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Sunday, 08 May 2016 08:20

मदर्स डे पर मां को दीजिए सेहतमंद जीवन

नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। महिलाएं अपने जीवन में अनेक भूमिकाएं अदा करती हैं, जैसे कामकाजी महिला, मां, पत्नी, बेटी और बहन। ये सभी भूमिकाएं निभाते हुए वे अपनी सेहत नजरअंदाज कर देती हैं। 18 साल की उम्र के बाद प्रत्येक महिला को सेहतमंद और रोगमुक्त रहने के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए।

मदर्स डे पर हर बेटी को अपनी मां को स्वस्थ्य जांच उपहार में देनी चाहिए और उन्हें अपनी सेहत का ध्यान रखने के बारे में जानकारी देनी चाहिए और जो ख्याल व संभाल उन्हें मिलनी चाहिए वह देनी चाहिए।

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि नियमित स्वास्थ्य जांच महिलाओं और मांओं के लिए बेहद जरूरी है, जो अक्सर अपना ख्याल रखना भूल जाती हैं।

उन्होंने कहा कि महिलाओं का शरीर हमेशा विकसित होता रहता है और खास कर बच्चे को जन्म देने के बाद हर्मोनल बदलाव की वजह से उन्हें बीमारी होने की संभावना होती है।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि देश में गर्भधारण के दौरान मौतों की संख्या काफी बढ़ गई है और गर्भधारण के बाद तनाव भी बढ़ रहा है। इसलिए 30 साल की उम्र के बाद हर महिला को बचाव के लिए स्वास्थ्य जांच और उनकी सेहत की संभाल के लिए परिवार कैसे मदद कर सकता है, इस बारे में जागरूक करना चाहिए।

गायनी जांच : 30 साल की उम्र के बाद महिलाओं को अपना सम्पूर्ण गायनी चेकअप, जिसमें मेन्युल पेल्विक चेकअप और स्तन जांच के साथ पैप स्मियर की जांच करवानी चाहिए। यह हर साल करवानी चाहिए।

हार्ट चेकअप : महिलाओं को तीसवें के बाद संपूर्ण हार्ट चेकअप जिसमें ब्लड प्रेशर, एलडीएल और एचडीएली कोलेस्ट्रॉल की जांच शामिल है, करवानी चाहिए। जिनके परिवार में पहले से दिल के रोग रहे हैं उन्हें अतिरिक्त जांच करवाने के लिए कहा जा सकता है। जिनका ब्लड प्रेशर सामान्य है, उन्हें इसकी जांच हर दो साल बाद करवानी चाहिए। कोलेस्ट्रॉल सामान्य हो तो हर पांच साल बाद जांच करवानी चाहिए।

थायरॉयड : अनडायरेक्टिक थॉयरायड, जिसकी जांच ब्लड टेस्ट से होती है, वजन बढ़ने की वजह बन सकता है। जबकि ओवरएक्टिव थॉयरायड ऑटोएम्यून रोग का संकेत दे सकता है। सभी महिलाओं को 35 साल की उम्र में थायरॉड की जांच करवानी चाहिए। अगर मूड, वजन, सोने की आदत और कोलेस्ट्रॉल में छोटी उम्र में अवांछित बदलाव आने लगे तो यह टेस्ट जल्दी करवाना चाहिए।

डायबिटीज टेस्ट : 40 साल उम्र के बाद महिलाओं को डायबिटीज का टेस्ट करवाना चाहिए। 45 साल की उम्र के बाद यह हर तीन साल बाद करवाना चाहिए। अगर महिलाओं का वजन ज्यादा हो या ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल ज्यादा हो या धूम्रपान करती हों या पहले परिवार में किसी को डायबिटीज रहा हो तो उन्हें इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अगर प्री-डायबिटिक हो तो हर साल या दो साल के बाद जांच करवानी चाहिए।

विटामिन डी टेस्ट : विटामिन डी हड्डियों की सुरक्षा करता है। यह डायबिटीज, दिल के रोगों और कुछ कैंसर से बचाता है और शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। यह पोषण आम तौर पर धूप सेंकने और फोर्टिफाइड डेयरी उत्पादों से मिलता है।

आजकल महिलाएं धूप से दूर रहती हैं, क्योंकि वह सूर्य की हानिकारक किरणों और रंग काला होने से बचती हैं। 80 से 90 प्रतिशत भारतीय विटामिन डी की कमी से पीड़ित हैं, क्योंकि जेनेटिक तौर पर और मूल रूप से शाकाहारी होने की वजह से भी वह इस कमी से पीड़ित होते हैं। ऐसे हालत में सप्लीमेनटेशन आवश्यक है।

बोन डेनसिटी टेस्ट : 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को बोन डेनसिटी टेस्ट करवा कर हड्डियों में कैल्शियम और मिनरल की जांच करवानी चाहिए। मीनोपॉज की वजह से होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण औरतें ओस्टिोपोरोसिस और ओस्टियो आर्थराइटिस की शिकार हो जाती हैं।

डॉ. अग्रवाल के अनुसार, हड्डियों को मजबूत रखने के लिए, नियमित एरोबिक व्यायाम, सेहतमंद व संतुलित आहार और आवश्यक धूप सेंकना बेहद जरूरी होता है।

--आईएएनएस
Published in फीचर
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Saturday, 07 May 2016 21:20

उप्र : प्रसव के दौरान नवजात की जांघ की हड्डी टूटी (फोटो सहित )

हमीरपुर, 7 मई (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव के दौरान सुविधा शुल्क न मिलने से झल्लाई एएनएम ने प्रसव के दौरान लापरवाही बरती। जोर जबरदस्ती में नवजात शिशु की दाहिनी जांघ की हड्डी टूट गई।

ग्राम मसगवां निवासी श्रवण की पत्नी सजनी को प्रसव वेदना होने पर गुरुवार की रात लगभग 11 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव के लिए भर्ती कराया गया। प्रसूता का पति श्रवण कुमार ने बताया कि अस्पताल में उसे स्वास्थ्यकर्मी कमलेश गुप्ता ने बताया गया कि डिलीवरी नार्मल हो जाएगी, लेकिन तीन हजार रुपये लगेंगे।

श्रवण के मुताबिक, जब उसने रुपये देने में असमर्थता जताई तो एएनएम बुरी तरह झल्ला गई। सुविधा शुल्क न मिलने से झल्लाई एएनएम ने प्रसव के दौरान लापरवाही बरती। जोर जबरदस्ती में नवजात शिशु के दाहिने पैर के जांघ की हड्डी टूट गई। फिर भी एएनएम को कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने उल्टे प्रसूता के परिजनों को ही दबाब में लेने का प्रयास किया। उसने खुद ही नवजात के पैर में पट्टी लपेट कर उसे परिजनों को सौंप दिया, और वहां से चलती बनी।

श्रवण का कहना है कि इस मामले में प्रसूता को अस्पताल लाने वाली आशा सावित्री की भूमिका भी संदिग्ध रही। क्योंकि सावित्री प्रसूता और उसके परिजनों से लापरवाही बरतने वाली एएनएम के खिलाफ किसी भी प्रकार की शिकायत न करने की चिरौरी करती देखी गई।

श्रवण ने इस संबंध में जब अपर सीएमओ से बात करनी चाही तो उनका मोबाइल रिसीव नहीं हुआ।

डिप्टी सीएमओ डॉ. आर.पी. वर्मा ने कहा यदि प्रसव के दौरान कोई लापरवाही की गई है, जिससे शिशु को नुकसान हुआ है तो एएनएम पर कार्रवाई की जाएगी।

श्रवण ने बताया कि कमलेश गुप्ता की राठ सीएचसी में नियुक्ति नहीं है। इसके बावजूद वह रोज रात वहां पहुंचकर प्रसव कराती है। वह पैसे वसूलती है और दबंगई से प्रसव कार्य करती है। इस सीएचसी में प्रसूताओं के परिजनों से प्रसव के नाम पर तीन से पांच हजार रुपये तक की वसूली खुलेआम होती है।

--आईएएनएस
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Saturday, 07 May 2016 20:10

स्मार्टफोन एप के आंकड़ों से पता चला दुनिया कैसे सोती है

न्यूयॉर्क, 7 मई (आईएएनएस)। दुनिया भर में 30 से 60 साल उम्र के बीच की महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा सोती हैं, जबकि मध्य आयु के पुरुष कम सोते हैं। यहां तक कि वे जरूरी सात घंटों से कम नींद लेते हैं। एक स्मार्टफोन एप के माध्यम से 100 देशों में किए गए अध्ययन से यह जानकारी मिली है।

मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जो लोग सूरज की रोशनी में कुछ समय रोजाना रहते हैं, वे बिस्तर में जल्दी जाते हैं और उनके मुकाबले ज्यादा नींद लेते हैं, जो सूरज की रोशनी में कम वक्त बिताते हैं।

इस दल ने एक मुफ्त एप की मदद से 100 देशों के हजारों लोगों की नींद के पैटर्न का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि सांस्कृतिक दवाब लोगों के शरीर की प्राकृतिक घड़ी को प्रभावित करता है, जिसका नतीजा सबसे ज्यादा बिस्तर पर नजर आता है।

सुबह के काम जैसे कार्यालय, घर, बच्चे, स्कूल आदि लोगों के जगने के समय पर गहरा असर डालते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद पर असर डालने के इनके अलावा कई अन्य कारण भी हैं।

मिशिगन विश्वविद्यालय की कॉलेज ऑफ लिटरेचर, साइंस एंड आर्ट्स के डेनियल फोर्जर का कहना है, "सभी देशों में यह देखा गया कि समाज ही हमारी नींद को निर्धारित करता है और देर से बिस्तर में जाने का नतीजा नींद में कमी के रूप में सामने आता है।"

गणित विभाग की डॉक्टोरल छात्रा ओलिविया वाल्स कहती हैं, "ज्यादातर लोग जितना समझते हैं, नींद उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर आप रात में छह घंटे भी नींद लेते हैं तो आप नींद की कमी से जूझ रहे हैं।"

हमारे शरीर के अंदर जैविक घड़ी होती है, जो हमारे सोने और जगने के समय को निर्धारित करती है। यह घड़ी चावल के दाने के आकार की होती है, जो आंखों के पीछे 20,000 न्यूरॉन्स का समूह होता है। यह प्रकाश के प्रति संवेदनशील होता है और खासतौर से यह सूरज की रोशनी के प्रति संवेदनशील होता है, जो हम अपनी आंखों से देखते हैं।

कुछ साल पहले इन्हीं शोधकर्ताओं ने एक एप जारी किया था, जिसका नाम 'एनट्रेन' था। यह मुसाफिरों को नए टाइम जोन में जाने पर उन्हें समायोजित करता था।

इस एप से मिले आकंड़ों से शोधकर्ताओं ने पाया कि सिंगापुर और जापान के लोगों के सोने का राष्ट्रीय औसतन सात घंटे 24 मिनट के आसपास है, जबकि नीदरलैंड के लोगों की नींद का औसत आठ घंटे 12 मिनट है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि हरेक आधे घंटे की नींद हमारे शरीर की प्रणाली और दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है।

वाल्स कहती हैं, "अगर आप लगातार ज्यादा दिनों तक नींद की कमी से जुझते हैं तो यह आपके शरीर पर गहरा असर डालता है।"

उनका कहना है कि लोग सोचते हैं कि कम नींद से उनकी कार्यक्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता, जबकि यह गलत है। वे जोर देकर कहती हैं, "आपकी कार्यक्षमता कम हो जाती है, लेकिन आपको उसका अहसास नहीं होता।"

--आईएएनएस
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Saturday, 07 May 2016 20:00

दक्षिण अफ्रीका में जीका के चौथे मामले की पुष्टि

सियोल, 7 मई (आईएएनएस)। दक्षिण कोरिया में अधिकारियों ने शनिवार को एक महिला को जीका विषाणु से संक्रमित होने के साथ ही देश में जीका के चौथे मामले की पुष्टि की। महिला हाल में विएतनाम से लौटी है। कोरिया सेंटर्स फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (केसीडीसी) ने शनिवार को यह जानकारी दी।

केसीडीसी ने कहा कि 25 वर्षीय महिला हो ची मिन्ह शहर में 10 से 30 अप्रैल के बीच काम कर एक मई को दक्षिण कोरिया लौटी थी।

वह थायराइड ग्रंथी के इलाज के लिए चार मई को इंचियोन शहर के एक अस्पताल में गई। उसे जोड़ों में दर्द व त्वचा पर चकत्ते की समस्या थी। चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे जीका विषाणु से संक्रमित होने की पुष्टि की।

केसीडीसी ने संदेह जताया है कि विएतनाम में ही उसे मच्छर ने काटा होगा, हालांकि मरीज की हालत स्थिर है।

स्वास्थ्य अधिकारी उस व्यक्ति में भी संभावित विषाणु की जांच कर रहे हैं, जो 13 अप्रैल से 17 अप्रैल के दौरान विएतनाम में उस महिला से मिला था।

दक्षिण कोरिया में जीका के मामलों की संख्या चार हो गई है।

देश में जीका का पहला मामला 22 मार्च को 43 वर्षीय एक व्यक्ति में सामने आया था।

जीका के अन्य मामले 27 अप्रैल तथा 29 अप्रैल को दो भाइयों में सामने आए, जिन्होंने एक साथ फिलीपींस का दौरा किया था।

--आईएएनएस
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Saturday, 07 May 2016 18:40

लंबे समय तक जीना चाहते हैं तो छरहरा बनें

न्यूयार्क, 7 मई (आईएएनएस)। अगर आप अपने शरीर को हमेशा छरहरा बनाए रखते हैं तो इस बात की काफी अधिक संभावना है कि उन लोगों की तुलना में आप ज्यादा समय तक जिंदा रहेंगे, जो बचपन से ही भारी शरीर वाले होते हैं और मध्य आयु में और ज्यादा भारी हो जाते हैं।

एक नए शोध में इसका खुलासा हुआ है। इसमें बताया गया है कि जिनका शरीर बचपन से ही भारी होता है वे मध्य आयु में और ज्यादा वजनी हो जाते हैं। उनके 15 साल कम जीने का खतरा होता है और ऐसा पुरुषों में 24.1 फीसदी और महिलाओं में 19.7 फीसदी होता है।

वहीं, जो लोग हमेशा छरहरे बने रहते हैं उनकी 15 साल पहले मरने की संभावना कम होती है। यह पुरुषों में 20.3 फीसदी और महिलाओं में 11.8 फीसदी देखी गई।

अमेरिका की हार्वर्ड विश्वविद्यालय की डॉक्टोरल छात्र मिंगयांग सोंग बताते हैं, "हमारे निष्कर्षो से वजन को काबू में रखने की सलाह को वैज्ञानिक औचित्य मिलता है। खासकर मध्य आयु में वजन को काबू में रखना चाहिए ताकि आप लंबे समय तक स्वस्थ रह सकें।"

इसके अलावा ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) भी मरने की संभावना को बढ़ा देता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि मोटापा दुनियाभर में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। इन निष्कर्षो से पता चलता है कि जीवन भर अपने वजन को काबू में रखने का महत्व पता चलता है।

यह शोध बीएमजे में प्रकाशित किया गया है। इस शोध में शामिल कोई भी प्रतिभागी धूम्रपान नहीं करता था।

--आईएएनएस
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Saturday, 07 May 2016 18:10

सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने के लिए कम खाएं

न्यूयार्क, 7 मई (आईएएनएस)। अगर आप कैलोरी के प्रति सचेत हैं और अतिरिक्त वजन घटाने के लिए स्वास्थ्यवर्धक भोजन ग्रहण करते हैं तो आपके खुश होने का एक और बड़ा कारण मिल गया है।

एक दिलचस्प शोध में यह पता चला है कि कम खाने से न सिर्फ लोगों को वजन कम करने में मदद मिलती है, बल्कि यह मूड को भी बेहतर बनाता है और तनाव को कम करता है, जिससे आपकी सेक्स लाइफ बेहतर होती है।

इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए लुइसियाना के पेनिंगटन बॉयोमेडिकल रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने 218 स्वस्थ वयस्कों का दो साल तक अध्ययन किया।

उन्होंने उन लोगों को दो समूहों में बांटा। एक समूह को 25 फीसदी कम कैलोरी ग्रहण करने को कहा गया। वहीं, दूसरे समूह को अपने सामान्य भोजन को लेने को कहा गया।

साइंसएलर्ट डॉट कॉम के मुताबिक शोधकर्ताओं में से एक कोर्बी मार्टिन ने पाया कि जिस समूह ने कम कैलोरी ली थी, उनकी सेक्स लाइफ बेहतर हो गई।

कम कैलोरी ग्रहण करने वाले समूह के लोगों की नींद बेहतर हुई और उनका वजन भी घट गया। मोटापे के शिकार लोग अगर कम कैलोरी लें तो उनकी नींद और उनकी यौन प्रणाली बेहतर होती है।

यह अध्ययन जामा इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं का कहना है, "हमारे शोध से पता चला है कि अगर स्वस्थ लोग दो साल तक कम कैलोंरी लें तो इससे उनके लिए उल्टे नतीजे आते हैं अत: यह केवल मोटापे से ग्रस्त लोगों पर ही लागू होता है।"

हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग बेहद कम भोजन करन ेवाले/वाली जीवनसाथी के साथ रहते हैं, उनके मोटापा कम करने की संभावना ज्यादा होती है।

न्यूसाउथवेल्स स्कूल ऑफ साइकोलॉजी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक आपके साथ भोजन करने वाला कितना खाना खाता है, यह आप पर गहरा असर डालता है। इसलिए कम खाने वालों के साथ रहने पर आप अपना वजन घटा सकते हैं और जीवनसाथी के साथ संबंधों को बेहतर कर सकते हैं।

यह प्रभाव पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा देखने को मिला है।

सोशल इंफ्लूएंस जर्नल में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, "इसका कारण यह है कि महिलाओं को इस बात की ज्यादा परवाह होती है कि भोजन के दौरान दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं।"

--आईएएनएस
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Saturday, 07 May 2016 17:50

मशहूर अमेरिकी तस्वीर में दिख रही महिला की बीमारी का पता चला

न्यूयॉर्क, 7 मई (आईएएनएस)। अमेरिका में एक न्यूरोलॉजिस्ट ने उस महिला की रहस्यमय बीमारी की गुत्थी सुलझा ली है, जो दुनिया की सबसे मशहूर तस्वीरों में से एक में दिखाई गई है।

न्यूयॉर्क में म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में टंगी तस्वीर 'क्रिस्टियानास वर्ल्ड' में एक खेत में एक युवती दिखाई गई है, जो भीषण गर्मी में एक फॉर्महाउस की तरफ एकटक देख रही है।

तस्वीर का विषय क्रिस्टियाना ओल्सन है, जो वेथ की अच्छी मित्र और पड़ोसी हैं।

जीवन भर वह युवती एक रहस्यमय बीमारी से पीड़ित रही, जिसने उसकी चलने-फिरने की क्षमता तो छीन ही ली, साथ ही बाद में वह हाथों के इस्तेमाल से भी महरूम हो गई।

मुश्किल भरे जीवन के बाद 74 वर्ष की आयु में उसकी मौत हो गई, लेकिन उसकी बीमारी के बारे में कभी पता नहीं चल पाया।

अब, उनकी हालत से संबंधित सबूतों के आधार पर मायो क्लिनिक के चाइल्ड न्यूरोलॉजिस्ट मार्क पैटरसन ने उनकी बीमारी का पता लगा लिया है।

उनके मुताबिक, उन्हें संभावित तौर पर चारकोट-मैरी-टूथ नामक बीमारी थी, जो परिधीय तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है, जिसके कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है।

डॉ.पैटरसन ने कहा, "यह एक अनोखा मामला था। यह तस्वीर मेरी पसंदीदा थी और क्रिस्टियाना की बीमारी एक चिकित्सकीय रहस्य था।"

--आईएएनएस
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Saturday, 07 May 2016 16:20

बड़े चिकित्सा उपकरणों का उपयोग नियंत्रित करेगा चीन

बीजिंग, 7 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। चीन में एक नए मसौदा कानून के तहत चिकित्सा संस्थान बगैर आधिकारिक मंजूरी के बड़े और भारी चिकित्सा उपकरण न तो स्थापित कर पाएंगे और न उसका उपयोग कर पाएंगे।

राज्य परिषद के विधायी मामलों के कार्यालय द्वारा प्रकाशित इस मसौदा के अनुसार, चिकित्सा उपकरणों की निगरानी संबंधित कानून में इस संधोधन का उद्देश्य चिकिस्ता संस्थानों द्वारा अपनी आय बढ़ाने के लिए चिकित्सा उपकरण के दुरुपयोग को रोकना है। फिलहाल यह मसौदा अभी पारित नहीं हुआ है।

मसौदे के अनुसार, चिकित्सा संस्थानों को बड़े चिकित्सा उपकरण स्थापित करने से पहले प्रांतीय स्तर पर या उससे ऊपर के स्वास्थ्य अधिकारियों से मंजूरी प्राप्त करनी होगी और प्रशासन उनके उपकरणों के उपयोग का मूल्यांकन और नियमन करेगा।

इस संशोधित मसौदे पर चार जून तक राय जताई जा सकती है।

--आईएएनएस
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Saturday, 07 May 2016 14:50

मणिपुर : मुख्यमंत्री ने बेसहारा महिला के लिए स्वास्थ्य सुविधा सुनिश्चित की

इंफाल, 7 मई (आईएएनएस)। तलाकशुदा महिला आर. के. तंफासना 2011 से बिस्तर पर हैं। अपने इलाज के लिए पैसे न होने के कारण अकेली और बेसहारा तंफासना ऐसे ही बेबस और लाचार जिंदगी काटने पर मजबूर थीं। लेकिन सोमवार को स्थानीय चैनल 'आईएसटीवी' पर उनकी कहानी प्रसारित होने के बाद अचानक स्थिति बदल गई। राज्य सरकार ने उनकी मदद के लिए अब कदम बढ़ाया है।

तंफासना कई सालों से अपने बेटे की शिक्षा के लिए उधार लेती रहीं और यह रकम 78,000 पहुंच चुकी है। उस पर उनका खराब स्वास्थ्य उनके लिए एक परेशानी बन चुका था। बीमारी के कारण उनके पैरों को काटने की नौबत आ गई है, लेकिन उसके लिए भी उनके पास पैसे नहीं हैं।

हालांकि उनके इस दुखद हालत ने यहां कई लोगों का दिल पिघला दिया और उन्होंने उनकी जांच के लिए चिकित्सकों को बुलवाया।

एक वरिष्ठ चिकित्सक ने आईएएनएस से कहा, "प्रारंभिक जांच के बाद हम उनका इलाज शुरू करेंगे। हम चाहते हैं कि उनके स्वास्थ्य में सुधार आए ताकि वह सामान्य जिंदगी बिता सकें।"

तंफासना की कहानी टेलीविजन चैनल पर प्रसारित हुई थी। उसमें कहा गया था कि उन्हें मणिपुर के समाज कल्याण मंत्री ए. मीराबाई से कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद सत्ता पक्ष हरकत में आया।

तंफासना की कहानी का एक राजनीतिक पहलू भी है। इंफाल में दो जून को होने जा रहे स्थानीय चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने इस मामले की राजनीतिक अहमियत समझी और शुक्रवार को यहां जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस(जेएनआईएमएस) के चिकित्सक तंफासना की जांच के लिए यहां से नजदीक टेरा में स्थित उनके घर पहुंचे।

मुख्यमंत्री मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष हैं, इसलिए इस मामले में उनका हस्तक्षेप स्वाभाविक है।

जेएनआईएमएस के निदेशक देवेन लैशराम ने कहा, "हम उनके ऑपरेशन, दवाइयों और पूरे इलाज का इंतजाम मुफ्त में करेंगे। अस्पताल केवल पैसे वालों के लिए ही नहीं होता।"

स्थानीय व्यापारी गीतचंद्र शर्मा ने तंफासना के परिवार के एक काबिल सदस्य को नौकरी देने का भी वादा किया है।

हालात बदलते देखकर तंफासना के परिवार को अब उम्मीद है कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो पाएंगी।

--आईएएनएस
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Saturday, 07 May 2016 12:50

स्पेन में मिला माइक्रोसेफेली का पहला मामला


मैड्रिड, 7 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। स्पेन में जीका वायरस संक्रमित एक महिला के भ्रूण में माइक्रसेफेली का पहला मामला सामने आया है, जिसकी पुष्टि स्पेन के कैटलन क्षेत्र में स्वास्थ्य अधिकारियों ने की।

यह महिला 20 सप्ताह गर्भवती है, जो लैटिन अमेरिका की यात्रा के दौरान जीका वायरस से संक्रमित हुई थी। स्पेनिश मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वह अपनी गर्भावस्था जारी रखना चाहती है।

स्पेन में अब तक 13 गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस की सूचना मिली है, लेकिन किसी महिला के संतान से जुड़ी यह पहली नकारात्मक खबर है।

कैटलन स्वास्थ्य प्रशासन ने वायरस फैलने की आशंकाओं के मद्देनजर गर्भवती महिलाओं को कैरीबियाई, लैटिन अमेरिकी तथा अफ्रीकी देशों की यात्रा टालने की सलाह दी है और उन्हें इस बारे में अवगत कराने को महत्वपूर्ण माना है।

स्पेन के स्वास्थ्य, सामाजिक सेवा और समानता मंत्रालय ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर वायरस के 105 मामलों की जानकारी दी है। साथ ही इस बात पर जोर डाला है कि प्रत्येक मामले में व्यक्ति को जीका संक्रमण विदेश यात्रा के दौरान हुआ है और अब तक देश में संक्रमण फैलने का कोई मामला सामने नहीं आया है।

--आईएएनएस
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