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रंगों से यूं करें बालों और त्वचा की सुरक्षा

नई दिल्ली, 22 मार्च (आईएएनएस)। रंगों का त्योहार होली पूरे देश में गुरुवार को मनाया जाएगा। यूं तो इस त्योहार का हम सभी को बेसब्री से इंतजार है, लेकिन इस इंतजार में एक महत्वपूर्ण बात हम सभी को याद रखने की जरूरत है। इस दिन आपको पिचकारी, गुब्बारों तथा गुलाल के प्रयोग से अपने बालों और त्वचा की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि होली के रंगों में भीगने के बाद अक्सर इनका हाल बुरा हो जाता है।

ग्लैम स्टूडियोज की मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष सादिया नसीम ने होली के रंगों से बालों और त्वचा की सुरक्षा के कुछ आसान से उपाय बताए हैं। जिन्हें अपनाकर आप भी होली के रंगों का लुत्फ उठाते हुए उनसे सुरक्षित रह सकती हैं।

- इस दिन आपको जितना संभव हो अपना शरीर ढक कर रखना चाहिए। क्योंकि अक्सर नाजुक अंगों पर रंग लगने के बाद उसे हटाते वक्त दर्द और जलन का सामना करना पड़ता है।

- रंग खेलने से पहले बालों को टोपी, पगड़ी, दुपट्टे आदि से ढक लें।

- शरीर और बालों पर अच्छे से तेल लगाएं, क्योंकि तेल लगाने से शरीर पर रंग नहीं चढ़ता, और उसे साफ करना भी आसान होता है। यह हानिकारक रसायनों से त्वचा की रक्षा भी करता है।

- नाखूनों पर पहले ही नेल पॉलिश लगा लें। इससे नाखूनों पर रंग नहीं चढ़ेगा।

- होली खेलने से पहले नाखूनों, कानों और होंठो पर वेसलीन लगा लें।

- रंग लगी त्वचा पर साबुन का इस्तेमाल न करें। रंग हटाने के लिए तरल साबुन और क्लींजर का उपयोग करें। नींबू का उपयोग काफी कारगर हो सकता है।

- पानी में हाइड्रोजन पेरोऑक्साइड और रोसवॉटर मिलाकर हाथों और पैरों को उसमें डाल लें।

- होली खेलने के बाद चेहरे को तुरंत ठंडे पानी से ढुल लें। रंग हटाने के लिए ऑलिव के तेल का प्रयोग करें।

- नहाने के बाद त्वचा को शुष्कता से बचाने के लिए पूरे शरीर में अच्छे से माइस्चराइजर लगाएं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • अलकायदा के संदिग्ध सदस्यों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल

    नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)| दिल्ली पुलिस ने मौलाना अन्जर शाह सहित अलकायदा के संदिग्ध सदस्यों के खिलाफ शुक्रवार को आरोप-पत्र दाखिल किया। इन संदिग्ध सदस्यों पर देश में लोगों को अलकायदा से जुड़ने के लिए उकसाने के आरोप लगाए गए हैं।

    यह आरोप पत्र अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह की अदालत में दायर किया गया। इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।

    दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने 'भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा' (एक्यूआईएस) के पांच सदस्यों- शाह, अब्दुल सामी, जफर मसूद, अब्दुल रहमान और मोहम्मद आसिफ के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किए हैं।

    पुलिस ने 12 अन्य लोगों के खिलाफ भी आरोप-पत्र दायर किए हैं, जो फरार हैं। उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।

  • पुरुषों के पास डॉक्टर के पास जाने का समय नहीं!

    न्यूयार्क, 10 जून (आईएएनएस)| पुरुष अपने पारिवारिक डॉक्टर के पास नियमित जांच के लिए जाने की जगह आमतौर पर वहां न जाने के बहाने ढूंढते हैं और उनका सबसे बड़ा बहाना यह होता है कि वे व्यस्त हैं। अमेरिका में किए गए एक नए सर्वेक्षण में यह कहा गया है।

    मध्य फ्लोरिडा की स्वास्थ्य सेवा 'ओरलैंडो हैल्थ' की ओर से हैरिस पोल ने अप्रैल 19-21, 2016 के बीच 18 साल और इससे अधिक उम्र के 2,042 वयस्कों पर यह ऑनलाईन सर्वे किया।

    पुरुषों के स्वास्थ्य कार्यकर्ता और फ्लोरिडा में स्थित क्लेरमोंट के 'पीयूआर' (पर्सनलाइज्ड युरोलोजी एंड रोबोटिक्स) क्लिनिक के सह-निदेशक जामिन ब्रह्मभट्ट ने कहा, "पुरुष गोल्फ खेलने में या बॉल गेम देखने में हर सप्ताह 34 घंटे व्यतीत कर सकते हैं या अपने दोस्तों के साथ वेगास की यात्रा के लिए समय निकाल सकते हैं, लेकिन अपनी स्वास्थ्य जांच के लिए वे साल में 90 मिनट भी खर्च नहीं कर सकते।"

    ब्रह्मभट्ट 'ड्राइव फॉर मेन्स हेल्थ' अभियान के सह-संस्थापक भी हैं। 'ड्राइव फॉर मेन्स हेल्थ' पुरुषों को अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने को प्रेरित करती है।

    सर्वे के मुताबिक, पुरुषों का दूसरा सबसे आम बहाना यह होता है कि उन्हें इस बात से डर लगता है कि उनके साथ कुछ गलत न हो।

    डॉक्टरों ने कहा कि पुरुषों की जीवन प्रत्याशा महिलाओं से पांच साल कम होती है और इसका सबसे बड़ा एक कारण यह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा जागरूक होती हैं।

  • 'उड़ता पंजाब' विवाद में सेंसर बोर्ड की भूमिका चौंकाने वाली : अनुपम

    मुंबई, 10 जून (आईएएनएस)| बेबाकी से राय रखने के लिए मशहूर दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर ने सिनेमा को समाज का आईना बता 'उड़ता पंजाब' के निर्माताओं को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा है कि सारे विवाद में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की भूमिका 'चौंकाने' वाली है। अभिषेक चौबे निर्देशित 'उड़ता पंजाब' नशे की समस्या से जूझ रहे पंजाब का चित्रण है। निर्माता सीबीएफसी के अध्यक्ष पहलाज निहलानी के इसमें कई कट लगाने के 'बेजा' सुझाव के खिलाफ एकजुट हो गए हैं और मामले ने तूल पकड़ लिया है।

    अनुपम ने गुरुवार रात ट्विटर पर लिखा, "उड़ता पंजाब' विवाद में सीबीएफसी की भूमिका सबसे ज्यादा चौंकाने वाली है। सिनेमा समाज का आईना है। कई बार हालात का चित्रण बदलाव ला सकता है।"

    फिल्म में शाहिद कपूर, करीना कपूर, आलिया भट्ट व दिलजीत दोसांझ मुख्य भूमिका में हैं।

  • राजनीतिक दोषारोपण के खेल में असल मुद्दा खोया : अनुराग

    मुंबई, 10 जून (आईएएनएस)| केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को अपनी फिल्म 'उड़ता पंजाब' पर 'बेजा' कट लगाने से रोकने के लिए टक्कर दे रहे फिल्मकार अनुराग कश्यप ने कहा है कि उन पर आम आदमी पार्टी (आप) से पैसा खाने का आरोप न केवल सीबीएफसी का कोरा झूठ है, बल्कि असल मुद्दे से भटकाने और उसे राजनीतिक लड़ाई में तब्दील करने की चाल भी है। 'उड़ता पंजाब' में सीबीएफसी के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने 89 कट लगाने का सुझाव दिया है। निहलानी का आरोप है कि 'उड़ता पंजाब' के सह-निर्माता अनुराग कश्यप ने आप से पैसे खाने के बाद यह फिल्म बनाई। उनके इस आरोप पर बॉलीवुड व आप समन्वयक अरविंद केजरीवाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी।

    अनुराग ने इस सारे विवाद व उन पर लगे आरोप को लेकर एक फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी राय रखी।

    उन्होंने पोस्ट में लिखा, "मेरे सेंसरशिप के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने के बाद आलोचनाएं करने वाले कोरे झूठ व आरोपों से मामले को अलग दिशा में ले जे रहे हैं। मेरा सेंसर बोर्ड से कई बार सामना हुआ है। पहली बार 'पांच' फिल्म को लेकर हुआ था, जिसे लेकर हर कोई अब भी यही मानता है कि इस पर सेंसर बोर्ड ने रोक लगाई थी। सच्चाई यह है कि पुनरीक्षण समिति ने कुछ कट लगाने व दो डिस्क्लैमर के बाद फिल्म को हरी झंडी दे दी थी और फिल्म का यही प्रारूप इंटरनेट पर उपलब्ध है।"

    अनुराग ने यह भी कहा कि 'वह (निहलानी) हम पर फिल्म रिलीज की तारीख आगे बढ़ाने, कट का सुझाव व उनकी बात मान लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने मुझ पर आप से पैसे खाने का आरोप लगाया, जो न केवल झूठ बल्कि एक फिल्मकार के अधिकार की लड़ाई के असल मुद्दे को मार्ग से भटकाने व राजनीतिक लड़ाई में तब्दील करने की कोशिश है।"

  • जौ खाने से दूर होगा हृदय रोग का खतरा

    टोरंटो, 10 जून (आईएएनएस)| भोजन में जौ का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को महत्वपूर्ण रूप से कम करता है। एक नए अध्ययन में इस बात का पता चला है कि जौ में जई की तरह ही कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले प्रभाव मौजूद होते हैं। शोध के निष्कर्षो के मुताबिक, शरीर में कम-घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन (एलडीएल) और गैर-उच्च घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन (नॉन एचडीएल) को सात प्रतिशत कम कर सकता है।

    कनाडा के सेंट मिशेल हॉस्पिटल से व्लादिमिर वुकसुन ने बताया, "यह निष्कर्ष टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जिन्हें हृदय रोगों का जोखिम सर्वाधिक होता है। ऐसे लोगों में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य रहता है, लेकिन गैर-एचडीएल या एपोलाइपोप्रोटीन बी का स्तर उच्च होता है।"

    जौ केवल बैड कोलेस्ट्रॉल के उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में ही नहीं, बल्कि बिना उच्च कोलेस्ट्रॉल के लोगों को भी फायदा पहुंचा सकता है।

    जौ में प्रोटीन की तुलना में दोगुना फाइबर होता है, जो वजन नियंत्रण या आहार चिंताओं का सामना कर रहे लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण है।

    इस शोध के लिए कनाडा समेत सात देशों के चिकित्सकीय परीक्षणों पर 14 अध्ययन किए गए।

    यह शोध 'यूरोपीयन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

  • 3-डी विजन वाले रोबोट करेंगे कैंसर का इलाज

    नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)| रोबोटिक सर्जरी अब तेजी से प्रगति के लिए तैयार है क्योंकि ज्यादातर अस्पताल अब नवीनतम कंप्यूटर संचालित सर्जिकल रोबोट लगा रहे हैं। ऐसी आशा है कि 2020 तक 25 भारतीय शहरों में 100 से अधिक अस्पतालों में 3डी विजन वाले डेक्सटरस रोबोट सर्जरी में मदद कर रहे होंगे। वटिकुटी फाउंडेशन के माध्यम से भारत में 2010 से रोबोटिक सर्जरी की दिशा में प्रगति हेतु प्रयासरत राज वटिकुटी का कहना है, "हम युवा सर्जनों को रोबोटिक सर्जरी अपनाने के लिए प्रेरित करने के अलावा कुशल रोबोटिक सर्जनों की संख्या 500 तक पहुंचाएंगे। अपनी ओर से योगदान करते हुए वटिकुटी फाउंडेशन अगले 5 वर्षो के दौरान सुपर स्पेशलिस्ट सर्जनों को रोबोटिक सर्जन बनने के लिए 100 पेड फेलोशिप प्रदान करेगा।"

    राज वटिकुटी ने बताया, "यद्यपि 2015 में रोबोट की सहायता से 4,000 सर्जरी की गईं, जो कि 5 वर्षों में पांच गुनी वृद्धि है, लेकिन भारत ने अपनी संभावनाओं का लाभ उठाना अभी शुरू ही किया है, क्योंकि इसके फायदे मेट्रो शहरों से आगे बढ़कर जन-जन तक पहुंचाए जा सकते हैं।"

    रोबोटिक सर्जरी प्रोस्टेट, गायनेकोलॉजिकल, सिर व गर्दन, फेफड़ों और आंतों व मलाशय के कैंसर से पीड़ित रोगियों के लिए मददगार हैं क्योंकि इनसे गलतियों की संभावना कम हो जाती है, प्रक्रियाओं में दाग नहीं बचते और रिकवरी तेज गति से होती है।

    इस समय भारत में 30 अस्पतालों में केवल 190 रोबोटिक सर्जन हैं। 2020 तक कुशल रोबोटिक सर्जनों की संख्या बढ़ाकर 500 करने और 100 अस्पताल तक पहुंचाने की योजना बनाई गई है।

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