2 सितम्बर की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का MP में चौतरफा असर, छाया रहा सन्नाटा
राज्य Sep 02, 2016भोपाल: 2 सितम्बर/ मध्यप्रदेश के ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चा ने कहा है कि प्रदेश में आज 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों तथा बैंक, बीमा, बीएसएनएल, राज्य, केन्द्रीय कर्मचारी, रक्षा, बंदरगाह, कोयला, स्टील आदि तमाम उद्योगों के राष्ट्रीय फेडरेशनों के आव्हान पर राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का प्रदेश में का व्यापक असर रहा। हड़ताल के चलते विभिन्न दफ्तरों-खदानों-औद्योगिक क्षेत्रों में सन्नाटा छाया रहा। प्रदेशभर के प्रमुख शहरों में हड़ताली श्रमिकों ने विशाल रैलियाँ निकाली व हड़ताली सभाएँ की। इस हड़ताल में देश भर के 18 करोड़ से ज्यादा मेहनतकष जनता के शामिल होने के चलते यह देष के इतिहास की सबसे बड़ी हड़ताल में शुमार हो गई। प्रदेश में भी लाखों-लाख श्रमिक व कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हुए।
18000 रुपये प्रतिमाह न्यूनतम वेतन, बोनस-ग्रेच्युटी की सीमा समाप्ति, श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन की वापसी, ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगाकर समान काम-समान वेतन लागू कराने, सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश व निजीकरण पर रोक, रेल-रक्षा-बीमा-खुदरा बाजार में एफडीआई पर रोक, केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन आयोग विसंगति के मुद्दों, मंहगाई रोकने हेतु सार्वजनिक वितरण प्रणाली को प्रभावी करना व खाद्यान्नों में वायदा व्यापार पर रोक, 3 करोड़ ट्रांसपोर्ट कर्मियों पर कुठाराघात करने वाले प्रस्तावित मोटर वाहन कानून सहित 12 सूत्रीय मांगों पर हुई इस हड़ताल के चलते ग्वालियर, जबलपुर, अषोक नगर, लटेरी, सिरोंज, नरसिंहगढ़, बैतूल, इटारसी, होषंगाबाद, बालाघाट, पिपरिया, हरदा, खण्डवा, पचमढ़ी, रीवा, नागदा, सागर, दमोह आदि में परिवहन वाहन सड़कों पर तक नहीं उतरे। ग्वालियर में तो शहर ही बंद हो गया। परिवहन क्षेत्र में इस हड़ताल की व्यापक तैयारी से भयभीत होकर प्रदेष सरकार ने प्रषासन का दवाब डालकर राजधानी सहित कुछ शहरों में वाहन चालकों को वाहन चलाने को मजबूर किया। इसके बावजूद प्रमुख शहरों में भी परिवहन क्षेत्र में खासा असर पड़ा।
कोयला क्षेत्र में 90-95 प्रतिशत श्रमिक हड़ताल में चले जाने से पाथाखेड़ा, पेंच, कन्हान, पाली, कोतमा, सौहागपुर, हसदेव तथा सिंगरौली कोयला खदानों में काम ठप्प रहा। बैंकों, बीमा निगमों, केन्द्रीय कार्यालयों, आंगनबाड़ियों में हड़ताल शत-प्रतिशत कामयाब रहने के चलते दफ्तर सूने पडे़ रहे। कई जगहों पर ताले तक नहीं खुले। प्रदेष के आषा-ऊषा कार्यकर्ता, मध्यान्ह भोजन करने, दैनिक वेतनभोगी कर्मी बड़ी तादाद में हड़ताल में शामिल हुए। दवा प्रतिनिधियों की हड़ताल शत-प्रतिशत कामयाब होने से दवा बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा। प्रदेश के 100 से अधिक कृषि उपजमंडियों में हड़ताल पूर्ण रही। सागर में पीडब्ल्यूडी व सफाई कर्मचारी शत-प्रतिशत हड़ताल पर रहे। प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र इंदौर, पीथमपुरा, गोविंदपुरा, महाराजपुर, बामोर, मंडीदीप में हड़ताल का व्यापक असर रहा। रेमण्ड सहित सौंसर में हड़ताल शत-प्रतिशत कामयाब रही। गुना के एनएफएल कारखाने व पीलूखेड़ी के कोकाकोला कारखाने में हड़ताल शत-प्रतिशत रही। सिंगरौली के खमरिया पावर ग्रिड क्षेत्र में 500 के ऊपर श्रमिक गिरफ्तार किये गए। इसी क्षेत्र के रिलायंस पावर व एसआर पावर के सयंत्र में भी हड़ताल का प्रभावी असर रहा। हड़ताली श्रमिकों ने बरगवां स्टेषन पर रेलवे ट्रेक को भी जाम कर दिया।
इस अवसर पर प्रदेश के सभी प्रमुख नगरों यथा प्रदेष की राजधानी भोपाल, संभागीय मुख्यालयों इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, उज्जैन, सागर, होशंगाबाद, शहडोल, मुरैना एवं जिला मुख्यालयों रतलाम, सतना, नीमच, गुना, सीधी, सिंगरौली, छिन्दवाड़ा, अशोकनगर, शिवपुरी, भिण्ड, दमोह, बैतूल, इटारसी तथा सभी औद्योगिक केन्द्रों पर हड़ताली श्रमिकों ने बड़ी-बड़ी रैलियां निकाली व प्रभावी सभाएं की। राजधानी में बैंक, केन्द्रीय कर्मचारियों की प्रभावशाली रैलियों ने एम.पी. नगर व अरेरा हिल्स क्षेत्र में जबरदस्त प्रभाव डाला।
भोपाल की मुख्य रैली यादगारे शाहजहांनी पार्क से निकली जिसका नेतृत्व एटक के रूपसिंह चौहान, रामहर्ष पटेल, सीटू के प्रमोद प्रधान, पी.एन. वर्मा, सुवीर तालुकदार, इंटक नेता रामराज तिवारी, उवेस गांधी, एआईयूटीयूसी के जेसी बरई, सेवा की बसंती मालवीय, बीमा के पूषन भट्टाचार्य, मुकेष भदौरिया, बैंक के वी.के. शर्मा, जे.पी. दुबे, केन्द्रीय कर्मचारी नेता यशवंत पुरोहित, एससी जैन, बीएसएनएल के एससी श्रीवास्तव, एचएस ठाकुर आदि ने किया। रैली में हजारों की तादाद में श्रमिक व कर्मचारी शामिल थे। अपनी गुलाबी साड़ियों में आंगनबाड़ी की सैकड़ों महिलाएं रैली को भव्य स्वरूप दे रही थी। रैली के प्रारम्भ में सम्पन्न सभा में नेताओं ने केन्द्र की भाजपा सरकार की कारपोरेट परस्त व श्रमिक विरोधी नीतियों की तीखी आलोचना करते हुए मांग की कि सरकार को इस हड़ताल की चेतावनी से षिक्षा लेकर श्रमिकों व आम जनता को राहत देने का काम करना होगा अन्यथा यह लड़ाई और तीखी होगी।