सरवर कशानी
नई दिल्ली, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। पाकिस्तान के अशांत पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान की एक लेखक व मानवाधिकार कार्यकर्ता ने पाकिस्तान के इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया कि भारत बलूच अलगाववादियों को भड़का रहा है।
नएला कादरी बलोच (50) ने कहा कि रणनीतिक रुचि के बावजूद भारत बलूचिस्तान में अलगाववाद को शह नहीं दे रहा है।
नएला ने पाकिस्तान के हाल के दावा का भी खंडन किया कि उसने कथित भारतीय खुफिया कुलभूषण जाधव को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया।
भारतीय थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से बालूचिस्तान पर आयोजित सेमिनार में भाग लेने आईं नएला ने आईएएनएस से साक्षात्कार में कहा, "यह सब झूठ है। अगर भारत ने मदद की होती तो हमलोगों को आजादी मिल गई होती।"
पूर्व नौ सेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने पिछले माह गिरफ्तार किया था। भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने दावा किया था कि जाधव की स्वीकारोक्ति की वीडियो रिकार्डिग की गई।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा से कहता रहा है कि भारत अशांति फैलाकर पाकिस्तान को अस्थिर करना चाहता है। यह स्वीकारोक्ति पाकिस्तान के इस कथन की पुष्टि करती है।
नएला ने बलूचिस्तान आंदोलन में भारत की संलिप्तता का चरणबद्ध ढंग से खंडन किया। उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि पाकिस्तान के दमनकारी बर्बर शासन के खिलाफ लड़ाई में भारत बलूचिस्तान की मदद करे।
बलूचिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन की नेता ने कहा, "बलूचिस्तान का पक्ष भारत को सिर्फ इसलिए नहीं लेना चाहिए कि पड़ोस में मानवाधिकार का बड़े पैमाने पर हनन हो रहा है, बल्कि इसमें उसका रणनीतिक हित भी निहित है।"
आकार में फ्रांस के बराबर बलूचिस्तान में तेल, गैस, यूरेनियम, सोना और तांबा का अकूत भंडार है। खनिज संपदा के दोहन और दमनात्मक पाकिस्तानी शासन के खिलाफ बलूचिस्तान के लोग 1948 से लेकर अब तक पांच बार सशस्त्र आंदोलन कर चुके हैं। पाकिस्तान ने 1948 में बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया था।
बहरहाल, इस क्षेत्र में सात सशस्त्र संगठन पाकिस्तानी सेना से लड़ रहे हैं, लेकिन देश की मीडिया उस पर शायद ही ध्यान देती है।
नएला ने कहा कि पाकिस्तान की अभिरुचि सिर्फ बलूचिस्तान के संसाधनों के दोहन में है। भारत को रोकने के लिए उसने चीन को शामिल कर उसे वहां के संसाधनों में हिस्सा दे दिया है।
उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान की सीमा के निकट अरब सागर में चीन ग्वादर बंदरगाह का निर्माण कर रहा है, जो भारत के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। इसके अलावा समझौते के तहत पाकिस्तान ने बलूचिस्तान की दो हजार एकड़ जमीन चीनी कंपनी को दे दी है।
नएला ने कहा, "चीन हिंद महासागर पर नियंत्रण करना चाहता है। चीनी नौ सेना की उपस्थिति में भारत कैसे सुरक्षित रहेगा और जलमार्ग से शांतिपूर्वक व्यापार कर पाएगा।"
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि ये भारत के लिए काफी नहीं है कि पाकिस्तानी सेना को निकाल बाहर करने में उसे बलूचियों की मदद करनी चाहिए।
जब उनसे पूछा गया कि वह भारत से किस तरह की मदद चाहती हैं? इस पर उन्होंने कहा, "हमलोग कूटनीतिक, वित्तीय और हथियार समेत हर संभव मदद की आशा करते हैं।"
हारवर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक कादरी को एक बार पाकिस्तानी सेना के साथ झड़प में कथित रूप से घायल भी हुई थीं, जिससे उनकी दाईं आंख की रोशनी चली गई।
उन्होंने कहा कि भारत बांग्लादेश के लिए पाकिस्तान से लड़ सकता है तो बलूचिस्तान के लिए क्यों नहीं?
नएला कादरी ने कहा, "अब 1971 वाला भारत नहीं है। उस समय भारत में इंदिरा गांधी जैसी मजबूत नेता थीं। उन्होंने पाकिस्तान से निपटने के लिए कठोर विदेश नीति अपनाई थी। दुर्भाग्यवश आज हाल बिल्कुल जुदा है।"
उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि हो सकता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बलूचिस्तान की मदद के लिए गांधी जी जैसे मजबूत बनकर सामने आएं।
नएला ने कहा कि बलूचिस्तान क्षेत्र में पाकिस्तान जनसंहार कर रहा है। उसकी बर्बरता जनसंहार के लिए संयुक्त राष्ट्र के आठ संकेतकों के अनुरूप है। विगत एक दशक में दो लाख बलूचियों की हत्या की गई है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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