शिव "राज" के विकास की पोल खोलती हैं कुपोषण से हो रही मासूम बच्चों की मौतें

राज्य, खरी बात

सुमित कुमार

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के विकास का ढिंढोरा पीटते हुए कभी नहीं थकते लेकिन पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति ये बताती है की शिवराज मामा के विकास के ढोल की पोल अब खुल चुकी है. बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति पर गौर करें तो विपक्ष के आरोपों में दम नजर आती है. प्रदेश में कुपोषण से मृत्यु होने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. कुपोषण को लेकर सरकार द्वारा किये हुए तमाम दावे अब जमीनी हक़ीक़त की मुंह चिड़ाते दिख रहे हैं। महिला बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. स्थिति की गम्भीरता इसी बात से समझा जा सकता है की प्रेदेश के मुख्यमंत्री ने कुपोषण पर श्वेत पत्र लाने की बात कही है ।

म.प्र. में कुपोषण की रोकथाम के लिए जितनी योजनाए और फंड है उतना देश के किसी अन्य राज्य में नहीं है । इसके बावजूद तीन साल से कम आयु के कुपोषित बच्चों की संख्या जहां पुरे देश में 40.4 फीसदी है तो मध्यप्रदेश में 57.9 फीसदी है । उल्लेखनीय है कि हाल ही में कुपोषण की स्थिति जानने के लिए 10 टीमों को श्योपुर जिले के गावों में भेजा गया उन टीमों ने पहले दिन ही 66 गावों से 240 कुपोषित बच्चे ढूंढ निकाले, जिनमे से 83 अति कुपोषित बच्चे हैं ।

मध्य प्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से निकालने के लिए पिछले दस साल में तक़रीबन 8.55 लाख करोड़ का बजट खर्च किया गया है । 2003 में जब भा.जा.पा. की सरकार बनी थी तब कुपोषण से शिशु मृत्यु दर 82 थी । इस वर्ष जारी रिपोर्ट के अनुसार कुपोषण से शिशु मृत्यु दर प्रति हज़ार 52 है । आंकड़े के हिसाब से देखा जाए तो मृत्यु दर कम हुई है लेकिन ये आंकड़े चिंताजनक भी काम चिंताजनक नहीं हैं. खासतौर पर मध्यप्रदेश की कुपोषण दर अभी भी राष्ट्रीय औसत से तक़रीबन दो गुना अधिक है. एक सर्वे के अनुसार अप्रैल 2015 से मार्च 2016 तक प्रदेश में कुल 23152 शिशुओं की मृत्यु हुई है जो स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए काफी है । 

ज्यादातर कुपोषण के मामले गावं तथा पिछड़े इलाकों से आ रहे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार कुपोषण से प्रभावित ज्यादातर बच्चे अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति से आते हैं । बच्चों को जन्म देते वक्त महिलाओं की मौत के मामले में मध्य प्रदेश देश का पाचंवा सबसे खराब राज्य है । यहां एक लाख गर्भवती महिलाओं में से 221 महिला प्रसव के वक्त अपना जान गवां देती हैं, जबकि देखा जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर यह आकड़ा 167 है, वहिं गर्ववती महिलाओं में रक्तल्पता का दर 54.6 प्रतिशत है । एक आंकड़े के अनुसार मध्य प्रदेश देश का दूसरा ऐसा राज्य है जहां जन्म के वक्त सबसे ज्यादा नवजात बच्चों की मौत होती है । प्रति हज़ार में से 54 नवजात बच्चों की मौत जन्म के वक्त होती है, जबकि इस मामले में पुरे देश का औसत 40 है । प्रदेश सरकार गरीबी रेखा के नीचे के लोगों को 1 रु किलो गेहूं और 2 रु किलो चावल देती है फिर भी गरीबों में पोषण का भारी अभाव है जिसकी वजह से कुपोषण लगातार बढ़ता जा रहा है ।

क्या है कुपोषण

शरीर के लिए आवश्यक सन्तुलित आहार जो लम्बे समय तक नहीं मिल पाना जिसके कारण से पेट फूल जाना, गला फूल जाना ही कुपोषण है । कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं ।

कुपोषण के कारण

इसका प्रमुख कारण गरीबी है । धन के आभाव में गरीब लोग पर्याप्त आहार नही ले पाते हैं, गरीबी के साथ-साथ एक बड़ा समस्या अज्ञानता तथा निरक्षरता भी है । अधिकाँश लोग, विशेषकर गावं, देहात में रहने वाले व्यक्तियों को सन्तुलित आहार के बारे में जानकारी नहीं होती, इस कारण से वे स्वयं तो रोग से ग्रस्त होते ही हैं साथ ही उनका परिवार भी कुपोषण का शिकार हो जाता है.

कुपोषण से बचने के लिए सबसे जरुरी है, माता पिता को पोषण और पोषक आहारों की सही जानकारी होना चाहिए । हर मां-बाप को बच्चों के जन्म के साथ ही उसके आहारों के बारे में सही जानकारी प्राप्त करने का तरीका आसान होना चाहिए । गरीब और आदिवासी क्षेत्रों में बेरोजगार लोगों को काम की व्यवस्था की जाए ताकि लोगों को रोजगार मिल सके और वे खाने की ठीक से व्यवस्था कर सकें।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल बैठक में कहा कि कुपोषण को दूर करना और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करना चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस दिशा में आवश्यक व्यवस्था बनाने के लिये महिला-बाल विकास मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, अपर मुख्य सचिव वन, प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास तथा प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य विभाग की समिति गठित की। श्री चौहान ने कहा कि स्वागतम् लक्ष्मी अभियान को जन-अभियान बनायें। कुपोषित बच्चों के उपचार के फॉलोअप की बेहतर व्यवस्था करें। महिला स्व-सहायता समूहों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की योजना बनायें। महिला स्व-सहायता समूह कौन-कौन से उत्पाद बना सकते हैं इसकी विस्तृत कार्य-योजना बनायें।

भा.जा.पा के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कुपोषण को लेकर कहा की पिछले 12 साल में जबसे हमारी सरकार बनी है तब से लगातार कुपोषण के मामले में सुधार आया है, कांग्रेस जनता के पास जाती नहीं है, कांग्रेस पार्टी जनाधार विहीन है इनके पास कोई मुद्दा है नहीं तो अनरगल बातें कर रही है । 

कांग्रेस के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने कहा की कुपोषण का लगातार बढ़ने का प्रमुख कारण भ्रष्टाचार और पोषण में हो रही अनिमितताएं है ।

मा.क.पा के राज्य सचिव बादल सरोज ने कहा की म.प्र. सरकार ने कभी कोशिश ही नही की सूबे से कुपोषण ख़त्म करने की । श्योपुर जिले में हर साल कुपोषण की जांच होती है लेकिन आंकड़े गलत तरीके से पेश किये जाते हैं । सूबे में मनरेगा विल्कुल ठप पड़ा है, जिस मनरेगा से गरीब आदमी काम कर के पेट भरते थे अब उनके पास कोई उपाय नहीं है जाहिर सी बात है कुपोषण तो बढ़ेगा ही ।

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