श्मीर हिंसा में 3 नागरिकों, घायल पुलिसकर्मी की मौत

राज्य, राष्ट्रीय

श्रीनगर, 13 सितंबर (आईएएनएस)| कश्मीर घाटी में मंगलवार को ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मौके पर उग्र भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच हुई हिंसक झड़पों में तीन नागरिकों की मौत हो गई। पिछले माह घायल एक पुलिसकर्मी ने भी मंगलवार को दम तोड़ दिया। शोपियां और बांदीपोरा जिलों में सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़पों में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई।

वहीं, पुलवामा जिले के अवंतीपोरा कस्बे में एक अन्य नागरिक की उस वक्त मस्जिद में दिल का दौरा पड़ने से जान चली गई, जब आंसू गैस का गोला मस्जिद में जा पहुंचा।

पिछले 20 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब प्रशासन ने श्रीनगर में ईद के दिन कर्फ्यू लगाया। प्रशासन को ऐसी खुफिया रिपोर्ट मिली थी कि अलगाववादियों ने नमाज के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा की साजिश की है।

शोपियां जिले में भीड़ ने कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए सुरक्षा बलों पर पथराव शुरू कर दिया। सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पैलेट दागे। इस दौरान शाहिद अहमद (24) की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए।

पुलवामा जिले के अवंतीपोरा कस्बे में सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसूगैस के गोले छोड़े, जो अचानक मस्जिद में जा गिरा। इस दौरान वहां मौजूद जलालुद्दीन (45) की दिल का दौरा पड़ने से जान चली गई।

इससे पहले बांदीपोरा जिले में एक युवक मुर्तजा (25) की सुरक्षा बलों के साथ झड़प में मौत हो गई थी।

इस बीच, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर नौहट्टा में एक मुठभेड़ के दौरान घायल हुए पुलिस कांस्टेबल रउफ अहमद ने मंगलवार को दम तोड़ दिया।

घाटी में 1990 के दशक के शुरुआती वर्षो के बाद पहली बार ईद पर लोगों को एकत्र होने की अनुमति नहीं दी गई।

यहां मंगलवार को लोगों ने केवल मस्जिदों में ईद की नमाज अदा की और वहां भी बहुत भीड़ नहीं देखी गई। घाटी में ईद का उत्साह नहीं देखा गया। अधिकांश लोगों ने हिंसा व झड़पों की वजह से घरों में ही रहना पसंद किया, जबकि आम तौर पर इस दिन मुसलमान समुदाय के लोग अपने रिश्तेदारों व मित्रों के घर आते-जाते हैं।

घाटी में आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद नौ जुलाई से जारी हिंसा व तनाव में मरने वालों की संख्या बढ़कर 86 हो गई है, जबकि हजारों घायल हुए हैं।

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