सरकार की नाक के नीचे हो रहा सूचना आयोग में भ्रष्टाचार : अजय दुबे

राज्य, मध्यप्रदेश

भोपाल : 12 अक्टूबर/ आर.टी.आई. एक्टिविस्ट अजय दुबे ने आज प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय कानून सूचना का अधिकार का आज 11 वर्ष पूर्ण कर रहा है लेकिन मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार जो प्रचार-प्रसार में हमेशा अग्रणी रहती है आज रहस्यमय तरीके से ख़ामोशी धारण किया हुआ है। म.प्र राज्य सूचना आयोग जो सूचना का अधिकार का प्रहरी है उसने भी मौन धारण किया हुआ है ना कोई उल्लास और ना ही कोई कार्यक्रम। सूचना आयोग के आयुक्तगण अपने स्वार्थ और लिप्सा में डूबकर सरकार के परमप्रिय अनुयायी बन गए हैं जिससे उनकी आर्थिक गड़बड़ियों पर सरकार मौन है।

दुबे के अनुसार आम नागरिकों से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दस्तावेजों के प्रतिलिपियों के लिये प्रतिपृष्ठ 2 रूपये लिये जाते हैं जबकि मंत्रालय में फोटो कॉपी सुविधा उपलब्ध करवाने वाले ठेकेदार द्वारा सरकार से केवल 45 पैसे लिये जाते हैं। क्या राज्य सरकार नागरिकों से संवैधानिक अधिकार पर भी मुनाफा कमाना चाहती है ? इसी तरह अधिनियम की धारा 27 के तहत म.प्र. सरकार प्रथम अपील 50 रूपये और द्वितीय अपील में 100 रूपये वसूलती है जबकि केंद्र में दोनों अपीलें निःशुल्क दायर होती है। भारत सरकार ने 2013 में सूचना का अधिकार के आवेदन ऑनलाइन स्वीकार करने की व्यवस्था प्रारम्भ करी और म.प्र. सर्कार से यही व्यवस्था स्थापित करने को कहा लेकिन आज तक सरकार की भ्रष्टाचार पोषित करने की मानसिकता ने इस व्यवस्था को राज्य में लागू नहीं होने दिया।

अजय ने कहा कि राज्य सूचना आयोग ने प्रदेश में केवल प्रभावशाली और रसूबदार लोगों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है तथा आम नागरिकों को परेशानियों के अलावा कुछ नहीं प्रदान करता है। प्रदेश की भ्रष्ट सरकार के कारिन्दे और माफिया के कारनामों पर सूचना अधिकार को निष्प्रभावी बनाने के लिये राज्य सूचना आयोग ने बेहद आपत्तिजनक और अमर्यादित आचरण कर भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को छति पहुचायी है। दुबे ने बताया की वह शीघ्र ही इस भ्रष्ट सुचना आयोग और सरकार के खिलाफ प्रदेश में आन्दोलन करेंगे और पारदर्शिता और जबावदेही को स्थापित करने की हर सम्भव कोशिश करेंगे।

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