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केटामीन का इस्तेमाल मूत्राशय के लिए घातक

लंदन, 19 मार्च (आईएएनएस)। शोधार्थियों ने एक नए अध्ययन में पाया है कि केटामीन दवा मूत्राशय को स्थायी तौर पर क्षतिग्रस्त करने की क्षमता रखती है। साथ ही अत्यधिक खराब परिस्थितियों में मूत्राशय को हटाना भी पड़ सकता है।

'स्पेशल के' नाम से मशहूर केटामीन का प्रयोग शक्तिशाली एनेस्थिेटिक दवा के रूप में किया जाता है।

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के वरिष्ठ शोधार्थी सिमोन बेकर बताते हैं, "अब हमारे पास यह समझने के अधिक प्रमाण मौजूद हैं कि केटामीन का अधिक प्रयोग मूत्राशय के लिए क्यों घातक है और इसका सिस्टाइटिस से क्या संबंध है।"

निष्कर्ष बताते हैं कि केटामीन का मूत्राशय से सीधा संपर्क मूत्राशय को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर सकता है। केटामीन मूत्राशय की स्वस्थ कोशिकाओं की मत्यु का कारण होता है।

इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने दो शोधों का आकलन किया था।

शोधार्थियों ने निष्कर्षो में पाया कि केटामीन कोशिकाओं की आंतरिक शक्ति केंद्रों पर आधिपत्य कर लेता है, जिसकी वजह से विषाक्त पदार्थो का निस्तारण होने लगता है। इस निस्तारण की वजह से मूत्राशय की स्वस्थ्य कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं।

यह शोध 'अमेरिकन जर्नल ऑफ पैथोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • लंबे समय तक जीना चाहते हैं तो छरहरा बनें
    न्यूयार्क, 7 मई (आईएएनएस)। अगर आप अपने शरीर को हमेशा छरहरा बनाए रखते हैं तो इस बात की काफी अधिक संभावना है कि उन लोगों की तुलना में आप ज्यादा समय तक जिंदा रहेंगे, जो बचपन से ही भारी शरीर वाले होते हैं और मध्य आयु में और ज्यादा भारी हो जाते हैं।

    एक नए शोध में इसका खुलासा हुआ है। इसमें बताया गया है कि जिनका शरीर बचपन से ही भारी होता है वे मध्य आयु में और ज्यादा वजनी हो जाते हैं। उनके 15 साल कम जीने का खतरा होता है और ऐसा पुरुषों में 24.1 फीसदी और महिलाओं में 19.7 फीसदी होता है।

    वहीं, जो लोग हमेशा छरहरे बने रहते हैं उनकी 15 साल पहले मरने की संभावना कम होती है। यह पुरुषों में 20.3 फीसदी और महिलाओं में 11.8 फीसदी देखी गई।

    अमेरिका की हार्वर्ड विश्वविद्यालय की डॉक्टोरल छात्र मिंगयांग सोंग बताते हैं, "हमारे निष्कर्षो से वजन को काबू में रखने की सलाह को वैज्ञानिक औचित्य मिलता है। खासकर मध्य आयु में वजन को काबू में रखना चाहिए ताकि आप लंबे समय तक स्वस्थ रह सकें।"

    इसके अलावा ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) भी मरने की संभावना को बढ़ा देता है।

    शोधकर्ताओं का कहना है कि मोटापा दुनियाभर में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। इन निष्कर्षो से पता चलता है कि जीवन भर अपने वजन को काबू में रखने का महत्व पता चलता है।

    यह शोध बीएमजे में प्रकाशित किया गया है। इस शोध में शामिल कोई भी प्रतिभागी धूम्रपान नहीं करता था।

    --आईएएनएस
  • सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने के लिए कम खाएं
    न्यूयार्क, 7 मई (आईएएनएस)। अगर आप कैलोरी के प्रति सचेत हैं और अतिरिक्त वजन घटाने के लिए स्वास्थ्यवर्धक भोजन ग्रहण करते हैं तो आपके खुश होने का एक और बड़ा कारण मिल गया है।

    एक दिलचस्प शोध में यह पता चला है कि कम खाने से न सिर्फ लोगों को वजन कम करने में मदद मिलती है, बल्कि यह मूड को भी बेहतर बनाता है और तनाव को कम करता है, जिससे आपकी सेक्स लाइफ बेहतर होती है।

    इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए लुइसियाना के पेनिंगटन बॉयोमेडिकल रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने 218 स्वस्थ वयस्कों का दो साल तक अध्ययन किया।

    उन्होंने उन लोगों को दो समूहों में बांटा। एक समूह को 25 फीसदी कम कैलोरी ग्रहण करने को कहा गया। वहीं, दूसरे समूह को अपने सामान्य भोजन को लेने को कहा गया।

    साइंसएलर्ट डॉट कॉम के मुताबिक शोधकर्ताओं में से एक कोर्बी मार्टिन ने पाया कि जिस समूह ने कम कैलोरी ली थी, उनकी सेक्स लाइफ बेहतर हो गई।

    कम कैलोरी ग्रहण करने वाले समूह के लोगों की नींद बेहतर हुई और उनका वजन भी घट गया। मोटापे के शिकार लोग अगर कम कैलोरी लें तो उनकी नींद और उनकी यौन प्रणाली बेहतर होती है।

    यह अध्ययन जामा इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

    शोधकर्ताओं का कहना है, "हमारे शोध से पता चला है कि अगर स्वस्थ लोग दो साल तक कम कैलोंरी लें तो इससे उनके लिए उल्टे नतीजे आते हैं अत: यह केवल मोटापे से ग्रस्त लोगों पर ही लागू होता है।"

    हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग बेहद कम भोजन करन ेवाले/वाली जीवनसाथी के साथ रहते हैं, उनके मोटापा कम करने की संभावना ज्यादा होती है।

    न्यूसाउथवेल्स स्कूल ऑफ साइकोलॉजी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक आपके साथ भोजन करने वाला कितना खाना खाता है, यह आप पर गहरा असर डालता है। इसलिए कम खाने वालों के साथ रहने पर आप अपना वजन घटा सकते हैं और जीवनसाथी के साथ संबंधों को बेहतर कर सकते हैं।

    यह प्रभाव पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा देखने को मिला है।

    सोशल इंफ्लूएंस जर्नल में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, "इसका कारण यह है कि महिलाओं को इस बात की ज्यादा परवाह होती है कि भोजन के दौरान दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं।"

    --आईएएनएस
  • मशहूर अमेरिकी तस्वीर में दिख रही महिला की बीमारी का पता चला
    न्यूयॉर्क, 7 मई (आईएएनएस)। अमेरिका में एक न्यूरोलॉजिस्ट ने उस महिला की रहस्यमय बीमारी की गुत्थी सुलझा ली है, जो दुनिया की सबसे मशहूर तस्वीरों में से एक में दिखाई गई है।

    न्यूयॉर्क में म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में टंगी तस्वीर 'क्रिस्टियानास वर्ल्ड' में एक खेत में एक युवती दिखाई गई है, जो भीषण गर्मी में एक फॉर्महाउस की तरफ एकटक देख रही है।

    तस्वीर का विषय क्रिस्टियाना ओल्सन है, जो वेथ की अच्छी मित्र और पड़ोसी हैं।

    जीवन भर वह युवती एक रहस्यमय बीमारी से पीड़ित रही, जिसने उसकी चलने-फिरने की क्षमता तो छीन ही ली, साथ ही बाद में वह हाथों के इस्तेमाल से भी महरूम हो गई।

    मुश्किल भरे जीवन के बाद 74 वर्ष की आयु में उसकी मौत हो गई, लेकिन उसकी बीमारी के बारे में कभी पता नहीं चल पाया।

    अब, उनकी हालत से संबंधित सबूतों के आधार पर मायो क्लिनिक के चाइल्ड न्यूरोलॉजिस्ट मार्क पैटरसन ने उनकी बीमारी का पता लगा लिया है।

    उनके मुताबिक, उन्हें संभावित तौर पर चारकोट-मैरी-टूथ नामक बीमारी थी, जो परिधीय तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है, जिसके कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है।

    डॉ.पैटरसन ने कहा, "यह एक अनोखा मामला था। यह तस्वीर मेरी पसंदीदा थी और क्रिस्टियाना की बीमारी एक चिकित्सकीय रहस्य था।"

    --आईएएनएस
  • बड़े चिकित्सा उपकरणों का उपयोग नियंत्रित करेगा चीन
    बीजिंग, 7 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। चीन में एक नए मसौदा कानून के तहत चिकित्सा संस्थान बगैर आधिकारिक मंजूरी के बड़े और भारी चिकित्सा उपकरण न तो स्थापित कर पाएंगे और न उसका उपयोग कर पाएंगे।

    राज्य परिषद के विधायी मामलों के कार्यालय द्वारा प्रकाशित इस मसौदा के अनुसार, चिकित्सा उपकरणों की निगरानी संबंधित कानून में इस संधोधन का उद्देश्य चिकिस्ता संस्थानों द्वारा अपनी आय बढ़ाने के लिए चिकित्सा उपकरण के दुरुपयोग को रोकना है। फिलहाल यह मसौदा अभी पारित नहीं हुआ है।

    मसौदे के अनुसार, चिकित्सा संस्थानों को बड़े चिकित्सा उपकरण स्थापित करने से पहले प्रांतीय स्तर पर या उससे ऊपर के स्वास्थ्य अधिकारियों से मंजूरी प्राप्त करनी होगी और प्रशासन उनके उपकरणों के उपयोग का मूल्यांकन और नियमन करेगा।

    इस संशोधित मसौदे पर चार जून तक राय जताई जा सकती है।

    --आईएएनएस
  • मणिपुर : मुख्यमंत्री ने बेसहारा महिला के लिए स्वास्थ्य सुविधा सुनिश्चित की
    इंफाल, 7 मई (आईएएनएस)। तलाकशुदा महिला आर. के. तंफासना 2011 से बिस्तर पर हैं। अपने इलाज के लिए पैसे न होने के कारण अकेली और बेसहारा तंफासना ऐसे ही बेबस और लाचार जिंदगी काटने पर मजबूर थीं। लेकिन सोमवार को स्थानीय चैनल 'आईएसटीवी' पर उनकी कहानी प्रसारित होने के बाद अचानक स्थिति बदल गई। राज्य सरकार ने उनकी मदद के लिए अब कदम बढ़ाया है।

    तंफासना कई सालों से अपने बेटे की शिक्षा के लिए उधार लेती रहीं और यह रकम 78,000 पहुंच चुकी है। उस पर उनका खराब स्वास्थ्य उनके लिए एक परेशानी बन चुका था। बीमारी के कारण उनके पैरों को काटने की नौबत आ गई है, लेकिन उसके लिए भी उनके पास पैसे नहीं हैं।

    हालांकि उनके इस दुखद हालत ने यहां कई लोगों का दिल पिघला दिया और उन्होंने उनकी जांच के लिए चिकित्सकों को बुलवाया।

    एक वरिष्ठ चिकित्सक ने आईएएनएस से कहा, "प्रारंभिक जांच के बाद हम उनका इलाज शुरू करेंगे। हम चाहते हैं कि उनके स्वास्थ्य में सुधार आए ताकि वह सामान्य जिंदगी बिता सकें।"

    तंफासना की कहानी टेलीविजन चैनल पर प्रसारित हुई थी। उसमें कहा गया था कि उन्हें मणिपुर के समाज कल्याण मंत्री ए. मीराबाई से कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद सत्ता पक्ष हरकत में आया।

    तंफासना की कहानी का एक राजनीतिक पहलू भी है। इंफाल में दो जून को होने जा रहे स्थानीय चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने इस मामले की राजनीतिक अहमियत समझी और शुक्रवार को यहां जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस(जेएनआईएमएस) के चिकित्सक तंफासना की जांच के लिए यहां से नजदीक टेरा में स्थित उनके घर पहुंचे।

    मुख्यमंत्री मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष हैं, इसलिए इस मामले में उनका हस्तक्षेप स्वाभाविक है।

    जेएनआईएमएस के निदेशक देवेन लैशराम ने कहा, "हम उनके ऑपरेशन, दवाइयों और पूरे इलाज का इंतजाम मुफ्त में करेंगे। अस्पताल केवल पैसे वालों के लिए ही नहीं होता।"

    स्थानीय व्यापारी गीतचंद्र शर्मा ने तंफासना के परिवार के एक काबिल सदस्य को नौकरी देने का भी वादा किया है।

    हालात बदलते देखकर तंफासना के परिवार को अब उम्मीद है कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो पाएंगी।

    --आईएएनएस
  • स्पेन में मिला माइक्रोसेफेली का पहला मामला

    मैड्रिड, 7 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। स्पेन में जीका वायरस संक्रमित एक महिला के भ्रूण में माइक्रसेफेली का पहला मामला सामने आया है, जिसकी पुष्टि स्पेन के कैटलन क्षेत्र में स्वास्थ्य अधिकारियों ने की।

    यह महिला 20 सप्ताह गर्भवती है, जो लैटिन अमेरिका की यात्रा के दौरान जीका वायरस से संक्रमित हुई थी। स्पेनिश मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वह अपनी गर्भावस्था जारी रखना चाहती है।

    स्पेन में अब तक 13 गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस की सूचना मिली है, लेकिन किसी महिला के संतान से जुड़ी यह पहली नकारात्मक खबर है।

    कैटलन स्वास्थ्य प्रशासन ने वायरस फैलने की आशंकाओं के मद्देनजर गर्भवती महिलाओं को कैरीबियाई, लैटिन अमेरिकी तथा अफ्रीकी देशों की यात्रा टालने की सलाह दी है और उन्हें इस बारे में अवगत कराने को महत्वपूर्ण माना है।

    स्पेन के स्वास्थ्य, सामाजिक सेवा और समानता मंत्रालय ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर वायरस के 105 मामलों की जानकारी दी है। साथ ही इस बात पर जोर डाला है कि प्रत्येक मामले में व्यक्ति को जीका संक्रमण विदेश यात्रा के दौरान हुआ है और अब तक देश में संक्रमण फैलने का कोई मामला सामने नहीं आया है।

    --आईएएनएस

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