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जापान में नया सुरक्षा कानून 29 मार्च से लागू होगा

टोक्यो, 22 मार्च (आईएएनएस/सिन्हुआ)। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने मंगलवार को फैसला किया कि देश में नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 29 मार्च से लागू होगा। इससे लोगों को सामूहिक आत्मरक्षा का अधिकार प्राप्त होगा।

सत्तारूढ़ गठबंधन ने पिछले साल संसद में इस विवादित विधेयक को पारित किया था और जबर्दस्त विरोध के बीच सितंबर 2015 में इसे कानून की शक्ल दे दी थी।

यह विधेयक जापान की सेल्फ डिफेंस फोर्सेज(एसडीएफ) को विदेशों में सशस्त्र संघर्षो में शामिल होने और सामूहिक आत्मरक्षा का अधिकार देगा।

जापान के युद्ध-परित्याग संविधान ने हालांकि एसडीएफ पर सामूहिक रक्षा के अधिकार पर रोक लगा रखी है।

देश के 90 प्रतिशत से अधिक संवैधानिक विशेषज्ञों को लगता है कि यह नया विधेयक सर्वोच्च कानून का उल्लंघन कर रहा है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • दिल्ली उच्च न्यायालय में सुशील कुमार की याचिका खारिज (लीड-1-संशोधित)
    नई दिल्ली, 6 जून (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दो बार ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार की दोबारा ट्रायल की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। अदालतन ने कहा कि चयन को अंतिम समय पर चुनौती दिए जाने से चयनित खिलाड़ी नरसिंह यादव की मानसिक तैयारी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

    सुशील कुमार ने याचिका दायर कर रियो ओलंपिक के लिए भारतीय दल में जगह पाने के लिए 74 किलोग्राम फ्री स्टाइल कुश्ती का ट्रायल फिर से कराने की मांग की थी।

    न्यायमूर्ति मनमोहन ने भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) का निवेदन स्वीकार कर लिया। संघ ने कहा कि नरसिंह यादव का वर्तमान फॉर्म सुशील कुमार से अच्छा है।

    न्यायमूर्ति ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि सुशील कुमार चयन के लिए 2014 और 2015 में हुए ट्रायल में भाग लेने में विफल रहे। साथ ही उन्होंने 31 दिसंबर 2015 और 1 जनवरी 2016 को हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता व फरवरी 2016 में एशियाई चैंपियनशिप में भी भाग नहीं लिया।

    अदालत ने कहा कि सुशील कुमार ने सितम्बर 2014 से अब तक कोई भी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता नहीं जीती है, जबकि नरसिंह यादव ने दिसंबर 2015 में प्रो कुश्ती लीग में मंगोलिया के पहलवान पुरवाज उनुरबात को हराया था और सितंबर 2015 में हुई विश्व चैंपियनशिप प्रतियोगिता में कांस्य पदक विजेता रहे थे।

    सुशील कुमार की ओर से तर्क दिया गया कि प्रशिक्षण के लिए उन्हें 2016 में जॉर्जिया और सोनीपत (हरियाणा) भेजा गया था। इस पर अदालत ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि ट्रायल आज कराना आवश्यक है और वह भी इतनी देर से।

    अदालत ने इस पर भी ध्यान दिया कि डब्ल्यूएफआई ने चयन से पहले निष्पक्ष और पारदर्शी ट्रायल कराया था। साथ ही खेल संहिता के तहत चयन प्रक्रिया और ट्रायल कराने के निर्णय के संबंध में भारतीय कुश्ती संघ को प्रदत्त स्वायत्तता को भी माना।

    अदालत ने कहा, "एक खिलाड़ी की मासूमियत के साथ 'सिर्फ एक ट्रायल' की मांग से हो सकता है कि एक चयनित खिलाड़ी के जीतने की उम्मीद पर पानी फिर रहा हो और राष्ट्रीय हित पर घातक असर पड़ रहा हो। द्वंद्व युद्ध की मांग से देश को घाटा होगा।"

    अदालत ने कहा कि प्रतियोगिता होने और याचिका दायर करने में बहुत कम समय का अंतर है। साथ ही ट्रायल में चोटिल होने की आशंका प्रबल है। इसलिए सुशील कुमार का निवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

    अदालत ने कहा कि यह समझ में नहीं आ रहा कि क्यों सुशील कुमार ने नरसिंह यादव को मई, 2016 में द्वंद्व युद्ध के लिए चुनौती दी है जबकि ओलंपिक के आयोजन में सिर्फ ढाई महीने बचे हैं।

    अदालत ने फर्जी हलफनामा दायर करने के लिए डब्ल्यूएफआई के उपाध्यक्ष राज सिंह के खिलाफ नोटिस भी जारी किया और पूछा कि झूठी गवाही देने के लिए क्यों नहीं उनके के खिलाफ कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।

    सुशील कुमार को 66 किलोग्राम श्रेणी में 2008 में बीजिंग ओलंपिक में कांस्य और 2012 में लंदन ओलंपिक में रजत पदक मिला था। लेकिन, अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती संघ ने 2014 में इस श्रेणी को समाप्त कर दिया।

    इसी वजह से कुमार 74 किलोग्राम श्रेणी में शामिल होने के लिए प्रेरित हुए। इस श्रेणी में वह नरसिंह यादव के प्रतिद्वंद्वी बन गए। यादव तब तक इस श्रेणी के शीर्ष भारतीय पहलवान थे।

    चोटिल होने के कारण सुशील कुमार (32) ने रियो ओलंपिक के लिए ट्रायल का अवसर खो दिया और देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए नरसिंह यादव को दल में जगह मिल गई।

    कुश्ती ट्रायल फिर से कराने के लिए भारतीय कुश्ती संघ से बार-बार निवेदन करने के बाद कुमार ने उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी।

    --आईएएनएस
  • जापान में अमेरिकी नौसैनिकों के शराब पीने पर रोक
    टोक्यो, 6 जून (आईएएनएस)। अमेरिकी नौसेना ने जापान में तैनात अपने नौसैनिकों के शराब पीने पर रोक लगा दी है। ओकिनावा में कथित रूप से शराब पीकर या किसी अन्य नशीली चीज के सेवन के बाद गाड़ी चलाने के आरोप में एक अमेरिकी महिला नौसैनिक की गिरफ्तारी के बाद अमेरिका ने यह कदम उठाया है।

    जापान टाइम्स की खबर के अनुसार, यह अनिश्चितकालीन प्रतिबंध जापान स्थित सभी नौसैनिकों के अलावा वहां से गुजरने वाले नौसैनिकों पर भी लागू होगा।

    नेवल फोर्सेज जापान के प्रवक्ता रोनाल्ड फ्लैंडर्स ने कहा, "हम लोगों ने समस्या को माना है। हम इसकी जिम्मेदारी लेते हैं और हम वह हर काम कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि हमारा हर नौसैनिक यह समझ सके कि हमारे गठबंधन और हमारी दोस्ती के लिए जापान के लोगों से हमारा व्यवहार कितना महत्वपूर्ण है।"

    उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें शहर में रहने की सुविधा नहीं मुहैया कराई जाती तब तक उन्हें अपने अड्डे पर ही बने रहना होगा। जो यहां से बाहर रहेंगे उन्हें कार्य स्थल पर आने-जाने, स्कूल, गैस स्टेशन, किराने की दुकानों और व्यायामशाला जाने की इजाजत रहेगी। सैन्य कानून के आदेश से अन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध है।

    प्रतिबंध हाल के वर्षो में अमेरिकी नौसैनिकों की ड्यूटी से इतर व्यवहार पर सर्वाधिक प्रभाव डालने वाला है।

    शनिवार को अमेरिकी अफसर एमी मेजिया को गिरफ्तार किया गया था। वह सड़क की गलत दिशा में कार चला रही थीं। उसने दो कारों में टक्कर मार दी थी, जिससे दो लोग घायल हो गए थे।

    एमी को जापानी पुलिस ने शराब पीकर गाड़ी चलाने के संदेह में गिरफ्तार किया है।

    मार्च में एक अमेरिकी नौसैनिक को ओकिनावा के एक होटल में जापानी पर्यटक से दुष्कर्म के संदेह में गिरफ्तार किया गया था। उस नौसैनिक को दोषी करार दिया गया है।

    --आईएएनएस
  • ओबामा के रमजान संदेश में ट्रंप पर कटाक्ष
    वाशिंगटन, 6 जून (आईएएनएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका और दुनिया भर के मुसलमानों को इस्लाम के पवित्र माह रमजान की शुरुआत पर शुभकामाना दी है।

    रविवार की शाम को जारी संदेश में ओबामा ने कहा, "बहुत सारे लोगों के लिए यह माह आध्यात्मिक विकास और कम भाग्यशालियों के प्रति क्षमा, सहनशीलता, लचीलापन, करुणा और सभी समुदायों में एकता पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर है।"

    सीबीएस न्यूज के अनुसार, बयान में कहा गया है, "यहां अमेरिका में हम मुस्लिम समुदाय से समृद्ध हैं, ठीक जैसे हमारा देश विविधता से समृद्ध है। ऐसे भी हैं जिनकी विरासत का हमारे राष्ट्र की शुरुआत से पता लगाया जा सकता है और इसके साथ ही साथ वे भी हैं जो अभी-अभी यहां पहुंचे हैं। इनमें चिकित्सक, वकील, कलाकार, शिक्षक, वैज्ञानिक, लोक सेवक और सेना के सदस्य शामिल हैं।"

    रिपब्लिकन पार्टी के संभावित राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के मुसलमानों के देश में प्रवेश पर अस्थाई रूप से प्रतिबंध लगाने के विपरीत ओबामा ने कहा, "मैं अमेरिकी समुदाय के मुसलमानों के साथ उन आवाजों को खारिज करने के लिए दृढ़ता के साथ खड़ा हूं जो हमें बांटना चाहती हैं या हमारी धार्मिक स्वतंत्रता या नागरिक अधिकारों को कम करना चाहती हैं।"

    उन्होंने कहा, "हम मुसलमानों सहित प्रवासियों और शरणार्थियों का अपने देश में स्वागत करना जारी रखेंगे।"

    ट्रंप ने रविवार को सीबीएस न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा कि वह प्रस्तावित प्रतिबंध पर कायम हैं।

    ट्रंप ने कहा, "मैं पीछे नहीं हट रहा हूं। हमें कुछ करना होगा। इस देश में कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद की समस्या है और यह पूरी दुनिया में है। यह एक समस्या है। इसका समाधान अस्थाई प्रतिबंध है। मैं स्थाई प्रतिबंध की बात नहीं कर रहा। हमें यह पता लगाना है कि क्या चल रहा है। "

    पिछले साल की तरह ही राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि वह बहुत सारे अमेरिकी मुसलमानों को ईद समारोह के लिए आमंत्रित करेंगे। जुलाई के पहले हफ्ते में ईद का अवकाश भी रहेगा।

    --आईएएनएस
  • दिल्ली उच्च न्यायालय में सुशील कुमार की याचिका खारिज (लीड-1)
    नई दिल्ली, 6 जून (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दो बार ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार की दोबारा ट्रायल की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। अदालतन ने कहा कि चयन को अंतिम समय पर चुनौती दिए जाने से चयनित खिलाड़ी नरसिंह यादव की मानसिक तैयारी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

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    अदालत ने कहा कि सुशील कुमार ने सितम्बर 2014 से अब तक कोई भी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता नहीं जीती है, जबकि नरसिंह यादव ने दिसंबर 2015 में प्रो कुश्ती लीग में मंगोलिया के पहलवान पुरवाज उनुरबात को हराया था और सितंबर 2015 में हुई विश्व चैंपियनशिप प्रतियोगिता में रजत पदक विजेता रहे थे।

    सुशील कुमार की ओर से तर्क दिया गया कि प्रशिक्षण के लिए उन्हें 2016 में जॉर्जिया और सोनीपत (हरियाणा) भेजा गया था। इस पर अदालत ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि ट्रायल आज कराना आवश्यक है और वह भी इतनी देर से।

    अदालत ने इस पर भी ध्यान दिया कि डब्ल्यूएफआई ने चयन से पहले निष्पक्ष और पारदर्शी ट्रायल कराया था। साथ ही खेल संहिता के तहत चयन प्रक्रिया और ट्रायल कराने के निर्णय के संबंध में भारतीय कुश्ती संघ को प्रदत्त स्वायत्तता को भी माना।

    अदालत ने कहा, "एक खिलाड़ी की मासूमियत के साथ 'सिर्फ एक ट्रायल' की मांग से हो सकता है कि एक चयनित खिलाड़ी के जीतने की उम्मीद पर पानी फिर रहा हो और राष्ट्रीय हित पर घातक असर पड़ रहा हो। द्वंद्व युद्ध की मांग से देश को घाटा होगा।"

    अदालत ने कहा कि प्रतियोगिता होने और याचिका दायर करने में बहुत कम समय का अंतर है। साथ ही ट्रायल में चोटिल होने की आशंका प्रबल है। इसलिए सुशील कुमार का निवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

    अदालत ने कहा कि यह समझ में नहीं आ रहा कि क्यों सुशील कुमार ने नरसिंह यादव को मई, 2016 में द्वंद्व युद्ध के लिए चुनौती दी है जबकि ओलंपिक के आयोजन में सिर्फ ढाई महीने बचे हैं।

    अदालत ने फर्जी हलफनामा दायर करने के लिए डब्ल्यूएफआई के उपाध्यक्ष राज सिंह के खिलाफ नोटिस भी जारी किया और पूछा कि झूठी गवाही देने के लिए क्यों नहीं उनके के खिलाफ कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।

    सुशील कुमार को 66 किलोग्राम श्रेणी में 2008 में बीजिंग ओलंपिक में कांस्य और 2012 में लंदन ओलंपिक में रजत पदक मिला था। लेकिन, अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती संघ ने 2014 में इस श्रेणी को समाप्त कर दिया।

    इसी वजह से कुमार 74 किलोग्राम श्रेणी में शामिल होने के लिए प्रेरित हुए। इस श्रेणी में वह नरसिंह यादव के प्रतिद्वंद्वी बन गए। यादव तब तक इस श्रेणी के शीर्ष भारतीय पहलवान थे।

    चोटिल होने के कारण सुशील कुमार (32) ने रियो ओलंपिक के लिए ट्रायल का अवसर खो दिया और देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए नरसिंह यादव को दल में जगह मिल गई।

    कुश्ती ट्रायल फिर से कराने के लिए भारतीय कुश्ती संघ से बार-बार निवेदन करने के बाद कुमार ने उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी।

    --आईएएनएस
  • पुर्तो रिको में प्राइमरी में हिलेरी की जीत
    वाशिंगटन, 6 जून (आईएएनएस)। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी की दौड़ में आगे चल रहीं हिलेरी क्लिंटन ने रविवार को पुर्तो रिको प्राइमरी में जीत हासिल की। इस जीत के साथ ही हिलेरी उस राह पर आ गईं हैं जहां वह मंगलवार को पार्टी के राष्ट्रपति पद की उम्मीवारी पर दावा कर सकें।

    इस मुकाबले में हिलेरी के पास 64 फीसदी और उनके प्रतिद्वंद्वी सीनेटर बर्नी सेंडर्स के पास 34 फीसदी वोट थे।

    समाचार संगठन पोलिटिको के अनुसार, अब हिलेरी को मात्र 30 और प्रतिनिधियों की की जरूरत है। इसके बाद उम्मीदवारी हासिल करने के लिए उन्हें 2383 प्रतिनिधि मिल जाएंगे।

    हिलेरी राष्ट्रपति पद की दावेदारी का एक ऐतिहासिक मुकाबला जीतने जा रहीं हैं। वह पहली महिला राष्ट्रपति उम्मीदवार होंगी। डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी के चयन के लिए अभी मंगलवार को कैलीफोर्निया, न्यूजर्सी, न्यू मैक्सिको, दक्षिण डाकोटो और मोंटाना में मतदान का एक और दौर होने वाला है।

    हिलेरी की उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा जुलाई में फिलेडेल्फिया में पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन, डेमोक्रेटिक नेशनल कंवेंशन में की जाएगी।

    अभी तक हिलेरी के पास कुल 2354 वोट हैं। इनमें 547 सुपर डेलीगेट और 1807 प्लेज्ड हैं। सैंडर्स के पास 1561 वोट हैं। इनके पास मात्र 46 सुपर डेलीगेट हैं।

    सुपर डेलीगेट वे प्रतिनिधि होते हैं जिन्हें कंवेंशन में स्वत: बैठकर यह बताते का अधिकार होता है कि वे किसे उम्मीदवार के रूप में चाहते हैं। इन्हें पार्टी की उम्मीदवारी के लिए बहुमत हासिल नहीं कर पाने की स्थिति में किसे उम्मीदवार बनाना है, यह तय करने का हक होता है।

    प्लेज्ड डेलीगेट वे होते हैं जिन्हें राज्य या स्थानीय स्तर पर चुना जाता है और जो डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने पहले से तय उम्मीदवार के पक्ष में अपना मत देते हैं।

    दोनों में से किसी भी उम्मीदवार ने पुर्तो रिको में बहुत प्रचार नहीं किया। इसकी जगह दोनों ने कैलीफोर्निया पर अधिक ध्यान दिया क्योंकि वहां 546 डेलीगेट हैं। हिलेरी ने वर्ष 2008 में राष्ट्रपति की दावेदारी के चुनाव में भी यहां से बराक ओबामा पर जबर्दस्त जीत हासिल की थी। इसलिए यहां उनकी जीत की संभावना अधिक है।

    हिलेरी की पुर्तो रिको की यह जीत शनिवार को वर्जिन आइलैंड की जीत के बाद मिली है।

    --आईएएनएस
  • मथुरा हिंसा की सीबीआई जांच पर सुनवाई मंगलवार को (लीड-1)
    नई दिल्ली, 6 जून (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें मथुरा हिंसा की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की गई है।

    घटना में दो पुलिस अधिकारियों सहित 29 लोगों की जान चली गई थी और बड़े पैमाने पर संपत्ति को नुकसान पहुंचा था।

    न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष तथा न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की सुनवाई मंगलवार को करने पर सहमति जताई। इससे पहले अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने मामले को उठाते हुए इस पर जल्द सुनवाई की आवश्यकता जताई थी।

    हिंसा की यह घटना दो जून की है, जब पुलिस इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर उत्तर प्रदेश में मथुरा के जवाहरबाग में अवैध कब्जा हटाने पहुंची थी। बाग पर स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह के सदस्यों ने कब्जा कर रखा था।

    इस हिंसक घटना में एक पुलिस अधीक्षक और एक थाना प्रभारी (एसएचओ) सहित 29 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 23 अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

    भाजपा की दिल्ली इकाई के सदस्य, याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि मथुरा में हुई घटना के मूल कारण और 'कार्यपालिका, विधायिका और उग्रवादी समूह' के बीच संभावित गठजोड़ का पता लगाने के लिए सीबीआई जांच जरूरी है।

    याचिका में दलील दी गई है कि केंद्र सरकार घटना की सीबीआई जांच के लिए तैयार है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार इसकी सिफारिश नहीं कर रही है।

    याचिका में कहा गया है कि स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह, जय गुरुदेव के अनुयायियों से अलग हुए एक समूह से बना था।

    उपाध्याय की ओर से अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने अदालत को मीडिया रपटों के आधार पर सबूत नष्ट किए जाने की भी बात कही।

    उन्होंने कहा कि इस हिंसा में कई लोगों की जान जाने के साथ ही 200 वाहन भी नष्ट हो गए और बड़े पैमाने पर गैस सिलिंडर भी फट गए।

    याचिका में आरोप लगाया गया है कि जय गुरुदेव का अनुयायी रहा स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह का नेता राम वृक्ष यादव उत्तर प्रदेश सरकार के शक्तिशाली लोगों की मिलीभगत से समानांतर सरकार चला रहा था।

    याचिका के मुताबिक, "स्थानीय निवासी मानते थे कि यादव उत्तर प्रदेश सरकार में कुछ मंत्रियों के बेहद करीब था, इसलिए स्थानीय प्रशासन उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहता था।"

    याचिका में कहा गया है कि यह हिंसा के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के लिए स्पष्ट आधार है।

    याचिका में सीबाआई जांच के अलावा ऐसी परिस्थितियों में मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए केंद्र सरकार को एक समान नीति तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।

    --आईएएनएस

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