ग्रीनहाउस गैसों पर ऐतिहासिक करार को स्वीकृति

अंतर्राष्ट्रीय, पर्यावरण

विशाल गुलाटी
किगाली (रवांडा), 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन से जुड़े पेरिस करार को अमलीजामा पहनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के तहत दुनिया के 150 से अधिक देशों ने शनिवार को सर्वसम्मति से सुपर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने के लिए एक ऐतिहासिक करार किया। इस कदम से इस सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिग 0.5 डिग्री सेल्सियस तक रोका जा सकता है।

इन गैसों के बदले पर्यावरण अनुकूल विकल्पों का उपयोग किया जाएगा।

गर्मी को सोखने वाली कार्बनिक यौगिक एचएफसीज यानी हाइड्रोफ्लूरोकार्बनंस सुपर ग्रीनहाउस गैसें हैं। इनका इस्तेमाल पूरी दुनिया में चीजों को ठंडा रखने यानी रेफ्रिजेनरेशन और शीत-ताप नियंत्रण (एयरकंडिशनिंग) के लिए किया जाता है। ये गैसें धरती को नुकसानदेह किरणों से रक्षा करने के लिए वायुमंडल में छतरी के रूप में काम करने वाली ओजोन परत को बर्बाद करने का काम करती हैं।

'पार्टीज टू द 1989 मॉन्ट्रियल प्रोटाकॉल ऑन सब्स्टेंसेज दैट डिप्लीट द ओजोन लेयर' के कार्यक्रम के चौथे दिन यहां समझौते के लिए रातभर चली बातचीत के बाद अंतत: शनिवार को एचएफसीज का इस्तेमाल खत्म करने पर समझौता हुआ। यह वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु सम्मेलन में वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस बढ़ने से कम रखने के लक्ष्य में सबसे बड़ा योगदान देगा।


संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण प्रमुख एरिक सोलहेम ने कहा, "पिछले साल पेरिस में हम लोगों ने जलवायु परिवर्तन कुप्रभावों से सुरक्षित रखने का वादा किया था। आज हमलोग इस वादे के जरिए उस पर अमल कर रहे हैं।"

करार के मुताबिक, विकसित देशों ने वर्ष 2019 से शुरू होने वाली कटौती के लिए आधार वर्ष के रूप में 2011-2013 को रखा है। वास्तव में अमेरिका और यूरोपीय संघ ने तो कटौती शुरू भी कर दी है।

वहीं विकासशील देशों के दो उप समूह हैं और दोनों के अलग-अलग आधार वर्ष हैं। इनमें एक समूह भारत, पाकिस्तान, ईरान और इराक का है जिनका आधार वर्ष 2024-2026 है और पूरी तरह से बंद करने की समय सीमा 2028 है। भारत ने जिस समय का प्रस्ताव किया था यह उससे दो साल पहले का है।

चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, अर्जेटीना और सौ से अधिक विकाशील देश 2024 तक एचएफसी का उत्पादन पूरी तरह से बंद कर देंगे।

सोलहेम ने कहा, "यह ओजोन के लेयर और एचएफसीज से बहुत अधिक है। यह दुनिया के सभी नेताओं का हरित बदलाव का स्पष्ट बयान है..यह अपरिवर्तनीय है और रुकने वाला नहीं है। यह दिखाता है कि सबसे अच्छा निवेश स्वच्छ व प्रभावी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रहा है।"

रवांडा के राष्ट्रपति पाउल कागमे ने कहा, "हम तेजी से काम करेंगे तो हमें खर्च कम आएगा और हमारे बच्चों पर पर्यावरण का बोझ कम पड़ेगा।"

अमेरिकी विदेश मंत्री जान केरी ने कहा, "अक्सर ऐसा मौका नहीं मिलता है कि एकसाथ देश के रूप में एक अकेले कदम से 0.5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान कम हो। इनमें प्रत्येक अलग-अलग चीजें कर रहे हैं और शायद अलग-अलग समय पर लेकिन काम पूरा हो रहा है।"

197 मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकारों के बीच सात साल तक समझौता वार्ता के बाद यह समझौता हुआ है।

इस सम्मेलन में इस पर भी सहमति बनी है कि एचएफसीज को कम करने के लिए पर्याप्त धन भी मुहैया कराया जाएगा। इस पर दुनिया भर में अरबों डॉलर खर्च होने का अनुमान है।

भारतीय टीम के वार्ताकारों के प्रमुख पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के संयुक्त सचिव मनोज कुमार सिंह ने आईएएनएस को बताया, "मूल प्रस्ताव में एचएफसीज को बंद करने की कोई समय सीमा नहीं थी, लेकिन हमलोगों ने स्पष्ट कर दिया है कि हम लोग इस पर 2030 तक रोक लगा देंगे।"

भारत के पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे और अमेरिकी विदेश मंत्री केरी के बीच शुक्रवार को दूसरे दौर की बातचीत हुई, जिसमें बंद करने के वर्ष को 2028 कर दिया गया। शर्त यह है कि प्रौद्योगिकी की वर्ष 2023 या 2024 में समीक्षा की जाएगी।

समीक्षा के बाद यदि स्थिति अनुकूल नहीं हुई तो भारत बंद करने की समय सीमा 2030 तक ले जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम ने कहा है, "वर्ष 2040 के दशक तक उम्मीद है कि सभी देश अपने संबंधित आधार रेखा के 15-20 प्रतिशत से अधिक इन गैसों का उपयोग नहीं करेंगे।"

बहुत प्रभावशाली और कम खर्च में ठंडा करने वाली प्रौद्योगिकी भी विकसित की जा रही है। इससे एचएफसी को कम करके और कम ऊर्जा का इस्तेमाल करके दोनों तरह से पर्यावरण की रक्षा करने में सहायता करेगी।

इस तरह से एचएफसीज का इस्तेमाल बंद करने के कार्यक्रम तय करने करीब 70 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन से बचा जा सकेगा। इसे 750 कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के बंद करने के बराबर माना जा सकता है या इसे यह भी कह सकते हैं कि चीन के कोयला आधारित आधे बिजली संयंत्र बंद हो जाएं।

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