
पुरस्कार लेने जाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी कामेश्वरन के पास नहीं हैं पैसे
राष्ट्रीय, फीचर Sep 02, 2016चेन्नई, 2 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय शतरंज खिलाड़ी वी. कामेश्वरन की आंखों में गुरुवार को खुशी और दुख दोनों तरह के आंसू थे। 72 साल के कामेश्वरन-2016 में फिडे अवार्ड पाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बनने से खुश हूं। वह इस पुरस्कार को हासिल करने वाले विश्व के नौ खिलाड़ियों में शामिल हैं।
लेकिन भारत के पहले अंतर्राष्ट्रीय शतरंज खिलाड़ी इस बात से दुखी हैं कि उनके पास पुरस्कार लेने जाने के लिए पैसे नहीं हैं। वह अजरबैजान के बाकू में हो रही 2016 बाकू फिडे कांग्रेस महासभा में जाने और वहां रहने का खर्चा उठाने में असमर्थ हैं।
इत्तेफाक से बुधवार रात और गुरुवार सुबह भारत की महिला एवं पुरुषों की शतरंज टीम विश्व शतरंज ओलम्पियाड में हिस्सा लेने के लिए बाकू गई है, लेकिन भारत में शतरंज के गढ़ चेन्नई में खेल प्रेमियों को बढ़ावा देने वाला यह शख्स यहीं रह गया।
दुख भरी लड़खडा़ती आवाज के वाबजूद सामान्य तौर पर बात करने की कोशिश करते हुए कामेश्वरन ने आईएएनएस को बताया, "पुरस्कार लेने बाकू जाने के लिए मुझे एक लाख रूपये से ज्यादा की जरूरत है लेकिन मैं इस समय इतने पैसों का इंतजाम कर पाने में असमर्थ हूं।"
उनके अनुसार विश्व शतरंज की संस्था फिडे ने उनसे कहा है कि उनके पास पुरस्कार विजेता खिलाड़ियों को यहां से लाने ले जाने के लिए पैसा नहीं है।
उन्होंने कहा, "अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) और तमिलनाडु शतरंज संघ ने भी मेरे यातायात खर्च को उठाने से मना कर दिया है। मेरे लिए सबसे दुख की बात यह है कि भारतीय शतरंज की दुनिया में से मुझे अभी तक किसी बधाई तक भी नहीं दी है।'
पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी आर. रघुनाथन ने आईएएनएस को बताया, "कामेश्वरन उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने चेन्नई में शतरंज को पहचान दिलाई है। उन्होंने 1960 से यह काम किया है। उन्होंने चेन्नई और तमिलनाडु में कई प्रतियोगिता कराने में अहम भूमिका निभाई है।"
रघुनाथन ने कहा, "एआईसीएफ कम से कम कामेस्वारानको बधाई तो दे ही सकती थी।"
शतरंज के एक कोच ने नाम न उजागर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, "उनकी वर्तमान स्थिति काफी दयनीय है। अधिकारी इस बात को भी नहीं समझ रहे हैं कि यह देश का सम्मान है। वह 35 साल तक देश के लिए खेलते रहे।"
उन्होंने कहा, "तमिलनाडु शतरंज में कामेश्वरन एक महान खिलाड़ी हैं। ऐसा पहली बार है कि वैश्विक स्तर की शतरंज संस्था फिडे किसी भारतीय खिलाड़ी को सम्मानित कर रही है। शतरंज की पूरी दुनिया को इस बात का जश्न मनाना चाहिए। हम ऐसा नहीं कर रहे हैं यह बेहद शर्म की बात है।"
कामेश्वरन के अनुसार उन्होंने बाकू जाने के लिए वीजा तो हासिल कर लिया है अब उन्हें सिर्फ वित्तीय सहायता की जरूरत है।