और न ही तार बिछे थे। उन्होंने आगामी एक हजार दिनों में इन सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसी तरह झुग्गी और कच्चे मकानों में रहने वालों को गैस कनेक्शन देने की मुहिम चलाई है।

    उन्होंने बताया कि बीते दिनों 90 लाख परिवारों ने गैस पर से सब्सिडी लेना बंद कर दिया है, वहीं एक करोड़ परिवारों को नए कनेक्शन दिए गए हैं। आगामी वर्षो में पांच करोड़ परिवारों को नए कनेक्शन देने की योजना है।

    उन्होंने आगे कहा कि बहुत कम लोगों केा अंबेडकर साहब को पूरी तरह समझने का मौका मिला है, ज्यादातर लोगों को लगता है कि डॉ. अंबेडकर दलितों के देवता हैं, मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि डॉ. अंबेडकर दिव्यद्रष्टा थे। उनके पास भारत कैसा बने इसकी दृष्टि थी।

    प्रधानमंत्री ने पंचतीर्थ का जिक्र करते हुए कहा, "कुछ लोग इसलिए परेशान है कि मोदी ऐसा क्यों कर रहे हैं, यह हमारी श्रद्धा का विषय है, हम मानते हैं कि बाबा साहब ने सामाजिक एकता के लिए उच्च मूल्यों का प्रस्थापन किया। सामाजिक एकता, सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता के लिए उन्होंने जो रास्ता दिखाया है, उसी पर चलकर प्राप्त किया जा सकता है, इसीलिए हम उनके चरणों में बैठ करके काम करने में गर्व अनुभव करते हैं।"

    उन्होंने कहा, "देश की आजादी के बाद सरकारें बहुत आईं, डॉ. अंबेडकर के निधन के साठ साल बाद उनका स्मारक बनाने का सौभाग्य हमें मिला, उन्हें स्मारक बनाने से किसी ने रोका था क्या। आज हम कर रहे हैं तो आपको परेशानी हो रही है, आपको तो पश्चताप होना चाहिए कि हमने किया क्यों नहीं, परेशान होने की जरुरत नहीं है।"

    उन्होंने आगे कहा कि डॉ. अंबेडकर एक व्यक्ति नहीं, बल्कि संकल्प का दूसरा नाम थे। बाबा साहब जीवन जीते नहीं थे, वे जीवन को संघर्ष में जोड़ और जोत देते थे।

    उन्होंने कहा कि देश की अर्थ व्यवस्था को मजबूत करने के लिए गांव की अर्थव्यवस्था मजबूत करना जरुरी है। सिर्फ पांच-पचास शहरों और पांच-पचास उद्योगों से देश की अर्थ व्यवस्था को मजबूती नहीं दी जा सकती है।

    इस सभा को केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने संबोधित किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को एक ध्वज सौंपा जो गांव-गांव तक अभियान का संदेश लेकर जाएगा।

    इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने अंबेडकर स्मारक स्थल पर पहुंचकर डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प की माला अर्पित कर याद किया। उसके बाद वह उस कमरे में भी गए, जहां एक पालना रखा हुआ है। परंपरा के मुताबिक, मोदी ने इस पालना को हिलाया। इसके अलावा डॉ. अंबेडकर के जीवन पर आधारित चित्रों को भी उन्होंने देखा।

    प्रधानमंत्री मोदी अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक मुंबई से वायुसेना के विशेष विमान से इंदौर पहुंचे। इंदौर हवाईअड्डे पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अन्य अधिकारियों के साथ उनकी अगवानी की। उसके बाद प्रधानमंत्री हेलीकॉप्टर से महू पहुंचे। कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बाद प्रधानमंत्री महू से हेलीकॉप्टर से इंदौर और इंदौर से वायुसेना के विमान से दिल्ली के लिए प्रस्थान कर गए।

    डॉ. अंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर उनकी जन्मस्थली महू में बने स्मारक पर गुरुवार की सुबह से ही बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया, यहां पहुंचे रहे लोग डॉ. अंबेडकर को श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें याद कर रहे हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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