BREAKING NEWS
हिलेरी के और ईमेल प्रकाशित करेगा विकिलीक्स
यूरो 2016 में मंगलवार के मुकाबले
राजस्थान में मिग-27 विमान दुर्घटनाग्रस्त
अफ्रीकियों का दर्द : अपने ही भाइयों से मिले तिरस्कार से तकलीफ
मप्र : विकास पर भारी 8 लाख बाल श्रमिक
मप्र : राज्यसभा की तीसरी सीट पर तन्खा जीते, मगर हारे बहुत!
बढ़ता तापमान दिन के कार्य-घंटे 3.6 फीसदी घटा सकता है
पेड़ों को बचाने में जुटी 7 सहेलियां!
अच्छी बारिश से बाढ़ की तबाही का अंदेशा भी
नीलांजना भट्टाचार्य को चुंबन दृश्यों से ऐतराज नहीं

LIVE News

हिलेरी के और ईमेल प्रकाशित करेगा विकिलीक्स

यूरो 2016 में मंगलवार के मुकाबले

राजस्थान में मिग-27 विमान दुर्घटनाग्रस्त

अफ्रीकियों का दर्द : अपने ही भाइयों से मिले तिरस्कार से तकलीफ

मप्र : राज्यसभा की तीसरी सीट पर तन्खा जीते, मगर हारे बहुत!

टीबी के प्रति जागरूकता के लिए आईएमए ने निकाली रैली

नई दिल्ली, 22 मार्च (आईएएनएस)। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की बोर से मंगलवार को क्षयरोग (टीबी) से बचाव, संभाल और इलाज के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए रैली निकाली गई। विश्व क्षयरोग दिवस पूरी दुनिया में 24 मार्च को मनाया जाता है।

जागरूकता रैली आईएमए हाउस से शुरू होकर रैली आईटीओ के आसपास गई। इसमें आईएमए सदस्यों, छात्रों और नागरिकों ने भाग लिया।

भारत में टीबी के सबसे ज्यादा मामले पाए जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, 40 प्रतिशत भारतीय टीबी से प्रभावित हैं, जिनमें से ज्यादातर को अविकसित टीबी है। डब्लयूएचओ के 2014 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के 90 लाख टीबी पीड़ितों में भारत के 2.2 लाख मामले शामिल हैं। 2014 में टीबी पीड़ितों का अनुमानित आंकड़ा 2.5 लाख है।

हर साल 12 लाख नए भारतीय पीड़ित सामने आए हैं। इसके साथ ही 2.7 लाख भारतीयों को मौत हो जाती है।

कुछ सुझाव :
* दो हफ्ते से ज्यादा खांसी, वजन घटना, बुखार, बलगम में खून आए तो तुंरत डॉक्टर से सलाह लें, यह टीबी हो सकती है।
* टीबी से नफरत करें, मरीज से नहीं, सम्मान और गोपनियता से इलाज करवाएं।
* दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी को नजरअंदाज ना करें, यह टीबी हो सकती है।
* टीबी के मामले पर नोटिफाई करें।
* भारत में टीबी के इलाज के लिए आईएमए के मापदंडों के अनुसार जांच और इलाज करवाएं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Related items

  • प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में मददगार लेजर तकनीक

    न्यूयॉर्क, 13 जून (आईएएनएस)| अमेरिका के शोधार्थियों ने एक प्रायोगिक अध्ययन में पाया है कि लेजर के माध्यम से ट्यूमर पर सटीक तरीके से ऊष्मा का प्रभाव प्रोस्टेट कैंसर के मध्यवर्ती जोखिम से गुजर रहे पुरुषों के लिए लाभदायक हो सकता है। इसके साथ ही यह पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित दुष्प्रभावों से भी बचाव करता है। काफी पहले से प्रोस्टेट कैंसर का इलाज सर्जरी और विकिरण के माध्यम से ही होता रहा है। जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन और मूत्र असंयम जैसे कई दुष्प्रभाव होने का खतरा होता है।

    इस छह महीने की प्रक्रिया के दौरान शोधार्थियों को मूत्र और यौन गतिविधियों में कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव नहीं मिला।

    यह तकनीक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) का प्रयोग करती है, जो कैंसर ट्यूमर में एक लेजर फाइबर की प्रविष्टि का मार्गदर्शन करता है। गरम होने पर लेजर कैंसर ऊतकों को नष्ट कर देता है।

    युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक लियोनॉर्ड मार्क्‍स ने कहा, "यह तकनीक प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए एक नई और रोमांचक अवधारणा है।"

    यह शोध 'जर्नल ऑफ यूरोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है।

  • अमेरिका में बगैर हृदय के डेढ़ साल जीवित रहा शख्स

    शिकागो, 12 जून (आईएएनएस/सिन्हुआ)। अमेरिका में मिशिगन राज्य के पिसिलैंट शहर में 25 वर्षीय एक व्यक्ति हृदय नहीं रहने के बाद भी लगभग डेढ़ साल तक जीवित रहा। 'सीएनएन' की रिपोर्ट के अनुसार, शख्स का मई में हृदय प्रत्यारोपण किया गया। इससे पहले 555 दिनों तक (लगभग डेढ़ साल) वह हृदय के बगैर जीवित रहा।

    'सीएनएन' की शुक्रवार की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टैन लार्किन नाम के इस शख्स का हृदय कुछ स्वास्थ्य कारणों से नवंबर 2014 में निकाल दिया गया था, जिसके बाद से वह एक पोर्टेबल कृत्रिम हृदय पर निर्भर थे।

    स्टैन प्रत्यारोपण के बाद से अस्पताल में ही हैं। उन्हें अगले सप्ताह अस्पताल से छुट्टी मिलने की संभावना है, जिसके बाद वह घर लौट सकते हैं।

  • देश में 2500 बच्चे प्रति वर्ष मस्तिष्क ट्यूमर के शिकार

    नई दिल्ली, 12 जून (आईएएनएस)| विश्व में मस्तिष्क संबंधी रोगों के बढ़ने के साथ ही हर साल 2,500 से भी ज्यादा भारतीय बच्चे मस्तिष्क मेरु-द्रव्य (सीएसएफ) के जरिए फैलने वाले एक घातक मस्तिष्क ट्यूमर से पीड़ित हो जाते हैं। चिकित्सकों के मुताबिक, भारत में हर साल 40,000-50,000 व्यक्तियों में मस्तिष्क कैंसर का निदान किया जाता है। इनमें से 20 प्रतिशत बच्चे होते हैं। एक साल पूर्व यह आंकड़ा पांच प्रतिशत के आसपास था।

    यहां बीएलके अस्पताल के न्यूरोसर्जरी एवं इंटरवेंशनल एंड एंडोवास्कुलर न्यूरोसर्जरी के निदेशक और प्रमुख विकास गुप्ता ने कहा, "वर्तमान में मस्तिष्क कैंसर के 20 प्रतिशत मामले बच्चों में होते हैं। इन वर्षो में इनमें वृद्धि हुई है। इसके संकेतों में बार-बार उल्टी आना और सुबह के समय सिरदर्द (जिसे कई बार जठरांत्र रोग या माइग्रेन समझ लिया जाता है) शामिल है।"

    ब्रेन ट्यूमर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, ल्यूकेमिया के बाद मस्तिष्क ट्यूमर बच्चों में दूसरा सबसे आम कैंसर है।

    स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय पर उपचार किया जाए तो बच्चे बिना किसी परेशानी के 70-80 साल की उम्र तक जीवित रह सकते हैं।

    सर गंगाराम अस्पताल के न्यूरो एंड स्पाइन विभाग के प्रमुख सतनाम सिंह छाबड़ा ने कहा, "मस्तिष्क की क्षति केवल बच्चों में ही नहीं, बल्कि कुल मिलाकर एक गंभीर समस्या है। इसके कारण सोचने, देखने और बोलने में समस्या हो सकती है। इसके कारण व्यक्तित्व में बदलाव या दौरा पड़ने की समस्या भी हो सकती है।"

    इसके कारणों के बारे में उन्होंने कहा, "मस्तिष्क ट्यूमर का एक छोटा प्रतिशत अनुवांशिक विकारों और कुछ विषाक्त पदार्थों या विकिरण के संपर्क में आने जैसे पर्यावरणीय खतरों से जुड़ा है।"

    आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में मस्तिष्क ट्यूमर से पीड़ित बच्चों में से केवल छह प्रतिशत को सही इलाज की सुविधा मिलती है।

    सरोज सुपर स्पेश्यलिटी अस्पताल में न्यूरो सर्जरी के वरिष्ठ परामर्शदाता शैलेश जैन ने कहा, "कई बार सर्जरी संभव नहीं होती, खासतौर पर ट्यूमर अगर मस्तिष्क स्टेम या कुछ अन्य जगहों पर हो। जिन लोगों की सर्जरी नहीं की जा सकती, उन्हें रेडिएशन थेरेपी या अन्य उपचार दिया जा सकता है।"

  • गर्भावस्था के दौरान हर 5 मिनट पर मरती है एक मां : डब्ल्यूएचओ

    मुंबई, 12 जून (आईएएनएस)| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने रविवार को कहा कि गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के समय हर पांच मिनट पर एक भारतीय मां की मौत होती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, हर साल बच्चे के जन्म से जुड़ी 5 लाख 29 हजार महिलाओं की मौत होती है। उनमें 1 लाख 36 हजार यानी 25.7 फीसदी अकेले भारत में मरती हैं।

    डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा, "वास्तव में दो तिहाई मौतें बच्चा पैदा होने के बाद होती हैं। प्रसव के बाद रक्तस्राव सबसे बड़ी समस्या है। आपातकालीन प्रसव के बाद गर्भाशय के फट जाने से प्रति एक लाख में 83 माताएं मौत की शिकार हो जाती हैं मातृत्व मृत्यु दर 17.7 प्रतिशत है जबकि नवजात मृत्यु दर 37.5 प्रतिशत है।"

    बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर यदि महिला का 500 मिली लीटर या 1000 मिली लीटर रक्त निकले तो वह रक्तस्राव (पीपीएच) की परिभाषा के तहत आएगा।

    भारत में अत्यधिक रक्तस्राव की घटनाएं बहुत अधिक होती हैं, इसलिए ऐसा नहीं लगता कि देश सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (एमडीजी) 5 हासिल कर पाएगा। एमडीजी के तहत मातृत्व मृत्यु कम करने और सबको प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

    बयान में कहा गया, "भारत में मातृत्व मृत्यु दर के वर्ष 2011-13 के ताजा आकलन के अनुसार हर एक लाख बच्चा पैदा होने के दौरान 167 माताओं की मौत हो जाती है। यह आकलन यह भी दिखाता है कि भौगोलिक रूप से कितना अंतर है। सबसे अधिक 300 मौतें असम में और सबसे कम 61 मौतें केरल में हुई हैं।"

    डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में खून की आपूर्ति बहुत की कम है। हर देश को कम से कम एक प्रतिशत खून आरक्षित रखने की अपेक्षा की जाती है।

    बयान में यह भी कहा गया है, एक अरब 20 करोड़ आबादी वाले भारत को हर साल 1 करोड़ 20 लाख यूनिट खून की जरूरत है लेकिन केवल 90 लाख यूनिट एकत्र किया जाता है। इस तरह 25 प्रतिशत खून की कमी रह जाती है। दुनिया भर में मरीजों के रक्त प्रबंधन के क्षेत्र में नवप्रवर्तन हो रहे हैं जबकि भारत में इसके प्रबंधन की अनदेखी की गई है।

  • केंचुओं से फैलता है 'एस्कारियसिस' संक्रमण

    नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)| 'एस्कारियसिस' भारत में परजीवी से मनुष्य को होने वाली सबसे आम बीमारी है। पूरी दुनिया में इस बीमारी से एक अरब से ज्यादा लोग पीड़ित हैं। 'एस्कारियसिस ल्युंब्रिकोयडिस' नामक केंचुए के परजीवी से फैलने वाली इस बीमारी की मुख्य वजह नमी युक्त वातावरण का होना है, जो इस परजीवी के पनपने के लिए एक उचित माहौल प्रदान करता है।

    यह बीमारी उन इलाके में ज्यादा पाई जाती है जहां पर साफ-सफाई का ध्यान बहुत कम रखा जाता है, जिससे मिट्टी और पानी दूषित हो जाता है। इस बीमारी से पीड़ित सबसे ज्यादा लोग एशिया (73 प्रतिशत), अफ्रीका (73 प्रतिशत) और दक्षिणी अमेरिका (73 प्रतिशत) में पाए जाते हैं, जहां इसके मामलों की संख्या 95 प्रतिशत तक होती है।

    वैसे तो यह बीमारी सभी उम्र के लोगों में हो सकती है, लेकिन दो से 10 साल के बच्चों में यह ज्यादा पाई जाती है और 15 साल की उम्र आने तक इसका संक्रमण कम होने लगता है। इसका संक्रमण पूरे परिवार में फैल सकता है और परिवार में रह रहे लोगों की संख्या के अनुसार कीड़ों की संख्या होती है।

    85 प्रतिशत मामलों में इस संक्रमण के कोई लक्षण नजर नहीं आते, खासकर कीड़ों की संख्या अगर कम हो। कीड़ों की संख्या बढ़ते ही इसके लक्षण भी बढ़ने शुरू हो जाते हैं, जिनमें सांस का टूटना और शुरुआत में बुखार होना। इसके बाद पेट में सूजन, पेट दर्द और दस्त आदि भी हो सकते हैं।

    यह संक्रमण केंचुए के मल के जरिए उसके अंडों के खाने-पीने के चीजों में मिलने से फैलता है। यह अंडे आंत में पलते हैं, आंत की दीवारों को खोद कर रक्त के जरिये फेफड़ों में चले जाते हैं। वहां से यह एलवियोली में घुस जाते हैं और श्वास प्रणाली में चले जाते हैं, जहां पर वह ऊपर चढ़ने लगते हैं और पूरी तरह से फैल जाते हैं। फिर उनका लार्वा पेट से दूसरी बार गुजरता है और आंत में जाकर वह विकसित कीड़े बन जाते हैं।

    हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डा. के.के. अग्रवाल बताते हैं, "इस बीमारी का पता जांच करके लगाया जाता है। जिन क्षेत्रों में केंचुआ अधिक मात्रा में पाया जाता है, वहां इसकी रोकथाम काफी मुश्किल होता है। शौचालयों का प्रयोग करके, मल को सही तरह से निपटा कर, लोगों को हाथ धोने के महत्व के बारे में जागरूक करके इसकी रोकथाम की जा सकती है।"

  • अलकायदा के संदिग्ध सदस्यों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल

    नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)| दिल्ली पुलिस ने मौलाना अन्जर शाह सहित अलकायदा के संदिग्ध सदस्यों के खिलाफ शुक्रवार को आरोप-पत्र दाखिल किया। इन संदिग्ध सदस्यों पर देश में लोगों को अलकायदा से जुड़ने के लिए उकसाने के आरोप लगाए गए हैं।

    यह आरोप पत्र अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह की अदालत में दायर किया गया। इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।

    दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने 'भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा' (एक्यूआईएस) के पांच सदस्यों- शाह, अब्दुल सामी, जफर मसूद, अब्दुल रहमान और मोहम्मद आसिफ के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किए हैं।

    पुलिस ने 12 अन्य लोगों के खिलाफ भी आरोप-पत्र दायर किए हैं, जो फरार हैं। उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।

खरी बात

अफ्रीकियों का दर्द : अपने ही भाइयों से मिले तिरस्कार से तकलीफ

आनंद सिंह व रुचिका कुमारी नई दिल्ली, 12 जून (आईएएनएस)| वे सड़कों पर, गलियों में तिरस्कार, दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं, लोग उनसे बात करने से बचते हैं, स्थानीय लोग...

आधी दुनिया

14 फीसदी भारतीय कारोबार की लगाम महिलाओं के हाथ

ऋचा दूबे एक ऑनलाइन खुदरा कारोबार चलाती हैं, जो कारीगरों को उपभोक्ताओं से जोड़ता है। यह आधुनिक भारतीय महिला के लिए कोई अनोखी बात नहीं है। लेकिन हाल के आंकड़ों...

जीवनशैली

पुरुषों के पास डॉक्टर के पास जाने का समय नहीं!

न्यूयार्क, 10 जून (आईएएनएस)| पुरुष अपने पारिवारिक डॉक्टर के पास नियमित जांच के लिए जाने की जगह आमतौर पर वहां न जाने के बहाने ढूंढते हैं और उनका सबसे बड़ा...