कावेरी विवाद : बेंगलुरू में सामान्य स्थिति बहाल, आंशिक कर्फ्यू लागू

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बेंगलुरू : 14 सितम्बर/ कर्नाटक द्वारा तमिलनाडु को कावेरी जल छोड़े जाने के विरोध में दो दिनों तक हुई हिंसा के बाद देश के प्रौद्योगिक केंद्र बेंगलुरू में बुधवार को सामान्य स्थिति बहाल हो गई। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "उत्तर पश्चिम और दक्षिण पश्चिम उपनगरों को छोड़कर शहर के सभी इलाकों में दुकानों, होटलों और निजी प्रतिष्ठानों के खुलने के साथ ही शहर में सामान्य स्थिति बहाल हो गई है। उत्तर पश्चिम और दक्षिण पश्चिम उपनगरीय इलाकों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए गुरुवार तक कर्फ्यू लागू रहेगा।"

बस, टैक्सी, ऑटो और मेट्रो रेल सेवा बहाल होने के साथ हजारों लोग कार्यालय और कार्यस्थल पर जाने के लिए शहर में चारों ओर आते-जाते दिखे।

शहर में बसअड्डों और रेलवे स्टेशनों पर यात्री जा रहे थे या उतर रहे थे। शहर की बाहरी सीमा पर स्थित हवाईअड्डे के लिए लोगों को परिवहन के रूप में रेलगाड़ियां और अंतर्राज्यीय बसें मिल रही हैं और उड़ानें समय से संचालित हो रही हैं।

पुलिस आयुक्त एन.एस. मेघारिख ने कहा, "शहर भर में सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी है और शांति सुनिश्चित करने तथा किसी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए सार्वजनिक स्थलों और घनी आबादी वाले इलाकों में पांच या उससे अधिक लोगों को एकत्रित होने पर सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा अगले आदेश तक लगी रहेगी।"

अधिकांश स्कूलों और कॉलेजों में ओनम उत्सव के लिए छुट्टियां घोषित कर दी गई हैं और असुविधा से बचने के लिए कर्फ्यू वाले इलाकों में शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए हैं।

निचले नदी तटीय राज्य को पानी छोड़े जाने के विरोध में किसानों, व्यापारियों और युवाओं के शांतिपूर्ण विरोध के बीच नदी घाटी क्षेत्र में स्थित मांड्या और मैसूर में स्थिति नियंत्रण में हैं।

इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया नई दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए समय मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वह नदी जल विवाद में प्रधानमंत्री का हस्तक्षेप चाहते हैं।

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "प्रधानमंत्री से मिलने हेतु नई दिल्ली जाने के लिए सिद्धारमैया पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) से समय मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।"

सिद्धारमैया ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने और इस झगड़े के मुद्दे के निपटारे हेतु हस्तक्षेप करने के लिए प्रधानमंत्री को गत नौ सितम्बर को एक पत्र लिखा था।

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