निलंबित ही रहेंगी वाईएसआर कांग्रेस की विधायक रोजा
हैदराबाद, 22 मार्च(आईएएनएस)। हैदराबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को वाईएसआर कांग्रेस की विधायक आर.के. रोजा के निलंबन पर उच्च न्यायालय के एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी। एकल पीठ ने विधायक के निलंबन को स्थगित किया था।
कार्यवाहक मुख्यन्यायाधीश बी.भोसले और न्यायमूर्ति पी.नवीन राव की खंडपीठ ने विधानसभा के सचिव की ओर से दायर एकल पीठ के 17 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली यााचिका पर सुनवाई के बाद स्थगन आदेश दिया।
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सोमवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उल्लेखनीय है कि विधायक रोजा ने विधानसभा के शीतकालनी सत्र के दौरान चंद्रबाबू नायडू के साथ तेलुगू देशम पार्टी के कुछ विधायकों के खिलाफ असंसदीय और अशिष्ट भाषा का प्रयोग किया था। इसके लिए उन्हें एक साल के लिए विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था।
विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ विधायक रोजा ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी।
उच्च न्यायालय में याचिका तुरंत सूचीबद्ध होने पर रोजा ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की, जिस पर अदालत ने उच्च न्यायालय को इस मामले की तुरंत सुनवाई करने का निर्देश दिया था। इसके बाद उच्च न्यायालय की एकल पीठ से रोजा को राहत मिली थी।
उच्च न्यायालय की एकल पीठ से राहत मिलने के बावजूद रोजा को बजट सत्र के दौरान विधानसभा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
उधर, विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने भी सोमवार को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में रोजा के एक साल के निलंबन की अनुशंसा की है।
राज्य के विधायी कार्य मंत्री वाई.रामकृष्णुडू ने घोषणा की कि रोजा को गत 18 दिसंबर को हुई घटना के संदर्भ में स्पष्टीकरण देने के लिए एक और मौका दिया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि विधानसभा का पैनल एक और रिपोर्ट पेश करेगा तब तक रोजा निलंबित रहेंगी।
इस बीच वाईएसआर कांग्रेस पार्टी उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती देने पर विचार कर रही है। उच्च न्यायालय के फैसले की प्रति मिलने के बाद रोजा सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
कार्यवाहक मुख्यन्यायाधीश बी.भोसले और न्यायमूर्ति पी.नवीन राव की खंडपीठ ने विधानसभा के सचिव की ओर से दायर एकल पीठ के 17 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली यााचिका पर सुनवाई के बाद स्थगन आदेश दिया।
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सोमवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उल्लेखनीय है कि विधायक रोजा ने विधानसभा के शीतकालनी सत्र के दौरान चंद्रबाबू नायडू के साथ तेलुगू देशम पार्टी के कुछ विधायकों के खिलाफ असंसदीय और अशिष्ट भाषा का प्रयोग किया था। इसके लिए उन्हें एक साल के लिए विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था।
विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ विधायक रोजा ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी।
उच्च न्यायालय में याचिका तुरंत सूचीबद्ध होने पर रोजा ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की, जिस पर अदालत ने उच्च न्यायालय को इस मामले की तुरंत सुनवाई करने का निर्देश दिया था। इसके बाद उच्च न्यायालय की एकल पीठ से रोजा को राहत मिली थी।
उच्च न्यायालय की एकल पीठ से राहत मिलने के बावजूद रोजा को बजट सत्र के दौरान विधानसभा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
उधर, विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने भी सोमवार को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में रोजा के एक साल के निलंबन की अनुशंसा की है।
राज्य के विधायी कार्य मंत्री वाई.रामकृष्णुडू ने घोषणा की कि रोजा को गत 18 दिसंबर को हुई घटना के संदर्भ में स्पष्टीकरण देने के लिए एक और मौका दिया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि विधानसभा का पैनल एक और रिपोर्ट पेश करेगा तब तक रोजा निलंबित रहेंगी।
इस बीच वाईएसआर कांग्रेस पार्टी उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती देने पर विचार कर रही है। उच्च न्यायालय के फैसले की प्रति मिलने के बाद रोजा सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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