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Thursday, 02 June 2016 00:00

संभल कर लीजिए दवाइयाँ, ये अमृत और विष दोनों हो सकती हैं!

क्षितिज कुमार

बहुधा देखा गया है की रोज की व्यस्त दिनचर्या में हम अनेकों प्रकार की मानसिक यथा काम के बोझ , आजीविका की चिंता आदि और शारीरिक कष्टों यथा वातावरणीय प्रभाव से गुजरते रहते हैं इन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों  का असर कहीं न कहीं हमारे स्वस्थ्य पर जरूर पड़ता है !

अधिकतर व्यक्ति इनके द्वारा उत्पन्न विकारों जैसे डिप्रेशन, नींद न आना सिरर्दद, बवासीर, बुखार नजला खांसी पेट दर्द अपच इत्यादि से ग्रस्त रहते हैं ! अधिकतर समय इन विकारों से तुरंत  लाभ पाने के लिए किसी के द्वारा सुझाई गयी या टीवी में अख़बार में दिखाई गयी विभिन्न औषधियों का सेवन करने लगते हैं !

डॉक्टर या फार्मासिस्ट किसी की सलाह न लेकर खुद ही डॉक्टर  बन जाते हैं जो गलत ही नही खतरनाक भी है ! हर दवा का एक साइड इफ़ेक्ट होता है हर एक दवा की एक कार्यप्रणाली होती है जरुरी नहीं की जो दवा एक व्यक्ति को फायदा करे वह दुसरे को भी उतना ही फायदा करे, इस प्रकार बिना दवा के बारे में पूर्णरूपेण जाने बिना किसी जानकार व्यक्ति की सलाह लिए यदि दवा खाई जाती है तो हो सकता है की तात्कालिक रूप से तो लाभ प्रदान करें परन्तु बाद में कैंसर , मानसिक विक्षिप्तता , नपुंसकता आंत की खराबी इत्यादि जैसे गंभीर विकारों को शरीर में उतपन्न करतें हैं !

इन सब से बचने के लिए हमें उचित सलाह की जरुरत होती है जो दवाओं के बारें में जानकारी रखने वाला ही बता सकते हैं ! जैसे डॉक्टर या फार्मासिस्ट, फार्मासिस्ट हर मेडिकल स्टोर, फार्मेसी पर उपलब्ध होते हैं जो की आपको दवाओं के बारे में पूरी और सही जानकारी दे सकतें हैं !

यहाँ ध्यान देने योग्य ये बात है की कई मेडिकल स्टोर सरकार की आँखों में धूल झोंककर गैर फार्मासिस्ट मेडिकल चला रहे हैं अतः ये सही जानकारी नहीं दे सकतें हैं केवल फार्मासिस्ट वाले मेडिकल स्टोर या फार्मेसी से ही दवा लें क्यूंकि वहीँ सही सलाह व पूरी जानकारी मिल सकती है.

अपने व अपने परिवारवालों के स्वस्थ्यहित को देखते हुए दवा हमेशा सही सलाह व पूरी जानकारी के साथ ही खाएं याद रखें सही सलाह और सही इस्तेमाल पर वही दवा अमृत है तो गलत सलाह और अधूरी जानकारी के साथ लेने पर यह जहर भी हो सकती है I

(लेखक क्षितिज कुमार मास्टर ऑफ़ फार्मेसी प्रोफेशनल हैं और वर्तमान में प्रो इंडिया नामक फार्मासिस्ट संगठन से जुड़े है)

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Wednesday, 25 May 2016 00:00

डॉ. नरिन्दर सिंह का नाम यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में 400 मीटर रिले अंडरवाटर साइक्लिंग के लिए हुआ दर्ज

नई दिल्ली: 24 मई/ स्वास्थ्य मुद्दों पर काम कर रही संस्था स्वस्थ भारत और इसके ब्रांड अम्बेसडर एवरेस्टर डॉ. नरिन्दर सिंह का नाम यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में 400 मीटर रिले अंडरवाटर साइक्लिंग के लिए दर्ज हो गया है। इसकी जानकारी विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली अंडर वाटर साइक्लिंग टीम के सहयोगी सदस्य धीप्रज्ञ द्विवेदी ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में दी।

इंडियन वूमेंस प्रेस कॉर्प्स में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में धीप्रज्ञ द्विवेदी ने बताया कि यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड में हाल ही में इस कारनामे के लिए उनके टीम के विश्व रिकॉर्ड की पुष्टि की है। साथ ही एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स भी इसके एशिया रिकॉर्ड होने की पुष्टि कर चुका है। धीप्रज्ञ के अलावा इस विश्व रिकॉर्डधारी टीम के दो अन्य सदस्य पंजाब पुलिस में एएसआई दलजिंदर सिंह और पूर्व मि. इंडिया (बेस्ट फिजिक) परमजीत सिंह भी संवादाता सम्मेलन में मौजूद थे। यह विश्व रिकॉर्ड एक टीम के तौर पर 400 मीटर की रिले अंडरवाटर साइक्लिंग पूरी करने तथा समुद्र में 5 मीटर (16.4 फीट) की गहराई में साइकिल चलाने के लिए दर्ज किया गया है।

इस टीम के आठ सदस्यों ने 50-50 मीटर अंडरवाटर साइक्लिंग कर 400 मीटर का लक्ष्य हासिल किया था। इस कारनामे के लिए टीम के सभी सदस्यों, डॉ. नरिन्दर सिंह (टीम लीडर), दलजिंदर सिंह, परमजीत सिंह, रामलाल, कीथ फर्नांडिस, जेसन फर्नांडिस, ऑरोन फर्नांडिस और विनेलन लुइस का नाम भी यूनिक विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। साथ ही टीम के लीडर के तौर पर स्वस्थ भारत के ब्रांड अंबेसडर एवरेस्टर डॉ. नरिन्दर सिंह का नाम अलग रिकॉर्ड के तौर पर दर्ज किया गया है।

डॉ नरिन्दर सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में भेजे अपने संदेश में कहा कि हम अपनी टीम की इस उपलब्धि से खुश हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, बाल लिंगानुपात में कमी, मिसयूज ऑफ एंटीबायोटिक, ड्रग्स फ्री पंजाब, नो योर मेडिसन, सहित स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक रहने का संदेश देने के मकसद से की गयी इस अंडरवाटर साइक्लिंग रिले को यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में स्थान मिलने से हम युवाओं का उत्साह बढ़ा है। लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने की अपनी मुहिम को हम जारी रखेंगे।

स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि स्वास्थ्य जागरूकता एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। देश की जनता को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना बहुत जरूरी है। इसी संदर्भ में स्वस्थ भारत की एड्वेंचर टीम इस तरह के आयोजन करती रही है और आगे भी स्वास्थ्य, सेवा और साहस के मूल मंत्र के साथ देश को स्वस्थ बनाने की दिशा में प्रयासरत रहेगी।

अंडरवाटर साइक्लिंग टीम के सदस्य दलजिंदर सिंह ने पंजाब में ड्रग्स की स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि पंजाब के युवा ड्रग्स की लत से जूझ रहे हैं। पंजाब को ड्रग्स फ्री करने के लिए पंजाब के युवाओं को आगे आना होगा। वहीं हरियाणा के परमजीत सिंह ने कहा कि हरियाणा का लिंगानुपात अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है। यह ठीक नहीं है। ऐसे में हरियाणा के लोगों को बेटियों को बचाने के लिए आगे आना होगा। युवाओं को समझना होगा कि स्वस्थ समाज के लिए बेटियों का होना और स्वस्थ रहना कितना जरूरी है। स्वतंत्र पत्रकार शशिप्रभा ने कहा कि इस तरह के अभियान से निश्चित ही समाज में परिवर्तन आयेगा लेकिन इसके लिए थोड़ा समय और थोड़े और प्रयास की जरूरत है।

गौरतलब है स्वस्थ भारत ट्रस्ट के बैनर तले गोवा के ग्रांडे आइलैंड के समुद्र तल पर उतरकर पिछले 6 जनवरी- 2016 को स्वस्थ भारत की एड्वेंचर टीम ने डॉ. नरिन्दर सिंह की अगुवाई में अंडरवाटर रिले साइक्लिंग की थी। स्वस्थ भारत पिछले चार वर्षों से स्वास्थ्य चिंतन की धारा को तीव्र करने का काम कर रहा है। इसके लिए तमाम मध्यमो से जगरूकता लाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

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Saturday, 21 May 2016 00:00

फार्मा प्रैक्टिस रोक सकती है चिकित्सा की गलतियों को

फार्मा प्रेक्टिस पर खरी न्यूज की पड़ताल की पहल से देश में लगातार फार्मा क्लिनिक और ड्रग इनफार्मेशन सेंटर खुलने शुरू हो गए है। प्रांतीय फार्मासिस्ट असोसिएशन की फार्मा प्रेक्टिस पर सकारात्मक पहल पर खरी न्यूज की फार्मा प्रेक्टिस पर जारी पड़ताल में कई नए तथ्य सामने आये हैं।

विकसित देशों में फार्मेसी प्रेक्टिस अपने उच्चतम स्तर पर है, इसलिये वहाँ झोलाछाप चिकित्सा पद्धति विलुप्त है। दवा माफिया की पैंठ वहां नगण्य है। नुकसान प्रद दवाये वहाँ सबसे पहले बेन होती है। दवाओँ के हानिकारक प्रभाव नगण्य है साथ ही दवाये सस्ती और आसानी से आम लोगो की पहुंच में है।

इसके उलट भारत में फार्मेसी प्रेक्टिस प्रचलन में न होने से पुरे स्वास्थ्य विभाग का रिमोट दवा माफ़ीया के हाथ में है। वे दवाये जो दवा माफिया द्वारा दुनिया में बेन होंने के कारण नष्ट करना होता है वे सारी भारत में दवा कम्पनीयो, फर्ज़ी चिकित्सक और फर्ज़ी केमिस्ट की जुगलबन्दी के चलते भारत में बड़ी आसानी से खपा दी जाती है। इससे होने वाले अवेध मुनाफे का हिस्सा बाकयदा औषधि विभाग के आला अफसर ठीक उसी प्रकार बांटते है जैसे शराब व्यवसाय का हिस्सा बंटता है।

इस मेडिकल टेररिज़्म का भारत में एक ही तोड़ है, विकसित देशों के समान "विकसित और वैज्ञानिक फार्मेसी प्रेक्टिस" ।

फार्मा प्रेक्टिस स्थल अर्थात फार्मा क्लिनिक पर फार्मासिस्ट मरीजो को कुछ विशिष्ट विश्वसनीय सुविधा उपलब्ध कराता है जैसे दवा की सही मात्रा का निर्धारण, दवाओँ के युग्मिक प्रभाव, प्रतिकूल प्रभाव से बचाव, दवा की विश्वसनीय ब्रांड, दवा खर्च में कमी, चिकित्सकीय गलती की जाँच आदि।

भारत जैसे देश में जहां चिकित्सक और रोगी की संख्या में बहुत बड़ा आनुपातिक अंतर है जिससे प्रति चिकित्सक को एक बड़ी संख्या में उपचार करना पड़ता है और चिकित्सकिय गलतियो की सम्भावना अधिक होती है। ऐसे में फार्मा क्लिनिक की सेवाओ की बड़ी आवश्यकता है।

प्रांतीय फार्मासिस्ट एसो के प्रदेश प्रवक्ता श्री विवेक मौर्य खरी न्यूज की पड़ताल शाखा के मार्गदर्शक भी हैं। जो देश में फार्मा प्रेक्टिस को प्रचलित करने के  लक्ष्य को लेकर खरी न्यूज को निरन्तर सहयोग दे रहे है।

फार्मेसी प्रैक्टिस को लेकर खरी न्यूज की पहल चर्चा का विषय बनी हुई है। जल्द ही कुछ नये तथ्यों से अवगत कराने के लिये पड़ताल जारी है।

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Sunday, 15 May 2016 00:00

नागपुर में राष्ट्रीय फार्मासिस्ट अधिवेशन में "ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट फार्मासिस्ट असोसिएशन" का गठन

नागपुर: 15 मई/ देश भर से फार्मासिस्ट प्रतिनिधियों ने नागपुर में दीक्षाभूमि क्षेत्र में आयोजित हुये राष्ट्रिय अधिवेशन में बड़े जोर शोर से भाग लिया।
जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश समेत देश के लगभग 20 राज्य इस अधिवेशन में शामिल रहे है।

फार्मासिस्ट के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई एवम् राष्ट्रीय स्तर पर समस्याओं व् उनके हल को लेकर एकमत से सभी प्रतिनिधियों ने मिलकर एक कॉमन लक्ष्य तय किया जिसमे फार्मेसी एक्ट में बदलाव, नेशनल हेल्थ मिशन के फार्मासिस्ट को नियमित व् अधिकार सम्पन्न बनाना,

चिकित्साधिकार, सभी राज्य में फार्मासिस्ट का समान वेतनमान प्रमोशन एवम् केडर निर्माण आदि शामिल है।

कॉमन लक्ष्यपूर्ति हेतु एक मत से ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट फार्मासिस्ट असोसिएशन का गठन हुआ है।

कर्नाटक से रवि पांचाल को इसका कार्यकारी अध्यक्ष व् जम्मू कश्मीर से कार्यकारी सचिव तथा मध्यप्रदेश का नेतृत्व कर रहे प्रान्तिय फार्मासिस्ट एसो के प्रदेश अध्यक्ष अम्बर चौहान और प्रवक्ता विवेक मौर्य को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशिष्ट सदस्य चुना गया है।

खरी न्यूज को प्राप्त जानकारी के अनुसार इस अधिवेशन में फार्मासिस्ट की राष्ट्रीय समस्या को लेकर राष्ट्रिय टीम द्वारा दूरगामी निर्णय लिये जायेंगे।

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Saturday, 14 May 2016 00:00

नागपुर में राष्ट्रीय फार्मासिस्ट अधिवेशन आज से शुरू

नागपुर/ पुरे देश भर से फार्मासिस्ट प्रतिनिधि आज नागपुर में एकत्र हो रहे है। दीक्षाभूमि क्षेत्र में आयोजित हो रहे राष्ट्रिय अधिवेशन में  जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश समेत देश के लगभग 20 राज्य इस अधिवेशन में शामिल हो रहे है।

मध्यप्रदेश का नेतृत्व कर रहे प्रान्तिय फार्मासिस्ट एसो के प्रदेश प्रवक्ता विवेक मौर्य ने खरी न्यूज को कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि इस अधिवेशन में फार्मासिस्ट की राष्ट्रीय समस्या को ले कर राष्ट्रिय टीम गठित की जायेगी और दूरगामी निर्णय लिये जायेंगे।

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Friday, 13 May 2016 00:00

बिना प्रशिक्षण फार्मासिस्ट लगाये टांके, उज्जैन में जारी अजीबोगरीब आदेश

उज्जैन: 13 मई/ फार्मासिस्ट द्वारा टांके न लगाना, ड्रेसिंग न करना आदि का कार्य लापरवाही माना जाएगा। गत माह उज्जैन के सिविल सर्जन द्वारा यह हैरतअंगेज आदेश दिया है।

उससे बड़ी हैरत तो यह है कि फार्मेसी के कोर्स में न तो इसकी पढ़ाई या प्रशिक्षण है न ही कहीं बाद में इनको इस कार्य का प्रशिक्षण दिया गया है।

बहरहाल खरी न्यूज ने इसकी पड़ताल शुरू कर दी है। सूचना के अधिकार के तहत खरी न्यूज ने उक्त कार्यालय से इस आदेश को जारी करने का आधार पूछा है।

प्रांतीय फार्मासिस्ट एसो. म प्र के प्रदेश प्रवक्ता विवेक मौर्य ने इस आदेश को हास्यास्पद करार देते हुये चुटकी ली कि जिस हिसाब से बिना किसी आधार के मनचाहे आदेश जारी कर रहे है कल कोई अधिकारी अब फार्मासिस्ट को मन्दिर में पूजा करने और करवाने का आदेश जारी न कर दे

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Friday, 29 April 2016 00:00

फिर मिली नशे की खेप, ड्रग इंस्पेक्टरों ने प्रदेश को बनाया नशीली और नकली दवाओं का हब

भोपाल: 29 अप्रैल/ प्रदेश में लगातार नशिली दवाओँ की बड़ी बड़ी खेप बरामद हो रही है। वहीँ दूसरी और आला अधिकारी भी उन्ही दवाओ की तसकरी से होने वाली अवेध आय से मिलने  वाले  हिस्से के नशे में धुत हैं। ड्रग माफ़ीया इन बेसुध जिम्मेदारो की नाक के नीचे से दवाओं  के  ट्रक भर के बंग्ला देश तक पहुंचा दे रहे हैं। विगत दिवस रीवा में ट्रक पलटा तो टाइल्स के बीच नशीली दवा का जखीरा मिला।

टाइल्स की आड़ में तस्करी कर दूसरे प्रांतों तक पहुंचाई जा रही नशीली दबा का बड़ा जखीरा बुधवार को पुलिस के हाथ लगा है। सिरमौर थानाक्षेत्र के शाहपुर गांव के पास हादसे का शिकार होकर पलटे ट्रक ट्रक क्रमांक एमपी 09 एचजी 1335 से पुलिस को टाइल्स के बीच छुपा कर रखी गईं नशीले कफ सिरप की 40 लाख रुपए कीमती 40 पेटियां मिली हैं। यह ट्रक इंदौर से नशीली दवा लेकर कलकत्ता जा रहा था। हादसे के बाद ट्रक ड्राइवर व अन्य लोग फरार हो गए। जबकि ट्रक के क्लीनर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। मामले की तह तक पहुंचने उससे पूछताछ की जा रही है. थाना प्रभारी पवन शुक्ला के मुताबिक कफ सिरप का बड़ा जखीरा मिलने की सूचना तुरंत एसडीओपी सिरमौर और पुलिस कप्तान को दी गई। जिसके बाद वे मौके पर पहुंचे और खलासी से पूछताछ कर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। पुलिस ट्रक चालक की तलाश के साथ ही ट्रक मालिक और इंदौर के ट्रांसपोर्टर के संबंध में भी पता कर रही है।

हर पेटी की कीमत एक लाख रुपए

जब्त की गई कफ सिरप की ट्रक में 40 पेटी में रखी हुई थीं। बताया जा रहा है कि उसका प्रिंट रेट 109 रुपए प्रति शीशी लिखा हुआ है। इस हिसाब से हर पेटी की कीमत करीब एक लाख रुपए है और 40 लाख रुपए की कफ सिरप ट्रक में भरी हुई थी। जब्त की गई सिरप सर्दी, जुखाम के मरीजों के लिए डॉक्टर के परामर्श पर दी जाती है, लेकिन नशे की शौकीन इसका उपयोग नशे के लिए करते हैं। जिसके चलते इसकी तस्करी हो रही है। इससे पहले भी चोरहटा थाना क्षेत्र से कफ सिरप की बड़ी खेप पुलिस बरामद कर चुकी है।

टाइल्स की आड़ में कफ सिरप की तस्करी

बताया गया है कि ट्रक में बड़ी चालाकी से कफ सिरप की पेटियां तस्करों ने टाइल्स की की पेटियों के नीचे छिपाकर रखी थीं। यह मामला तब सामने आ गया जब शाहपुर में ट्रक पलट गया और कफ सिरप की पेटियां सड़क पर बिखर गईं। यदि ट्रक हादसे का शिकार न होता तो तस्कर नशीली दवा को मुकाम तक पहुंचाने में कामयाब हो जाते।

लगातार मिल रही है अवेध दवाएं

पीथमपुर की फैक्ट्री से भी जब्त हुई थी 47 करोड़ की ऐफेट्रीन। ज्ञात हो कि मंगलवार को ही पुलिस ने इंदौर के पीथमपुर इलाके की एक फैक्ट्री पर रेड डालकर रेव पार्टियों में उपयोग होने वाली प्रतिबंधित ऐफेट्रीन नामक नशीनी दवा की बड़ी खेप बरामद की है। इस दवा का अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य 47 करोड़ आंका गया है। अब जिले में इंदौर से ले जाई जा रही नशीली दवा की खेप पकड़ी गई है। जिससे यह तो तय है कि अधिकांश नशीली दवाओं की तस्करी इंदौर की फैक्ट्रियों से की जा रही है।

कफ सिरप जब्त की गई है। उसकी कीमत लगभग 40 लाख है। खलासी को गिरफ्तार कर लिया गया है। जबकि ट्रक चालक सहित मालिक और दवा लोड कराने वाले के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। कारोबारियों तक पहुंचने के लिए जांच की जा रही है। पुलिस इंदौर जाकर मामले की और जांच करेगी। जो भी लोग इस कारोबार से जुड़े हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
संजय कुमार सिंह, एसपी, रीवा

ड्रग माफिया और औषधि प्रशासन ने आपस में गठजोड़ कर लिया है, बिना प्रशासन के सहयोग से इतना बड़े स्तर पर नशीली और नकली दवा की तस्करी सम्भव नही।
अम्बर चौहान
अध्यक्ष, प्रान्तीय फार्मासिस्ट एसो.

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अलवर: 25 अप्रैल/ अलवर जिले के दवा विक्रेताओं की इन दिनों खूब चांदी है नियम कानून तक पर रख एक तरफ सरकार  ने फार्मासिस्ट की अनिवार्यता सम्बंधित कानून में ढील दे रखी है दूसरे तरफ कई दवा विक्रेता थोक के लाइसेंस लेकर खुदरा दवा का व्यापार कर रहे है !

एक आंकडे के मुताबिक अलवर जिले में दवा दुकानों की संख्या १४७६ है जिसमे ८६८ थोक दवा के लाइसेंस दिए गए है ! फार्मेसी जाग्रति संस्थान राजस्थान के जिलाध्यक्ष और फार्मा एक्टिविस्ट हिरा सिंह चौधरी ने जो दस्तावेज़ आरटीआई से हासिल  किये है वह अत्यन्त चोंकाने वाले है ! हीरासिंह चौधरी ने खरी न्यूज़ को दिए एक साक्षत्कार में खुलासा किया की कई फार्मासिस्ट देश से बाहर है पर उनके नाम पर अलवर में दवा दुकान चल रही है ! कई नर्शिंग होम और निजी अस्पतालों को डिस्ट्रीब्यूटर बगैर किसी बिल गैरकानूनी रूप से  दवा की खेप खपा रहे है ! हिरा ने आरोप जड़े की  ज्यादातर दवा दुकानों में फार्मासिस्ट की जगह गैर प्रशिक्षित लोग काम करते है ड्रग इंस्पेक्टर का काम केवल वसूली करना रह गया है !

यह कोई ताज़ा मामला नहीं है इससे पहले भी ड्रग डिपार्टमेंट की कारगुज़ारियों की पोल हिरा सिंह चौधरी ने खोली है बार बार शिकायत करने के वावजूद अबतक कोई कारगर पहल नहीं हुई है !

हिरा सिंह चौधरी ने एडीसी पर कई तरह के गम्भीर आरोप जड़े है हिरा के मुताबिक एडीसी दवा दुकानों पर करवाई के नाम पर नोटिस भेज कर महज़ दिखावे के लिए करवाई का ढोंग करते है जबकि दवा दुकानदार लाइसेंस ससपेंड होने के बाद भी बेधड़क अपना कारोबार करते रहते है ! नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ दवा कारोबारियों ने बताया की अगर किसी दुकानदार के यहाँ छापेमारी होती है तो ड्रग डिपार्टमेंट भले लाइसेंस ससपेंड कर दे पर दुकान पूर्वरत चलाने के लिए दो से लेकर पांच हज़ार रूपये का नजराना देना होती है !

ड्रग लाइसेंस में खुलेआम चलता है रिस्वतखोरी का खेल

फार्मा एक्टिविस्ट विनय कुमार भारती ने हिरा सिंह चौधरी और उनकी  टीम का समर्थन करते हुए कहा है की अलवर जिले के सभी ड्रग इंस्पेक्टर और एडीसी पूरी तरह भ्रस्टाचार में डूबे हुवे हैं ! भारती बताते है की ड्रग लाइसेंस बनने हेतु सारी कागज़ी करवाई कचहरी के दलाल के जिम्मे है जो शुरुआत से लेकर लाइसेंस बनने का काम खुद करते है ! एक ड्रग लाइसेंस के एवज़ में बीस से पच्चीस हज़ार तक की रिस्वत दलालों के जरिये ही ली जाती है ! अगर कोई फार्मसिस्ट सीधे ड्रग ऑफिस से संपर्क करता है तो ड्रग इंस्पेक्टर दलाल का नंबर थमा देते है ! विनय कुमार भारती ने अधिकारीयों को चेतावनी देते हुवे अपनी हरकतों से बाज़ आने को कहा है !

Sunday, 24 April 2016 00:00

सात साल की सजा फार्मेसी एक्ट के उलन्घन पर

नई दिल्ली: 24 अप्रैल/ फार्मेसी एक्ट में बदलाव की मांग कर रही प्रांतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन की मांग पर पीसीआई से जल्द फार्मासिस्ट को अच्छी खबर मिल सकती है।

ज्ञात हो कि प्रांतीय फार्मा एसोसिएशन ने पिछले माह पीसीआई समेत प्रधानमंत्री व् स्वास्थ्य मंत्री से फार्मेसी एक्ट में PNDT एक्ट के समान परिणाम प्रद बदलाव लाने की मांग की थी, साथ ही मांग न माने जाने पर देश व्यापी आंदोलन की चेतावनी भी दी थी।

यदि बदलाव एसोसिएशन के मुताबिक होते है तो फार्मेसी एक्ट तोड़ने वालो की शामत आ जायेगी क्योंकि मांग में एक्ट के उलन्घन पर 7 वर्ष के कठोर कारवास की सजा, 5 लाख रुपये जुर्माना और सूचना देने वालों को 1 लाख का नगद इनाम का प्रावधान है।

सूत्र बताते है कि इस दिशा में तेजी से कार्य चल रहा है। जल्द ही प्रस्ताव बना कर सरकार की मन्जूरी हेतु भेजा जा सकता है।

एसोसिएशन के अध्यक्ष अम्बर चौहान के अनुसार अगर फार्मेसी एक्ट में बदलाव आता है तो भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा और भारत में स्वास्थ्य सुविधा विकसित देशों के समान उपलब्ध हो सकेंगी।

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Tuesday, 19 April 2016 00:00

चिकित्सकों को नही Dr. लिखने का अधिकार

भोपाल: 19 अप्रैल/ सदियो से अपने नाम के पूर्व डॉ. उपसर्ग का प्रयोग होता आ रहा है, लेकिन खरी न्यूज की पड़ताल से यह तथ्य सामने आया है कि वास्तव में चिकिसकों को यह अधिकार तो है ही नही।

डॉ उपसर्ग का प्रयोग करने की पात्रता नियमानुसार सिर्फ पीएचडी धारको को ही है, अन्य किसी को नही।

MBBS सहित विभिन्न पैथियों जैसे आयुर्वेद, होमियो, यूनानी के चिकित्सक ही नही बल्कि फिसिओथेरेपी इलेक्ट्रोहोमियोपेथ, वैध विशारद तक अपने नाम के साथ डॉ शब्द का उपसर्ग के रूप में खुलेआम प्रयोग करते है।

प्राप्त जानकारी और पड़ताल के साथ अभी तक कोई ऐसा प्रपत्र सामने नही आया जिससे चिकित्सक अपने नाम के पूर्व डॉ शब्द का प्रयोग कर सके।

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