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गैस पीड़ितों के मुद्दों और अमरीकी आतंकवादी आर्थिक नीतियों के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का एलान

भोपाल: 3 दिसंबर/ भोपाल गैस कांड की 31 वी बरसी के अवसर पर 3 दिसम्बर को भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के समक्ष स्मारक मूर्ति के पास  संघर्ष एवं एकजुटता सभा आयोजित की गयी। गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति की संयोजक साधना कर्णिक प्रधान  ने बताया है कि  भोपाल गैस कांड की 31 वी बरसी के अवसर पर  यूनियन कार्बाइड मूर्ती के पास आयोजित संघर्ष एवं एकजुटता सभा में वर्ष 2012  से दिये जा  रहे  एक्स  ग्रेशिया मुआवजे  से वंचित किये गये तथा सरकार द्वारा दी गई फर्जी  "बी "मेडिकल केटेगरी  प्राप्त भोपाल के सभी  सवा पाँच लाख गैस पीड़ितों को समुचित मुआवजा देनें ,  लगातार गंभीर रूप से बीमार  गैस पीड़ितों को तीस लाख रूपये मुआवजा देने की मांग की गई। सभा में बड़ी संख्या में गैस पीड़ितों ने शिवराज एवं मोदी सरकार की अपराधिक लापरवाही पर रोष प्रकट किया।

सभा में गैस पीड़ित विकलांग  सत्तार खान ने कहा कि उसके पास न तो रोजगार है न ही पेंशन। गैस पीड़ित जुलेखा बी ने बताया किस प्रकार राज्य की  शिवराज सरकार तथा केंद्र की मोदी सरकार ने गैस  पीड़ितों के साथ धोखा किया। जुलेखा बी ने बताया की सरकार ने  न उन्हें सही मुआवजा दिया गया न ही अस्पताल में उनका सही इलाज  होता है। गैस पीड़ित  साबरा बी ने बताया कि टीबी अस्पताल के डॉक्टरों ने उनसे मरीज देखने व्  इलाज के पैसे मांगे जो वो देने में अक्षम थी इसलिए उनके पति की बिना इलाज के मौत हो गई । साबरा बी ने  बताया की उनके पास अपने मृत गैस पीड़ित पति को दफ़नाने के लिए भी पैसे नही थे। गैस पीड़ित शहजाद ने बताया की यूनियन कार्बाइड के सामने  रहने  वाले  अधिकांश गंभीर रूप से बीमार  गैस पीड़ितों को  फर्जी मेडिकल केटेगरी " बी " दी गई है, जो घोर अन्याय है। सभा में गैस पीड़ितो ने  31 वर्ष बाद भी अपना संघर्ष  जारी रखने का एलान किया।

सभा को  समिति  की संयोजिका साधना कर्णिक के अलावा सीटू के पी एन वर्मा , बीमा यूनियन के मुकेश सिंह भदोरियां , एआईपीएसएन के डॉक्टर राहुल शर्मा ने संबोधित किया।

सभा में जहरीले पानी पीड़ितों  का क्लेम भरने , जहरीला कचरा निपटान हेतु अमेरिका भेजने , भोपाल मेमोरियल  अस्पताल को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित  करने , अस्पताल  में विशेषज्ञो की तत्काल नियुक्ति करने , रोजगार एव  आई सीएमआर नीरे में रिसर्च घोटाले के दोषियों को सजा देनें   आदि  की भी मांग की गई।

संघर्ष एवं एकजुटता  सभा में भोपाल गैस पीड़ितों व् जहरीले कचरे के मुद्दों के अलावा  अमेरिका एवं अन्य  अमीर देशो की आर्थिक व् आतंकवाद को पैदा कर गरीब देशों के बाजार पर कब्ज़ा करने की  नीतियों के कारण 2  दिसम्बर 84 को हुए भोपाल गैस कांड , 9/11 अमेरिका , 26/11 मुम्बई , फिलिस्तीन , सीरिया , पेरिस , इराक , अफगानिस्तान आदि देशो में आतंकवाद के नाम अमेरिका आदि अमीर देशों के हमलो के कारण मारे जा आम नागरिको , छोटे बच्चों एवं उनके लिए संघर्ष करने वाले शहीदों को  भी श्रद्धांजली दी गई।

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  • त्रिपुरा : नगर निकाय चुनाव में वाम मोर्चा की भारी जीत

    अगरतला, 12 दिसम्बर (आईएएनएस)। त्रिपुरा के नगर निकाय चुनाव में शनिवार को मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे ने भारी जीत दर्ज की है।

    राज्य में सत्तारूढ़ वाम मोर्चा ने अगरतला नगर निगम (एएमसी) सहित सभी 20 नगर निकायों पर कब्जा कर लिया है।

    वाम दलों ने लगातार चौथी बार 49 सदस्यीय एएमसी पर अपना कब्जा बरकरार रखा है, जबकि वाम मोर्चा ने 12 नगरपालिका परिषदों और सभी छह नगर पंचायतों पर अपना कब्जा बरकरार रखा है।

    वाम मोर्चा ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से उत्तरी त्रिपुरा में अम्बासा नगर परिषद छीन लिया है।

    त्रिपुरा में 144 वर्ष पुराने अगरतला नगर निगम, 13 नगरपालिका परिषदों और पांच नगर पंचायतों के लिए बुधवार को चुनाव हुए थे। कुल 537,968 मतदाताओं में से लगभग 89 फीसदी ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

    चुनावी जंग में कुल 886 प्रत्याशी मैदान में थे, जिनमें से 429 महिलाएं थीं।

    वाम मोर्चा ने पश्चिमी त्रिपुरा में जिरानिया नगर पंचायत को चुनाव से पहले ही जीत लिया था, क्योंकि इसकी सभी सीटों पर कोई अन्य उम्मीदवार मैदान में ही नहीं था।

    सत्ताधारी वाम मोर्चा के अलावा स्थानीय नगर निकाय चुनाव लड़ने वाले मुख्य दलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस शामिल हैं।

    राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के अनुसार, 20 नगर निकायों की 310 सीटों में से वाम दलों ने 291 सीटों पर जीत दर्ज कराई है, जबकि कांग्रेस को 13 सीटें मिली हैं, भाजपा को चार सीटें और दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए हैं।

    49 सदस्यीय एएमसी में वाम दलों ने 45 सीटें जीती है और कांग्रेस को चार सीटें मिली हैं।

    माकपा उम्मीदवार और एएमसी के मेयर, प्रफुल्लजीत सिन्हा, उप महापौर समर चक्रवर्ती के साथ ही फूलन भट्टाचार्य, गार्गी रॉय चौधरी और विश्वनाथ साहा (फॉरवर्ड ब्लॉक) एएमसी के लिए जीत दर्ज कराने वाले प्रमुख लोगों में हैं। जबकि, कांग्रेस के महापौर पद के उम्मीदवार अमर रंजन गुप्ता और बसाना देबनाथ और पन्ना देब उन प्रमुख नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें हार का मुंह देखना पड़ा है।

    उल्लेखनीय है कि 144 वर्ष प्राचीन अगरतला नगर निगम पूर्वोत्तर क्षेत्र में सबसे पुराना नगर निकाय है।

    अगरतला नगर पालिका का गठन 1871 में हुआ था, जो अभी दो साल पहले नगर निगम में बदल गया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • जापान के साथ परमाणु संधि का भोपाल गैस पीड़ितों द्वारा विरोध

    भोपाल: 11 दिसंबर/ भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति  की संयोजक साधना कर्णिक प्रधान ने कहा है कि भोपाल गैस पीड़ित जापान के प्रधानमंत्री की भारत जापान प्रस्तावित न्यूक्लिअर डील हेतु कल से प्रांरभ होने वाली भारत यात्रा का कड़ा विरोध करते  है। यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत के प्रधानमंत्री मोदी "मेक इन इंडिया" के  बहाने भारत के पर्यावरण तथा की जनता  सुरक्षा को कॉर्पोरेट घरानों के हाथ में गिरवी रख रहें हैं। शिंजो आबे तोशिबा , हिताची आदि जापानी कंपनियों और  भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिका की जनरल मोटर्स आदि कंपनियों के दबाव में है।

    साधना ने कहा की भोपाल गैस पीड़ितों का साफ मानना है कि शिंजो आबे पहले अपने देश जापान में  फुकुशिमा में हुए परमाणु  संयत्र हादसे को  ठीक करें जिसके कारण रेडिएशन से कैंसर फ़ैल रहा है।

    ज्ञात हो कि भारत भी भूकम्प संवेदनशील देश है जहां कभी भी बड़ा भूकंप आने की वैज्ञानिक चेतावनी दे चुके है। भोपाल गैस कांड उदाहरण है कि भारत में  जापान के मुकाबले प्लांट मेंटेनेंस में हजारगुना कमजोरियाँ होंगी। जो कि बहुत खतरनाक है। जापान में आम जनता के आलावा अमेरिकी परमाणु हमले के शिकार जापान के हिरोशिमा और नागासाकी के  मेयर भी भारत जापान परमाणु डील का विरोध कर रहे है।

    गैस पीड़ितों ने कहा है कि जापानी प्रधानमंत्री अमेरिका और फ्रांस के दबाव में भारत के साथ डील करनें की जल्दी में है चूँकि अमेरिका व् फ्रांस की कंपनियां  जापान से एटॉमिक रीएक्टरों का निर्माण करा रही हैं। भोपाल गैस पीड़ितों का मानना है कि प्रधानमंत्री आबे  जापान के संविधान का उल्लंघन कर एक एनपीटी (न्यूक्लिअर नॉन प्रोलीफरेशन ट्रीटी ) के उल्लंघनकर्ता देश भारत जिसने वर्ष 74 व् 98 में परमाणु परीक्षण किया उससे परमाणु डील करना चाहते है।

    साधना कार्णिक ने कहा की जापान के प्रधानमंत्री की तरह भारत के प्रधानमंत्री ने भी भारत की आम जनता या पॉर्लियायामेंट को भरोसे में लिए बिना यह खतरनाक डील करने हेतु कदम उठाये है। उनके अनुसार भोपाल में आज तक युका -डाव् द्वारा फेके गए हजारों टन जहरीले कचरे का निपटान नही हो सका है न  ही  मोदी  सरकार भोपाल में जहरीले कचरे के  फैलाव की जाँच कर रही है जिससे भोपालवासी कैंसर जैसी बिमारियों के शिकार हो रहे है। समिति ने कहा है कि भारत में पूर्व से ही रावतभाटा के परमाणु परिक्षण के बाद आसपास के गावँ साथ ही जैतपुर, ट्रांबे , कल्लपुरम आदि के आसपास स्तिथ गावो में कैंसर के मरीजो की संख्या बढ़ रही है। यूपीए व् एनडीए ने भारत के कंपनियों के दुर्घटनाओ की स्तिथी में जिम्मेदारी के कानून को जानबूझकर कमजोर कर दियां है ताकि हादसे की स्तिथी में विदेशी कंपनियो का मुआवजा भारत की पब्लिक सेक्टर कंपनी एलआईसी व् जीआईसी भरे ।

    पेरिस में स्वछ ऊर्जा की बात कर मोदी और आबे के भारत को  परमाणु कचराघर बना कर भारत की जनता को  मौत के मुँह में धकेलने का भोपाल गैस पीड़ित कड़ा विरोध कर रहे हैं।

  • मप्र के बड़वानी में 52 की आंखों की रोशनी गई

    भोपाल, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में लगे नेत्र शिविर में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही के कारण मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने वाले 52 लोगों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है। इंदौर संभाग के संयुक्त निदेशक (स्वास्थ्य) शरद पंडित ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की।

    आंख की रेटिना (पुतली) में गंभीर संक्रमण और मवाद आ जाने से पहले 40 लोगों की आंखों की रोशनी गई थी, अब आंकड़ा बढ़कर 52 हो गया है।

    शरद पंडित ने आईएएनएस से कहा कि बड़वानी जिले में लगे नेत्र शिविर में ऑपरेशन कराने वाले 52 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है, बाकी आठ मरीजों में से कुछ की रोशनी लौट भी सकती है।

    उन्होंने बताया कि शिविर में कुल 86 लोगों का मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया था, जिनमें से 60 लोगों की आंखों में संक्रमण हो गया था।

    मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंगलवार को कहा था कि बड़वानी की घटना दुखद है। आने वाले समय में किसी भी स्थान पर अब नेत्र शिविर नहीं लगेगा। सरकार ने रोशनी गंवाने वालों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद देने और इलाज का इंतजाम किया है। साथ ही प्रभावितों को आजीवन पांच हजार रुपये की मासिक पेंशन देने का ऐलान किया है।

    बड़वानी जिला अस्पताल में 16 से 23 नवंबर के बीच शिविर लगाकर कुल 86 लोगों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था। इनमें से 60 मरीजों की आखों में संक्रमण होने पर उन्हें इंदौर के अरविंदो और एमवाइएच अस्पताल में भर्ती कराया गया।

    बीते रविवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के नेत्र विशेषज्ञों के दल ने मरीजों की आंखों की जांच की थी। एम्स से आई टीम के प्रमुख डॉ. अतुल कुमार ने कहा था कि ऑपरेशन के दौरान प्रयुक्त आईवॉश फ्लूड के प्रदूषित होने के कारण मरीजों की आंखों में संक्रमण हो गया है। इनकी आंखों में रोशनी लौटना अब मुश्किल है।

    ऑपरेशन के बाद कई मरीजों की आंखों में दूसरे ही दिन से ही खुजली होने लगी और तीसरे दिन मवाद आने लगी। अस्पताल के जिस कमरे (ऑपरेशन थिएटर) में ऑपरेशन किया गया, उसमें मकड़े के जाले और खिड़कियों में जंग लगी पाई गई। आसपास काफी गंदगी भी फैली हुई थी।

    लापरवाही की बात सामने आने पर राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल के नेत्र विभाग के प्रमुख डॉ. आर.एस. पलोड़, सिविल सर्जन ए.एस. विश्वानर, ओटी इंचार्ज लीला वर्मा, नर्स माया चौहान, विनीता चौकसे, शबीना मंजूरी व सहायक प्रदीप चौकसे को निलंबित कर दिया है।

    ऑपरेशन में जिन उपकरणों का उपयोग किया गया और मरीजों को जो दवाएं दी गईं, उनकी जांच चल रही है।

    विपक्षी कांग्रेस ने बड़वानी नेत्र शिविर में उपयोग में लाई गई दवाओं के 'अमानक' होने का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का इस्तीफा मांगा है।

    प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये दिए जाने और मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग भी की है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • मप्र विधानसभा में पत्रकारों के मोबाइल उपयोग पर रोक

    भोपाल, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश विधानसभा की पत्रकार दीर्घा में मोबाइल फोन के उपयोग पर रोक लगा दी गई है। प्रतिबंध की विधिवत सूचना मंगलवार को जारी की गई।

    विधानसभा के मुख्य सूचना अधिकारी मुकेश मिश्रा की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया है कि पत्रकार दीर्घा में पत्रकार अपने साथ मोबाइल ले जाते हैं और इसके माध्यम से वे सदन की तस्वीरें लेते हैं और ऑडियो-वीडियो रिकार्डिग भी करते हैं, जो नियमों के विपरीत है। इसकी शिकायतें भी आई हैं।

    परिपत्र में पत्रकारों से कहा गया है कि वे पत्रकार दीर्घा में प्रवेश के समय अपने मोबाइल फोन स्विचऑफ रखें। सदन की कार्यवाही की तस्वीर न खींचें तथा ऑडियो या वीडियो रिकार्डिग न करें। ऐसा करते हुए पाए जाने पर उनका मोबाइल फोन सेट जब्त कर लिया जाएगा। साथ ही उनके पत्रकार दीर्घा में प्रवेश पर प्रतिबंधित भी लगाया जा सकता है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • मप्र : बड़वानी कांड की उच्चस्तरीय जांच, प्रभावितों को पेंशन का ऐलान

    भोपाल, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिला अस्पताल में लगे नेत्र शिविर में आंख की दृष्टि गंवाने वाले 40 लोगों को राज्य सरकार आजीवन पांच हजार रुपये मासिक पेंशन देगी और इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को विधानसभा में यह ऐलान किया।

    कांग्रेस ने मंगलवार को बड़वानी नेत्र शिविर में हुई लापरवाही को लेकर सदन में स्थगन प्रस्ताव लाया और उपयोग में लाई गई दवाओं के अमानक होने का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का इस्तीफा मांगा।

    मुख्यमंत्री शिवराज का जवाब आने से पहले स्वास्थ्य मंत्री द्वारा जवाब दिए जाने और मुख्यमंत्री के सदन में मौजूद न होने से नाराज कांग्रेस विधायकों ने बहिर्गमन किया। बाद में विपक्ष की गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़वानी की घटना दुखद है, अब आने वाले समय में किसी भी स्थान पर नेत्र शिविर नहीं लगेगा।

    उन्होंने आगे कहा कि पीड़ितों की एक आंख की रोशनी गई है। सरकार ने रोशनी गंवाने वालों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद और उपचार का इंतजाम किया है। वहीं इस घटना की तह तक जाना जरूरी है, लिहाजा इसकी उच्चस्तरीय जांच होगी, जिसमें मध्य प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव, इंदौर मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधि और भोपाल एम्स के नेत्र विशेषज्ञ शामिल होंगे। साथ ही प्रभावितों को आजीवन पांच हजार रुपये की मासिक पेंशन दी जाएगी।

    शिवराज ने कहा कि इस मामले पर किसी तरह की राजनीति न हो, इसीलिए उन्होंने स्थगन प्रस्ताव को बगैर किसी चर्चा के स्वीकार कर लिया था। वह चाहते हैं कि बड़वानी जैसी घटना की पुनरावृत्ति न हो। दोषियों को सख्त सजा मिले, यह सबका प्रयास हो।

    उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि सभी मिलकर ऐसा प्रयास करें, जिससे इस घटना पर हुई कार्रवाई एक उदाहरण बने।

    शिवराज ने कहा कि यह बात सामने आनी चाहिए कि ऑपरेशन थिएटर में गड़बड़ी थी, दवा में गड़बड़ी थी, इसलिए घटना की उच्चस्तरीय जांच होना चाहिए।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारंभिक तौर पर कुछ कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा चुकी है। जब तक दोषियों को सजा नहीं दिला दी जाती, तब तक उनकी सरकार शांत नहीं बैठेगी। स्थिति स्पष्ट होने तक कोई नेत्र शिविर नहीं लगेगा।

    इससे पहले, कांग्रेस की ओर से सदन में उपनेता बाला बच्चन, रामनिवास रावत, डॉ. गोविंद सिंह, अजय सिंह व मुकेश नायक ने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं।

    कांग्रेस का आरोप था कि सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य विभाग की गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार हैं, अस्तालों में अमानक दवाओं की आपूर्ति हो रही है और यही कारण है बड़वानी हादसे का। सरकार का नौकरशाही पर नियंत्रण नहीं रह गया है।

    कांग्रेस विधायकों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए उनका इस्तीफा होना चाहिए। साथ ही प्रभावितों को पांच हजार रुपये मासिक की पेंशन देने की मांग उठी थी। इसके अलावा इस हादसे के हाईकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग बनाकर जांच की कराने मांग की गई थी।

    कांग्रेस ने मुख्यमंत्री की सदन में गैरहाजिरी को मुद्दा बनाया और स्वास्थ्य मंत्री का जवाब सुनने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि जिस पर आरोप है, उसके जवाब का क्या मतलब है। उसके बाद सदन से बहिर्गमन कर गए।

    स्वास्थ्य मंत्री मिश्रा ने कांग्रेस पर गरीबों और प्रभावितों के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि जिस आईवाश सॉल्यूशन में गड़बड़ी की बात की जा रही है, उसकी नौ हजार बोतलें मंगाई गई थीं और उनमें से अब तक सात हजार का उपयोग हो चुका है।

    इतना ही नहीं, सरकार इस घटना को गंभीरता लेते हुए घटना की जांच करा रही है। नमूनों को जिसमें रुई से लेकर उपयोग में लाई गई सभी दवाएं शामिल हैं। नमूनों को जांच के लिए कोलकाता भेजा गया है।

    बड़वानी के सरकारी अस्पताल द्वारा बीते माह नवंबर में आयोजित नेत्र शिविर में कुल 86 लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन हुए थे, इनमें से कुल 45 मरीजों को संक्रमण होने पर इंदौर के अरविंदो और एमवाइएच अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

    रविवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के नेत्र विशेषज्ञों का दल पहुंचा था। उसने मरीजों की आंखों की जांच की। एम्स की टीम ने पाया कि ऑपरेशन के दौरान प्रयुक्त आईवाश फ्लूड में गड़बड़ी के कारण 40 मरीजों की आंखों में संक्रमण हो गया। अब उनकी आंखों में रोशनी लौटना मुश्किल है।

    इस मामले में सिविल सर्जन, एक चिकित्सक के अलावा पांच अन्य कर्मचारियों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। कांग्रेस दवा खरीद में शामिल बड़े अफसरों के अलावा स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा मांग रही है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • उज्जैन के कलेक्टर पंचकोशी मार्ग पर की पदयात्रा

    उज्जैन, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में अगले वर्ष होने वाले सिंहस्थ (कुंभ) की तैयारियां जोरों पर है। पंचकोशी मार्ग का हाल जानने के लिए कलेक्टर कवींद्र कियावत ने 118 किलोमीटर का रास्ता पैदल चलकर तय किया।

    ज्ञात हो कि सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पंचकोशी यात्रा का महत्व है और वे इसी मार्ग से पुण्य अर्जित करने की यात्रा करेंगे। सिंहस्थ मेला अवधि के दौरान उज्जैन आने वाले श्रद्धालु पंचकोशी मार्ग पर यात्रा करेंगे। यह यात्रा एक मई से छह मई 2016 तक निकलेगी।

    मंगलवार को आधिकारिक तौर पर बताया गया कि जिलाधिकारी कवींद्र कियावत ने पंचकोशी यात्रा मार्ग का भ्रमण मात्र तीन दिनों में कर लिया। जिलाधिकारी ने इन तीन दिनों में दो रात्रि विश्राम यात्रा मार्ग के गांव में कर ग्रामीणों से यात्रा की व्यवस्थाओं, कठिनाइयों के साथ-साथ जमीनी हकीकत को जाना।

    जिलाधिकारी ने पंचकोशी मार्ग की पैदल यात्रा उज्जैन नगर के नागचंद्रेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना कर शुरू की थी। यात्रा मार्ग के ग्रामों के ग्रामीणों से मार्ग को और सुव्यवस्थित बनाने के सुझाव लिए। इस यात्रा के दौरान जिलाधिकारी ने किसानों की पंचायत लगाई और पंचक्रोशी यात्रा के साथ खेती-बाड़ी की जानकारी प्राप्त की।

    उन्होंने ग्रामीणों को राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं के साथ शौचालय के निर्माण की हिदायत दी। साथ ही उन्हें नशामुक्ति का महत्व भी बताया। बिजली, पानी आदि व्यवस्थाओं के बारे में भी ग्रामीणों से चर्चा हुई।

    पूरी यात्रा में कलेक्टर 118 किलोमीटर लंबे पंचकोशी मार्ग पर पड़ने वाले गांवों से, खिलचीपुर होते हुए उज्जैन नगर में वापस लौटे और नाग चंद्रेश्वर मंदिर पर यात्रा का समापन किया।

    ज्ञात हो कि सिंहस्थ-2016 की कार्ययोजना में पंचक्रोशी मार्ग के उन्नयन के लिए 63 करोड़ 60 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं। इस राशि से मार्ग पर निर्माण एवं अन्य कार्य चल रहे हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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