सिंहस्थ घोटाला: शिवराज ने सेल्फ ब्रांडिंग पर किये 60 करोड़ स्वाहा

राज्य, खरी बात

राजु कुमार

मध्यप्रदेश में इन दिनों विधान सभा का मानसून सत्र चल रहा है। इस बार के विधान सत्र में सबसे ज्यादा गूंज हाल ही में संपन्न सिंहस्थ को लेकर रहेगी। एक ओर भाजपा इसे सबसे सफलतम उपलब्धि बताने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने सिंहस्थ में भ्रष्टाचार को लेकर सबसे ज्यादा सवाल विधान सभा में लगाए हैं। कांग्रेस सिंहस्थ में हुए भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए सदन के अंदर और बाहर दोनों ओर सक्रिय है। इस बीच कांग्रेस ने तीन जगहों पर हुए स्थानीय चुनावों में भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया है। यह कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुई है, तो भाजपा के लिए हताश करने वाली। मध्यप्रदेश में भाजपा हाल के दिनों में आंतरिक उठापठक से जूझ रही है। ऐसे में तीन निकायों में हुए चुनावों में सभी जगहों पर हार भाजपा के लिए सदमे की तरह है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ईशागढ़, नगर परिषद और मंडीदीप एवं मैहर नगरपालिका के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों एवं कांग्रेस पार्षदों के ऐतिहासिक विजय पर खुशी जाहिर की, तो दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने इसे भ्रष्टाचार एवं कुव्यवस्था खिलाफ जनादेश बताया।

व्यापमं और डंपर जैसे गंभीर मुद्दों के बावजूद, कुछ सत्रों को छोड़ दिया जाए, तो भाजपा पिछले कई सालों से विधानसभा में विपक्ष पर हावी रही है। पर इस बार के मानसून सत्र में कांग्रेस की आक्रमकता के आगे सरकार जूझती हुई नजर आने वाली है। पिछले दिनों मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल के बाद मंत्रिमंडल से हटाए गए वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर एवं सरताज सिंह के साथ-साथ मंत्री बनने की आस देख रहे विधायक भी शीर्ष नेतृत्व से नाराज हैं। ऐसे में उन विधायकों ने भी सरकार को परेशानी में डालने वाले सवाल विधान सभा में लगाए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने सिंहस्थ में हुए निर्माण एवं खर्च को सबसे बड़ा भ्रष्टाचार बताने की तैयारी कर ली है। अरुण यादव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगाया है कि सिंहस्थ में साढ़े पांच हजार करोड़ रुपए खर्च कर मुख्यमंत्री ने अपनी ब्रांडिंग की है।

अरुण यादव का कहना है कि 5500 करोड़ रुपए का खजाना लुटाकर संपन्न ‘सिंहस्थ-2016’ में हुए भारी भरकम भ्रष्टाचार, प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान द्वारा सरकारी खजाने के बल पर की गई स्वयं की ब्रांडिंग और आस्था की आड़ में इसे राजनैतिक अखाड़ा बना दिए जाने को लेकर इस कांग्रेस पार्टी उच्च न्यायालय की निगरानी में अविलंब उच्च स्तरीय जांच की मांग करती है, ताकि भ्रष्टाचारियों का समूह प्रदेश में इन दिनों जारी परंपराओं के अनुरूप दस्तावेजी सबूतों को नष्ट न कर सके। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस का आरोप है कि डंपर एवं व्यापमं मामले में सरकार ने दस्तावेजों को नष्ट करने का काम किया है।

सिंहस्थ में हुए खर्च को लेकर भाजपा एवं मुख्यमंत्री चौहान पर कांग्रेस का गंभीर आरोप है। कांग्रेस पार्टी का सीधा आरोप है कि राज्य सरकार ने सिंहस्थ के पूर्व पांच करोड़ धर्मावलंबियों के आने का बहुप्रचारित ढिंढोरा पीटा, लेकिन लगभग एक करोड़ लोग ही आए। ऐसे में सरकार ने पांच करोड़ लोगों के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया। आयोजन की ग्लोबल ब्रांडिंग करीब 60 करोड़ रुपए खर्च किया गया और विज्ञापनों से ऐसा संदेश दिया गया, कि यह कोई धार्मिक आयोजन न होकर कोई सरकारी आयोजन है। घटिया निर्माण कार्यों, फर्जी ठेकों, कचरा प्रबंधन, लाल पत्थर के रोड डिवाइडर, कई तरह की सप्लाई, सफाई ठेका, 35 हजार शौचालयों का निर्माण एवं खरीदी, विद्युत कार्यों, पुल-सड़कों एवं घाटों के निर्माण, घाटों की पुताई और किसानों के खेतों का समतलीकरण करने, ओजोन गैस द्वारा पानी की सफाई करने जैसे कई कामों में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। 750 रुपए की दर से 7 करोड़ रुपए के पानी पीने के मटके खरीदे गए। 5 करोड़ की स्वास्थ्य सामग्री के लिए 60 करोड़ रुपए दिए गए। सिंहस्थ में जोन, सेक्टर ऑफिस, आवास व्यवस्था में किराए से कूलर लगाए गए, जिसमें प्रति कूलर 5600 रुपए किराया दिया गया। जबकि जो कूलर लगाए गए, उनकी बाजार में कीमत महज 3500 रुपए है। विभिन्न स्थानों पर 528 कूलर किराए पर लगे थे, जिनका करीब 30 लाख रुपए किराया बना, जबकि इतने में निगम 850 कूलर खरीद सकता था। कहीं भी यदि पक्के शौचालयों का निर्माण कराया जाता है तो उसकी लागत लगभग 12 हजार रुपए प्रति शौचालय आती है, जबकि सिंहस्थ में एक अस्थायी शौचालय के निर्माण में 13 हजार रुपए खर्च हुए। सरकार के दावों में 90,341 शौचालयों का निर्माण कराया गया है, जबकि जमीनी हकीकत में मात्र 40 हजार शौचालय ही बने।

कांग्रेस का कहना है कि सिंहस्थ में हुए भ्रष्टाचार को लेकर वह लगातार खुलासे करती रहेगी। सरकार ने महाकाल के नाम पर भारी भ्रष्टाचार किया है। कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को छोड़ना चाहती, तो दूसरी ओर आंतरिक राजनीतिक संकट से जूझती भाजपा कांग्रेस को जवाब देने के लिए रणनीति बनाने में लगी हुई है। मध्यप्रदेश में कुछ समय बाद ही विधान सभा एवं लोक सभा के उप चुनाव होने वाले हैं। वर्तमान हालात में कांग्रेस के हौसले बढ़े हुए हैं, तो दूसरी ओर भाजपा को अपनी और शिवराज की लोकप्रियता बचाने की चुनौती है। (संवाद)

Back to Top