नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा है कि देश में टीबी से लड़ने की कोशिशों को भारत सरकार ने और तेज करने का संकल्प व्यक्त किया है।
वे यहां विश्व टीबी दिवस की पूर्वसंध्या पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि टीबी से लड़ाई की प्रक्रिया जारी है। इसलिए इससे पीछे नहीं हटा जा सकता और न ही इधर-उधर भटका जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हमारी कोशिश तेज और आक्रामक होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि टीबी से लड़ने के लिए संसाधन कभी आड़े नहीं आएगा और सरकार सभी हितधारकों के साथ काम करती रहेगी। यह लघु अवधि और दीर्घकालिक पहल के द्वारा होगा। नड्डा ने टीबी के मरीजों के इलाज के लिए दयाभाव की जरूरत पर भी जोर दिया।
इस अवसर पर जे.पी.नड्डा ने बेडाक्वीलिन नामक नई टीबी निरोधी दवा को भी सार्वजनिक किया। यह नई दवा एमआरडी-टीबी के इलाज के लिए है। नई श्रेणी की यह दवा मुख्य रूप से डायरियालक्वीनोलिन श्रेणी की है, जो खासतौर पर माइकोबैक्टीरियल के लक्ष्यों तक पहुंच कर माइकोबैक्टीरियम टीबी और दूसरे ज्यादातर माइकोबैक्टीरिया में ऊर्जा की आपूर्ति के लिए दूसरे आवश्यकएन्जाइम की आपूर्ति में सहायक है।
इस दवा के इस्तेमाल से टीबी के प्रतिरोधी उपाय सहज होने के संकेत मिलते हैं। बेडाक्वीलिन को समूचे भारत में चिन्ह्ति छह क्षेत्रीय स्वास्थ्य केन्द्रों में पहुंचाना शुरू किया जा रहा है। इन केन्द्रों में प्रयोगशाला परीक्षण की उन्नत सुविधायें और मरीजों की सघन देखभाल की व्यवस्था है।
बेडाक्वीलिन उन मरीजों को दी जाएगी, जिनमें दूसरी कई दवा संबंधी निरोधक प्रणालियां कारगर नहीं होती। सभी दूसरी उपचार प्रणालियों में सुई लगाने और व्यापक औषधि निरोधक उपाय सफल न होने पर भी बेडाक्वीलिन दी जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने टीबी भारत - 2016 वार्षिक रिपोर्ट और तकनीक एवं ऑपरेशनल गाइड लाइन-2016 भी जारी की। इसके अलावा एकल खिड़की निगरानी के तहत मरीजों की देखभाल और परीक्षण संबंधी कार्यक्रम संभव होंगे। साथ ही, कार्यक्रम में दवाओं के बुरे असर को रोकने संबंधी ई-बुक को भी सार्वजनिक किया गया। इस मौके पर टीबी के नये रेडियो अभियान को भी शुरू किया गया, जिसके एम्बेसडर अमिताभ बच्चन है।
मंत्री ने एचआईवी के पीड़ित लोगों के लिए तीसरी पंक्ति के एआरटी कार्यक्रम को भी शुरू किया। जीवन-रक्षक तीसरी पंक्ति के इस कार्यक्रम पर एक मरीज पर 1,18,000 रुपए का सालाना खर्च आएगा। मुफ्त में ये सुविधायें मिलने से न सिर्फ जीवन सुरक्षित होगा, बल्कि इससे मरीज के सामाजिक-आर्थिक हालात में भी सुधार आएगा। इस पहल से भारत विकसित देशों में जारी ऐसे कार्यक्रम की कतार में खड़ा हो जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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