मध्यप्रदेश में बिजली के अभाव में अस्पतालों में हो रही मासूम बच्चों की मौतें

राज्य

भोपाल : 22 सितंबर/ बिजली के अभाव में बालाघाट सहित अन्य जिलों के चिकित्सालयों में नवजात शिशुओं तथा अन्य मरीजों की मृत्यु के लिए मध्य प्रदेश शासन और स्वास्थ्य विभाग जिम्मेदार है, उक्त बात प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आर.टी.आई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कही। उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री विदेश जाकर निवेश कि बात करते हैं, वहीँ प्रदेश में बच्चे कुपोषण तथा बिजली की अभाव में चिकित्सालय में अपनी जान गंवा रहे हैं, पहले मुख्यमंत्री बच्चों को बचा लें फिर निवेश की बात करें ।

अजय ने आगे कहा कि म.प्र. ऊर्जा विकास निगम के प्रस्ताव पर वर्ष 2011 में 129 स्वास्थ्य केंद्रों में करोड़ों की आर्थिक सहायता प्रदान कर बिजली के के अभाव में मरीजों के जीवन की रक्षा करने के लिए सोलर सयंत्र स्थापित करने का आदेश दिया था । वहीँ 129 स्वास्थ्य केंद्रों में से 20 स्थानों पर भवन ही नहीं है । दुबे ने कहा कि बालाघाट जिला जहाँ कुछ दिन पूर्व बिजली की कमी से नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई है, वहां पर भी करीब 70 लाख रूपये सोलर सयंत्र की व्यवस्था स्थापित करने के लिए मिले थे लेकिन आज तक इस राशि का कोई व्योरा नहीं है तथा कोई ठोस कार्यवाही भी नहीं की गई है । उन्होंने बताया कि पिछले 9 माह में बालाघाट जिले में 199 शिशुओं तथा 15 प्रसूताओं की मृत्यु हुई है. मुख्यमंत्री पर आरोप लगते हुए अजय ने कहा की इस हत्याकांड की जिम्मेदार राज्य सरकार तथा स्वास्थ्य विभाग है ।

आर.टी.आई. एक्टिविस्ट के अनुसार प्रमुख सचिव नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, मनु श्रीवास्तव हमेशा यह बयान देते रहे हैं कि विश्व का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्लांट रीवा में स्थापित किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि विश्व का सबसे बड़ा सौर प्लांट तमिलनाडु में रामनाथपुरम जिले के कमूति में लगाया गया है तथा यह प्लांट केवल 8 माह में तैयार हो गया और क्रियाशील हो गया है ।

अजय ने मांग की कि इस संवेदनशील प्रकरण में बच्चों की मृत्यु के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेज जाए और म. प्र. ऊर्जा विकास निगम तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई लापरवाही की सी.बी.आई जांच की जाए।

 

 

 

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