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तापमान वृद्धि का कीटनाशकों के प्रभाव पर असर

न्यूयॉर्क, 1 दिसम्बर (आईएएनएस)। पर्यावरण पर ग्लोबल वॉर्मिग का असर कई तरीके से सामने आया है। यहां तक कि मच्छरों को भगाने के लिए इस्तेमाल में लाए जा रहे कीटनाशकों के प्रभाव पर भी इसका असर पड़ता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है।

मोंटाना स्टेट युनिवर्सिटी के दो शोधकर्ता व स्नातक छात्र शेवन व्हाइटेन व रॉबर्ट पीटरसन ने अपने शोध में यह पाया है कि तापमान बढ़ने से कीटनाशक पर्मीथ्रिन, पीत ज्वर (येलो फीवर) के मच्छरों का नाश करने में कम प्रभावी हो जाता है।

ये मच्छर लोगों में डेंगू, पीत ज्वर व अन्य बीमारियों के कारण बनते हैं।

व्हाइटेन ने कहा, "कई इलाकों में जहां इन कीटनाशकों का इसका इस्तेमाल हो रहा है, वहां तापमान में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया है।"

शोधकर्ताओं ने पर्मीथ्रिन की विभिन्न सांद्रता व विभिन्न तापमान से मच्छरों का सामना कराया।

उन्होंने मच्छरों की मौत व तापमान में व्युत्क्रमानुपाती क्रम पाया, मतलब तापमान बढ़ने पर मच्छर की मौत में कमी, और तापमान घटने पर मच्छरों की मौत में वृद्धि देखी गई।

शोधकर्ताओं ने कहा कि मच्छरों के नियंत्रण के प्रयास में लगे लोगों को कीटनाशक नियंत्रण उत्पाद चुनते समय तापमान को ध्यान में रखना चाहिए।

यह अध्ययन पत्रिका 'मेडिकल एंटोमालॉजी' में प्रकाशित हुआ है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • ताइवान में डेंगू मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट
    ताइपे, 3 जनवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। ताइवान में पिछले दो सप्ताह के दौरान दैनिक आधार पर दर्ज किए गए डेंगू के नए मरीजों की संख्या 100 से कम रही। ताइवान के डेंगू रोकथाम कार्यालय ने रविवार को बताया कि शनिवार को डेंगू बुखार से ग्रस्त 23 नए मरीज पाए गए।

    ताइवान में बीते वर्ष मई से डेंगू का प्रकोप जारी है और काओशियुंग, ताइनान और दक्षिणी शहरों में अधिकतर डेंगू मरीज पाए गए। शनिवार को काओशियुंग में डेंगू के 22 नए मरीज पाए गए, जबकि ताइनान में सिर्फ एक मरीजा मिला।

    डेंगू रोकथाम कार्यालय ने शनिवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि काओशियुंग में पिछले पांच सप्ताह से लगातार नए डेंगू मरीजों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। शनिवार तक ताइवान में डेंगू के मरीजों की कुल संख्या 43,259 पहुंच गई।

    मंगलवार को जारी किए गए साप्ताहिक आंकड़े के मुताबिक, मई के बाद से अब तक डेंगू के कारण ताइवान में 212 लोगों की मौत हो चुकी है।

    डेंगू के प्रकोप में गिरावट तो जरूर दर्ज की गई है, लेकिन डेंगू रोकथाम कार्यालय ने लोगों को पूरी सावधानी बरतने और बचत के सभी उपाय अपनाने के लिए कहा है।

    ताइवान में अक्सर डेंगू का प्रकोप आता रहा है, लेकिन बीते कई वर्षो में इस बार स्थिति सबसे खराब रही। पिछले वर्ष ताइवान में डेंगू मरीजों की संख्या 15,732 दर्ज की गई थी जबकि 28 लोगों की डेंगू के कारण मौत हुई थी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • नेपाल के मधेसी मोर्चे में फूट नहीं : महतो (लीड-1)
    काठमांडू/नई दिल्ली 3 जनवरी (आईएएनएस)। गुड़गांव के एक अस्पताल में अपनी चोटों का इलाज करा रहे नेपाल की सद्भावना पार्टी के अध्यक्ष राजेंद्र महतो ने रविवार को इस बात का सख्ती से खंडन किया कि नेपाल में नए संविधान के प्रावधानों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे चार दलों के संयुक्त लोकतांत्रिक मधेस मोर्चे में फूट पड़ गई है।

    महतो का यह बयान काठमांडू से आई उन मीडिया रपटों के बाद आया है, जिनमें कहा गया है कि चार महीने से नेपाल के तराई क्षेत्र में मधेस समुदाय के लिए संविधान में समानुपातिक प्रतिनिधित्व और राज्यों के फिर से सीमांकन के लिए लड़ रहे मोर्चे में फूट पड़ गई है। इसकी वजह यह है कि राजेंद्र महतो के नेतृत्व वाली सद्भावना पार्टी ने अपना आंदोलन अलग से चलाने का फैसला किया है।

    दिल्ली के पास गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती महतो ने आईएएनएस से कहा, "मधेसी मोर्चा एकजुट है और एकजुट रहेगा। इसका बीते चार महीने से चल रहा संघर्ष जारी रहेगा।"

    महतो 26 दिसंबर को बिराटनगर में पुलिस से झड़प में घायल हो गए थे। मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।

    महतो ने कहा, "हमारा संघर्ष ऐतिहासिक है। हम अपना लक्ष्य हासिल करेंगे..अपनी वाजिब मांगें पूरी होने तक हमने अपना आंदोलन जारी रखने की तैयारी की हुई है।"

    महतो ने कहा कि पहले से तय आंदोलन का कार्यक्रम बदला नहीं जाएगा। उन्होंने नेपाली मीडिया में आई इन खबरों को गलत बताया कि उन्होंने इसमें बदलाव की सलाह दी है।

    काठमांडू से मिली मीडिया रपट में कहा गया था कि सद्भावना पार्टी ने रविवार को कहा कि वह प्रदर्शन में मारे गए लोगों की याद में प्रार्थना सभा, अनशन, हस्ताक्षर अभियान और सोशल मीडिया के जरिए मधेसी आंदोलन को अंतर्राष्ट्रीय रूप देने जैसे अहिंसक उपायों का सहारा लेगी।

    महतो ने कहा कि उन्होंने मधेसी प्रदर्शनकारियों के सामने इन गतिविधियों की बात धारन के बी.पी.कोईराला इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंस में भर्ती रहने के दौरान ही कही थी। इसका मकसद हमारे आंदोलन को एक शांतिपूर्ण रंग देना था।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • ईरान पर प्रतिबंध के फैसले में अभी लगेगा वक्त : अमेरिका
    वाशिंगटन/तेहरान, 3 जनवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। ईरान द्वारा पिछले महीने किए गए बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण की खबरें सामने आने के बाद अमेरिका फिलहाल उस पर किसी किस्म का प्रतिबंध लगाने में सर्तकता बरत रहा है।

    व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉश अर्नेस्ट ने शनिवार को मीडिया से कहा, "ईरान का बैलिस्टिक मिसाइल अभियान पिछले कई साल से चिंता का विषय रहा है।" उन्होंने कहा कि अमेरिका, ईरान के मिसाइल अभियान से निपटने के लिए साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ा रहा है और अभी ईरान पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लेने में वक्त लगेगा।

    अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार वेन रोड्स ने कहा कि ईरान के साथ किया परमाणु समझौता अमेरिका के लिए उस पर भविष्य में प्रतिबंध नहीं लगाने के लिए बाध्यकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बारे में अंतिम निर्णय लेने से पहले कूटनीतिक और तकनीकी उपायों पर ध्यान देगी। रोड्स ने यह बातें हवाई में कही जहां राष्ट्रपति बराक ओबामा छुट्टियां बिता रहे हैं। रोड्स ने प्रतिबंध के निर्णय लेने में ईरान की तरफ से किसी दबाव से इनकार किया।

    'फॉक्स न्यूज' ने सोमवार को एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट दी थी कि ईरान ने मध्यम दूरी की नई बैलिस्टिक मिसाइल का पिछले महीने टेस्ट किया। पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, यह टेस्ट 21 नवंबर को ईरान के सिस्तान और ब्लूचिस्तान प्रांत में चाबहार के पास किया गया था, जिसकी सीमा पाकिस्तान से लगती है।

    अमेरिकी अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर यह भी बताया कि नया परीक्षण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो प्रस्तावों का उल्लंघन है।

    रोड्स ने कहा, "हमें पूरी उम्मीद है कि वे प्रतिबंधों का विरोध करेंगे। वे यह जानने के बावजूद कि हम इसकी तैयारी कर रहे हैं, वे ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने हमारी हिदायत के बावजूद ऐसा किया। "

    अमेरिका के वित्त विभाग ने बुधवार को कहा था कि वह कई ईरानी नागरिकों के अलावा कुछ अन्य देशों के व्यक्तियों पर ईरान के बैलेस्टिक मिसाइल परियोजना को कथित रूप से मदद मुहैया कराने के आरोपों के कारण प्रतिबंध लगाएगी।

    इस घोषणा पर ईरान ने काफी कड़ी प्रतिक्रिया दिखाई। गुरुवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि रक्षा विभाग अपनी मिसाइल क्षमता को बढ़ाने पर काम करता रहेगा। अगर अमेरिका ईरान पर गलत आरोप लगाकर कोई नया प्रतिबंध लगाता है तो ईरान उसका कड़ा जबाव देगा।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • मोदी ने विज्ञान कांग्रेस में दिए '5 ई' मंत्र (लीड-1)
    फकीर बालाजी
    मैसूर(कर्नाटक), 3 जनवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कर्नाटक दौरे के दूसरे दिन रविवार को 103वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस (आईएससी) का उद्धाटन किया और वैज्ञानिकों को अनुसंधान और इंजीनियरिंग के लिए 'पांच ई' के मंत्र दिए।

    मोदी ने कहा, "वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद अगर पांच ई के सिद्धांत पर अमल करेंगे तो विज्ञान का प्रभाव काफी बढ़ेगा।"

    पांच दिवसीय वार्षिक आयोजन में मोदी के दिए 'पांच ई' मंत्र में अर्थव्यवस्था (इकॉनॉमी), पर्यावरण (एनवॉयरमेंट), ऊर्जा(एनर्जी) सहानुभूति(एम्पेथी) और न्यायसंगत (इक्विटी) हैं।

    मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, "वाजिब और प्रभावशाली उपाय अपनाने पर अर्थव्यवस्था का मंत्र फलीभूत होगा, पर्यावरण यानी जब हमारा कार्बन फुटप्रिंट सबसे कम होगा और ऊर्जा का मंत्र तब फलीभूत होगा जब हमारी संपन्नता ऊर्जा पर कम से कम निर्भर होगी और हम जिस ऊर्जा का प्रयोग करेंगे वह हमारे आकाश को नीला और पृथ्वी को हरा-भरा रखेगी।"

    मोदी ने अन्य दो ई के मंत्रों की व्याख्या करते हुए कहा, "सहानुभूति (एम्पेथी) तब आएगी, जब संस्कृति, परिस्थिति और सामाजिक बदलाव के अनुकूल प्रयास किए जाएंगे और न्यायसंगत (ईक्विटी) तब होगा, जब विज्ञान समावेशी विकास को बढ़ाएगा और सबसे कमजोर का कल्याण करेगा।"

    उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि, रोजगार के अवसर और समृद्धि के लिए शहर महत्वपूर्ण इंजन हैं। हमें तेजी से बढ़ते शहरीकरण की चुनौतियों से निपटना होगा। यह सतत विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमें स्थानीय परिस्थितियों और धरोहर को ध्यान में रखते हुए संवेदनशीलता के साथ योजना बनाकर शहरों का वैज्ञानिक रास्तों से विकास करना चाहिए।

    मोदी ने कहा, "वैश्विक उर्जा मांग की दो तिहाई से अधिक हिस्सेदारी शहरों की है, इसके परिणामस्वरूप 80 फीसदी तक वैश्विक ग्रीन हाउस उत्सर्जन होता है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ हरित उर्जा प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने, सभी के लिए इसे सुगम और वहनीय बनाने के लिए हमें शोध एवं नवोन्मेष की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें शहरी योजना को स्थानीय पारिस्थितिकी और धरोहर से जुड़ी संवेदनशीलता के साथ बेहतर बनाना चाहिए और हमें ठोस कचरा प्रबंधन का व्यावहारिक एवं वहनीय समाधान निकालना चाहिए।

    मोदी ने कहा कि पृथ्वी का सतत भविष्य केवल इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि हम जमीन पर क्या कर रहे हैं बल्कि इस बात पर भी कि हम सागरों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं।

    उन्होंने कहा, "हम समुद्र या नीली अर्थव्यस्था पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। हम सागरीय विज्ञान में वैज्ञानिक प्रयासों के स्तर को बढ़ाएंगे।"

    भारत में सशक्तीकरण और अवसरों की एक और क्रांति शुरू होने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "हम एक बार फिर देश के वैज्ञानिकों और नवोन्मेषकों को मानव कल्याण और आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं।"

    उन्होंने कहा, "हमारी सफलता का दायरा सूक्ष्म कण परमाणु से लेकर अंतरिक्ष के विस्तृत मोर्चे तक फैला हुआ है। हमने खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा को बेहतर बनाया है और हमने दुनिया में अन्य लोगों के बेहतर जीवन की उम्मीद जगाई है। "

    उन्होंने कहा कि जब हम अपने लोगों की आकांक्षाओं के स्तर को बढ़ा रहे हैं, हम अपने प्रयासों के स्तर को भी बढ़ाएंगे। क्योंकि 'सुशासन'. विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जोड़कर विकल्प पेश करने और रणनीति तैयार करने की व्यवस्था है।

    मोदी ने कहा, "हमें नवीकरणीय उर्जा को ज्यादा सस्ता, ज्यादा विश्वसनीय और ट्रांसमिशन ग्रिडों से आसानी से जुड़ सकने वाला बनाने के लिए नवोन्मेष की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि डिजिटल नेटवर्क की गुणवत्ता और लोक सेवाओं संबंधी इसकी पहुंच और गरीबों को इससे होने वाले फायदे का विस्तार हो रहा है।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के केंद्र में नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी को लाने में सफल रहे। नवोन्मेष केवल जलवायु परिवर्तन के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह जलवायु न्याय के लिए भी अहम है। उन्होंने कहा, "हमें वहनीय, व्यावहारिक और सस्ती स्वच्छ हरित प्रौद्योगिकी तैयार करने के लिए अनुसंधान एवं नवोन्मेष की जरूरत है। हमें नवीकरणीय विश्वसनीय, सस्ती उर्जा के लिए भी नवोन्मेष की जरूरत है।"

    भारतीय विज्ञान कांग्रेस का मुख्य विषय 'भारत में स्वदेशी विकास के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी' है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की तर्ज पर है।

    इस कांग्रेस में देश विदेश के प्रमुख शोध संस्थाओं, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, उद्योगों एवं विश्वविद्यालयों से 15 हजार प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।

    इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला, राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन और देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित प्रसिद्ध वैज्ञानिक सीएनआर राव भी उपस्थित थे।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • ईथोपियावासी ने विमान बनाकर उड़ने का सपना साकार किया
    अदीस अबाबा, 3 जनवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। ईथोपिया निवासी असमेलाश जेफरू बचपन से पायलट बनना चाहता था। वह हालांकि मान्यताप्राप्त पायलट तो नहीं बन पाया, लेकिन 35 वर्ष की उम्र पूरी होते-होते उसने खुद का अपना एक विमान बना डाला।

    यह विमान लकड़ी तथा एल्यूमीनियम जैसे धातु के टुकड़ों से बनाया गया है।

    असमेलाश ने अपने विमान का नाम के-570ए रखा है। उसने के अक्षर अपनी मां के नाम 'किरोस वोल्डी माइकल' से लिया। 570 से तात्पर्य यह है कि इसे बनाने में 570 दिन लगे और ए का मतलब विमान यानी, एयरक्राफ्ट है।

    पहली बार इस साल जून में इस विमान को उड़ाने की उसकी कोशिश सफल नहीं हुई।

    दूसरी कोशिश वह अगले कुछ सप्ताह में अपने घर से लगे घास के एक विशाल मैदान में करने वाला है। उसने दावा किया है कि वह विमान को 10 मीटर की ऊंचाई तक उड़ा लेगा।

    असमेलाश ने चीन की दूरसंचार कंपनी जेटीई के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत कंपनी उसके प्रयोगों के लिए संरक्षक की भूमिका निभा रही है।

    जेडटीई ईथोपिया के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी झांग जिंताओ ने कहा, "मैं उसकी रचनात्मकता और दूसरों पर उच्च प्रौद्योगिकी के साथ नवाचार करने के लिए पड़ने वाले प्रभावों की सराहना करता हूं।"

    झांग ने कहा, "अपने सामाजिक दायित्व के एक हिस्से के तहत जेटीई 2000 में ईथोपिया में अपनी स्थापना के समय से देश में कई सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों को मदद करती रही है।"

    उन्होंने बताया कि कंपनी देश में शिक्षा क्षेत्र में मदद कर रही है और शिक्षा संस्थानों का एक-दूसरे से तथा वैश्विक संस्थानों से संपर्क स्थापित करने में मदद कर रही है।

    असमेलाश ने कहा कि निर्णायक परीक्षण उड़ान के लिए जेडटीई का संरक्षण पाकर वह बेहद खुश है।

    उसने कहा, "मैंने हर चीज सुलझा ली है। इंजन को बेहतर बना दिया है और अब हर चीज मेरी निर्णायक उड़ान के लिए पूरी तरह से तैयार है।"

    उसने उम्मीद जताई कि के-570ए एक ब्रांड बन सकता है और 2031 तक इसका विनिर्माण शुरू हो सकता है।

    असमेलाश ने कहा कि वह बचपन से उस स्थान पर विमान उतारना चाहता है और वहां से उड़ाना चाहता है, जहां वह खेलकूद कर बड़ा हुआ है।

    उसने बताया कि 14 साल पहले ईथोपियन एयरलाइंस के पायलट स्कूल में उसे इसलिए छांट दिया गया था, क्योंकि वह ऊंचाई की शर्त पर खड़ा नहीं उतर पाया था। वह सिर्फ एक सेंटीमीटर छोटा था।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • नेपाल में मधेसी मोर्चे में फूट पड़ी
    काठमांडू, 3 जनवरी (आईएएनएस)। नेपाल में चार क्षेत्रीय पार्टियों के गठबंधन से बने मधेसी मोर्चे में फूट पड़ गई है। देश में नए संविधान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे संयुक्त लोकतांत्रिक मधेस मोर्चे में शामिल एक मुख्य घटक दल सद्भावना पार्टी ने तराई क्षेत्र में अलग से आंदोलन चलाने का आह्वान किया है।

    सद्भावना पार्टी अभी कुछ समय पहले तक भारतीय सीमा के पास केंद्रित आंदोलनों को वापस लेने के खिलाफ थी। उसके नेता राजेंद्र महतो सीमावर्ती इलाकों में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। लेकिन, अब पार्टी ने नीति बदली है।

    संघीय समाजवादी फोरम के अध्यक्ष उपेंद्र यादव ने सद्भावना पार्टी के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने कहा, "सद्भावना को प्रदर्शन का एकतरफा फैसला नहीं करना चाहिए था। यह गलत है।"

    महतो 26 दिसंबर को बिराटनगर में पुलिस से झड़प में घायल हो गए थे। भारत के गुड़गांव में मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।

    सद्भावना पार्टी ने रविवार को प्रदर्शन के कई कार्यक्रमों का एकतरफा ऐलान किया। पार्टी ने कहा है कि वह प्रदर्शन में मारे गए लोगों की याद में प्रार्थना सभा, अनशन, हस्ताक्षर अभियान और सोशल मीडिया के जरिए मधेसी आंदोलन को अंतर्राष्ट्रीय रूप देने जैसे अहिंसक उपायों का सहारा लेगी।

    सूत्रों का कहना है कि संयुक्त लोकतांत्रिक मधेस मोर्चा सोमवार को अपनी बैठक में भारत-नेपाल सीमा पर से नाकाबंदी हटाने और सीमा पर प्रदर्शन को रोकने का ऐलान कर सकता है। मोर्चे की बैठक में प्रदर्शन के तौर तरीकों पर चर्चा होगी।

    ताजा राजनैतिक घटनाक्रमों ने आंदोलनकारी दलों की राजनैतिक सूझबूझ पर सवाल उठा दिया है। आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। विश्लेषकों का मानना है कि सद्भावना पार्टी के अलग प्रदर्शन के फैसले से चार महीने पुराना यह आंदोलन कमजोर होगा।

    मधेसी मोर्चा पर नाकाबंदी हटाने का भारी दबाव है। इसकी वजह से नेपाल में जरूरी चीजों की कमी से हाहाकार मचा हुआ है।

    मोर्चे के नेताओं का कहना है कि नाकाबंदी हटाने का सद्भावना पार्टी का 'अप्रत्याशित फैसला' इसलिए लिया गया है क्योंकि इससे राजेंद्र महतो यह जताना चाहते हैं कि उनकी पार्टी अकेली नहीं थी जिसने नाकाबंदी हटाने पर आपत्ति उठाई थी।

    उधर, महतो का आरोप है कि मोर्चे के नेता काठमांडू में समय बिताना पसंद करते हैं। जमीनी स्तर पर प्रदर्शन को नेतृत्व देने में उनकी रुचि नहीं है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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