मोदी ने रमजान की मुबारकबाद दी
मोदी ने एक बयान में कहा, "मैं रमजान के पाक महीने का आगाज होने पर मुस्लिम समुदाय को मेरी शुभकामनाएं देता हूं।"
उन्होंने कहा, "खुदा करे कि रमजान हमारे समाज में भाईचारे के बंधन व सद्भाव की भावना को और प्रगाढ़ करे।"
--आईएएनएस
ओबामा के रमजान संदेश में ट्रंप पर कटाक्ष
रविवार की शाम को जारी संदेश में ओबामा ने कहा, "बहुत सारे लोगों के लिए यह माह आध्यात्मिक विकास और कम भाग्यशालियों के प्रति क्षमा, सहनशीलता, लचीलापन, करुणा और सभी समुदायों में एकता पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर है।"
सीबीएस न्यूज के अनुसार, बयान में कहा गया है, "यहां अमेरिका में हम मुस्लिम समुदाय से समृद्ध हैं, ठीक जैसे हमारा देश विविधता से समृद्ध है। ऐसे भी हैं जिनकी विरासत का हमारे राष्ट्र की शुरुआत से पता लगाया जा सकता है और इसके साथ ही साथ वे भी हैं जो अभी-अभी यहां पहुंचे हैं। इनमें चिकित्सक, वकील, कलाकार, शिक्षक, वैज्ञानिक, लोक सेवक और सेना के सदस्य शामिल हैं।"
रिपब्लिकन पार्टी के संभावित राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के मुसलमानों के देश में प्रवेश पर अस्थाई रूप से प्रतिबंध लगाने के विपरीत ओबामा ने कहा, "मैं अमेरिकी समुदाय के मुसलमानों के साथ उन आवाजों को खारिज करने के लिए दृढ़ता के साथ खड़ा हूं जो हमें बांटना चाहती हैं या हमारी धार्मिक स्वतंत्रता या नागरिक अधिकारों को कम करना चाहती हैं।"
उन्होंने कहा, "हम मुसलमानों सहित प्रवासियों और शरणार्थियों का अपने देश में स्वागत करना जारी रखेंगे।"
ट्रंप ने रविवार को सीबीएस न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा कि वह प्रस्तावित प्रतिबंध पर कायम हैं।
ट्रंप ने कहा, "मैं पीछे नहीं हट रहा हूं। हमें कुछ करना होगा। इस देश में कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद की समस्या है और यह पूरी दुनिया में है। यह एक समस्या है। इसका समाधान अस्थाई प्रतिबंध है। मैं स्थाई प्रतिबंध की बात नहीं कर रहा। हमें यह पता लगाना है कि क्या चल रहा है। "
पिछले साल की तरह ही राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि वह बहुत सारे अमेरिकी मुसलमानों को ईद समारोह के लिए आमंत्रित करेंगे। जुलाई के पहले हफ्ते में ईद का अवकाश भी रहेगा।
--आईएएनएस
ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी पर खालिस्तान समर्थक नारे
अमृतसर, 6 जून (आईएएनएस)। खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ 1980 के दशक में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए आपरेशन ब्लूस्टार की 32वीं बरसी पर सोमवार को कड़े सुरक्षा इंतजामों के बावजूद यहां राज्य सरकार के विरोध में और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए गए। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और एसजीपीसी कार्यबल की तैनाती के बावजूद नारेबाजी करने वाले उनकी पकड़ से बाहर रहे।
ऑपरेशन ब्लूस्टार की 32वीं बरसी पर यहां हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में विशेष प्रार्थना अयोजित की गई, जो शांतिपूर्ण रही। हालांकि कट्टरपंथी सिखों के एक समूह ने खालिस्तान के समर्थन में और राज्य सरकार तथा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ नारेबाजी की, लेकिन इससे स्वर्णमंदिर परिसर के भीतर अकाल तख्त के समक्ष चल रही प्रार्थना में किसी प्रकार की बाधा नहीं पहुंची।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी), कार्यबल के सदस्यों और पुलिसकर्मियों की नजर अराजक तत्वों पर रही, जो ऑपरेशन ब्लूस्टार के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को बाधित करना चाहते थे। वे जगह-जगह सादे लिबास में तैनात थे।
अकाल तख्त के जत्थेदार (प्रमुख) गुरबचन सिंह ने सिख समुदाय के लिए अपना संबोधन पढ़ा।
एसजीपीसी के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की 32वीं बरसी पर आयोजित समारोह में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने समाज के सभी वर्गो से संयम बरतने और शांतिपूर्वक बरसी मनाने की अपील की। यह अपील सिख कट्टरपंथियों और उदारवादी धड़ों के बीच झड़प की आशंकाओं के मद्देनजर की गई।
पिछले करीब तीन-चार साल से बरसी के मौके पर कट्टरपंथियों द्वारा खालिस्तान समर्थक नारेबाजी होती रही है। पिछले दो वर्षो में कुछ झड़पें भी हुई।
पंजाब पुलिस ने बरसी से पहले एहतियातन कई कट्टरपंथी सिख नेताओं को हिरासत में ले लिया था।
उल्लेखनीय है कि जून 1984 में अलगाववादी सिख नेता जरनैल सिंह भिंडरवाले के नेतृत्व में स्वर्ण मंदिर के अंदर छिपे हथियारबंद चरमपंथियों को बाहर निकालने के लिए सेना ने ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया था, जिसमें सुरक्षाकर्मियों सहित कई अन्य लोगों की जान गई थी।
--आईएएनएस
वाराणसी : विश्वनाथ मंदिर में प्रसाद स्वरूप मिलेगा बेल का पौधा
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, बेल के पौधे को प्रसाद स्वरूप भक्तों को वितरित किया जाएगा। इसके लिए श्रद्घालुओं से 11 रुपये लिए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य बेल के पेड़ को संरक्षित करना और लोगों को पेड़-पौधों के महत्व की जानकारी देना है।
विशेषज्ञों के अनुसार, बेल पत्र का औषधीय और पर्यावरण के लिहाज से बहुत महत्व है। आयुर्वेद में बेल की पत्तियों और छाल का उपयोग होता है।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, भगवान शंकर को प्रिय बेल पत्र का उपयोग काशी सहित दुनिया भर के शिव मंदिरों में किया जाता है। लेकिन बेल के पेड़ों की कम होती संख्या और बेल पत्रों की कमी के कारण इसके संरक्षण की बहुत जरूरत है।
बनारस के मंडलायुक्त नितिन रमेश गोकर्ण ने कहा कि बेल का धार्मिक और पर्यावरणीय ²ष्टि से महत्व होने के कारण भक्तों को बेल के पौधों का वितरण किया जाएगा।
--आईएएनएस
ऑपरेशन ब्लूस्टार की 32वीं बरसी, अमृतसर में सुरक्षा कड़ी
मंदिर के भीतर अकाल तख्त के समक्ष शांतिपूर्ण तरीके से प्रार्थना का आयोजन किया गया। हालांकि खालिस्तान समर्थक और राज्य सरकार के विरोध में छिटपुट नारेबाजी भी सुनने को मिली।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) कार्यबल के सदस्यों और पुलिसकर्मियों की नजर अराजक तत्वों पर रही, जो ऑपरेशन ब्लू स्टार के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को बाधित करना चाहते थे। वे जगह-जगह सादे लिबास में तैनात थे।
अकाल तख्त के जत्थेदार (प्रमुख) गुरबचन सिंह ने सिख समुदाय के लिए अपना संबोधन पढ़ा।
एसजीपीसी के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की 32वीं बरसी पर आयोजित समारोह में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने समाज के सभी वर्गो से संयम बरतने और शांतिपूर्वक बरसी मनाने की अपील की। यह अपील सिख कट्टरपंथियों और उदारवादी धड़ों के बीच झड़प की आशंकाओं के मद्देनजर की गई।
पिछले करीब तीन-चार साल से बरसी के मौके पर कट्टरपंथियों द्वारा खालिस्तान समर्थक नारेबाजी होती रही है। पिछले दो वर्षो में कुछ झड़पें भी हुई।
पंजाब पुलिस ने बरसी से पहले एहतियातन कई कट्टरपंथी सिख नेताओं को गिरफ्तार किया।
सिख संगठन दल खालसा ने सोमवार को 'अमृतसर बंद' का आह्वान किया है।
उल्लेखनीय है कि जून 1984 में अलगाववादी सिख नेता जरनैल सिंह भिंडरवाले के नेतृत्व में स्वर्ण मंदिर के अंदर छिपे हथियारबंद चरमपंथियों को बाहर निकालने के लिए सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था, जिसमें सुरक्षाकर्मियों सहित कई अन्य लोगों की जान गई थी।
--आईएएनएस
मोदी ने दी दुनिया के मुसलमानों को रमजान की बधाई
हेरात(अफगानिस्तान), 4 जून (आईएएनएस)। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दुनिया भर के एक अरब 70 करोड़ मुसलमानों को रमजान की हार्दिक बधाई दी। महीने भर का रोजा रखने वाले रमजान के इस पवित्र माह की शुरुआत अगले हफ्ते होने जा रही है।
अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर में अंग्रेजी में भाषण के अंत में मोदी ने हिन्दी में कहा, "अफगानिस्तान की जनता एवं दुनिया भर के तमाम मुसलमानों को पवित्र रमजान महीने की हार्दिक बधाई।"
मोदी की रमजान की यह बधाई मुसलमानों के पवित्र माह के सात या आठ जून से शुभारंभ होने के कुछ दिन पहले ही आया है। इसकी शुरुआत की तारीख नए चांद के दिखाई देने से तय होगी।
रमजान मुसलमानों के लिए वह समय होता है जब वे आत्म शुद्धि एवं अल्लाह के करीब जाने के लिए सुबह से शाम तक भूखे रहते हैं। रमजान के अंत में वे ईद-उल-फितर मनाते हैं। यह मुसलमानों के सबसे बड़े त्यौहारों में एक माना जाता है।
अपने पहले साल के शासन के दौरान मोदी को विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ा था क्योंकि उन्होंने वर्ष 2014 में ईद-उल-फितर की बधाई नहीं दी थी। तब उन्होंने नेपाल के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा की थी।
प्रधानमंत्री मोदी भारत द्वारा हेरात में बनाए गए बांध के उद्घाटन समारोह में भाग लेने शनिवार को अफगानिस्तान के तूफानी दौरे पर आए थे। हेरात मशहूर पारसी सूफी संत मौलाना जामी के लिए भी जाना जाता है।
मोदी ने भारत-अफगानिस्तान के मजबूत रिश्ते का उल्लेख करते हुए अपने भाषण में जामी का भी उल्लेख किया।
--आईएएनएस
अमरनाथ यात्रा पर हमले की साजिश : बीएसएफ
बीएसएफ के महानिदेशक के.के. शर्मा ने शनिवार को कहा कि खुफिया जानकारी के अनुसार, आतंकवादियों ने जम्मू एवं कश्मीर में आगामी अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाकर हमले की साजिश की है।
बिजबेहरा में शुक्रवार को आतंकवादियों के हमले में शहीद तीन जवानों को पुष्पचक्र अर्पित करने के बाद शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, "हमारे काफिले पर कल (शुक्रवार) अचानक हमला हुआ, यह अप्रत्याशित था, इसलिए हमें नुकसान उठाना पड़ा।"
उन्होंने कहा, "ऐसी खुफिया रिपोर्ट है कि आतंकवादियों ने आगामी अमरनाथ यात्रा पर हमले की योजना बनाई है, लेकिन हमने इस साल की यात्रा के मद्देनजर पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए हैं।"
जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी शहीद जवानों के ताबूतों पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
--आईएएनएस
चीन : श्वेत पत्र में धार्मिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप पर ऐतराज
चीन के राज्य परिषद के सूचना कार्यालय द्वारा प्रकाशित 'फ्रीडम ऑफ रिलिजियस बिलीफ इन शिनजियांग' नामक श्वेत पत्र के मुताबिक, "चीन के धार्मिक आयोजन स्वयं के धार्मिक समूहों, सदस्यों और नागरिकों द्वारा संचालित किए जाते हैं। देश के धार्मिक मसले और संगठन किसी भी विदेशी प्रभुत्व के अधीन नहीं हैं।"
पत्र के अनुसार, चीनी क्षेत्र के भीतर धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने के दौरान विदेशियों को चीनी कानूनों और नियमों का पालन करना चाहिए और चीन के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
पत्र में कहा गया है कि एक प्रांतीय स्तर के प्रशासनिक क्षेत्र के रूप में शिनजियांग अपने धार्मिक मामलों के संदर्भ में स्वतंत्रता और आत्म प्रबंधन के सिद्धांत को लेकर पूरी तरह सख्त है।
--आईएएनएस
थाई मंदिर के खिलाफ जानवरों की तस्करी के नए सबूत
खालों की बरामदगी के अलावा राष्ट्रीय उद्यान संरक्षण विभाग (एनपीसीडी) के सदस्य सोमवार से ही मंदिर की भी जांच कर रहे हैं। उन्होंने सैकड़ों ताबीज बरामद किए हैं जिनमें कहा जा रहा है कि बाघों की हड्डियों एवं दांत के अवशेष मिले हैं।
एफे न्यूज के अनुसार, बुधवार को अधिकारियों ने एक फ्रीजर से बाघ के 40 शावकों के शव बरामद किए थे। ये मात्र एक या दो दिन के थे।
इन शावकों के बारे में वन पशुओं के रजिस्टर में कोई रिकार्ड दर्ज नहीं है। मंदिर के लिए कानून के मुताबिक ऐसा करना जरूरी है। इसका अर्थ यह हुआ कि संरक्षण विभाग अन्य संभावित अपराधों सहित इन्हें गैरकानूनी तरीके से रखने का भी आरोप लगाएगा।
थाई प्रशासन ने सोमवार को कंचनाबरी प्रांत के फा लांग ता बुआ यानासामपन्न मंदिर से 137 बाघों का बचाव शुरू किया है। बाघों की वजह से इस मंदिर को 'टाइगर टेंपल' के नाम से भी जाना जाता है।
यह मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। पर्यटक यहां बाघों के आसपास चहलकदमी कर सकते हैं और बाघों के साथ तस्वीरें ले सकते हैं। ये बाघ दवा के प्रभाव में सुस्त नजर आते हैं। यह उन कारणों में से एक है, जिनकी वजह से पशु अधिकार समूह उद्यान की वर्षो से आलोचना करते रहे हैं।
एक स्थानीय दैनिक खाव सोद के अनुसार, "इस बीच मंदिर प्रबंधन ने अधिकारियों के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया है। इसका अर्थ यह हुआ कि बाघों को वहां से हटाने और दूसरे स्थान पर रखने की यह प्रक्रिया कई दिनों तक चलेगी। हालांकि, मंगलवार तक इनमें से 40 को बचाया जा चुका है।"
छापे के दौरान जानवरों की आंत एवं शरीर के अन्य हिस्सों के भरे डिब्बे मिले हैं। यदि इन्हें हाल का पाया जाता है तो यह वन्यजीव कार्यकर्ताओं के आरोपों की यह और पुष्टि करेगा।
कुछ पशु अधिकार संगठनों ने दावा किया है कि जब बाघ पर्यटकों के साथ होते थे तो लगता था कि उन्हें शांत करने के लिए दवा दी गई है। उनका मंदिर पर आरोप है कि पशुओं की अवैध तस्करी को छुपाने के लिए ये बाघ महज मुखौटा हैं। लेकिन, मंदिर प्रशासन इन सभी आरोपों को गलत बताता रहा है।
इन बाघों में कुछ ऐसे हैं जो थाईलैंड के नहीं हैं। उन्हें देश के वन्यजीव आश्रय स्थलों में ले जाया जाएगा।
छापामारी के बाद से ही मंदिर को जनता के लिए बंद कर दिया गया है।
--आईएएनएस
माचिस की डिब्बियों पर भगवान शिव, देवी काली!
एम.आर. नारायणस्वामी
नई दिल्ली, 2 जून (आईएएनएस)। क्या कभी माचिस की डिब्बियों पर भगवान शिव, विष्णु और हनुमान या देवी काली तथा देवी सरस्वती को देखा है? और वह भी ऑस्ट्रिया, स्वीडन तथा जापान में बनी माचिस की डिब्बियों पर?
भारतीय बाजारों में जब पिछली सदी की शुरुआत में माचिस की डिब्बियां उतरीं तो इनके लेबल ऐसे चित्रों एवं रंगों के होते थे, जो सामान्य भारतीय को आकर्षित कर सके।
तब से भारत में निर्मित और आयातित माचिस की डिब्बियों के हजारों आकर्षक लेबल की प्रदर्शनी यहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में लगाई गई है, जो पिछले एक सदी के इसके समृद्ध इतिहास को दर्शाते हैं।
माचिस की डिब्बियों का संग्रह करने के शौकीन पेशे से वास्तुविद गौतम हेमेडी (59) के अनुसार, "स्वीडन माचिस का डिब्बियों का सबसे बड़ा निर्माता है।"
जनवरी 2012 से माचिस की डिब्बियां जुटाने वाले गौतम अब तक इसका एक बड़ा संग्रह तैयार कर चुके हैं।
उनके अनुसार, ऑस्ट्रिया और जापान के साथ-साथ स्वीडन को माचिस की डिब्बियां बनाने में महारत हासिल है और इसके पास इससे संबंधित समृद्ध प्रौद्योगिकी भी है। भारत इस संबंध में एक आकर्षक बाजार रहा है, जहां इसकी खूब मांग रही है, जबकि निर्माण न के बराबर।
ऑस्ट्रिया से माचिस की डिब्बियों का सबसे पहले आयात करने वालों में कलकत्ता (अब कोलकाता) की भारतीय कंपनी ए.एम. एसभोय शमिल है।
गौतम ने आईएएनएस को बताया कि शुरुआती माचिस की डिब्बियों के निर्माण पर एक पैसे की लागत आती थी। बहुत से गैर-धार्मिक लेबल थे, जैसे-घड़ी, तीन बाघ, गाय का सिर, हाथी, दो हिरण, कुल्हाड़ी, कैंची, लैंप, घोड़ा, विमान, चाय का कप और चाबी।
बाद में हालांकि स्वीडन, ऑस्ट्रिया और जापान की कंपनियों को लगा कि भारतीय खरीदारों को धार्मिक प्रतीक चिह्नें के माध्यम से अधिक लुभाया जा सकता है।
इसके बाद स्वीडन निर्मित माचिस की डिब्बियों के लेबल पर हिन्दू देवी-देवताओं लक्ष्मी, गायत्री, दुर्गा, विष्णु, त्रिमूर्ति, गणेश, लव-कुश और कृष्ण के नहाने गईं गोपियों के कपड़े चुराकर पेड़ों पर बैठे चित्र उकेरे जाने लगे।
वहीं, जापानी माचिस की डिब्बियों पर ब्रह्मा, विष्णु, शिव और काली के चित्र बनाए जाने लगे।
ऑस्ट्रिया भी इसमें पीछे नहीं रहा और यहां निर्मित माचिस की डिब्बियों के लेबल पर भी हनुमान तथा लक्ष्मी के चित्र बनाए जाने लगे।
जब भारत में माचिस की डिब्बियों का निर्माण होने लगा तो धार्मिक लेबल का चलन और बढ़ा। अब इन पर कृष्ण और राधा, नटराज, शिवलिंग, नंदी, देवी दुर्गा, शिव और गणेश तथा कृष्ण के बाल्यावस्था तथा अन्य धार्मिक चित्रों को उकेरा जाने लगा।
भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान माचिस की डिब्बियों पर राष्ट्रवादी लेबल भी खूब देखे गए। इस दौरान माचिस की डिब्बियों पर अशोक स्तंभ, अशोक चक्र, अविभाजित भारत के मानचित्र के साथ-साथ 'आजादी की सुबह', 'स्वतंत्र भारत' तथा 'जय हिंद' जैसे नारे भी लिखे दिखे।
माचिस की डिब्बियों पर महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, शिवाजी, भगत सिंह, गोपाल कृष्ण गोखले तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू के चित्र भी उकेरे गए, जिनमें से कुछ संयोग से जापान में बने थे।
माचिस की डिब्बियों पर मैसूर, बड़ौदा, त्रावणकोर, ग्वालियर, जम्मू एवं कश्मीर, अलवर, बीकानेर, धार, इंदौर, जयपुर तथा पटियाला के तत्कालीन राजाओं के चित्र भी बनाए गए थे।
ऑस्ट्रिया निर्मित माचिस की डिब्बियों के लेबल पर इस रूप में भारत की झलक भी देखने को मिलती थी कि इसमें लालकिला तथा आगरा के किले सहित देशभर के कई महत्वपूर्ण स्थलों को चित्रों के जरिये दर्शाया गया।
आजादी के बाद भारत सरकार ने परिवार नियोजन तथा बचत के महत्व से संबंधित संदेशों के प्रसार के लिए माचिस की डिब्बियों के लेबल का इस्तेमाल किया। निजी कंपनियों को भी अपने उत्पादों के प्रचार के लिए माचिस की डिब्बियां एक सस्ता संसाधन जान पड़ी।
गौतम यूं तो आठ साल की उम्र से ही माचिस की डिब्बियों के लेबल जुटाना चाहते थे, लेकिन यह 2012 से ही संभव हो पाया, जब उन्होंने कुछ संग्रहों को खरीदने का निर्णय लिया।
आज उनके पास दियासलाई उद्योग के करीब 25,000 लेबल, रैपर और कार्डबोर्ड हैं। यह उनकी पहली प्रदर्शनी है, जो शुक्रवार को समाप्त हो रही है।
हालांकि आज भारत में माचिस की डिब्बियों के लेबल बहुत ही नीरस और फीके हो रहे हैं। इस बारे में गौतम का कहना है, "आज भारत में दियासलाई उद्योग मुख्य रूप से तमिलनाडु में ही रह गया है। संबंधित उद्योग जगत रंगीन डिजाइनों पर बहुत ध्यान नहीं दे रहा है, क्योंकि इस पर लागत अधिक आती है, जबकि अधिकांश माचिस की डिब्बियां केवल एक रुपये में बिकती हैं।"
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भारत से निर्यात होने वाली माचिस की डिबियों का स्वरूप बिल्कुल अलग होता है और ये बहुत आकर्षक होती हैं।
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