झुकता हूँ जैसे शब्दों को पढ़ने के लिए झुकता हूँ - राजेश जोशी

राज्य, साहित्य

भोपाल : 16 सितंबर/ अगर आप आलसी हैं तब भी एक रचनात्मक व्यक्ति बन सकते हैं, उक्त बात आईसेक्ट यूनिवर्सिटी में हो रहे शब्द धव्नि और दृश्य में कवि और साहित्यकार राजेश जोशी ने कहा, कवि बनने के लिए जरुरी नहीं है की आप मेहनती हों, आलस को लेकर उन्होंने कहा की वो शुरुवात के दिनों से ही बहुत आलसी हुआ करते थे, इसके ऊपर इनकी एक कविता भी है " आलस के कसीदे " । उन्होंने सेफ्टी पिन के अविष्कार का भी जिक्र किया की किस तरह अविष्कारक ने आलस के कारण सेफ्टी पिन का अविष्कार किया ।

कार्यक्रम में आईसेक्ट यूनिवर्सिटी के चैयरमेन संतोष चौबे भी मौजूद थे जिन्होंने कहा की राजेश जोशी की कविताएं में गहराई होती है । राजेश जोशी की पहले की कविताएं राजनीति की विकृतियां और समाज को लेकर होती थी और आज की कविताएं भाषा को लेकर होती है ।

वहिं राजेश जोशी ने अपने कई रोचक कविता भी सुनाई । " दरवाजे से पहले अपने जूतों को बांधने के लिए झुकता हूँ । झुकता हूँ जैसे शब्दों को पढ़ने के लिए मैं झुकता हूँ " । उक्त पंक्तियाँ राजेश जोशी की कविता मैं झुकता हूँ से है । इस कविता के पाठ के साथ साथ मुलाकात, विवाहहित, पीठ की खुजली, सिर छिपाने की जगह, बहन, मेरा फ़ोन नंबर, इत्यादि जैसी रोचक कविताओं का पाठ किया ।

खड़ी न्यूज़ डॉट कॉम के सम्पादक विनय द्विवेदी ने राजेश जोशी से सवाल पूछा की सोशल मीडिया के आने के बाद साहित्य कितना मजबूत हो रहा है, इस सवाल का जबाव देते हुए उन्होंने कहा की सोशल मीडिया का आना साहित्यकारों पर बड़ा संकट है । कागज पर छपी कविता और कहानी के लिए अलग मानसिकता लोगों के अन्दर बनती थी और सोशल मीडिया पर अलग बनती है । कागज पर छपा साहित्य एक डॉक्यूमेंट की तरह होता है, उसको दस साल के बाद भी निकाल कर देखा जा सकता है । लेकिन सोशल मीडिया पर डिलीट करने के बाद नहीं देखा जा सकता है, सोशल मीडिया पर गंभीर बहस का आधार और स्तर नहीं होता ।

वहिं कविता में स्थानिकता की अहमियता को लेकर संतोष चौबे ने सवाल पुछा । इस पर राजेश जोशी ने कहा की स्थानिकता का मतलब ये नहीं है की कविता किसी विशेष स्थान से सम्बंधित है, इसका मतलब ये है की कवि किस स्थान का है, कोई भी आदमी जब कवि की रचना पढता है तब उसे मालुम होना चाहिए की कवि किस जगह का है ।

कार्यक्रम का संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने किया । कार्यक्रम में शहर के वरिष्ठ कवि, कलाकार और प्रबुद्ध नागरिक शामिल थे ।

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